"अपररूपता": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो मैंने यहां पर कार्बन के नए ख़ोजे हुए अपररूप का विस्तृत वर्णन किया है।
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो Chota Bhiya (Talk) के संपादनों को हटाकर Hunnjazal के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 6: पंक्ति 6:


== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==
[https://neturalgyan.blogspot.com/2019/03/what-is-Q-carbon.html?m=1 Q-carbon है, कार्बन का नया अपररूप।]

* http://www.physics.uoguelph.ca/summer/scor/articles/scor40.htm
* http://www.physics.uoguelph.ca/summer/scor/articles/scor40.htm
* http://www.chemistryexplained.com/A-Ar/Allotropes.html
* http://www.chemistryexplained.com/A-Ar/Allotropes.html

04:05, 8 मार्च 2019 का अवतरण

हीरा और ग्रेफाइट, कार्बन के दो प्रमुख अपरूप हैं ; ये दोनो एक ही तत्व के शुद्ध रूप होने के बावजूद, संरचना में अलग-अलग होते हैं।

जब एक ही तत्व कई रूपों में मिलता है तो तत्व के इस गुण को अपरूपता (एलॉट्रोपी) कहते हैं और उसके विभिन्न रूपों को उस तत्व का घन संरचना (austenite)अपरूप कहते हैं। जैसे कार्बन के विभिन्न अपरूप हीरा (डायमंड), ग्रेफाइट, कोयला (कोल), कोक, चारकोल या काष्ठकोयला, अस्थिकोयला (बोनब्लैक), काजल, कार्बन ब्लैक, गैस कार्बन और पेट्रोलियम कोक, तथा चीनी कोयला, इत्यादि हैं। कार्बन के अतिरिक्त आक्सीजन, गंधक, फॉस्फोरस आदि भी अपरूपों में पाए जाते हैं। अपरूप एक ही तत्व के विभिन्न संरचनात्मक रूप हैं और काफी अलग भौतिक गुणों और रासायनिक व्यवहार का प्रदर्शन कर सकते हैं। बहुरूपी रूपों के बीच परिवर्तन कुछ विशेष कारकों अर्थात दाब, प्रकाश व ताप के प्रभाव से शुरू होता है। इसलिए, विशेष अपरूपों की स्थिरता विशेष परिस्थितियों पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, काय केंद्रित घन संरचना (फेराइट) से लोहे का परिवर्तन कर फलक केंद्रित घन संरचना (ऑस्टेनाइट) मे करने के लिए 906 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और टिन का परिवर्तन धात्विक टिन से अर्धचालक टिन मे करने के लिए उसे 13.2 डिग्री सेल्सियस से नीचे लाना पड़ता है। विभिन्न रासायनिक व्यवहार वाले अपरूपों का एक उदाहरण ओजोन (O3) है जो अपने अपरूप डाई आक्सीजन(O2) की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली ऑक्सीकारक है।

बाहरी कड़ियाँ