"जगरनॉट": अवतरणों में अंतर

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इस शब्द का प्रयोग विक्टोरियन काल में शराब की अवधारणा के सम्बन्ध में भी हुआ है। उदाहरण के लिये इसका प्रयोग Robert Louis Stevenson की ''[[:en:Dr. Jekyll and Mr. Hyde]]'' में Hyde के लिये हुआ है।<ref>Jane Lilienfeld "Review of Thomas Reed's The Transforming Draught: Jekyll and Hyde, Robert Louis Stevenson and the Victorian Alcohol debate", Victorian Studies Vol. 50 Issue 1, 2007.</ref>
इस शब्द का प्रयोग विक्टोरियन काल में शराब की अवधारणा के सम्बन्ध में भी हुआ है। उदाहरण के लिये इसका प्रयोग Robert Louis Stevenson की ''[[:en:Dr. Jekyll and Mr. Hyde]]'' में Hyde के लिये हुआ है।<ref>Jane Lilienfeld "Review of Thomas Reed's The Transforming Draught: Jekyll and Hyde, Robert Louis Stevenson and the Victorian Alcohol debate", Victorian Studies Vol. 50 Issue 1, 2007.</ref>


== सन्दर्भ ==
अंग्रेजों ने भगवान जगन्नाथ को बदनाम करने के लिए जगरनॉट शब्द गढ़ा है और बदनाम करने का छोटा सा प्रयास किया है।
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17:30, 16 जुलाई 2019 का अवतरण

१८५१ में Illustrated London Reading Book में चित्रित जगरनॉट का रथ
२००७ का आधुनिक उत्सव

जगरनॉट (अमेरिकी उच्चारण सहायता·सूचना) अंग्रेजी भाषा में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है जिसका प्रयोग अजेय के रूप में सन्दर्भित शाब्दिक या रुपक शक्ति की व्याख्या के लिये होता है। यह प्रायः किसी बड़ी मशीन या किसी टीम या इकट्ठे कार्य करने वाले लोगों के समूह के लिये या किसी करिश्माई नेता द्वारा चलाये जा रहे उभर रहे राजनीतिक आन्दोलन के लिये प्रयुक्त होता है। इसका सम्बन्ध प्रायः कुचले जाने अथवा भौतिक हानि से जोड़ा जाता है।

व्युत्पत्ति

यह शब्द संस्कृत शब्द जगन्नाथ से बना है। जगन्नाथ[1] (अर्थात "विश्व का स्वामी") जो कि भारत के प्राचीन वैदिक धर्मग्रन्थों में वर्णित भगवान कृष्ण के अनेक नामों में से एक है। भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध मन्दिरों में से एक जगन्नाथ मन्दिर पुरी, उड़ीसा में है। इस मन्दिर में सालाना रथ यात्रा महोत्सव होता है जिसमें भगवान जगन्नाथ (कृष्ण), देवी सुभद्रा तथा भगवान बलभद्र (कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता) की मूर्तियों को रथ में बैठाकर यात्रा पर ले जाया जाता है।

१४वीं शताब्दी की एक प्रसिद्ध किताब en:The Travels of Sir John Mandeville en:apocryphally[2] में कुछ हिन्दुओं को एक धार्मिक बलिदान के रूप में बताया गया है जो कि स्वयं को इस विशाल रथ के पहियों के नीचे अर्पित कर कुचले जाकर मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इस दावे के आधार पर ब्रिटिश उपनिवेश[3] ने यह दावा प्रवर्तित किया कि कृष्ण के हिन्दू भक्त सिरफिरे हठधर्मी हैं जो मोक्ष प्राप्त करने के लिये स्वयं को इन रथों के पहियों के नीचे फेंक देते हैं। जबकि कई अन्य सूत्रों ने सुझाया कि जो कुछ मृत्य हुयी वे भीड़ तथा बैचेनी के कारण दुर्घटनावश हुयीं।[4] यह बड़ी लॉरी के लिये एक ब्रिटिश स्लैंग भी है[उद्धरण चाहिए].

इस शब्द का प्रयोग विक्टोरियन काल में शराब की अवधारणा के सम्बन्ध में भी हुआ है। उदाहरण के लिये इसका प्रयोग Robert Louis Stevenson की en:Dr. Jekyll and Mr. Hyde में Hyde के लिये हुआ है।[5]

सन्दर्भ

  1. dictionary.reference.com
  2. [1]
  3. Rev. Claudius Buchanan in Christian Researches in Asia (Cambridge, 1811)
  4. [2]
  5. Jane Lilienfeld "Review of Thomas Reed's The Transforming Draught: Jekyll and Hyde, Robert Louis Stevenson and the Victorian Alcohol debate", Victorian Studies Vol. 50 Issue 1, 2007.

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