"मिश्र": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो विन्ध्य प्रकाश मिश्र (Talk) के संपादनों को हटाकर डा० भास्कर मिश्र के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) Navinsingh133 द्वारा सम्पादित संस्करण 4344320 पर पूर्ववत किया: डा० भास्कर मिश्र के सम्पादन हटाये। (ट्विंकल) टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{स्रोत कम|date=अगस्त 2019}} |
{{स्रोत कम|date=अगस्त 2019}} |
||
'''मिश्र''' या '''मिश्रा''' एक हिंदू ब्राह्मण उपनाम है जो भारत के ज्यादातर उत्तरी और मध्य भागों में पाया जाता है। यह गंगा के मैदानी क्षेत्र और भारतीय राज्यों दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल में सबसे व्यापक ब्राह्मण उपनामों में से एक है। यह गुयाना और त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देशों में मिसिर के एंग्लिकाइज्ड वर्जन के तहत भी मिलता है, उपनाम नेपाल, फिजी और मॉरीशस के साथ-साथ अन्य भारतीय प्रवासी समुदायों में भी पाया जाता है। |
'''मिश्र''' या '''मिश्रा''' एक हिंदू ब्राह्मण उपनाम है जो भारत के ज्यादातर उत्तरी और मध्य भागों में पाया जाता है। यह गंगा के मैदानी क्षेत्र और भारतीय राज्यों दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल में सबसे व्यापक ब्राह्मण उपनामों में से एक है। यह गुयाना और त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देशों में मिसिर के एंग्लिकाइज्ड वर्जन के तहत भी मिलता है, उपनाम नेपाल, फिजी और मॉरीशस के साथ-साथ अन्य भारतीय प्रवासी समुदायों में भी पाया जाता है। |
||
सरयूपारीण ब्राहमणों के मुख्य गाँव : |
|||
गर्ग (शुक्ल- वंश) |
|||
गर्ग ऋषि के तेरह लडके बताये जाते है जिन्हें गर्ग गोत्रीय, पंच प्रवरीय, शुक्ल बंशज कहा जाता है जो तेरह गांवों में बिभक्त हों गये थे| गांवों के नाम कुछ इस प्रकार है| |
|||
(१) मामखोर (२) खखाइज खोर (३) भेंडी (४) बकरूआं (५) अकोलियाँ (६) भरवलियाँ (७) कनइल (८) मोढीफेकरा (९) मल्हीयन (१०) महसों (११) महुलियार (१२) बुद्धहट (१३) इसमे चार गाँव का नाम आता है लखनौरा, मुंजीयड, भांदी, और नौवागाँव| ये सारे गाँव लगभग गोरखपुर, देवरियां और बस्ती में आज भी पाए जाते हैं| |
|||
उपगर्ग (शुक्ल-वंश) |
|||
उपगर्ग के छ: गाँव जो गर्ग ऋषि के अनुकरणीय थे कुछ इस प्रकार से हैं| |
|||
बरवां (२) चांदां (३) पिछौरां (४) कड़जहीं (५) सेदापार (६) दिक्षापार |
|||
यही मूलत: गाँव है जहाँ से शुक्ल बंश का उदय माना जाता है यहीं से लोग अन्यत्र भी जाकर शुक्ल बंश का उत्थान कर रहें हैं यें सभी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| |
|||
गौतम (मिश्र-वंश) |
|||
गौतम ऋषि के छ: पुत्र बताये जातें हैं जो इन छ: गांवों के वाशी थे| |
|||
(१) चंचाई (२) मधुबनी (३) चंपा (४) चंपारण (५) विडरा (६) भटीयारी |
|||
इन्ही छ: गांवों से गौतम गोत्रीय, त्रिप्रवरीय मिश्र वंश का उदय हुआ है, यहीं से अन्यत्र भी पलायन हुआ है ये सभी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| |
|||
उप गौतम (मिश्र-वंश) |
|||
उप गौतम यानि गौतम के अनुकारक छ: गाँव इस प्रकार से हैं| |
|||
(१) कालीडीहा (२) बहुडीह (३) वालेडीहा (४) भभयां (५) पतनाड़े (६) कपीसा |
|||
इन गांवों से उप गौतम की उत्पत्ति मानी जाति है| |
|||
वत्स गोत्र ( मिश्र- वंश) |
|||
वत्स ऋषि के नौ पुत्र माने जाते हैं जो इन नौ गांवों में निवास करते थे| |
|||
(१) गाना (२) पयासी (३) हरियैया (४) नगहरा (५) अघइला (६) सेखुई (७) पीडहरा (८) राढ़ी (९) मकहडा |
|||
बताया जाता है की इनके वहा पांति का प्रचलन था अतएव इनको तीन के समकक्ष माना जाता है| |
|||
कौशिक गोत्र (मिश्र-वंश) |
|||
तीन गांवों से इनकी उत्पत्ति बताई जाती है जो निम्न है| |
|||
(१) धर्मपुरा (२) सोगावरी (३) देशी |
|||
_*इसके अतिरिक्त कौशिक गोत्र में कुछ विद्वान जो घृत से यज्ञ करते थे और शिव के अनन्य भक्त एवं मां देवी के पुजारी थे, उनकी संतान घृतकौशिक गोत्र कहलाती, और उनमें कुशा से हवि प्रदान करने वाले कुशहरा तथा पत्तियों आदि से हवि करने वाले पर्णहरा कहलायें। यह समस्त ब्राम्हणों में सबसे अधिक विद्वान माने गए, जिनका मूल स्थान गोरखपुर और देवरिया था, किन्तु कालान्तर में राजाओं के द्वारा सम्मान पूर्वक दी गयी भूमि के कारण वर्तमान समय में इनका वंश चित्रकूट, कौशांबी,और राजस्थान के कुछ स्थानों पर निवास कर रहे हैं। इनकी विशेषता यह है कि धन को महत्त्व नहीं देना अपितु ज्ञानार्जन करना।_ |
|||
* |
|||
बशिष्ट गोत्र (मिश्र-वंश) |
|||
इनका निवास भी इन तीन गांवों में बताई जाती है| |
|||
(१) बट्टूपुर मार्जनी (२) बढ़निया (३) खउसी |
|||
शांडिल्य गोत्र ( तिवारी,त्रिपाठी वंश) |
|||
शांडिल्य ऋषि के बारह पुत्र बताये जाते हैं जो इन बाह गांवों से प्रभुत्व रखते हैं| |
|||
(१) सांडी (२) सोहगौरा (३) संरयाँ (४) श्रीजन (५) धतूरा (६) भगराइच (७) बलूआ (८) हरदी (९) झूडीयाँ (१०) उनवलियाँ (११) लोनापार (१२) कटियारी, लोनापार में लोनाखार, कानापार, छपरा भी समाहित है |
|||
इन्ही बारह गांवों से आज चारों तरफ इनका विकास हुआ है, यें सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| इनका गोत्र श्री मुख शांडिल्य त्रि प्रवर है, श्री मुख शांडिल्य में घरानों का प्रचलन है जिसमे राम घराना, कृष्ण घराना, नाथ घराना, मणी घराना है, इन चारों का उदय, सोहगौरा गोरखपुर से है जहाँ आज भी इन चारों का अस्तित्व कायम है| |
|||
उप शांडिल्य ( तिवारी- त्रिपाठी, वंश) |
|||
इनके छ: गाँव बताये जाते हैं जी निम्नवत हैं| |
|||
(१) शीशवाँ (२) चौरीहाँ (३) चनरवटा (४) जोजिया (५) ढकरा (६) क़जरवटा |
|||
भार्गव गोत्र (तिवारी या त्रिपाठी वंश) |
|||
भार्गव ऋषि के चार पुत्र बताये जाते हैं जिसमें चार गांवों का उल्लेख मिलता है जो इस प्रकार है| |
|||
(१) सिंघनजोड़ी (२) सोताचक (३) चेतियाँ (४) मदनपुर |
|||
भारद्वाज गोत्र (दुबे वंश) |
|||
भारद्वाज ऋषि के चार पुत्र बताये जाते हैं जिनकी उत्पत्ति इन चार गांवों से बताई जाती है| |
|||
(१) बड़गईयाँ (२) सरार (३) परहूँआ (४) गरयापार |
|||
कन्चनियाँ और लाठीयारी इन दो गांवों में दुबे घराना बताया जाता है जो वास्तव में गौतम मिश्र हैं लेकिन इनके पिता क्रमश: उठातमनी और शंखमनी गौतम मिश्र थे परन्तु वासी (बस्ती) के राजा बोधमल ने एक पोखरा खुदवाया जिसमे लट्ठा न चल पाया, राजा के कहने पर दोनों भाई मिल कर लट्ठे को चलाया जिसमे एक ने लट्ठे सोने वाला भाग पकड़ा तो दुसरें ने लाठी वाला भाग पकड़ा जिसमे कन्चनियाँ व लाठियारी का नाम पड़ा, दुबे की गददी होने से ये लोग दुबे कहलाने लगें| |
|||
सरार के दुबे के वहां पांति का प्रचलन रहा है अतएव इनको तीन के समकक्ष माना जाता है| |
|||
सावरण गोत्र ( पाण्डेय वंश) |
|||
सावरण ऋषि के तीन पुत्र बताये जाते हैं इनके वहां भी पांति का प्रचलन रहा है जिन्हें तीन के समकक्ष माना जाता है जिनके तीन गाँव निम्न हैं| |
|||
(१) इन्द्रपुर (२) दिलीपपुर (३) रकहट (चमरूपट्टी) |
|||
सांकेत गोत्र (मलांव के पाण्डेय वंश) |
|||
सांकेत ऋषि के तीन पुत्र इन तीन गांवों से सम्बन्धित बताये जाते हैं| |
|||
(१) मलांव (२) नचइयाँ (३) चकसनियाँ |
|||
कश्यप गोत्र (त्रिफला के पाण्डेय वंश) |
|||
इन तीन गांवों से बताये जाते हैं| |
|||
(१) त्रिफला (२) मढ़रियाँ (३) ढडमढीयाँ |
|||
ओझा वंश |
|||
इन तीन गांवों से बताये जाते हैं| |
|||
(१) करइली (२) खैरी (३) निपनियां |
|||
चौबे -चतुर्वेदी, वंश (कश्यप गोत्र) |
|||
इनके लिए तीन गांवों का उल्लेख मिलता है| |
|||
(१) वंदनडीह (२) बलूआ (३) बेलउजां |
|||
एक गाँव कुसहाँ का उल्लेख बताते है जो शायद उपाध्याय वंश का मालूम पड़ता है| |
|||
🌇ब्राह्मणों की वंशावली🌇 |
|||
भविष्य पुराण के अनुसार ब्राह्मणों का इतिहास है की प्राचीन काल में महर्षि कश्यप के पुत्र कण्वय की आर्यावनी नाम की देव कन्या पत्नी हुई। ब्रम्हा की आज्ञा से |
|||
दोनों कुरुक्षेत्र वासनी |
|||
सरस्वती नदी के तट |
|||
पर गये और कण् व चतुर्वेदमय |
|||
सूक्तों में सरस्वती देवी की स्तुति करने लगे |
|||
एक वर्ष बीत जाने पर वह देवी प्रसन्न हो वहां आयीं और ब्राम्हणो की समृद्धि के लिये उन्हें |
|||
वरदान दिया । |
|||
वर के प्रभाव कण्वय के आर्य बुद्धिवाले दस पुत्र हुए जिनका |
|||
क्रमानुसार नाम था - |
|||
उपाध्याय, |
|||
दीक्षित, |
|||
पाठक, |
|||
शुक्ला, |
|||
मिश्रा, |
|||
अग्निहोत्री, |
|||
दुबे, |
|||
तिवारी, |
|||
पाण्डेय, |
|||
और |
|||
चतुर्वेदी । |
|||
इन लोगो का जैसा नाम था वैसा ही गुण। इन लोगो ने नत मस्तक हो सरस्वती देवी को प्रसन्न किया। बारह वर्ष की अवस्था वाले उन लोगो को भक्तवत्सला शारदा देवी ने |
|||
अपनी कन्याए प्रदान की। |
|||
वे क्रमशः |
|||
उपाध्यायी, |
|||
दीक्षिता, |
|||
पाठकी, |
|||
शुक्लिका, |
|||
मिश्राणी, |
|||
अग्निहोत्रिधी, |
|||
द्विवेदिनी, |
|||
तिवेदिनी |
|||
पाण्ड्यायनी, |
|||
और |
|||
चतुर्वेदिनी कहलायीं। |
|||
फिर उन कन्याआं के भी अपने-अपने पति से सोलह-सोलह पुत्र हुए हैं |
|||
वे सब गोत्रकार हुए जिनका नाम - |
|||
कष्यप, |
|||
भरद्वाज, |
|||
विश्वामित्र, |
|||
गौतम, |
|||
जमदग्रि, |
|||
वसिष्ठ, |
|||
वत्स, |
|||
गौतम, |
|||
पराशर, |
|||
गर्ग, |
|||
अत्रि, |
|||
भृगडत्र, |
|||
अंगिरा, |
|||
श्रंगी, |
|||
कात्याय, |
|||
और |
|||
याज्ञवल्क्य। |
|||
इन नामो से सोलह-सोलह पुत्र जाने जाते हैं। |
|||
मुख्य 10 प्रकार ब्राम्हणों ये हैं- |
|||
(1) तैलंगा, |
|||
(2) महार्राष्ट्रा, |
|||
(3) गुर्जर, |
|||
(4) द्रविड, |
|||
(5) कर्णटिका, |
|||
यह पांच "द्रविण" कहे जाते हैं, ये विन्ध्यांचल के दक्षिण में पाये जाते हैं| |
|||
तथा |
|||
विंध्यांचल के उत्तर में पाये जाने वाले या वास करने वाले ब्राम्हण |
|||
(1) सारस्वत, |
|||
(2) कान्यकुब्ज, |
|||
(3) गौड़, |
|||
(4) मैथिल, |
|||
(5) उत्कलये, |
|||
उत्तर के पंच गौड़ कहे जाते हैं। |
|||
वैसे ब्राम्हण अनेक हैं जिनका वर्णन आगे लिखा है। |
|||
ऐसी संख्या मुख्य 115 की है। |
|||
शाखा भेद अनेक हैं । इनके अलावा संकर जाति ब्राम्हण अनेक है । |
|||
यहां मिली जुली उत्तर व दक्षिण के ब्राम्हणों की नामावली 115 की दे रहा हूं। |
|||
जो एक से दो और 2 से 5 और 5 से 10 और 10 से 84 भेद हुए हैं, |
|||
फिर उत्तर व दक्षिण के ब्राम्हण की संख्या शाखा भेद से 230 के |
|||
लगभग है | |
|||
तथा और भी शाखा भेद हुए हैं, जो लगभग 300 के करीब ब्राम्हण भेदों की संख्या का लेखा पाया गया है। |
|||
उत्तर व दक्षिणी ब्राम्हणां के भेद इस प्रकार है |
|||
81 ब्राम्हाणां की 31 शाखा कुल 115 ब्राम्हण संख्या, मुख्य है - |
|||
(1) गौड़ ब्राम्हण, |
|||
(2)गुजरगौड़ ब्राम्हण (मारवाड,मालवा) |
|||
(3) श्री गौड़ ब्राम्हण, |
|||
(4) गंगापुत्र गौडत्र ब्राम्हण, |
|||
(5) हरियाणा गौड़ ब्राम्हण, |
|||
(6) वशिष्ठ गौड़ ब्राम्हण, |
|||
(7) शोरथ गौड ब्राम्हण, |
|||
(8) दालभ्य गौड़ ब्राम्हण, |
|||
(9) सुखसेन गौड़ ब्राम्हण, |
|||
(10) भटनागर गौड़ ब्राम्हण, |
|||
(11) सूरजध्वज गौड ब्राम्हण(षोभर), |
|||
(12) मथुरा के चौबे ब्राम्हण, |
|||
(13) वाल्मीकि ब्राम्हण, |
|||
(14) रायकवाल ब्राम्हण, |
|||
(15) गोमित्र ब्राम्हण, |
|||
(16) दायमा ब्राम्हण, |
|||
(17) सारस्वत ब्राम्हण, |
|||
(18) मैथल ब्राम्हण, |
|||
(19) कान्यकुब्ज ब्राम्हण, |
|||
(20) उत्कल ब्राम्हण, |
|||
(21) सरवरिया ब्राम्हण, |
|||
(22) पराशर ब्राम्हण, |
|||
(23) सनोडिया या सनाड्य, |
|||
(24)मित्र गौड़ ब्राम्हण, |
|||
(25) कपिल ब्राम्हण, |
|||
(26) तलाजिये ब्राम्हण, |
|||
(27) खेटुवे ब्राम्हण, |
|||
(28) नारदी ब्राम्हण, |
|||
(29) चन्द्रसर ब्राम्हण, |
|||
(30)वलादरे ब्राम्हण, |
|||
(31) गयावाल ब्राम्हण, |
|||
(32) ओडये ब्राम्हण, |
|||
(33) आभीर ब्राम्हण, |
|||
(34) पल्लीवास ब्राम्हण, |
|||
(35) लेटवास ब्राम्हण, |
|||
(36) सोमपुरा ब्राम्हण, |
|||
(37) काबोद सिद्धि ब्राम्हण, |
|||
(38) नदोर्या ब्राम्हण, |
|||
(39) भारती ब्राम्हण, |
|||
(40) पुश्करर्णी ब्राम्हण, |
|||
(41) गरुड़ गलिया ब्राम्हण, |
|||
(42) भार्गव ब्राम्हण, |
|||
(43) नार्मदीय ब्राम्हण, |
|||
(44) नन्दवाण ब्राम्हण, |
|||
(45) मैत्रयणी ब्राम्हण, |
|||
(46) अभिल्ल ब्राम्हण, |
|||
(47) मध्यान्दिनीय ब्राम्हण, |
|||
(48) टोलक ब्राम्हण, |
|||
(49) श्रीमाली ब्राम्हण, |
|||
(50) पोरवाल बनिये ब्राम्हण, |
|||
(51) श्रीमाली वैष्य ब्राम्हण |
|||
(52) तांगड़ ब्राम्हण, |
|||
(53) सिंध ब्राम्हण, |
|||
(54) त्रिवेदी म्होड ब्राम्हण, |
|||
(55) इग्यर्शण ब्राम्हण, |
|||
(56) धनोजा म्होड ब्राम्हण, |
|||
(57) गौभुज ब्राम्हण, |
|||
(58) अट्टालजर ब्राम्हण, |
|||
(59) मधुकर ब्राम्हण, |
|||
(60) मंडलपुरवासी ब्राम्हण, |
|||
(61) खड़ायते ब्राम्हण, |
|||
(62) बाजरखेड़ा वाल ब्राम्हण, |
|||
(63) भीतरखेड़ा वाल ब्राम्हण, |
|||
(64) लाढवनिये ब्राम्हण, |
|||
(65) झारोला ब्राम्हण, |
|||
(66) अंतरदेवी ब्राम्हण, |
|||
(67) गालव ब्राम्हण, |
|||
(68) गिरनारे ब्राम्हण |
|||
सभी ब्राह्मण बंधुओ को मेरा नमस्कार बहुत दुर्लभ जानकारी है जरूर पढ़े। और समाज में शेयर करे हम क्या है |
|||
इस तरह ब्राह्मणों की उत्पत्ति और इतिहास के साथ इनका विस्तार अलग अलग राज्यो में हुआ और ये उस राज्य के ब्राह्मण कहलाये। |
|||
ब्राह्मण बिना धरती की कल्पना ही नहीं की जा सकती इसलिए ब्राह्मण होने पर गर्व करो और अपने कर्म और धर्म का पालन कर सनातन संस्कृति की रक्षा करें। |
|||
************************************* |
|||
शोधकर्ता |
|||
भास्कर मिश्र |
|||
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज |
|||
==उल्लेखनीय लोग== |
==उल्लेखनीय लोग== |
||
पंक्ति 315: | पंक्ति 43: | ||
*[[रामखेलावन मिश्र]] - क्रान्तिकारी |
*[[रामखेलावन मिश्र]] - क्रान्तिकारी |
||
==सन्दर्भ== |
==सन्दर्भ== |
||
{{टिप्पणीसूची}} |
{{टिप्पणीसूची}} |
||
04:19, 27 जनवरी 2020 का अवतरण
इस लेख में सत्यापन हेतु अतिरिक्त संदर्भ अथवा स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री को चुनौती दी जा सकती है और हटाया भी जा सकता है। (अगस्त 2019) स्रोत खोजें: "मिश्र" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
मिश्र या मिश्रा एक हिंदू ब्राह्मण उपनाम है जो भारत के ज्यादातर उत्तरी और मध्य भागों में पाया जाता है। यह गंगा के मैदानी क्षेत्र और भारतीय राज्यों दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल में सबसे व्यापक ब्राह्मण उपनामों में से एक है। यह गुयाना और त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देशों में मिसिर के एंग्लिकाइज्ड वर्जन के तहत भी मिलता है, उपनाम नेपाल, फिजी और मॉरीशस के साथ-साथ अन्य भारतीय प्रवासी समुदायों में भी पाया जाता है।
उल्लेखनीय लोग
कवि एवं लेखक
- केशवदास -संस्कृत और हिंदी के कवि
- चैतन्य महाप्रभु -संत और कवि
- प्रताप नारायण मिश्र -हिंदी गद्य लेखक
- गोदाबारिश मिश्र- उड़िया
- भवानी प्रसाद मिश्र -हिंदी कवि प्रयोगवादी (1913-1985)
- मंडन मिश्र- ब्रह्मसिद्धि के लेखक ,प्राचीन भारत के दार्शनिक
- रामभद्राचार्यउर्फ गिरिधर मिश्र
न्यायाधीश वर्ग
- दीपक मिश्र - उच्चतम न्यायालय न्यायमूर्ति (भारत )[1]
- ज्ञान सुधा मिश्र - न्यायमूर्ति उच्चतम न्यायालय (भारत )
- रंगनाथ मिश्र - पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय (भारत )
राजनीतिज्ञ
- भद्रा काली मिश्र -नेपाली कांग्रेस नेता ,परिवहन मंत्री [2]
- चतुरानन मिश्र -पूर्व कृषि मंत्री भारत
- द्वारिकाप्रसाद मिश्र -पूर्व मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश ,भारत
- जगन्नाथ मिश्र -पूर्व मुख्य मंत्री बिहार ,भारत
- कलराज मिश्र -बीजेपी नेता उत्तर प्रदेश ,भारत
- कैलाश पति मिश्र -पूर्व राज्यपाल गुजरात ,भारत
- ललित नारायण मिश्र -पूर्व रेल मंत्री ,भारत
- नितीश मिश्र - बिहार राज्य के कैबिनेट मंत्री
- सतीश चन्द्र मिश्र -पूर्व अधिवक्ता जनरल ,उत्तर प्रदेश से बी एस पी नेता
- श्रीपति मिश्र -उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री
- श्यामनंदन प्रसाद मिश्र - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता ,पूर्व केंद्रीय मंत्री
- गरगिशंकर मिश्र - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता, स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व सांसद,पूव केंद्रीय मंत्री, महाकौशल के कद्दावर नेता
साहित्य
- पंकज मिश्र -निबंधकार एवं उपन्यासकार (भारतीय )
- गोविन्द मिश्र -भारतीय उपन्यासकार
सरकारी अधिकारी
- बृजेश मिश्र - राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (भारत ) *नृपेन्द्र मिश्र- मुख्य सचिव {प्रधान मंत्री} (भारत)
अन्य उल्लेखनीय व्यक्तित्व
- रामखेलावन मिश्र - क्रान्तिकारी
सन्दर्भ
- ↑ http://supremecourtofindia.nic.in/judges/sjud/dipakmisra.htm
- ↑ Tribhuvan of Nepal#Congress Rana Government