"जीवन": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो 2405:204:E70A:F257:C5D6:4C3A:247:6B9E (Talk) के संपादनों को हटाकर Hindustanilanguage के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
छो लेख में चार नयी पंक्तियाँ जोड़ी गयी हैं
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{सन्दूक हिन्दु धर्म}}
{{सन्दूक हिन्दु धर्म}}
हमारे [[जन्म]] से [[मृत्यु]] के बीच की अवधि ही '''जीवन''' कहलाती है। लेकिन हमारा जन्म क्या हमारी इच्छा से होता है? नहीं, यह तो मात्र नर और मादा के संभोग का
हमारे [[जन्म]] से [[मृत्यु]] के बीच की कालावधि ही '''जीवन''' कहलाती है। लेकिन हमारा जन्म क्या हमारी इच्छा से होता है? नहीं, यह तो मात्र नर और मादा के संभोग का
परिणाम होता है जो [[प्रकृति]] के नियम के अंतर्गत है। इसके अतिरिक्त जीवन का मुख्य अंग एक [[चेतन तत्त्व]] है जो जीवन की सभी क्रियाओं का साक्षी होता है।
परिणाम होता है जो [[प्रकृति]] के नियम के अंतर्गत है। इसके अतिरिक्त जीवन का मुख्य अंग एक [[चेतन तत्त्व]] है जो जीवन की सभी क्रियाओं का साक्षी होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीवन का तात्पर्य अस्तित्व की उस अवस्था से है जिसमे वस्तु या प्राणी के अन्दर चेष्टा, उन्नति और वृद्धि के लक्षण दिखायी दें। अगर कोई वस्तु चेष्टारहित है तो फिर उसे सजीव या जीवनयुक्त नहीं माना जाता है। दार्शनिकों के अनुसार जीवन का संबंध जीने से है, सिर्फ अस्तित्व का विद्यमान होना ही जीवन का चिन्ह नहीं है।

अभी तक जीवन की कोई सारगर्भित और व्यापक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं दी गयी है, लेकिन ज्यादातर परिभाषाएँ इसी महत्वपूर्ण तथ्य के इर्द-गिर्ध घूमती हैं कि "जीवन वह दशा है जो पशुओं, पौधों और दूसरे जीवित प्राणियों को अकार्बनिक और कृत्रिम चीजों से अलग करती है और जिसे सतत चलती रहने वाली चयापचय की क्रिया और वृद्धि की विशेष सामर्थ्य से पहचाना जाता है।"



==सन्दर्भ==
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
{{टिप्पणीसूची}}
[[श्रेणी:जीवन]]
[[श्रेणी:जीवन]]


== बाहरी कड़ियाँ ==

* [https://www.jivansutra.com/quotes/life-quotes-in-hindi/ जीवन पर प्रेरक और अनमोल विचार]

20:20, 7 फ़रवरी 2019 का अवतरण

इस संदूक को: देखें  संवाद  संपादन

हिन्दू धर्म
श्रेणी

Om
इतिहास · देवता
सम्प्रदाय · पूजा ·
आस्थादर्शन
पुनर्जन्म · मोक्ष
कर्म · माया
दर्शन · धर्म
वेदान्त ·योग
शाकाहार शाकम्भरी  · आयुर्वेद
युग · संस्कार
भक्ति {{हिन्दू दर्शन}}
ग्रन्थशास्त्र
वेदसंहिता · वेदांग
ब्राह्मणग्रन्थ · आरण्यक
उपनिषद् · श्रीमद्भगवद्गीता
रामायण · महाभारत
सूत्र · पुराण
विश्व में हिन्दू धर्म
गुरु · मन्दिर देवस्थान
यज्ञ · मन्त्र
हिन्दू पौराणिक कथाएँ  · हिन्दू पर्व
विग्रह
प्रवेशद्वार: हिन्दू धर्म

हिन्दू मापन प्रणाली

हमारे जन्म से मृत्यु के बीच की कालावधि ही जीवन कहलाती है। लेकिन हमारा जन्म क्या हमारी इच्छा से होता है? नहीं, यह तो मात्र नर और मादा के संभोग का परिणाम होता है जो प्रकृति के नियम के अंतर्गत है। इसके अतिरिक्त जीवन का मुख्य अंग एक चेतन तत्त्व है जो जीवन की सभी क्रियाओं का साक्षी होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीवन का तात्पर्य अस्तित्व की उस अवस्था से है जिसमे वस्तु या प्राणी के अन्दर चेष्टा, उन्नति और वृद्धि के लक्षण दिखायी दें। अगर कोई वस्तु चेष्टारहित है तो फिर उसे सजीव या जीवनयुक्त नहीं माना जाता है। दार्शनिकों के अनुसार जीवन का संबंध जीने से है, सिर्फ अस्तित्व का विद्यमान होना ही जीवन का चिन्ह नहीं है।

अभी तक जीवन की कोई सारगर्भित और व्यापक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं दी गयी है, लेकिन ज्यादातर परिभाषाएँ इसी महत्वपूर्ण तथ्य के इर्द-गिर्ध घूमती हैं कि "जीवन वह दशा है जो पशुओं, पौधों और दूसरे जीवित प्राणियों को अकार्बनिक और कृत्रिम चीजों से अलग करती है और जिसे सतत चलती रहने वाली चयापचय की क्रिया और वृद्धि की विशेष सामर्थ्य से पहचाना जाता है।"


सन्दर्भ


बाहरी कड़ियाँ