"हॉन्ग कॉन्ग": अवतरणों में अंतर

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'''हाँग काँग''', आधिकारिक तौर पर हाँग काँग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र, [[जनवादी गणराज्य चीन]] का एक क्षेत्र है, इसके उत्तर में गुआंग्डोंग और पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में [[दक्षिण चीन सागर]] मौजूद है। हाँग काँग एक वैश्विक महानगर और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र होने के साथ-साथ एक उच्च विकसित पूंजीवादी अर्थव्यवस्था है। "एक देश, दो नीति" के अंतर्गत और बुनियादी कानून के अनुसार, इसे सभी क्षेत्रों में "उच्च स्तर की स्वायत्तता" प्राप्त है, केवल विदेशी मामलों और रक्षा को छोड़कर, जो जनवादी गणराज्य चीन सरकार की जिम्मेदारी है। हाँग काँग की अपनी मुद्रा, कानून प्रणाली, राजनीतिक व्यवस्था, अप्रवास पर नियंत्रण, सड़क के नियम हैं और मुख्य भूमि चीन से अलग यहां की रोजमर्रा के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलु हैं।
'''हॉङ्ग कॉङ्ग''', आधिकारिक तौर पर हॉङ्ग कॉङ्ग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र, [[जनवादी गणराज्य चीन]] का एक क्षेत्र है, इसके उत्तर में गुआंग्डोंग और पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में [[दक्षिण चीन सागर]] मौजूद है। हॉङ्ग कॉङ्ग एक वैश्विक महानगर और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र होने के साथ-साथ एक उच्च विकसित पूंजीवादी अर्थव्यवस्था है। "एक देश, दो नीति" के अंतर्गत और बुनियादी कानून के अनुसार, इसे सभी क्षेत्रों में "उच्च स्तर की स्वायत्तता" प्राप्त है, केवल विदेशी मामलों और रक्षा को छोड़कर, जो जनवादी गणराज्य चीन सरकार की जिम्मेदारी है। हॉङ्ग कॉङ्ग की अपनी मुद्रा, कानून प्रणाली, राजनीतिक व्यवस्था, अप्रवास पर नियंत्रण, सड़क के नियम हैं और मुख्य भूमि चीन से अलग यहां की रोजमर्रा के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलु हैं।


एक व्यापारिक बंदरगाह के रूप में आबाद होने के बाद हाँग काँग 1842 में [[यूनाइटेड किंगडम]] का विशेष उपनिवेश बन गया। 1983 में इसे एक ब्रिटिश निर्भर क्षेत्र के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया। 1997 में जनवादी गणराज्य चीन को संप्रभुता हस्तांतरित कर दी गई। अपने विशाल क्षितिज और गहरे प्राकृतिक बंदरगाह के लिए प्रख्यात, इसकी पहचान एक ऐसे महानगरीय केन्द्र के रूप में बनी जहां के भोजन, सिनेमा, संगीत और परंपराओं में जहां पूर्व में पश्चिम का मिलन होता है। शहर की आबादी 95% हान जाति के और अन्य 5% है। 70 लाख लोगों की आबादी और 1,054 वर्ग किमी (407 वर्ग मील) जमीन के साथ हांग कांग दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।
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== '''इतिहास''' ==
== '''इतिहास''' ==
'''हाँग काँग को [[ब्रिटेन]] से [[चीन]] ने सन् १८४३ मे खरीदा गया था। [[चीन]] ने हाँग काँग को ब्लैक वार जीतने के बाद लिया था। उसके बाद न्यू कोव लंच और लैंडो ने उसे ९९ वर्ष कि लीस पर छोड़ा था। उसके बाद [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के समय [[जापान]] ने उसे ले लिया था। बाद मे जापानी सैनिक मारे गये थे। [[जापान]] हार गया था व हाँग काँग मे क्रांति आ गयी थी।'''
'''हॉङ्ग कॉङ्ग को [[ब्रिटेन]] से [[चीन]] ने सन् १८४३ मे खरीदा गया था। [[चीन]] ने हॉङ्ग कॉङ्ग को ब्लैक वार जीतने के बाद लिया था। उसके बाद न्यू कोव लंच और लैंडो ने उसे ९९ वर्ष कि लीस पर छोड़ा था। उसके बाद [[द्वितीय विश्वयुद्ध]] के समय [[जापान]] ने उसे ले लिया था। बाद मे जापानी सैनिक मारे गये थे। [[जापान]] हार गया था व हॉङ्ग कॉङ्ग मे क्रांति आ गयी थी।'''


[[चीन]] में, युद्ध के बाद, कुओमिंटैंग और कम्युनिस्ट हांगकांग प्रवासन के खिलाफ लड़े थे। बाद में कई कम्युनिस्ट सरकार में '''हाँग काँग''' स्थानांतरित हो गया। 19 दिसंबर, 1984 को [[चीन]] और [[ब्रिटेन]] के बीच हांगकांग ट्रांसफर एक्सचेंज (चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा) पर हस्ताक्षर किए गए।
[[चीन]] में, युद्ध के बाद, कुओमिंटैंग और कम्युनिस्ट हॉङ्ग कॉङ्ग प्रवासन के खिलाफ लड़े थे। बाद में कई कम्युनिस्ट सरकार में '''हॉङ्ग कॉङ्ग''' स्थानांतरित हो गया। १९ दिसंबर, १९८४ को [[चीन]] और [[ब्रिटेन]] के बीच हांगकांग ट्रांसफर एक्सचेंज (चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा) पर हस्ताक्षर किए गए।
हांगकांग में हिंसक प्रदर्शनों और शांति का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध से शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो का है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हांगकांग एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले रखा है। उधर चीन की सरकार प्रदर्शनकारियों की निंदा की है और यह भी कहा है कि वह चुप नहीं ठेगा। हालांकि, यह सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रसंग हैं, जो दशकों पुराने हैं।
हॉङ्ग कॉङ्ग में हिंसक प्रदर्शनों और शांति का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध से शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो का है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हॉङ्ग कॉङ्ग एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले रखा है। उधर चीन की सरकार प्रदर्शनकारियों की निंदा की है और यह भी कहा है कि वह चुप नहीं ठेगा। हालांकि, यह सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रसंग हैं, जो दशकों पुराने हैं।




99 साल की लीज पर किया गया था चीन के हवाले
९९ साल की लीज पर किया गया था चीन के हवाले
दरअसल, हांगकांग अन्य चीनी शहरों से काफी अलग है। 150 साल के ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के बाद हांगकांग को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया गया। हांगकांग द्वीप पर 1842 से ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का इस पर अपना नियंत्रण था। यह एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह बन गया और 1950 में विनिर्माण का केंद्र बनने के बाद इसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया। चीन में अस्थिरता, गरीबी या उत्पीड़न से भाग रहे लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करने लगे।
वास्तव में, हॉङ्ग कॉङ्ग अन्य चीनी शहरों से काफी अलग है। १५० साल के ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के बाद हॉङ्ग कॉङ्ग को ९९ साल की लीज पर चीन को सौंप दिया गया। हॉङ्ग कॉङ्ग द्वीप पर १८४२ से ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का इस पर अपना नियंत्रण था। यह एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह बन गया और १९५० में विनिर्माण का केंद्र बनने के बाद इसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया। चीन में अस्थिरता, गरीबी या उत्पीड़न से भाग रहे लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करने लगे।


1984 में हुआ था सौदा
१९८४ में हुआ था सौदा
पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे 99 साल की लीज की समयसीमा पास आने लगी ब्रिटेन और चीन ने हांगकांग के भविष्य पर बातचीत शुरू कर दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तर्क दिया कि हांगकांग को चीनी शासन को वापस कर दिया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने 1984 में एक सौदा किया कि एक देश, दो प्रणाली के सिद्धांत के तहत हांगकांग को 1997 में चीन को सौंप दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हांगकांग 50 वर्षों तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।
पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे ९९ साल की लीज की समयसीमा पास आने लगी ब्रिटेन और चीन ने हॉङ्ग कॉङ्ग के भविष्य पर बातचीत शुरू कर दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तर्क दिया कि हॉङ्ग कॉङ्ग को चीनी शासन को वापस कर दिया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने १९८४ में एक सौदा किया कि एक देश, दो प्रणाली के सिद्धांत के तहत हॉङ्ग कॉङ्ग को १९९७ में चीन को सौंप दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हॉङ्ग कॉङ्ग ५० वर्षों तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।






विवाद की जड़
विवाद की जड़
1997 में जब हांगकांग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। लेकिन 2014 में हांगकांग में 79 दिनों तक चले अंब्रेला मूवमेंट के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। आजादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
१९९७ में जब हॉङ्ग कॉङ्ग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम २०४७ तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। लेकिन २०१४ में हांगकांग में ७९ दिनों तक चले अंब्रेला मूवमेंट के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। आजादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।


बीजिंग का कब्जा
बीजिंग का कब्जा
हांगकांग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 1,200 सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी 70 सदस्य, विधान परिषद, सीधे हांगकांग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।
हॉङ्ग कॉङ्ग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को ,२०० सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी ७० सदस्य, विधान परिषद, सीधे हॉङ्ग कॉङ्ग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।


चीनी पहचान से नफरत
चीनी पहचान से नफरत
हांगकांग में ज्यादातर लोग चीनी नस्ल के हैं। चीन का हिस्सा होने के बावजूद हांगकांग के अधिकांश लोग चीनी के रूप में पहचान नहीं रखना चाहते हैं। खासकर युवा वर्ग। केवल 11 फीसद खुद को चीनी कहते हैं। जबकि 71 फीसद लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हांगकांग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है।
हॉङ्ग कॉङ्ग में ज्यादातर लोग चीनी नस्ल के हैं। चीन का हिस्सा होने के बावजूद हॉङ्ग कॉङ्ग के अधिकांश लोग चीनी के रूप में पहचान नहीं रखना चाहते हैं। खासकर युवा वर्ग। केवल ११ फीसद खुद को चीनी कहते हैं। जबकि ७१ फीसद लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हॉङ्ग कॉङ्ग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है।


== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची|2}}हांगकांग में हिंसक प्रदर्शनों और शांति का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध से शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो का है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हांगकांग एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले रखा है। उधर चीन की सरकार प्रदर्शनकारियों की निंदा की है और यह भी कहा है कि वह चुप नहीं ठेगा। हालांकि, यह सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रसंग हैं, जो दशकों पुराने हैं।
{{टिप्पणीसूची|2}}हॉङ्गकॉङ्ग में हिंसक प्रदर्शनों और शांति का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध से शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो का है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हॉङ्ग कॉङ्ग विमानपत्तन को अपने कब्जे में ले रखा है। उधर चीन की सरकार प्रदर्शनकारियों की निंदा की है और यह भी कहा है कि वह चुप नहीं ठेगा। हालांकि, यह सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रसंग हैं, जो दशकों पुराने हैं।




99 साल की लीज पर किया गया था चीन के हवाले
९९ साल की लीज पर किया गया था चीन के हवाले
दरअसल, हांगकांग अन्य चीनी शहरों से काफी अलग है। 150 साल के ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के बाद हांगकांग को 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया गया। हांगकांग द्वीप पर 1842 से ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का इस पर अपना नियंत्रण था। यह एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह बन गया और 1950 में विनिर्माण का केंद्र बनने के बाद इसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया। चीन में अस्थिरता, गरीबी या उत्पीड़न से भाग रहे लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करने लगे।
वास्तव में, हॉङ्ग कॉङ्ग अन्य चीनी शहरों से काफी अलग है। १५० साल के ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के बाद हॉङ्ग कॉङ्ग को ९९ साल की लीज पर चीन को सौंप दिया गया। हॉङ्ग कॉङ्ग द्वीप पर १८४२ से ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का इस पर अपना नियंत्रण था। यह एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह बन गया और १९५० में विनिर्माण का केंद्र बनने के बाद इसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया। चीन में अस्थिरता, गरीबी या उत्पीड़न से भाग रहे लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करने लगे।


1984 में हुआ था सौदा
१९८४ में हुआ था सौदा
पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे 99 साल की लीज की समयसीमा पास आने लगी ब्रिटेन और चीन ने हांगकांग के भविष्य पर बातचीत शुरू कर दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तर्क दिया कि हांगकांग को चीनी शासन को वापस कर दिया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने 1984 में एक सौदा किया कि एक देश, दो प्रणाली के सिद्धांत के तहत हांगकांग को 1997 में चीन को सौंप दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हांगकांग 50 वर्षों तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।
पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे ९९ साल की लीज की समयसीमा पास आने लगी ब्रिटेन और चीन ने हॉङ्ग कॉङ्ग के भविष्य पर बातचीत शुरू कर दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तर्क दिया कि हॉङ्ग कॉङ्ग को चीनी शासन को वापस कर दिया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने १९८४ में एक सौदा किया कि एक देश, दो प्रणाली के सिद्धांत के तहत हॉङ्ग कॉङ्ग को १९९७ में चीन को सौंप दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हॉङ्ग कॉङ्ग ५० वर्षों तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।






विवाद की जड़
विवाद की जड़
1997 में जब हांगकांग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। लेकिन 2014 में हांगकांग में 79 दिनों तक चले अंब्रेला मूवमेंट के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। आजादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
१९९७ में जब हॉङ्ग कॉङ्ग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम २०४७ तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। लेकिन २०१४ में हॉङ्ग कॉङ्ग में ७९ दिनों तक चले अंब्रेला मूवमेंट के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। आजादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।


बीजिंग का कब्जा
बीजिंग का कब्जा
हांगकांग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 1,200 सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी 70 सदस्य, विधान परिषद, सीधे हांगकांग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।
हॉङ्ग कॉङ्ग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को ,२०० सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी ७० सदस्य, विधान परिषद, सीधे हॉङ्ग कॉङ्ग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।


चीनी पहचान से नफरत
चीनी पहचान से नफरत
हांगकांग में ज्यादातर लोग चीनी नस्ल के हैं। चीन का हिस्सा होने के बावजूद हांगकांग के अधिकांश लोग चीनी के रूप में पहचान नहीं रखना चाहते हैं। खासकर युवा वर्ग। केवल 11 फीसद खुद को चीनी कहते हैं। जबकि 71 फीसद लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हांगकांग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है।
हॉङ्ग कॉङ्ग में अधिकतर लोग चीनी नस्ल के हैं। चीन का हिस्सा होने के बावजूद हॉङ्ग कॉङ्ग के अधिकांश लोग चीनी के रूप में पहचान नहीं रखना चाहते हैं। खासकर युवा वर्ग। केवल ११ फीसद खुद को चीनी कहते हैं। जबकि ७१ फीसद लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हॉङ्ग कॉङ्ग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है।


==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==

19:52, 20 सितंबर 2019 का अवतरण

香港特別行政區
Hong Kong Special Administrative Region

हॉङ्ग कॉङ्ग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र
ध्वज कुल चिह्न
विक्टोरिया पीक से रात का नजारा
विक्टोरिया पीक से रात का नजारा
विक्टोरिया पीक से रात का नजारा
अवस्थिति: हॉङ्ग कॉङ्ग
राजभाषा(एँ) कैण्टोनी, अंग्रेजी
निवासी हॉङ्ग कॉङ्ग रहवासी,
हॉङ्गकॉङ्गर
सरकार असंप्रभु आंशिक अप्रत्यक्ष लोकतंत्र
 -  मुख्य कार्यकारी डोनाल्ड सांग
 -  मुख्य न्यायाधीश एन्ड्रू ली
 -  संवैधानिक परिषद के अध्यक्ष जेस्पर सांग
विधान मण्डल संवैधानिक परिषद
स्थापना
 -  नानकिंग की संधि २९ अगस्त १८४२ 
 -  जापानी आधिपत्य २५ दिसंबर १९४१
१५ अगस्त १९४५ 
 -  संप्रभुता का हस्तांतरण १ जुलाई १९९७ 
क्षेत्रफल
 -  कुल १,१०४ km2 (१८३ वां)
 -  जल (%) ४.६
जनसंख्या
 -  २००७ जनगणना ६९,६३,१०० (९८ वां)
 -  २००१ जनगणना ६७,०८,३८९
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) २००७ प्राक्कलन
 -  कुल US$२९२.८ बिलियन (३८ वां)
 -  प्रति व्यक्ति US$४१,९९४ (१०वां)
मानव विकास सूचकांक (२०१३)Steady ०.८९१[1]
बहुत उच्च · १५वाँ
मुद्रा हाँग काँग डॉलर (HKD)
समय मण्डल एचकेटी (यू॰टी॰सी॰+8)
दूरभाष कूट 852
इंटरनेट टीएलडी .hk

हॉङ्ग कॉङ्ग, आधिकारिक तौर पर हॉङ्ग कॉङ्ग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र, जनवादी गणराज्य चीन का एक क्षेत्र है, इसके उत्तर में गुआंग्डोंग और पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में दक्षिण चीन सागर मौजूद है। हॉङ्ग कॉङ्ग एक वैश्विक महानगर और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र होने के साथ-साथ एक उच्च विकसित पूंजीवादी अर्थव्यवस्था है। "एक देश, दो नीति" के अंतर्गत और बुनियादी कानून के अनुसार, इसे सभी क्षेत्रों में "उच्च स्तर की स्वायत्तता" प्राप्त है, केवल विदेशी मामलों और रक्षा को छोड़कर, जो जनवादी गणराज्य चीन सरकार की जिम्मेदारी है। हॉङ्ग कॉङ्ग की अपनी मुद्रा, कानून प्रणाली, राजनीतिक व्यवस्था, अप्रवास पर नियंत्रण, सड़क के नियम हैं और मुख्य भूमि चीन से अलग यहां की रोजमर्रा के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलु हैं।

एक व्यापारिक बंदरगाह के रूप में आबाद होने के बाद हॉङ्ग कॉङ्ग १८४२ में यूनाइटेड किंगडम का विशेष उपनिवेश बन गया। १९८३ में इसे एक ब्रिटिश निर्भर क्षेत्र के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया। १९९७ में जनवादी गणराज्य चीन को संप्रभुता हस्तांतरित कर दी गई। अपने विशाल क्षितिज और गहरे प्राकृतिक बंदरगाह के लिए प्रख्यात, इसकी पहचान एक ऐसे महानगरीय केन्द्र के रूप में बनी जहां के भोजन, सिनेमा, संगीत और परंपराओं में जहां पूर्व में पश्चिम का मिलन होता है। शहर की आबादी ९५% हान जाति के और अन्य ५% है। ७० लाख लोगों की आबादी और १,०५४ वर्ग किमी (४०७ वर्ग मील) जमीन के साथ हॉङ्ग कॉङ्ग दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।

इतिहास

हॉङ्ग कॉङ्ग को ब्रिटेन से चीन ने सन् १८४३ मे खरीदा गया था। चीन ने हॉङ्ग कॉङ्ग को ब्लैक वार जीतने के बाद लिया था। उसके बाद न्यू कोव लंच और लैंडो ने उसे ९९ वर्ष कि लीस पर छोड़ा था। उसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जापान ने उसे ले लिया था। बाद मे जापानी सैनिक मारे गये थे। जापान हार गया था व हॉङ्ग कॉङ्ग मे क्रांति आ गयी थी।

चीन में, युद्ध के बाद, कुओमिंटैंग और कम्युनिस्ट हॉङ्ग कॉङ्ग प्रवासन के खिलाफ लड़े थे। बाद में कई कम्युनिस्ट सरकार में हॉङ्ग कॉङ्ग स्थानांतरित हो गया। १९ दिसंबर, १९८४ को चीन और ब्रिटेन के बीच हांगकांग ट्रांसफर एक्सचेंज (चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा) पर हस्ताक्षर किए गए। हॉङ्ग कॉङ्ग में हिंसक प्रदर्शनों और शांति का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध से शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो का है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हॉङ्ग कॉङ्ग एयरपोर्ट को अपने कब्जे में ले रखा है। उधर चीन की सरकार प्रदर्शनकारियों की निंदा की है और यह भी कहा है कि वह चुप नहीं ठेगा। हालांकि, यह सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रसंग हैं, जो दशकों पुराने हैं।


९९ साल की लीज पर किया गया था चीन के हवाले वास्तव में, हॉङ्ग कॉङ्ग अन्य चीनी शहरों से काफी अलग है। १५० साल के ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के बाद हॉङ्ग कॉङ्ग को ९९ साल की लीज पर चीन को सौंप दिया गया। हॉङ्ग कॉङ्ग द्वीप पर १८४२ से ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का इस पर अपना नियंत्रण था। यह एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह बन गया और १९५० में विनिर्माण का केंद्र बनने के बाद इसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया। चीन में अस्थिरता, गरीबी या उत्पीड़न से भाग रहे लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करने लगे।

१९८४ में हुआ था सौदा पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे ९९ साल की लीज की समयसीमा पास आने लगी ब्रिटेन और चीन ने हॉङ्ग कॉङ्ग के भविष्य पर बातचीत शुरू कर दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तर्क दिया कि हॉङ्ग कॉङ्ग को चीनी शासन को वापस कर दिया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने १९८४ में एक सौदा किया कि एक देश, दो प्रणाली के सिद्धांत के तहत हॉङ्ग कॉङ्ग को १९९७ में चीन को सौंप दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हॉङ्ग कॉङ्ग ५० वर्षों तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।


विवाद की जड़ १९९७ में जब हॉङ्ग कॉङ्ग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम २०४७ तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। लेकिन २०१४ में हांगकांग में ७९ दिनों तक चले अंब्रेला मूवमेंट के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। आजादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

बीजिंग का कब्जा हॉङ्ग कॉङ्ग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को १,२०० सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी ७० सदस्य, विधान परिषद, सीधे हॉङ्ग कॉङ्ग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।

चीनी पहचान से नफरत हॉङ्ग कॉङ्ग में ज्यादातर लोग चीनी नस्ल के हैं। चीन का हिस्सा होने के बावजूद हॉङ्ग कॉङ्ग के अधिकांश लोग चीनी के रूप में पहचान नहीं रखना चाहते हैं। खासकर युवा वर्ग। केवल ११ फीसद खुद को चीनी कहते हैं। जबकि ७१ फीसद लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हॉङ्ग कॉङ्ग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है।

सन्दर्भ

  1. "2014 Human Development Report Summary" (PDF). संयुक्त राष्ट्र Development Programme. 2014. पपृ॰ 21–25. अभिगमन तिथि 27 जुलाई 2014.

हॉङ्गकॉङ्ग में हिंसक प्रदर्शनों और शांति का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। विवादित प्रत्यर्पण बिल विरोध से शुरू हुए इन प्रदर्शनों को दो महीने से ज्यादा का वक्त हो का है। अब लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। दो दिन से प्रदर्शनकारियों हॉङ्ग कॉङ्ग विमानपत्तन को अपने कब्जे में ले रखा है। उधर चीन की सरकार प्रदर्शनकारियों की निंदा की है और यह भी कहा है कि वह चुप नहीं ठेगा। हालांकि, यह सब ऐसे ही नहीं हो रहा है। इसमें कई महत्वपूर्ण प्रसंग हैं, जो दशकों पुराने हैं।


९९ साल की लीज पर किया गया था चीन के हवाले वास्तव में, हॉङ्ग कॉङ्ग अन्य चीनी शहरों से काफी अलग है। १५० साल के ब्रिटेन के औपनिवेशिक शासन के बाद हॉङ्ग कॉङ्ग को ९९ साल की लीज पर चीन को सौंप दिया गया। हॉङ्ग कॉङ्ग द्वीप पर १८४२ से ब्रिटेन का नियंत्रण रहा। जबकि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान का इस पर अपना नियंत्रण था। यह एक व्यस्त व्यापारिक बंदरगाह बन गया और १९५० में विनिर्माण का केंद्र बनने के बाद इसकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल आया। चीन में अस्थिरता, गरीबी या उत्पीड़न से भाग रहे लोग इस क्षेत्र की ओर रुख करने लगे।

१९८४ में हुआ था सौदा पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में जैसे-जैसे ९९ साल की लीज की समयसीमा पास आने लगी ब्रिटेन और चीन ने हॉङ्ग कॉङ्ग के भविष्य पर बातचीत शुरू कर दी। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तर्क दिया कि हॉङ्ग कॉङ्ग को चीनी शासन को वापस कर दिया जाना चाहिए। दोनों पक्षों ने १९८४ में एक सौदा किया कि एक देश, दो प्रणाली के सिद्धांत के तहत हॉङ्ग कॉङ्ग को १९९७ में चीन को सौंप दिया जाएगा। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हॉङ्ग कॉङ्ग ५० वर्षों तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।


विवाद की जड़ १९९७ में जब हॉङ्ग कॉङ्ग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने एक देश-दो व्यवस्था की अवधारणा के तहत कम से कम २०४७ तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी कानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी। लेकिन २०१४ में हॉङ्ग कॉङ्ग में ७९ दिनों तक चले अंब्रेला मूवमेंट के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी। विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। आजादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

बीजिंग का कब्जा हॉङ्ग कॉङ्ग का अपना कानून और सीमाएं हैं। साथ ही खुद की विधानसभा भी है। लेकिन हांगकांग में नेता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी को १,२०० सदस्यीय चुनाव समिति चुनती है। समिति में ज्यादातर बीजिंग समर्थक सदस्य होते हैं। क्षेत्र के विधायी निकाय के सभी ७० सदस्य, विधान परिषद, सीधे हॉङ्ग कॉङ्ग के मतदाताओं द्वारा नहीं चुने जाते हैं। बिना चुनाव चुनी गईं सीटों पर बीजिंग समर्थक सांसदों का कब्जा रहता है।

चीनी पहचान से नफरत हॉङ्ग कॉङ्ग में अधिकतर लोग चीनी नस्ल के हैं। चीन का हिस्सा होने के बावजूद हॉङ्ग कॉङ्ग के अधिकांश लोग चीनी के रूप में पहचान नहीं रखना चाहते हैं। खासकर युवा वर्ग। केवल ११ फीसद खुद को चीनी कहते हैं। जबकि ७१ फीसद लोग कहते हैं कि वे चीनी नागरिक होने पर गर्व महसूस नहीं करते हैं। यही कारण है कि हॉङ्ग कॉङ्ग में हर रोज आजादी के नारे बुलंद हो रहे हैं और प्रदर्शनकारियों ने चीन समर्थित प्रशासन की नाक में दम कर रखा है।

बाहरी कड़ियाँ