"श्लेष अलंकार": अवतरणों में अंतर

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यहाँ पानी का प्रयोग तीन बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त ''पानी'' शब्द के तीन अर्थ हैं; मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ ''चमक'' या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ ''इज्जत'' (सम्मान), चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ ''साधारण पानी''(जल) है।
यहाँ पानी का प्रयोग तीन बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त ''पानी'' शब्द के तीन अर्थ हैं; मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ ''चमक'' या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ ''इज्जत'' (सम्मान), चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ ''साधारण पानी''(जल) है।
उदाहरण
रहिमन जौ गति दीप की कुल कपूत गति होये वारे उजियारौ लगे बड़े अंधेरो होये।


==इन्हें भी देखें==
==इन्हें भी देखें==

18:02, 15 मई 2019 का अवतरण

जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं:

  1. सभंग श्लेष
  2. अभंग श्लेष

उदाहरण

उदाहरण १
चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।

यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है, किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं; कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द, व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर, चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।

उदाहरण २
पानी गये न ऊबरैँ, मोती मानुष चून।

यहाँ पानी का प्रयोग तीन बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं; मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ चमक या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत (सम्मान), चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ साधारण पानी(जल) है। उदाहरण

      रहिमन जौ गति दीप की कुल कपूत गति होये वारे उजियारौ लगे बड़े अंधेरो होये।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ