"दीपक राग": अवतरणों में अंतर
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'''दीपक राग''' भारतीय संस्कृति में प्रचलित विभिन्न संगीत शैलियों में से एक राग शैली |
'''दीपक राग''' भारतीय संस्कृति में प्रचलित विभिन्न संगीत शैलियों में से एक राग शैली है।2015, 09:11 AM IST |
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'''ग्वालियर।''' बादशाह अकबर की जिद पर तानसेन ने दीपक राग गया तो न सिर्फ दीपक अपने आप जल उठे, बल्कि आसपास का माहौल भी तपने लगा। इस राग के असर से खुद तानसेन का शरीर भी भयानक रूप से गर्म होने लगा। उनकी बेटियों ने राग मेघ मल्हार गाकर उस वक्त उनके जीवन की रक्षा की, लेकिन 80 साल के बुजुर्ग तानसेन उसके बाद कभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सके, आखिरकार वही ज्वर फिर उभरा और 83 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में हर साल मनाया जाने वाला संगीत समारोह 23 दिसंबर से ग्वालियर में शुरू हो गया है। इसलिए dainikbhaskar.com तानसेन की जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं को उजागर कर रहा है। '''जलने वालों ने उकसाया था अकबर को''' तानसेन अपने उत्कर्ष पर पहुंचे तो अकबर के नवरत्नों में शामिल कर लिए गए। बादशाह अकबर तानसेन के संगीत के ऐसा मुरीद हुए कि उनकी हर बात मानने लगे। बादशाह पर तानसेन का ऐसा प्रभाव देख कर दूसरे दरबारी गायक जलने लगे। एक दिन जलने वालों ने तानसेन के विनाश की योजना बना डाली। इन सबने बादशाह अकबर से तानसेन से 'दीपक' राग गवाए जाने की प्रार्थना की। अकबर को बताया गया कि इस राग को तानसेन के अलावा और कोई ठीक-ठीक नहीं गा सकता। बादशाह राज़ी हो गए, और तानसेन को दीपक राग गाने की आज्ञा दी। तानसेन ने इस राग का अनिष्टकारक परिणाम बताए गाने से मना किया, फिर भी अकबर का राजहठ नहीं टला, और तानसेन को दीपक राग गाना ही पड़ा। '''दीपक राग से जब उठे तानसेन भी''' राग जैसे-ही शुरू हुआ, गर्मी बढ़ी व धीरे-धीरे वायुमंडल अग्निमय हो गया। सुनने वाले अपने-अपने प्राण बचाने को इधर-उधर छिप गए, किंतु तानसेन का शरीर अग्नि की ज्वाला से दहक उठा। ऐसी हालत में तानसेन अपने घर भागे, वहाँ उनकी बेटियों ने मेघ मल्हार गाकर उनके जीवन की रक्षा की। इस घटना के कई महीनों बाद बाद तानसेन का शरीर स्वस्थ हुआ। शरीर के अंदर ज्वर बैठ गया था। आखिरकार वह ज्वर फिर उभर आया, और फ़रवरी, 1585 में इसी ज्वर ने उनकी जान ले ली। '''आगे की स्लाइड्स में संबंधित फोटोज....''' |
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19:07, 14 जनवरी 2019 का अवतरण
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दीपक राग भारतीय संस्कृति में प्रचलित विभिन्न संगीत शैलियों में से एक राग शैली है।2015, 09:11 AM IST
ग्वालियर। बादशाह अकबर की जिद पर तानसेन ने दीपक राग गया तो न सिर्फ दीपक अपने आप जल उठे, बल्कि आसपास का माहौल भी तपने लगा। इस राग के असर से खुद तानसेन का शरीर भी भयानक रूप से गर्म होने लगा। उनकी बेटियों ने राग मेघ मल्हार गाकर उस वक्त उनके जीवन की रक्षा की, लेकिन 80 साल के बुजुर्ग तानसेन उसके बाद कभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सके, आखिरकार वही ज्वर फिर उभरा और 83 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में हर साल मनाया जाने वाला संगीत समारोह 23 दिसंबर से ग्वालियर में शुरू हो गया है। इसलिए dainikbhaskar.com तानसेन की जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं को उजागर कर रहा है। जलने वालों ने उकसाया था अकबर को तानसेन अपने उत्कर्ष पर पहुंचे तो अकबर के नवरत्नों में शामिल कर लिए गए। बादशाह अकबर तानसेन के संगीत के ऐसा मुरीद हुए कि उनकी हर बात मानने लगे। बादशाह पर तानसेन का ऐसा प्रभाव देख कर दूसरे दरबारी गायक जलने लगे। एक दिन जलने वालों ने तानसेन के विनाश की योजना बना डाली। इन सबने बादशाह अकबर से तानसेन से 'दीपक' राग गवाए जाने की प्रार्थना की। अकबर को बताया गया कि इस राग को तानसेन के अलावा और कोई ठीक-ठीक नहीं गा सकता। बादशाह राज़ी हो गए, और तानसेन को दीपक राग गाने की आज्ञा दी। तानसेन ने इस राग का अनिष्टकारक परिणाम बताए गाने से मना किया, फिर भी अकबर का राजहठ नहीं टला, और तानसेन को दीपक राग गाना ही पड़ा। दीपक राग से जब उठे तानसेन भी राग जैसे-ही शुरू हुआ, गर्मी बढ़ी व धीरे-धीरे वायुमंडल अग्निमय हो गया। सुनने वाले अपने-अपने प्राण बचाने को इधर-उधर छिप गए, किंतु तानसेन का शरीर अग्नि की ज्वाला से दहक उठा। ऐसी हालत में तानसेन अपने घर भागे, वहाँ उनकी बेटियों ने मेघ मल्हार गाकर उनके जीवन की रक्षा की। इस घटना के कई महीनों बाद बाद तानसेन का शरीर स्वस्थ हुआ। शरीर के अंदर ज्वर बैठ गया था। आखिरकार वह ज्वर फिर उभर आया, और फ़रवरी, 1585 में इसी ज्वर ने उनकी जान ले ली। आगे की स्लाइड्स में संबंधित फोटोज....