"सिवनी ज़िला": अवतरणों में अंतर

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*प्रसिद्ध माँ काली मंदिर आस्टा में स्थित हे|
*प्रसिद्ध माँ काली मंदिर आस्टा में स्थित हे|
*प्रसिद्ध मोर्चा देवी मंदिर कल्याणपुर से 8 किमीटर कि दूरी पर स्थित हे| यंहा प्रकृति कि अदभूद छटा देखने लायक हे |
*प्रसिद्ध मोर्चा देवी मंदिर कल्याणपुर से 8 किमीटर कि दूरी पर स्थित हे| यंहा प्रकृति कि अदभूद छटा देखने लायक हे |
Math ghogra sthan bhi ghume
Ka vises sthan hai lakhnadon se 10 k.m. dor pachime disa mai hai


==जनसांख्यिकी==
==जनसांख्यिकी==

15:05, 14 जनवरी 2020 का अवतरण

सिवनी जिला
Seoni District
—  शहर  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला सिवनी
जनसंख्या 13,79,131 (2011 के अनुसार )
आधिकारिक भाषा(एँ) हिन्दी
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)

• 611 मीटर( 2,005 फीट) मीटर

निर्देशांक: 22°05′N 79°32′E / 22.08°N 79.53°E / 22.08; 79.53

सिवनी जिले का गठन 1 नवम्बर 1956 में प्राथमिक रूप से जनजातीय बहुल जिले के रूप में किया गया। सिवनी जिले का नाम सेओना नामक वृक्ष के नाम पर किया गया। यह वृक्ष इस जिले में बहुतायत में पाया जाता है। इस वृक्ष का उपयोग ढोलक बनाने में किया जाता है। यह जिला सतपुड़ा पर्वत के उत्तर-दक्षिण में स्थित हैं।यह जिला इमारती लकड़ी का मुख्य स्रोत है। सागौन इस जिले में मुख्य रूप से पाया जाता है। सिवनी जिला मुख्यालय नागपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 7 और जबलपुर नागपुर के बीच स्थित है। जिले का कुल क्षेत्रफल 8758 वर्ग कि.मी.. है। ओर कुल ग्रामपंचायत 645 है। कुल ग्राम 1,599 है। 1 नगर पालिका सिवनी है नगर पंचायत 2 है लखनादौन, बरघाट । एशिया का सबसे बड़ा मिट्ठी का बांंध - 'संजय सरोवर बांध' छपरा (भीमगड,सिवनी) मे वैनगंंगा नदी पर बना है।

इतिहास

सिवनी जिले के नामकरण के संबंध में जिले में अनेक दंतकथायें एवं धारणायें प्रचलित है। इतिहास के पृष्ठों में यह जिला मंडला के गौंड राजाओं के 52 गंढों में से एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है। नगर मुख्यालय में तीन गढ चावडी, छपारा और आदेगांव प्रमुख थे। गौंड राजाओं के पतन के पश्चात सन 1700 ई. में नागपुर के भोसले के साम्राज्य के अधीन आ गया। सत्ता का केन्द्र छपारा ही था। सन् 1774 में छपारा से बदलकर मुख्यालय सिवनी हो गया। इसी समय दीवानगढी का निर्माण हुआ और सन् 1853 में मराठों के पतन एवं रघ्घुजी तृतीय की मृत्यु निःसंतान होने के कारण यह क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रभाव में आ गया। सन् 1857 की क्रान्ति के पश्चात कम्पनी का समस्त शासन ब्रिटिश हुकूमत के अधीन हो गया। मुख्यालय में दीवान साहब का सिवनी ग्राम, मंगलीपेठ एवं भैरोगंज ग्राम मिलकर सिवनी नगर बना। इसके बाद सन् 1867 में सिवनी नगरपालिका का गठन हुआ। सिवनी में वनोपज हर्रा, बहेडा, आंवला एवं महुआ बहुतायात में होता है। महुआ का अधिक उत्पादन होने के कारण सन् 1902 में डिस्लरी का निर्माण हुआ। सन् 1909 तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर श्लोकाक विस्तार करते हुए रेल्वे लाईन का विचार किया। सन् 1904 में बंगाल नागपुर नैरोगेज रेल्वे का आगमन हुआ। सन् 1938 में बिजली घर के निर्माण ने नगर में एक नये युग का सूत्रपात किया। नगर की गलियां और घर बिजली की रोशनी से जगमगा उठे। सन् 1939 से 1945 के मध्य द्वितीय विश्व युद्व ने अंग्रेजी साम्राज्य की जडे हिला दी। नागपुर से जबलपुर एन.एच. 7 के मध्य सिवनी ना केवल प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था बल्कि जंगल अधिक होने के कारण अंग्रेजों के लिए सुरक्षित स्थान भी था। महात्मा गांधी के अथक प्रयासों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अमर बलिदान से 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। सिवनी जिला सन् 1956 में पुनः जिला बना। जिला बनने पर प्रथम कलेक्टर श्री ए.एस. खान पदस्थ हुए।

जिले की प्रशासनिक संरचना

सिवनी नगर इस जिले का मुख्यालय है||इस जिले में 8 तहसीले (1) सिवनी,(2) बरघाट,(3) केवलारी,(4) लखनादौन,(5) धनौरा,(6) घंसौर,(7) छपारा , (8) कुरई है | संपूर्ण जिला 8 विकासखंडो (1) सिवनी,(2) बरघाट,(3) केवलारी,(4) लखनादौन,(5) धनौरा,(6) घंसौर,(7) छपारा , (8) कुरई में विभक्त है , जिनमे 5 विकासखंड (1) लखनादौन,(2) धनौरा,(3) घंसौर,(4) छपारा,(5) कुरई एवं 3 सामुदायिक विकासखंड (1) सिवनी,(2) बरघाट,(3) केवलारी है | जिले की विधानसभा

  1. सिवनी
  2. बरघाट
  3. केवलारी
  4. लखनादौन है ओर नगर पंचायत 2 है लखनादौन, बरघाट

जिले के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यह के पड़ोसी जिले उत्तर दिश की ओर जबलपुर,मंडला, नरसिँहपुर जिले है पूर्व दिशा कि ओर बालाघाट जिला पश्चिम दिश की ओर छिंदवाड़ा ज़िला और दक्षिण दिशा कि ओर नागपुर हैं। यहां से 30 कि॰मी॰ दूर नागपुर मार्ग पर मप्र पर्यटन विकास निगम का एक होटल भी है जिसका रेस्टारेंट सागौन के पत्तों से बना हुआ है।

दलसागर तालाब

शासकीय बस स्टेंड से कुछ दूरी पर बाएँ तरफ है। यहां तालाब के बीच में टापू बना है। तालाब राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे लगभग 50 एकड भू क्षेत्र में फैला है। तालाब के किनारे सुन्दर घाट, चौपाटी, स्वच्छ परिसर एवं बीचों बीच वन टापू पर हरे भरे खूबसूरत पेड लगे हैं। नौकाविहार की सुविधापूर्ण व्यवस्था होने के कारण यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हुआ है। यह जिले की एक ऐतिहासिक धरोहर तथा सिवनी नगर की पहचान है।

वैनगंगा नदी

यहां मध्यप्रदेश की एक प्रमुख नदी है वैनगंगा नदी सिवनी जिले की जीवनधारा के रूप में जानी जाती है। इस नदी का उद्गम स्थल गोपालगंज से लगभग 6 कि.मी. पूर्वी दिशा में ग्राम मुंडारा में हुआ है।एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी से निर्मित भीमगढ संजय सरोवर बांध हैं यहाँ बाँध वैनगंगा नदी पर जिले के छपारा ब्लाक के अंतर्गत भीमगढ़ में बना हुआ है। यह नदी सिवनी की अर्द्व परिक्रमा करती हुई लखनवाड़ा दिघोरी बंडोल छपारा होते हुए बालाघाट जिला, भंडारा तथा चांदा जिले से बहती हुई वैनगंगा नदी वर्धा नदी में मिल जाती है। आगे जाकर कन्हान,बावनथडी तथा पेँच नदी भी वैनगंगा नदी से मिल जाती है वर्धा,कन्हान,पेँच नदी,तथा बावनथडी इसकी सहायक नदीयाँ है। आगे जाकर वैनगंगा नदी भी गोदावरी नदी में मिल जाती हैं। इस प्रकार ये नदी गोदावरी नदी जैसी महानदी मैं मिलकर अपना उद्देशय पूर्ण कर लेती हैं।

पेंच राष्ट्रीय उद्यान

जिले का मुख्य आकर्षण पेंच टाइगर सेंचुरी है जो जबलपुर से 192 और नागपुर से 92 कि॰मी॰ की दूरी पर है। सिवनी जिले में पर्यटन के रूप में पेंच राष्ट्रीय उद्यान प्रसिद्व है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान में भ्रमण के लिए जाने के लिए दो गेट है। पहला गेट सिवनी से नागपुर रोड पर 20 कि.मी. ग्राम सुकतरा से पश्चिम दिशा में लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर ग्राम कर्माझिरी से तथा दूसरा सिवनी से नागपुर रोड पर सिवनी से 50 कि.मी. की दूरी पर ग्राम खवासा से 12 कि.मी. पश्चिम में टुरिया ग्राम से भ्रमण की सुविधा में है। दोनो गेट पर वन विभाग, पर्यटन विभाग एवं प्राइवेट होटल एवं वाहनों की सुविधा पर्यटकों के लिए उपलब्ध रहती है। पार्क माह अक्टूबर से पर्यटकों के भ्रमण के लिए खोला जाता है तथा जून- जुलाई के बाद भ्रमण बंद कर दिया जाता है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान में बाघ, नीलगाय, बारहसिंगा, हिरन, मोर, बन्दर, काले हिरन, सांभर, जंगली सुअर, सोनकुत्ता एवं अन्य जानवर तथा अनेक प्रकार के पक्षी बहुतायत में पाये जाते है। उद्यान के बीचों बीच से पेंच नदी बहती है। नदी पर एक छोटा सा तालाब है, जिस पर तोतलाडोह बांध भी बना हुआ है जहां पर बिजली बनाई जाती है एवं मछली पालन भी किया जाता है। इसकी स्थापना 1984 में की गई थी।

मोँगली लैँड

नोबेल पुरस्कार विजेता रुडयार्ड किपलिंग जब भारत लौटे और लगभग अगले साढ़े छह साल तक यहीं रह कर काम किया।लिखी गयी कहानी द जंगल बुक जंगल बुक के कथानक में मोगली नामक एक बालक है जो जंगल में खो जाता है और उसका पालन पोषण भेड़ियों का एक झुंड करता है, अंत में वह गाँव में लौट जाता है। इसलिए इस जिले को मोंगली लैँड के नाम से भी जाना जाता है।

नवरात्र उत्सव

जिले में चैत्र और शारदीय नवरात्री बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मानाया जाता है शारदीय नवरात्री में विशेष अकर्षण का केन्द्र यह की भव्य झाँकियाँ होती है यह नौ दिन पूरा शहर लाइटो से जगमगा जाता है दूर - दूर से लोग इन भव्य झांकियो को देखने आते हैं और दशहरा के दिन रावण का पुतला दहन के साथ ही यह आयोजन समाप्त होता हैं।

दर्शनीय स्थल

  • दलसागर तालाब
  • दिगम्बर जैन मंदिर
  • मां वैष्णव देवी जी का मंदिर सिलादेही
  • वैनगंगा नदी का उद्गम स्थल मुंडारा
  • कातलबोडी
  • सांई मंदिर नगझर
  • दिघोरी
  • हनुमान मंदिर जाम
  • कात्यायनी सिध्दपीठ बंडोल
  • भीमगढ बांध छपारा
  • मां बंजारी देवीजी का मंदिर छपारा
  • श्री शिवधाम मठघोघरा
  • मां अम्बामाई देवीजी का मंदिर आमागढ
  • अमोदागढ कान्हीवाड़ा
  • पेंच राष्ट्रीय उद्यान कर्माझिरी
  • रिछारिया बाबाजी का मंदिर धनौरा
  • पायली रेस्ट हाउस एवं मिट्टी का 1 किलोमीटर का बांध
  • शनि मंदिर पलारी
  • प्रसिद्ध व चमत्कारी काँगो राजा बाबा मंदिर बरघाट से २२ कि.मी. कि दुरी पर स्थित हे |यंहा प्रकृति कि अदभूद छटा देखने लायक हे |
  • प्रसिद्ध बांदर झिरिया जनमखारी के पास प्रसिद्ध स्थान हे |यंहा प्रकृति कि अदभूद छटा देखने लायक हे |
  • प्रसिद्ध माँ काली मंदिर आस्टा में स्थित हे|
  • प्रसिद्ध मोर्चा देवी मंदिर कल्याणपुर से 8 किमीटर कि दूरी पर स्थित हे| यंहा प्रकृति कि अदभूद छटा देखने लायक हे |

Math ghogra sthan bhi ghume Ka vises sthan hai lakhnadon se 10 k.m. dor pachime disa mai hai

जनसांख्यिकी

सन् 2001 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 13,79,131 है।