"दीमक": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Coptotermes formosanus shiraki USGov k8204-7.jpg|right|thumb|300px|समूह में रहने वाले कीट : '''दीमक''']]
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'''दीमक''' एक छोटा सामाजिक कीट ( social insect ) है जो कि जटिलतम प्रकार का सामाजिक जीवन प्रदर्शित करता है। कुछ समय पहले तक दीमकों को एक गण अर्थात ' आर्डर' स्तर का दर्जा प्राप्त था और आर्डर आइसोप्टेरा में वर्गीकृत किया जाता था लेकिन वर्तमान में इन्हें एक मान्य एपिफ़ेमिली टर्मि टोइडी बनाकर कॉकरोच वाले गण ब्लोटीडिया में रखा गया है। दीमक को सफेद चींटी भी नाम दिया जाता है जो गलत है। दीमक न तो पूर्णतः सफेद होते हैं और न ही चींटी। यह हल्के पीले या भूरे रंग के कोमल कीट हैं। निवह अर्थात कॉलोनी में रहने वाले यह कीट सुव्यवस्थित जातियां या बहुरूपता प्रदर्शित करते हैं। एक कॉलोनी में हजार से लेकर लाखों तक सदस्य पाए जा सकते हैं।प्रत्येक कॉलोनी में सैनिक कीट, कामगर या वर्कर कीट, निम्फ,तथा दोनों लिंगो के प्रजननशील सदस्य होते हैं। श्रमिक कीट बाम्बी या नेस्ट का निर्माण करते हैं। दीमक के आवासों में न केवल रहने का सुरक्षित प्रबंध होता है, बल्कि जल सरंक्षण की भी व्यवस्था होती है।दीमकों का प्रमुख आहार लकड़ी है। इनके जबड़े लकड़ी को काटने में सक्षम होते है। यह सेल्यूलोस व लिग्निन जैसे पदार्थों का पाचन कुछ सहजीवी जीवाणुओं की सहायता से कर लेते हैं। मनुष्य के लिए दीमक एक दुसाध्य पीड़क (pest) हैं। कुछ देशों में कुछ कबीलाई लोग दीमक को चाव से खाते हैं।
'''दीमक''' छोटे कीट हैं। जो लकडी और लकडी की बनी चीज़ेँ जैसे फर्निचर आदि कुतरकर खा जाते हैँ। दीमक ईसाइजल कीड़े हैं जिन्हें इन्फ्रास्ट्रक्चर आइसोपेटरा के टैक्सोनॉमिक रैंक में वर्गीकृत किया गया है, या तिलचट्टा के क्रम में ब्लैकोडेडा के एपिफैमिली टर्मिटॉइड के रूप में वर्गीकृत किया गया है। दीमक को एक बार अलग-अलग तिलचट्टे से वर्गीकृत किया गया था, लेकिन हाल के फिलाजेनेटिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि वे जुरासिक या ट्रायासिक के दौरान तिलचट्टे के करीब पूर्वजों से विकसित हुए थे। हालांकि, पहले दीमक संभवतः परमियन या कार्बोनिफ़ेरस के दौरान उभरा। लगभग 3,106 प्रजातियों के बारे में बताया गया है, जिसमें कुछ 'सौ' शेष वर्णित हैं। हालांकि इन कीड़ों को अक्सर "सफेद चींटियों" कहा जाता है, परंतु ये चींटियाँ नहीं होती।
दीमक की बाम्बी को स्वच्छ मीठे जल की उपस्थिति का द्योतक माना जाता है। भारत की वृहत्संहिता में वरहमिरि 507AD-587 AD ने इसका वर्णन किया है।

अमेरिका के ऊर्जा विभाग में दीमकों से ऊर्जा प्राप्ति की महत्वपूर्ण परियोजना पर शोध हुआ है।
दीमक आमतौर पर मृत पौधों की सामग्री और सेलूलोज़ पर भोजन करते हैं, आमतौर पर लकड़ी के रूप में, पत्ती कूड़े, मिट्टी या जानवरों के गोबर। दीमक, मुख्य रूप से उप-उष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्रमुख अवरोधक होते हैं, और लकड़ी और पौधे पदार्थों का पुन: उपयोग करना काफी पारिस्थितिक महत्व का होता है। ये अत्यंत सूछ्म होते हैं
हाल के जैव विकासीय इतिहास या फाइलोजेनेटिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि वे जुरासिक या ट्रायासिक के दौरान तिलचट्टे के करीब पूर्वजों से विकसित हुए थे। हालांकि, पहले दीमक संभवतः परमियन या कार्बोनिफ़ेरस के दौरान उभरे। इनकी लगभग 3,106 प्रजातियों के बारे में बताया गया है।
दीमक, मुख्य रूप से उप-उष्णकटिबंधीय उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लकड़ी और पादप पदार्थों का पुन: उपयोग करने वाले अत्यधिक पारिस्थितिक महत्व के कीट हैं।


== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==

11:56, 22 सितंबर 2019 का अवतरण

समूह में रहने वाले कीट : दीमक

दीमक एक छोटा सामाजिक कीट ( social insect ) है जो कि जटिलतम प्रकार का सामाजिक जीवन प्रदर्शित करता है। कुछ समय पहले तक दीमकों को एक गण अर्थात ' आर्डर' स्तर का दर्जा प्राप्त था और आर्डर आइसोप्टेरा में वर्गीकृत किया जाता था लेकिन वर्तमान में इन्हें एक मान्य एपिफ़ेमिली टर्मि टोइडी बनाकर कॉकरोच वाले गण ब्लोटीडिया में रखा गया है। दीमक को सफेद चींटी भी नाम दिया जाता है जो गलत है। दीमक न तो पूर्णतः सफेद होते हैं और न ही चींटी। यह हल्के पीले या भूरे रंग के कोमल कीट हैं। निवह अर्थात कॉलोनी में रहने वाले यह कीट सुव्यवस्थित जातियां या बहुरूपता प्रदर्शित करते हैं। एक कॉलोनी में हजार से लेकर लाखों तक सदस्य पाए जा सकते हैं।प्रत्येक कॉलोनी में सैनिक कीट, कामगर या वर्कर कीट, निम्फ,तथा दोनों लिंगो के प्रजननशील सदस्य होते हैं। श्रमिक कीट बाम्बी या नेस्ट का निर्माण करते हैं। दीमक के आवासों में न केवल रहने का सुरक्षित प्रबंध होता है, बल्कि जल सरंक्षण की भी व्यवस्था होती है।दीमकों का प्रमुख आहार लकड़ी है। इनके जबड़े लकड़ी को काटने में सक्षम होते है। यह सेल्यूलोस व लिग्निन जैसे पदार्थों का पाचन कुछ सहजीवी जीवाणुओं की सहायता से कर लेते हैं। मनुष्य के लिए दीमक एक दुसाध्य पीड़क (pest) हैं। कुछ देशों में कुछ कबीलाई लोग दीमक को चाव से खाते हैं। दीमक की बाम्बी को स्वच्छ मीठे जल की उपस्थिति का द्योतक माना जाता है। भारत की वृहत्संहिता में वरहमिरि 507AD-587 AD ने इसका वर्णन किया है। अमेरिका के ऊर्जा विभाग में दीमकों से ऊर्जा प्राप्ति की महत्वपूर्ण परियोजना पर शोध हुआ है।

  हाल के जैव विकासीय इतिहास या फाइलोजेनेटिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि वे जुरासिक या ट्रायासिक के दौरान तिलचट्टे के करीब पूर्वजों से विकसित हुए थे। हालांकि, पहले दीमक संभवतः परमियन या कार्बोनिफ़ेरस के दौरान उभरे। इनकी लगभग 3,106 प्रजातियों के बारे में बताया गया है।  

दीमक, मुख्य रूप से उप-उष्णकटिबंधीय उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में लकड़ी और पादप पदार्थों का पुन: उपयोग करने वाले अत्यधिक पारिस्थितिक महत्व के कीट हैं।

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