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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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== काव्य शिक्षण == |
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कविता शिक्षण के सामान्य उद्देश्य |
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१) स्वर प्रवाह, भाव अनुसार कविता पाठ क्षमता वृद्धि। |
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२) छात्रों को कविता के प्रति आकर्षित करना। |
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३) कवि कर्म / कविता के माध्यम से सांस्कृतिक तथा पौराणिक ता धार्मिकता सामाजिकता की अनुभूति धार्मिकता सामाजिकता की अनुभूति करवाना। |
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== काव्य शिक्षण == |
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कविता शिक्षण के सामान्य उद्देश्य १) स्वर प्रवाह, भाव अनुसार कविता पाठ क्षमता वृद्धि। २) छात्रों को कविता के प्रति आकर्षित करना। ३) कवि कर्म / कविता के माध्यम से सांस्कृतिक तथा पौराणिक ता धार्मिकता सामाजिकता की अनुभूति धार्मिकता सामाजिकता की अनुभूति करवाना। ४) कवि के भावों को समझने की शक्ति उत्पन्न करना। ५) अर्थ ग्रहण व भावानुभूति करने योग्य बनाना। ६) विभिन्न विभिन्न का विषय काव्य शैलियों से परिचय कराना। ७) कल्पना शक्ति में वृद्धि करना। ८) साहित्य रचना के प्रति रुचि उत्पन्न करना। ९) कविता के माध्यम से चित्त वृत्तियों का परिमार्जन करना और उच्च आदर्शों का निर्माण करना। |
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४) कवि के भावों को समझने की शक्ति उत्पन्न करना। |
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काव्य शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य १) कवि विशेष के भाव विचार या या शैली के चमत्कार का आनंद प्राप्त करना। २) कवि संदेशों को छात्रों तक पहुंचाना। ३) कविता में निहित जीवन आलोचना को स्पष्ट करना। ४) विशिष्ट शैली से परिचय कराना। |
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५) अर्थ ग्रहण व भावानुभूति करने योग्य बनाना। |
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काव्य शिक्षण के मुख्य सिद्धांत १) सस्वर प्रस्तुतीकरण का सिद्धांत २) समवेत स्वर में प्रस्तुतीकरण का सिद्धांत ३) अध्यापक की क्षमता का का क्षमता का का सिद्धांत ४ अध्यापक की संलग्नता का सिद्धांत ५) स्तरानुसार काव्यांश चयन का सिद्धान्त ६) भाव कल्पना, विचार सौंदर्य का सिद्धांत ७) समभाव कविता पाठ का सिद्धांत |
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६) विभिन्न विभिन्न का विषय काव्य शैलियों से परिचय कराना। |
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काव्य शिक्षण विधियां १) गीत विधि २) अभिनय विधि ३) अर्थबोध विधि ४) व्याख्यान विधि ५) व्यास विधि ६) तुलना विधि ७) समीक्षा विधि ८)विश्लेषण विधि ९) खंडान्वस विधि १०) समीक्षा प्रणाली समीक्षा का तात्पर्य होता है कविता की आलोचना तथा मूल्यांकन करना। यह तीन प्रकार से की जाती है। १) ऐतिहासिक समीक्षा प्रणाली २) सैद्धांतिक समीक्षा प्रणाली ३) व्यवहारिक समीक्षा प्रणाली ११) विश्लेषण प्रणाली ११.१) रसात्मक विश्लेषण प्रणाली ११.२) भावात्मक विश्लेषण प्रणाली |
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७) कल्पना शक्ति में वृद्धि करना। |
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कविता के प्रति रुचि बढ़ाने के साधन १) कविता का प्रभावशाली पठन,२) कविताओं का कंठस्थीकरण ३) कविताओं का संग्रह ४) कवि जयंती ५) कवि सम्मेलन ६) कवि गोष्ठी ७) समस्या पूर्ति ८) कवि दरबार ९) सुभाषित प्रतियोगिता १०) कविता पाठ प्रतियोगिता |
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८) साहित्य रचना के प्रति रुचि उत्पन्न करना। |
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पद्य पाठ योजना १) सामान्य उद्देश्य २) विशिष्ट उद्देश्य २.१) संज्ञानात्मक उद्देश्य २.२) भावात्मक उद्देश्य २.३) क्रियात्मक उद्देश्य ३) सहायक उपकरण बोर्ड, पाठ्य पुस्तक, चॉक, डस्टर, संकेतिका आदि। ४) विशिष्ट उपकरण चित्र, चार्ट, ध्वनि उपकरण, दृश्य उपकरण, १) प्रस्तावना २) उद्देश्य ३) उद्देश्यकथन ४) प्रस्तुतीकरण ५) आदर्श वाचन प्रभावशाली बटन ६) अनुकरणवाचन ७) अशुद्धिसंशोधन ८) काठिन्य निवारण ९)बोध प्रश्न १०) छात्रध्यापक कथन/ शिक्षक सारांश ११) चित्र मॉडल / प्रदर्शन [[सदस्य:Ashish Dave|Ashish Dave]] (वार्ता) 16:55, 16 अगस्त 2019 (UTC) |
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९) कविता के माध्यम से चित्त वृत्तियों का परिमार्जन करना और उच्च आदर्शों का निर्माण करना। |
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काव्य शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य |
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१) कवि विशेष के भाव विचार या या शैली के चमत्कार का आनंद प्राप्त करना। |
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२) कवि संदेशों को छात्रों तक पहुंचाना। |
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३) कविता में निहित जीवन आलोचना को स्पष्ट करना। |
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४) विशिष्ट शैली से परिचय कराना। |
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काव्य शिक्षण के मुख्य सिद्धांत |
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१) सस्वर प्रस्तुतीकरण का सिद्धांत |
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२) समवेत स्वर में प्रस्तुतीकरण का सिद्धांत |
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३) अध्यापक की क्षमता का का क्षमता का का सिद्धांत |
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४ अध्यापक की संलग्नता का सिद्धांत |
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५) स्तरानुसार काव्यांश चयन का सिद्धान्त |
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६) भाव कल्पना, विचार सौंदर्य का सिद्धांत |
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७) समभाव कविता पाठ का सिद्धांत |
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काव्य शिक्षण विधियां |
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१) गीत विधि |
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२) अभिनय विधि |
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३) अर्थबोध विधि |
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४) व्याख्यान विधि |
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५) व्यास विधि |
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६) तुलना विधि |
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७) समीक्षा विधि |
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८)विश्लेषण विधि |
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९) खंडान्वस विधि |
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१०) समीक्षा प्रणाली समीक्षा का तात्पर्य होता है कविता की आलोचना तथा मूल्यांकन करना। यह तीन प्रकार से की जाती है। |
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::१) ऐतिहासिक समीक्षा प्रणाली |
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::२) सैद्धांतिक समीक्षा प्रणाली |
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::३) व्यवहारिक समीक्षा प्रणाली |
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११) विश्लेषण प्रणाली |
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::११.१) रसात्मक विश्लेषण प्रणाली |
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::११.२) भावात्मक विश्लेषण प्रणाली |
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कविता के प्रति रुचि बढ़ाने के साधन |
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१) कविता का प्रभावशाली पठन, |
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२) कविताओं का कंठस्थीकरण |
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३) कविताओं का संग्रह |
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४) कवि जयंती |
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५) कवि सम्मेलन |
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६) कवि गोष्ठी |
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७) समस्या पूर्ति |
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८) कवि दरबार |
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९) सुभाषित प्रतियोगिता |
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१०) कविता पाठ प्रतियोगिता |
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पद्य पाठ योजना |
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१) सामान्य उद्देश्य |
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२) विशिष्ट उद्देश्य २.१) संज्ञानात्मक उद्देश्य २.२) भावात्मक उद्देश्य २.३) क्रियात्मक उद्देश्य |
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३) सहायक उपकरण बोर्ड, पाठ्य पुस्तक, चॉक, डस्टर, संकेतिका आदि। |
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४) विशिष्ट उपकरण चित्र, चार्ट, ध्वनि उपकरण, दृश्य उपकरण, १) प्रस्तावना २) उद्देश्य ३) उद्देश्यकथन ४) प्रस्तुतीकरण ५) आदर्श वाचन प्रभावशाली बटन ६) अनुकरणवाचन ७) अशुद्धिसंशोधन ८) काठिन्य निवारण ९)बोध प्रश्न १०) छात्रध्यापक कथन/ शिक्षक सारांश ११) चित्र मॉडल / प्रदर्शन [[सदस्य:Ashish Dave|Ashish Dave]] (वार्ता) 16:55, 16 अगस्त 2019 (UTC) |
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== पठन कौशल (भाषा कौषल) == |
== पठन कौशल (भाषा कौषल) == |
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पठन या वाचन कौशल भाषा का मूल स्वरूप उच्चारित रूप है। लिखित भाषा के ध्वन्यात्मक पाठ को मौखिक पठन कहते हैं। बिना अर्थ ग्रहण किए गए पठन को पठन नहीं कहा जा सकता। पठन की क्रिया में अर्थ ग्रहण करना आवश्यक होता है। |
पठन या वाचन कौशल भाषा का मूल स्वरूप उच्चारित रूप है। लिखित भाषा के ध्वन्यात्मक पाठ को मौखिक पठन कहते हैं। बिना अर्थ ग्रहण किए गए पठन को पठन नहीं कहा जा सकता। पठन की क्रिया में अर्थ ग्रहण करना आवश्यक होता है। |
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महत्व |
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महत्व (१) शिक्षा प्राप्ति में सहायक (२) ज्ञान उपार्जन का साधन (३) विशिष्टता और नवीनता (४) सामाजिक विकास (५) लोकतांत्रिक गुणों का विकास (६) मनोरंजन (७) राजनीतिक विकास (८) बौद्धिक विकास (९) साहित्यिक विकास (१०) सांस्कृतिक विकास |
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(१) शिक्षा प्राप्ति में सहायक |
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(२) ज्ञान उपार्जन का साधन |
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(३) विशिष्टता और नवीनता |
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(४) सामाजिक विकास |
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(५) लोकतांत्रिक गुणों का विकास |
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(६) मनोरंजन |
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(७) राजनीतिक विकास |
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(८) बौद्धिक विकास |
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(९) साहित्यिक विकास |
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(१०) सांस्कृतिक विकास |
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उद्देश्य |
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१) आरोह अवरोह का अभ्यास |
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२) उचित स्थान का ज्ञान |
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३) उच्चारण का ज्ञान |
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४) भाव समझना और समझाना |
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५) ध्वनि बल निर्गम स्वर आदि का सम्यक ज्ञान |
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६) शुद्ध तथा स्पष्ट उच्चारण |
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७) मधुरता तथा प्रभाव उत्पादकता |
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पठन कौशल विधियां |
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१) शब्द तत्व पर आधारित विधियां १.१) वर्ण बोध विधि १.२) ध्वनि साम्य विधि |
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२) स्वर उच्चारण विधि |
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३) देखो और कहो |
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४) वाक्य विधि |
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५) कहानी विधि |
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६) अनुकरण विधि |
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७) संपर्क विधि |
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पढ़ने में त्रुटि का ज्ञान |
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१) अटक-अटक कर पढ़ना |
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२) अनुचित मुद्रा |
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३) वाचन में गति का अभाव |
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४) अशुद्ध उच्चारण |
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५) दृष्टि दोष से वर्णन न दिखना |
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६) पाठ्य सामग्री का कठिन होना |
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७) संयुक्ताक्षर की छपाई में त्रुटि |
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८) भावानुकूल आरोह-अवरोह का अभाव |
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९) वचन संबंधित मार्गदर्शन का अभाव |
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उद्देश्य १) आरोह अवरोह का अभ्यास २) उचित स्थान का ज्ञान ३) उच्चारण का ज्ञान ४) भाव समझना और समझाना ५) ध्वनि बल निर्गम स्वर आदि का सम्यक ज्ञान ६) शुद्ध तथा स्पष्ट उच्चारण ७) मधुरता तथा प्रभाव उत्पादकता |
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१०) अध्यापक का व्यवहार |
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पठन कौशल विधियां १) शब्द तत्व पर आधारित विधियां १.१) वर्ण बोध विधि १.२) ध्वनि साम्य विधि २) स्वर उच्चारण विधि ३) देखो और कहो ४) वाक्य विधि ५) कहानी विधि ६) अनुकरण विधि ७) संपर्क विधि |
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Ashish Dave (वार्ता) 07:11, 16 |
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पढ़ने में त्रुटि का ज्ञान १) अटक-अटक कर पढ़ना २) अनुचित मुद्रा ३) वाचन में गति का अभाव ४) अशुद्ध उच्चारण ५) दृष्टि दोष से वर्णन न दिखना ६) पाठ्य सामग्री का कठिन होना ७) संयुक्ताक्षर की छपाई में त्रुटि ८) भावानुकूल आरोह-अवरोह का अभाव ९) वचन संबंधित मार्गदर्शन का अभाव १०) अध्यापक का व्यवहार Ashish Dave (वार्ता) 07:11, 16 |
11:13, 18 अगस्त 2019 का अवतरण
काव्य शिक्षण
कविता शिक्षण के सामान्य उद्देश्य १) स्वर प्रवाह, भाव अनुसार कविता पाठ क्षमता वृद्धि।
२) छात्रों को कविता के प्रति आकर्षित करना।
३) कवि कर्म / कविता के माध्यम से सांस्कृतिक तथा पौराणिक ता धार्मिकता सामाजिकता की अनुभूति धार्मिकता सामाजिकता की अनुभूति करवाना।
४) कवि के भावों को समझने की शक्ति उत्पन्न करना।
५) अर्थ ग्रहण व भावानुभूति करने योग्य बनाना।
६) विभिन्न विभिन्न का विषय काव्य शैलियों से परिचय कराना।
७) कल्पना शक्ति में वृद्धि करना।
८) साहित्य रचना के प्रति रुचि उत्पन्न करना।
९) कविता के माध्यम से चित्त वृत्तियों का परिमार्जन करना और उच्च आदर्शों का निर्माण करना।
काव्य शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य
१) कवि विशेष के भाव विचार या या शैली के चमत्कार का आनंद प्राप्त करना।
२) कवि संदेशों को छात्रों तक पहुंचाना।
३) कविता में निहित जीवन आलोचना को स्पष्ट करना।
४) विशिष्ट शैली से परिचय कराना।
काव्य शिक्षण के मुख्य सिद्धांत
१) सस्वर प्रस्तुतीकरण का सिद्धांत
२) समवेत स्वर में प्रस्तुतीकरण का सिद्धांत
३) अध्यापक की क्षमता का का क्षमता का का सिद्धांत
४ अध्यापक की संलग्नता का सिद्धांत
५) स्तरानुसार काव्यांश चयन का सिद्धान्त
६) भाव कल्पना, विचार सौंदर्य का सिद्धांत
७) समभाव कविता पाठ का सिद्धांत
काव्य शिक्षण विधियां
१) गीत विधि
२) अभिनय विधि
३) अर्थबोध विधि
४) व्याख्यान विधि
५) व्यास विधि
६) तुलना विधि
७) समीक्षा विधि
८)विश्लेषण विधि
९) खंडान्वस विधि
१०) समीक्षा प्रणाली समीक्षा का तात्पर्य होता है कविता की आलोचना तथा मूल्यांकन करना। यह तीन प्रकार से की जाती है।
- १) ऐतिहासिक समीक्षा प्रणाली
- २) सैद्धांतिक समीक्षा प्रणाली
- ३) व्यवहारिक समीक्षा प्रणाली
११) विश्लेषण प्रणाली
- ११.१) रसात्मक विश्लेषण प्रणाली
- ११.२) भावात्मक विश्लेषण प्रणाली
कविता के प्रति रुचि बढ़ाने के साधन
१) कविता का प्रभावशाली पठन,
२) कविताओं का कंठस्थीकरण
३) कविताओं का संग्रह
४) कवि जयंती
५) कवि सम्मेलन
६) कवि गोष्ठी
७) समस्या पूर्ति
८) कवि दरबार
९) सुभाषित प्रतियोगिता
१०) कविता पाठ प्रतियोगिता
पद्य पाठ योजना
१) सामान्य उद्देश्य
२) विशिष्ट उद्देश्य २.१) संज्ञानात्मक उद्देश्य २.२) भावात्मक उद्देश्य २.३) क्रियात्मक उद्देश्य
३) सहायक उपकरण बोर्ड, पाठ्य पुस्तक, चॉक, डस्टर, संकेतिका आदि।
४) विशिष्ट उपकरण चित्र, चार्ट, ध्वनि उपकरण, दृश्य उपकरण, १) प्रस्तावना २) उद्देश्य ३) उद्देश्यकथन ४) प्रस्तुतीकरण ५) आदर्श वाचन प्रभावशाली बटन ६) अनुकरणवाचन ७) अशुद्धिसंशोधन ८) काठिन्य निवारण ९)बोध प्रश्न १०) छात्रध्यापक कथन/ शिक्षक सारांश ११) चित्र मॉडल / प्रदर्शन Ashish Dave (वार्ता) 16:55, 16 अगस्त 2019 (UTC)
पठन कौशल (भाषा कौषल)
पठन या वाचन कौशल भाषा का मूल स्वरूप उच्चारित रूप है। लिखित भाषा के ध्वन्यात्मक पाठ को मौखिक पठन कहते हैं। बिना अर्थ ग्रहण किए गए पठन को पठन नहीं कहा जा सकता। पठन की क्रिया में अर्थ ग्रहण करना आवश्यक होता है।
महत्व
(१) शिक्षा प्राप्ति में सहायक
(२) ज्ञान उपार्जन का साधन
(३) विशिष्टता और नवीनता
(४) सामाजिक विकास
(५) लोकतांत्रिक गुणों का विकास
(६) मनोरंजन
(७) राजनीतिक विकास
(८) बौद्धिक विकास
(९) साहित्यिक विकास
(१०) सांस्कृतिक विकास
उद्देश्य
१) आरोह अवरोह का अभ्यास
२) उचित स्थान का ज्ञान
३) उच्चारण का ज्ञान
४) भाव समझना और समझाना
५) ध्वनि बल निर्गम स्वर आदि का सम्यक ज्ञान
६) शुद्ध तथा स्पष्ट उच्चारण
७) मधुरता तथा प्रभाव उत्पादकता
पठन कौशल विधियां
१) शब्द तत्व पर आधारित विधियां १.१) वर्ण बोध विधि १.२) ध्वनि साम्य विधि
२) स्वर उच्चारण विधि
३) देखो और कहो
४) वाक्य विधि
५) कहानी विधि
६) अनुकरण विधि
७) संपर्क विधि
पढ़ने में त्रुटि का ज्ञान
१) अटक-अटक कर पढ़ना
२) अनुचित मुद्रा
३) वाचन में गति का अभाव
४) अशुद्ध उच्चारण
५) दृष्टि दोष से वर्णन न दिखना
६) पाठ्य सामग्री का कठिन होना
७) संयुक्ताक्षर की छपाई में त्रुटि
८) भावानुकूल आरोह-अवरोह का अभाव
९) वचन संबंधित मार्गदर्शन का अभाव
१०) अध्यापक का व्यवहार
Ashish Dave (वार्ता) 07:11, 16