"सिरसा": अवतरणों में अंतर

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17:53, 28 मई 2019 का अवतरण

सिरसा
शहर
सिरसा is located in हरियाणा
सिरसा
सिरसा
हरियाणा के नक़्शे पर अवस्थिति
देश India
राज्यहरियाणा
जिलासिरसा
शासन
 • सभाHUDA
 • Member of ParliamentSunita Duggal (BJP)
ऊँचाई205 मी (673 फीट)
भाषाएँ
 • आधिकारिकहिंदी
 • क्षेत्रीयहरियाणवी, बागड़ी
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
पिन125055
टेलीफोन कोड01666
वाहन पंजीकरणHR 24
नजदीकी शहरनई दिल्ली, चंडीगढ़, हिसार, श्री गंगानगर
लोकसभा क्षेत्रसिरसा
नियोजन प्राधिकरणHUDA
दिल्ली से दूरी263 किलोमीटर (163 मील) W (land)
चंडीगढ़ से दूरी251 किलोमीटर (156 मील) SW (land)
हिसार से दूरी92 किलोमीटर (57 मील) NW (land)
वेबसाइटsirsa.gov.in

सिरसा भारत के हरियाणा प्रदेश का एक शहर और इसी नाम के जिले का मुख्यालय है। इस शहर के पास भारतीय वायुसेना का हवाई अड्डा स्थित है।

इतिहास

सिरसा नगर का इतिहास प्राचीन एवं गौरवपूर्ण है। सिरसा का प्राचीन नाम सिरशुति व कुछ स्थानों पर सिरसिका लिखा पाया जाता है। पाणिनी की अष्टाध्यायी में भी सिरसका का वर्णन है। सन 1330 में मुलतान से चल कर दिल्ली आए प्रसिद्ध अरबी यात्री इब्नबतूतता ने भी सिरसुति नगर में पड़ाव करने का वर्णन किया है। उसने सिरसा में एक सूबेदार के होने का जिक्र किया है। धीरे-धीरे इसका नाम सिरसा प्रचलित हो गया।

धन वैभव की बहुलता के कारण यह बाहरी आक्रमणकारियों राजाओं के लिए आर्कषण का केंद्र भी रहा है। सन 1398 में भाटीनगर उर्फ भटनेर (हनुमानगढ़) को विजय करने के पश्चात तैपूरलंग सिरसा से फतेहाबाद व टोहाना की ओर अग्रसर हुआ था। मोहम्मद गजनवी के आक्रमणों का भी यह नगर शिकार रहा है। महाराजा अग्रसैन ने मोहम्मद गोरी को इसी धरा पर दो बार परास्त किया था और उसे जान बचाकर भागना पड़ा था। दरअसल सल्तनत काल में दिल्ली के सुल्तान अल्तमश ने सन् 1212 में सर्वप्रथम जैसलमेर से आए हेमल भट्टी को सिरसा का गर्वनर नियुक्त किया था। उसी के वंशजो ने भटनेर बसाया था। मध्य काल में यह नगर रानियां रियासत के अधीन था। इसके शासकों में हयात खां भट्टी (सन् 1680 से 1700), हसन खां भट्टी (सन् 1700 से 1714), अमीर खां भट्टी (सन् 1714 से 1752), मोहम्मद अमीन खां भट्टी (सन् 1752 से 1784), कमरूद्दीन खां भट्टी (सन् 1784 से 1801), जाबिता खां भट्टी (सन् 1801 से 1818) और नूर मुहम्मद खां भट्टी (सन् 1857) शामिल हैं।

सन् 1837 में अंग्रेजों ने भटियाणा जिला बनाकर सिरसा को मुख्यालय बना दिया। कैप्टन थोरासबी (सन् 1837 से 1839), ई. रोबिनसन (सन् 1839 से 1852) ई. रोबर्टसन (सन् 1852 से 1858) आदि सन 1884 तक इसके कलेक्टर रहे हैं। सन् 1857 में यहां से अंग्रेजों का सफाया कर दिया गया था। सन् 1884 में भटियाना तोड़कर सिरसा को तहसील बना दिया और हिसार जिले में मिला दिया। अकबर के शासन काल में यह हिसार सरकार (जिला) एक बड़ा परगना था। यहां ईंटों से निर्मित एक किला था तथा सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण था। इसके लिए 500 घुड़सवार और 5000 पैदल सैनिकों की फौज मुकर्रर थी। कुल 1 लाख 61 हजार 472 एकड़ रकबे से सलाना 1 लाख 9 हजार 34 रूपये राजस्व और 4078 रूपये (धर्मार्थ) की आय थी। सन् 1789 में प्राकृतिक प्रकोपवश मूल सिरसा नगर जो कि वर्तमान नगर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित था, खण्डहरात में परिवर्तित हो गया। लगभग पांच दशक पूर्व तक सिरसा शुष्क धूलभरी काली-पीली आंधियों का अद्र्धमरूभूमि क्षेत्र था। अत: सिरसा के विकास की कहानी इस रेगिस्तानी शुष्कता से हरियाली की कहानी कही जा सकती है। भाखड़ा डैम परियोजना के बाद इस रेगिस्तानी क्षेत्र के लहलहाते खेतों, बाग-बगीचों तथा बिजली में नहाते गांव जिले के विकास का कहानी दोहराते हैं। सिरसा का आध्यात्मिकता से अटूट संबंध है। अनेक संत-फकीरों की यह धरती चहुंओर से आध्यात्मिकता का शीतल प्रवाह समेटे हैं।

सिरसा और उसके आसपास का क्षेत्र, समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्‍कृतिक विरासत का स्‍वर्ग है। इसकी खोज, भारत के पुरातत्‍व सर्वे द्वारा घाघरा नदी के करीब 54 स्‍थलों पर खुदाई के बाद की गई। यह खोज, 1967 और 1968 में की गई थी। इस खोज में रंग महल संस्‍कृति की कई रंगों और कई डिजायन के ढ़ेर सारे बर्तन, कटोरे आदि प्राप्‍त हुए है। सिरसा में भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण द्वारा की गई खोज में तीन प्रमुख ऐतिहासिक स्‍थल निम्‍म है : अरनियान वाली : यह स्‍थल, सिरसा के सिरसा भद्र रोड़ पर 8 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है जहां चार एकड़ जमीन और दस फुट ऊंचा टीला स्थित है, यहां मध्‍ययुगीन अवधि से संबंधित टूटी हुई मिट्टी के बर्तन के टुकड़े प्राप्‍त किए गए है। सिंकदरपुर : सिरसा के पूर्व में लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर दो टीले एक दूसरे से एक मील की दूरी पर स्थित है। इन खोजों में एक भारी पत्‍थर की स्‍लैब, इंद्र देवता की मूर्ति और भगवान‍ शिव की एकमुख लिंग के अलावा, मध्‍ययुगीन काल के मंदिर के नमूने और रंग महल के दौर के मिट्टी के बर्तन भी पाएं गए थे। सुचान : यह सिरसा से पूर्व में 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यहां के टीले में मध्‍यकालीन युग के बर्तनों के टुकड़े मिले

भूगोल

जलवायु

सिरसा में उप उष्‍ण कटिबंधीय जलवायु रहती है, जहां गर्मी, बरसात और सर्दी तीनों मौसम का आनंद उठाया जा सकता है।

आवागमन

सिरसा, पूरे देश से वायु, रेल और सड़क मार्ग से भली - भांति तरीके से जुड़ा हुआ है। इतिहास, सिरसा के उपमंडल ऐलनाबाद के एक गाँव ममेरा मे भादव की पुणिमा को गोकलजी मेला भरा जाता है तो वहां दुर दुर से यात्री आते है

सिरसा के उपमंडल ऐलनाबाद के एक गाँव कुम्हारिया मे हर की चानन चौथ को माता सती का बड़ा मेला भरता है। यहाँ पर कुछ राज्यों से भी लोग ( जैसे हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब आदि ) से आकर माता रानी का आशीर्वाद लेते है।

आर्थिक

एक सितंबर 1975 को बना जिला, हरियाणा के अंतिम छोर पर पश्चिम में बसा हुआ सिरसा धर्म, राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में अपनी पूरी पहचान बना चुका है। आज आर्थिक रूप से संपन्न सिरसा का जन्म महाभारत काल और आजादी से भी पहले हुआ था। सरस्वती नदी के तट पर बसा होने के कारण पहले सिरसा का नाम सरस्वती नगर ही हुआ करता था। डेरा सरसाई नाथ के नाम पर इसका गहरा संबंध बताया जाता है।

वर्ष 2007 में कोलकाता में आयोजित हुई एशियन महिला रोलर स्केटिंग हॉकी चैंपियनशिप में विजेता भारतीय टीम में 12 में 10 खिलाड़ी सिरसा से ही संबंध रखते हैं। शाह सतनाम जी शिक्षण संस्थान के विद्यार्थियों ने देश और विदेशों में आयोजित क्रिकेट, जूडो, योगा तथा एथेलेटिक इत्यादि में अनेकों स्वर्ण पदक, कांस्य पदक आदि जीतकर जिले का नाम विश्वभर में दर्ज किया है। खेलों के साथ-साथ फिल्म नगरी में सिरसा के फोटोग्राफर मनमोहन सिंह और टीवी सीरियल कलाकार गौतम सौगात व प्रवीण अरोड़ा के नाम जाने-जाते हैं। साहित्यक नगरी के नाम से पुकारे जाने वाले इस पवित्र नगरी में भिन्न-भिन्न साहित्यक संस्थान समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनता में हास्यरस, वीर रस तथा देश प्रेम की भावना जागृत करते हुए क्षेत्रवासियों का मनोरंजन भी करती रहती हैं। शहर की सामाजिक संस्थाए नेत्रदान, देहदान, रक्तदान तथा अन्य मैडीकल कैंप के आयोजन करने के साथ-साथ जरूरतमंदों को आर्थिंक सहायता पहुंचाने के मुख्य काम में जुटी हुई हैं। सिरसा जिले के नाम सबसे ज्यादा रक्तदान करने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड है। इस के साथ सिरसा के डेरा सच्चा सौदा के नाम 18 अन्य गिनीज वर्ल्ड कीर्तिमान है। तकनीकी क्षेत्र में सिरसा का लोहा माना जाता रहा है। सिरसा के छीटे से गांव रामगढ़ के युवा विनोद सुथार द्वारा संसाधनों के अभाव में गांव की वेबसाइट (http://ramgarh.epanchayat.in/home/) बना देना इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। देश में सबसे अधिक गौशालाएं जिला सिरसा में ही हैं। कृषि के क्षेत्र में भी सिरसा ने नए आयाम स्थापित किए हैं। इस वर्ष सिरसा काटन उत्पादन में जहां हरियाणा प्रदेश में नंबर वन है, वहीं गेहूं उत्पादन में देश भर में सिरमौर है। बागवानी के क्षेत्र में भी जिले के किन्नू के बागों की रौनक देखने के काबिल होती है। इसके साथ ही पूरे देश में मशहूर मंडी डबवाली की लंडी जीप यानी हंटर जीप देश के कोने-कोने में घूमती हुई सिरसा का नाम चमकाती फिरती है। राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के पश्चिम छोर पर बसा जिला सिरसा राजनीति के क्षेत्र में नेताओं की नर्सरी है जहां सियासत खूब ठांठे मारती है। हरियाणा के तीन लालों में एक लाल चौधरी देवीलाल सिरसा की वो राजनीतिक हस्ती रही है जिनकी बदौलत जिले को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। प्रधानमंत्री के पद को ठुकराकर किसान, मजलुमों व गरीब मजदूरों के लोगों के हित के लिए उन्होंने आजीवन लड़ाई लड़ी। देश के उपप्रधानमंत्री तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर रहे चौधरी देवीलाल के पश्चात उनके उत्तराधिकारी चौधरी ओम प्रकाश चौटाला भी अनेक वर्षों तक मुख्यमंत्री के पद पर सुशोभित रहे हैं। आजकल वे स्वयं तथा उनके दोनों बेटे चौधरी अजय सिंह चौटाला व चौधरी अभय सिंह चौटाला ने एक ही समय (तीनों) उसी विधानसभा के सदस्य (एमएलए) बनकर एक नई मिसाल व रिकॉर्ड पेश किया है। प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल इनैलो का गृह क्षेत्र सिरसा में ही है, जिसके कारण जिले का राजनैतिक माहौल हमेशा गरमाया रहता है।

यहां की जनता की सोच में भी हमेशा सियासी परिपक्वता झलकती रहती है जिसकी बदौलत यहां से कभी कांग्रेस, कभी इनैलो, कभी भारतीय जनता पार्टी कभी, जनता पार्टी, कभी आजाद सभी पार्टियों को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। पांच बार मंत्री रह चुके श्री लक्ष्मण दास अरोड़ा, पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा, भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रो॰ गणेशी लाल, केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा सभी इसी जिले की ही देन हैं। आर्थिक रूप से संपन्न सिरसा सामाजिक व सांस्कृतिक तथा कृषि के क्षेत्र में अग्रणी होने के बावजूद सिरसा आज भी औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ ही जाना जाता है। कोई बड़े पैमाने का उद्योग यहां स्थापित नहीं हो पाया। कभी इसकी पहचान गोपीचंद टैक्सटाइल मिल्ज के आधार पर होती थी। हालांकि यहां पर मिल्क प्लांट, जगदंबे पेपर मिल तथा अनेक राइस मिलें लगी हुई हैं और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा जिले के विकास हेतु एमएसआईटीसी के माध्यम से लघु उद्योग स्थापित करने हेतु इंड्रस्टियल इस्टेट्स में सस्ती दर पर प्लाट उपलब्ध कराए गए हैं।

जीटीएम और शूगर मिल समेत अन्य अनेक औद्योगिक इकाईयों का लुप्त हो जाना क्षेत्रवासियों के लिए उदासीनता का विषय है। युवाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु औद्योगिक सफर में जिले की तरक्की के लिए प्रशासन एवं सरकार द्वारा पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए। कुल मिलाकर जहां एक ओर सरकार तथा प्रशासन ने सिरसा में चहुंमुंखी विकास का प्रयास किया है, वहीं भिन्न-भिन्न राजनैतिक विचार धारा और भिन्न-भिन्न धार्मिक आस्थाओं के बावजूद यहां की शांतिप्रिय जनता ने भी सिरसा की प्रगति में एक अहम भूमिका निभाई है। आशा की जानी चाहिए कि भविष्य में भी इस क्षेत्र के वासी परस्पर प्रेम और सहयोग की भावना से शहर की उन्नति में अपना योगदान देते रहे

इसके साथ रेजीडेन्शियल सैक्टर में भी रीयल एस्टेट और टाऊनशिप में भी सिरसा के बढ़ते कदम साफ दिखाई दे रहे हैं। ईरा ग्रुप, ग्लोबल स्पेस तथा हुड्डा सैक्टर व शहर की प्राईवेट कॉलोनियां डेवैलप्मैंट में पूरा योगदान कर रहे हैं। इससे सिरसा में प्रोपर्टी डीलरों की बाढ़ सी आ गई लगती है। खेल और साहित्य के क्षेत्र में सिरसा ने बहुत तरक्की की है। खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी सरदारा सिंह (संतनगर) और हरप्रीत सिंह जैसे धुरंधर खिलाड़ी दिए हैं, जो सिरसा ही नहीं, देश व एशिया के लिए गौरव की बात है, क्योंकि वल्र्ड इलेवन टीम में शामिल होने वाला सरदारा सिंह एशिया महाद्वीप का एकमात्र खिलाड़ी है। वो वर्ष 2008 में भारतीय टीम का कप्तान भी रहा है। रस्साकशी में जिले के गांव हरिपुरा की टीम सात बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुकी है। वर्ष 2011 में सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा में देश में टॉप रहने वाली डेरा सच्चा सौदा में अध्ययन कर रही गुरअंश ने 2010 में फरीदाबाद में शूटिंग में स्वर्ण पदक जीतकर सिरसा का नाम रोशन किया है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ