"भारत की स्वतन्त्रता": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=मई 2019}}



कविता बलिदान का रंग
कविता बलिदान का रंग
कवयित्री सुशीला रोहिला सोनीपत हरियाणा
कवयित्री सुशीला रोहिला सोनीपत हरियाणा

06:01, 27 मई 2019 का अवतरण

कविता बलिदान का रंग

      कवयित्री      सुशीला रोहिला सोनीपत हरियाणा 
        मोबाइल  नंबर      9467520190
     आओ तुम्हें सुनाए हम ,बलिदान की कहानी ।
      भारत के वीरों की है यह अमर कहानी  ,
       भारत की है जुबानी ----------।


      बलिदान के र॔ग की रग॔त है बड़ी भारी ।
      ईमान का रंग भरा है , लगती प्राणों की बाजी  ।
      धर्म युद्ध की नीति है, दानवता पर है भारी।
      राख की ढेर हुई हिंसा, रीत सदा है पुरानी ।
      भारत की जुबानी- -------------।


       भारत का इतिहास मैं फिर से दोहराती हूँ ।, 
       त्रेता युग की बात बताएँ,  सोने की एक लंका
       भारत के बन्दर -भालू की बनी एक जल सेना ।
       सौ योजन पार किया सागर , पहुँचे वो लंका ।
       अधर्मी होकर जो टकराया, मिटा दिया है पल में 
      चुन-चुन कर मार गिराया, फूंक दी सोने की लंका।
      धर्म बचा कर किया सुरक्षित, भारत ने निभाई मित्रता । 
       बलिदान की रगंत है बड़ी भारी , भारत की जुबानी ।               
        
       निर्मला सीता रमन है भारत की नारी ,
       शैतानों ने जब -जब नारी को ललकारा  ।
       दुर्गा बन असूरों का संहार किया , सुर को उभारा ।
       वायुयान की सेना ने शत्रु को मौत के घाट  उतारा  ।
      
      ,
       शैतानों को घुस कर मारा ,बची मानवता हमारी ।
       पाक पर परचम फहराए, यह नीति ना हमारी ।
      आंतक का हो सफाया, प्रण है यह हमारा ।
      सद्भावना की ताकत से  ,भारत हो विश्व गुरु  हमारा ।




कविता बलिदान का रंग

      कवयित्री      सुशीला रोहिला सोनीपत हरियाणा 
        मोबाइल  नंबर      9467520190
     आओ तुम्हें सुनाए हम ,बलिदान की कहानी ।
      भारत के वीरों की है यह अमर कहानी  ,
       भारत की है जुबानी ----------।


      बलिदान के र॔ग की रग॔त है बड़ी भारी ।
      ईमान का रंग भरा है , लगती प्राणों की बाजी  ।
      धर्म युद्ध की नीति है, दानवता पर है भारी।
      राख की ढेर हुई हिंसा, रीत सदा है पुरानी ।
      भारत की जुबानी- -------------।


       भारत का इतिहास मैं फिर से दोहराती हूँ ।, 
       त्रेता युग की बात बताएँ,  सोने की एक लंका
       भारत के बन्दर -भालू की बनी एक जल सेना ।
       सौ योजन पार किया सागर , पहुँचे वो लंका ।
       अधर्मी होकर जो टकराया, मिटा दिया है पल में 
      चुन-चुन कर मार गिराया, फूंक दी सोने की लंका।
      धर्म बचा कर किया सुरक्षित, भारत ने निभाई मित्रता । 
       बलिदान की रगंत है बड़ी भारी , भारत की जुबानी ।               
        
       निर्मला सीता रमन है भारत की नारी ,
       शैतानों ने जब -जब नारी को ललकारा  ।
       दुर्गा बन असूरों का संहार किया , सुर को उभारा ।
       वायुयान की सेना ने शत्रु को मौत के घाट  उतारा  ।
      
      ,
       शैतानों को घुस कर मारा ,बची मानवता हमारी ।
       पाक पर परचम फहराए, यह नीति ना हमारी ।
      आंतक का हो सफाया, प्रण है यह हमारा ।
      सद्भावना की ताकत से  ,भारत हो विश्व गुरु  हमारा ।



भारत का ध्वज
भारत का ध्वज

भारत की स्वतंत्रता से तात्पर्य ब्रिटिश शासन द्वारा 15 अगस्त, 1947 को भारत की सत्ता का हस्तांतरण भारत की जनता के प्रतिनिधियों को किए जाने से है। इस दिन दिल्ली के लाल किले पर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर स्वाधीनता का ऐलान किया। भारत के स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत 1857 में हुए [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतं



कविता बलिदान का रंग

      कवयित्री      सुशीला रोहिला सोनीपत हरियाणा 
        मोबाइल  नंबर      9467520190
     आओ तुम्हें सुनाए हम ,बलिदान की कहानी ।
      भारत के वीरों की है यह अमर कहानी  ,
       भारत की है जुबानी ----------।


      बलिदान के र॔ग की रग॔त है बड़ी भारी ।
      ईमान का रंग भरा है , लगती प्राणों की बाजी  ।
      धर्म युद्ध की नीति है, दानवता पर है भारी।
      राख की ढेर हुई हिंसा, रीत सदा है पुरानी ।
      भारत की जुबानी- -------------।


       भारत का इतिहास मैं फिर से दोहराती हूँ ।, 
       त्रेता युग की बात बताएँ,  सोने की एक लंका
       भारत के बन्दर -भालू की बनी एक जल सेना ।
       सौ योजन पार किया सागर , पहुँचे वो लंका ।
       अधर्मी होकर जो टकराया, मिटा दिया है पल में 
      चुन-चुन कर मार गिराया, फूंक दी सोने की लंका।
      धर्म बचा कर किया सुरक्षित, भारत ने निभाई मित्रता । 
       बलिदान की रगंत है बड़ी भारी , भारत की जुबानी ।               
        
       निर्मला सीता रमन है भारत की नारी ,
       शैतानों ने जब -जब नारी को ललकारा  ।
       दुर्गा बन असूरों का संहार किया , सुर को उभारा ।
       वायुयान की सेना ने शत्रु को मौत के घाट  उतारा  ।
      
      ,
       शैतानों को घुस कर मारा ,बची मानवता हमारी ।
       पाक पर परचम फहराए, यह नीति ना हमारी ।
      आंतक का हो सफाया, प्रण है यह हमारा ।
      सद्भावना की ताकत से  ,भारत हो विश्व गुरु  हमारा ।



त्रता संग्राम|सिपाही विद्रोह]] को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगो ने जान की बली दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1930 कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी।

भारत का विभाजन

भारत के पहले राज्य

भारत के पहले पदाधिकारी


कविता बलिदान का रंग

      कवयित्री      सुशीला रोहिला सोनीपत हरियाणा 
        मोबाइल  नंबर      9467520190
     आओ तुम्हें सुनाए हम ,बलिदान की कहानी ।
      भारत के वीरों की है यह अमर कहानी  ,
       भारत की है जुबानी ----------।


      बलिदान के र॔ग की रग॔त है बड़ी भारी ।
      ईमान का रंग भरा है , लगती प्राणों की बाजी  ।
      धर्म युद्ध की नीति है, दानवता पर है भारी।
      राख की ढेर हुई हिंसा, रीत सदा है पुरानी ।
      भारत की जुबानी- -------------।


       भारत का इतिहास मैं फिर से दोहराती हूँ ।, 
       त्रेता युग की बात बताएँ,  सोने की एक लंका
       भारत के बन्दर -भालू की बनी एक जल सेना ।
       सौ योजन पार किया सागर , पहुँचे वो लंका ।
       अधर्मी होकर जो टकराया, मिटा दिया है पल में 
      चुन-चुन कर मार गिराया, फूंक दी सोने की लंका।
      धर्म बचा कर किया सुरक्षित, भारत ने निभाई मित्रता । 
       बलिदान की रगंत है बड़ी भारी , भारत की जुबानी ।               
        
       निर्मला सीता रमन है भारत की नारी ,
       शैतानों ने जब -जब नारी को ललकारा  ।
       दुर्गा बन असूरों का संहार किया , सुर को उभारा ।
       वायुयान की सेना ने शत्रु को मौत के घाट  उतारा  ।
      
      ,
       शैतानों को घुस कर मारा ,बची मानवता हमारी ।
       पाक पर परचम फहराए, यह नीति ना हमारी ।
      आंतक का हो सफाया, प्रण है यह हमारा ।
      सद्भावना की ताकत से  ,भारत हो विश्व गुरु  हमारा ।



इन्हें भी देखें =

बाहरी कड़ियाँ