"हरितलवक": अवतरणों में अंतर

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'''हरितलवक''' या क्लोरोप्लास्ट एक प्रकार का [[कोशिकांग]] है जो [[सुकेन्द्रिक]] [[संयंत्र सेल|पादप कोशिकाओं]] में और [[शैवाल|शैवालीय कोशिकाओं]] में पाया जाता है। हरितलवक [[प्रकाश-संश्लेषण]] द्वारा [[प्रकाश|प्रकाशीय]] [[ऊर्जा]] को [[रासायनिक ऊर्जा]] में परिवर्तित करतें हैं। इन का हरा रंग इन में पर्णहरित (क्लोरोफ़िल) रसायन के होने के कारण है जो प्रकाश-संश्लेषण में अत्यावश्यक है।
'''[https://alarmforstudy.blogspot.com/2019/06/Chloroplast.html?m=1 हरितलवक]'''<ref>{{Cite web|url=https://alarmforstudy.blogspot.com/2019/06/Chloroplast.html|title=हरित लवक|access-date=2019-10-24}}</ref> या क्लोरोप्लास्ट एक प्रकार का [[कोशिकांग]] है जो [[सुकेन्द्रिक]] [[संयंत्र सेल|पादप कोशिकाओं]] में और [[शैवाल|शैवालीय कोशिकाओं]] में पाया जाता है। [https://alarmforstudy.blogspot.com/2019/06/Chloroplast.html?m=1 हरितलवक]<ref>{{Cite web|url=https://alarmforstudy.blogspot.com/2019/06/Chloroplast.html|title=हरित लवक|access-date=2019-10-24}}</ref> [[प्रकाश-संश्लेषण]] द्वारा [[प्रकाश|प्रकाशीय]] [[ऊर्जा]] को [[रासायनिक ऊर्जा]] में परिवर्तित करतें हैं। इन का हरा रंग इन में पर्णहरित (क्लोरोफ़िल) रसायन के होने के कारण है जो प्रकाश-संश्लेषण में अत्यावश्यक है।माना जाता है कि [[नील हरित शैवाल]] नाम के जीवाणुओं से हरितलवकों का विकास हुआ।हरित लवक की खोज शिम्पर ने की ने 1864 में की थी। इन लवको का र्पणहरिम के कारण हरा रंग होता है। यह लवक गोल अंडाकार चपटे तथा दीर्घ वृत्ताकार होते हैं Iअधिकांशतः ये र्पणमध्योतक कोशिका में पाए जाते हैं , जिनकी लंबाई 5 से 10 mm , चौड़ाई 2 से 4mm होती है। कोशिका में इनकी संख्या कार्यकी के अनुसार 20 से 40 तक हो सकती है|
माना जाता है कि [[नील हरित शैवाल]] नाम के जीवाणुओं से हरितलवकों का विकास हुआ।


('''''<u>कार्य)</u>'''''- प्रकाशीय क्रिया द्वारा NADHP-H२ बनाना तथा O२ का विमोचन करना। प्रकाश की उर्जा का अवशोषण करना I वायु से प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड से मंड का निर्माण करना।
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00:43, 24 अक्टूबर 2019 का अवतरण

पत्ते की कोशिकाओं में दिखाई देतें हरितलवक।

हरितलवक[1] या क्लोरोप्लास्ट एक प्रकार का कोशिकांग है जो सुकेन्द्रिक पादप कोशिकाओं में और शैवालीय कोशिकाओं में पाया जाता है। हरितलवक[2] प्रकाश-संश्लेषण द्वारा प्रकाशीय ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करतें हैं। इन का हरा रंग इन में पर्णहरित (क्लोरोफ़िल) रसायन के होने के कारण है जो प्रकाश-संश्लेषण में अत्यावश्यक है।माना जाता है कि नील हरित शैवाल नाम के जीवाणुओं से हरितलवकों का विकास हुआ।हरित लवक की खोज शिम्पर ने की ने 1864 में की थी। इन लवको का र्पणहरिम के कारण हरा रंग होता है। यह लवक गोल अंडाकार चपटे तथा दीर्घ वृत्ताकार होते हैं Iअधिकांशतः ये र्पणमध्योतक कोशिका में पाए जाते हैं , जिनकी लंबाई 5 से 10 mm , चौड़ाई 2 से 4mm होती है। कोशिका में इनकी संख्या कार्यकी के अनुसार 20 से 40 तक हो सकती है|

(कार्य)- प्रकाशीय क्रिया द्वारा NADHP-H२ बनाना तथा O२ का विमोचन करना। प्रकाश की उर्जा का अवशोषण करना I वायु से प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड से मंड का निर्माण करना।

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  1. "हरित लवक". अभिगमन तिथि 2019-10-24.
  2. "हरित लवक". अभिगमन तिथि 2019-10-24.