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'''तिरुचुरापल्ली'''(त्रिचि/तिरुची [[तमिल भाषा|तमिल]]:தி௫ச்சிராப்பள்ளி/தி௫ச்சி) [[भारत]] के [[तमिलनाडु]] प्रान्त का एक शहर है। प्राचीन काल में [[चोल साम्राज्‍य]] का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा रहा तिरूचिरापल्‍ली वर्तमान में तमिलनाडु राज्य का एक जिला है। तिरूचिरापल्ली जिले का मुख्यालय चिरूचिलापल्ली शहर है। यह स्थान [[त्रिची]] के नाम से भी से प्रसिद्ध है। यह शहर [[कावेरी नदी]] के तट पर बसा हुआ है। यह स्थान विशेष रूप से विभिन्न मंदिरों जैसे श्री रंगानाथस्वामी मंदिर, श्री जम्बूकेश्‍वरा मंदिर और वरैयूर आदि के लिए प्रसिद्ध है। शहर के मध्य से [[कावेरी]] नदी गुजरती है।
'''तिरुचिरापल्ली'''(त्रिचि/तिरुची [[तमिल भाषा|तमिल]]:தி௫ச்சிராப்பள்ளி/தி௫ச்சி) [[भारत]] के [[तमिलनाडु]] प्रान्त का एक शहर है। प्राचीन काल में [[चोल साम्राज्‍य]] का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा रहा तिरूचिरापल्‍ली वर्तमान में तमिलनाडु राज्य का एक जिला है। तिरूचिरापल्ली जिले का मुख्यालय चिरूचिलापल्ली शहर है। यह स्थान [[त्रिची]] के नाम से भी से प्रसिद्ध है। यह शहर [[कावेरी नदी]] के तट पर बसा हुआ है। यह स्थान विशेष रूप से विभिन्न मंदिरों जैसे श्री रंगानाथस्वामी मंदिर, श्री जम्बूकेश्‍वरा मंदिर और वरैयूर आदि के लिए प्रसिद्ध है। शहर के मध्य से [[कावेरी]] नदी गुजरती है।


== भूगोल ==
== भूगोल ==

14:03, 21 फ़रवरी 2020 का अवतरण

तिरुचिरापल्ली
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य तमिल नाडु
ज़िला तिरुचिरापल्ली
महापौर सारुबल तोंडाइमन
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
146.90 km² (57 sq mi)
• 85 मीटर (279 फी॰)

निर्देशांक: 10°49′N 78°41′E / 10.81°N 78.69°E / 10.81; 78.69

तिरुचिरापल्ली(त्रिचि/तिरुची तमिल:தி௫ச்சிராப்பள்ளி/தி௫ச்சி) भारत के तमिलनाडु प्रान्त का एक शहर है। प्राचीन काल में चोल साम्राज्‍य का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा रहा तिरूचिरापल्‍ली वर्तमान में तमिलनाडु राज्य का एक जिला है। तिरूचिरापल्ली जिले का मुख्यालय चिरूचिलापल्ली शहर है। यह स्थान त्रिची के नाम से भी से प्रसिद्ध है। यह शहर कावेरी नदी के तट पर बसा हुआ है। यह स्थान विशेष रूप से विभिन्न मंदिरों जैसे श्री रंगानाथस्वामी मंदिर, श्री जम्बूकेश्‍वरा मंदिर और वरैयूर आदि के लिए प्रसिद्ध है। शहर के मध्य से कावेरी नदी गुजरती है।

भूगोल

इतिहास

वर्तमान समय में तिरूचिरापल्ली का एक महत्‍वपूर्ण हिस्सा वरैयूर है, 3000 ई. पूर्व यह चोल साम्राज्‍य की राजधानी था। तिरूचिरापल्ली में कुछ समय तक मुगल शासकों ने भी राज किया। इसके पश्चात् इस पर विजयनगर के शासकों ने कब्जा किया। विजयनगर के शासकों के राज्यपाल ने इस क्षेत्र में 1736 ई. तक शासन किया। इनका नाम विश्वनाथ नायक था। इन्होंने उस समय तिप्पकुलम और किले का निर्माण करवाया था। बाद में यह नायक वंश के अधीन आया। इसके कुछ वर्षो के बाद तिरूचिरापल्ली पर चांद साहिब और मोहम्मद अली ने शासन किया। आखिर में यह स्‍थान अंग्रेजों के हाथों में चला गया। जल्द ही यह क्षेत्र ईस्ट इंडिया कम्पनी को दे दिया गया। यह क्षेत्र कर्नाटक युद्ध की पूर्वसंध्या पर एक समझौते के तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी को दिया गया था। यह जिला ब्रिटिशों के अधीन लगभग 150 वर्षो तक रहा।

जनसांख्यिकी

यातायात

पर्यटन स्थल

पहाड़ के ऊपर बना रॉकफोर्ट

श्री रंगानाथस्वामी मंदिर

यह मंदिर कावेरी नदी के मध्य स्थित श्री रंगम द्वीप पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण चेर, पांडय, चोल, होयसल और विजयनगर के शासकों ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण 13वीं और 18वीं शताब्दी में करवाया था।

श्री जम्बूकेश्‍वरा मंदिर

यह मंदिर श्री रंगानाथस्वामी मंदिर के पूर्व मे 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। इस मंदिर का मध्य प्रांगण काफी विशाल है। यह मंदिर 1600 ई. की द्रविड़ि‍यन वास्तुकला का अनूठा उदाहरण है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

तिरूवनैक्कवल

यह भगवान शिव का मंदिर है। यह मंदिर श्रीरंगम के पूर्व से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में पांच दीवारें और सात गोपुरम है। इस मंदिर में द्रविड़ि‍यन-शैली में काफी अच्छा काम किया गया है।

वरैयुर

यह जगह ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। यह चोल वंश की राजधानी थी। त्रिची हाथ से बनी सिगार और साड़ियों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। वरैयुर की हाथ से बनी सिगार पूरे विश्‍व में प्रसिद्ध है।

विनायक मंदिर

यह मंदिर कावेरी नदी के किनारे स्थित है। यह स्थान समुद्र तल से 272 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर में 437 सीढ़ियां है। यह मंदिर भगवान विनायक (पौराणिक कथा के अनुसार आधे पुरूष, आधे पक्षी गरूड़, जो की भगवान विष्णु की सवारी है, इसका संकेत प्रसिद्ध महाकाव्य में भी है) को समर्पित है। इस मंदिर के मार्ग में कई अन्य मंदिर भी स्थित है।

भद्रेश्‍वर मंदिर

यह मंदिर त्रिची से सौ किलोमी. की दूरी पर गंगैकोंडचोलपुरम में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण चोल राजा राजेन्द्र प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर में कई खूबसूरत मूर्तियां है।

सेंट लोडरु चर्च

इस चर्च का निर्माण 1812 ई. में करवाया गया था। इस चर्च की वास्तुकला काफी अद्भुत है। काफी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इस चर्च के आस-पास कई बाजार भी स्थित है।

हजरत नाथरवली

यह 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना दुर्ग है। इसकी वास्तुकला काफी खूबसूरत है। इस दुर्ग का गुम्बद संगमरमर से बना हुआ है। जिस कारण यह दुर्ग काफी सुंदर दिखाई पड़ता है।

आवागमन्

वायु मार्ग

सबसे नजदीकी हवाई अड्डा तिरूचिरापल्ली है। यह एयरपोर्ट शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। भारतीय एयरलाइन त्रिची से चेन्नई, शारजाह, कुवैत और कोलम्बो से जुड़ी हुई है।

तिरुच्ची रेलवे जंक्शन
रेल मार्ग

सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन त्रिची में हैं। यह रेल मार्ग चेन्नई, तन्जावुर, मदुरै, तिरूपति, तूतीकोरिन और रामेश्‍वरम आदि जगहों से जुड़ी हुई है।

रेलवे स्टेशन के प्लेटफौर्म नं.३
सड़क मार्ग

यह स्थान सड़क मार्ग द्वारा दक्षिण भारत के कई प्रमुख शहरों से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ