"शान (फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
जानकारी जोड़ी |
छो साँचा जोड़ा AWB के साथ |
||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
| budget = |
| budget = |
||
}} |
}} |
||
'''शान''' 1980 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन थ्रिलर फ़िल्म है। इसको [[रमेश सिप्पी]] ने निर्देशित किया और [[सलीम ख़ान|सलीम]]—[[जावेद अख्तर|जावेद]] द्वारा कहानी लिखी गई। |
'''शान''' 1980 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन थ्रिलर फ़िल्म है। इसको [[रमेश सिप्पी]] ने निर्देशित किया और [[सलीम ख़ान|सलीम]]—[[जावेद अख्तर|जावेद]] द्वारा कहानी लिखी गई। |
||
== संक्षेप == |
== संक्षेप == |
||
डीसीपी शिव कुमार ([[सुनील दत्त]]) अपने घर वापस आ जाता है और अपनी पत्नी, शीतल (राखी गुलजार) और अपनी बेटी को बताता है कि उसका तबादला बॉम्बे शहर में हो चुका है। उसके दो भाई, विजय ([[अमिताभ बच्चन]]) और रवि ([[शशि कपूर]]) हैं, जो बॉम्बे में ही रहते हैं। शहर में एक अनजान व्यक्ति ([[शत्रुघन सिन्हा]]) उसे दो बार मारने की कोशिश करता है, पर दोनों बार वो बच जाता है। |
डीसीपी शिव कुमार ([[सुनील दत्त]]) अपने घर वापस आ जाता है और अपनी पत्नी, शीतल (राखी गुलजार) और अपनी बेटी को बताता है कि उसका तबादला बॉम्बे शहर में हो चुका है। उसके दो भाई, विजय ([[अमिताभ बच्चन]]) और रवि ([[शशि कपूर]]) हैं, जो बॉम्बे में ही रहते हैं। शहर में एक अनजान व्यक्ति ([[शत्रुघन सिन्हा]]) उसे दो बार मारने की कोशिश करता है, पर दोनों बार वो बच जाता है। |
||
शाकाल ([[कुलभूषण खरबंदा]]) एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी होता है, जो भारत के बाहर किसी द्वीप से सारे कारोबार पर नियंत्रण रखता है। शिव हर में होने वाले कई सारे अपराधों के जड़ के पास पहुँच जाता है। शाकाल उसकी तारीफ करता है, और अपने साथ शामिल होने की पेशकश करता है, पर शिव इस पेशकश को ठुकरा देता है। जिसके बाद शाकाल उसे मारने की कोशिश करता है और उसकी गोली मार कर हत्या कर देता है। |
शाकाल ([[कुलभूषण खरबंदा]]) एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी होता है, जो भारत के बाहर किसी द्वीप से सारे कारोबार पर नियंत्रण रखता है। शिव हर में होने वाले कई सारे अपराधों के जड़ के पास पहुँच जाता है। शाकाल उसकी तारीफ करता है, और अपने साथ शामिल होने की पेशकश करता है, पर शिव इस पेशकश को ठुकरा देता है। जिसके बाद शाकाल उसे मारने की कोशिश करता है और उसकी गोली मार कर हत्या कर देता है। |
||
विजय, रवि और शीतल इस दुःख से निकले भी नहीं होते हैं कि उन्हें वो अनजान व्यक्ति दिखता है, जो शिव को मारने की कोशिश कर रहा था। शीतल उसे पहचान जाती है। वो अपना नाम राकेश बताता है, जो पहले सर्कस में आँख बंद कर निशाना लगाने का काम करता था। वो बताता है कि उसकी पत्नी को शाकाल ने अपहरण कर लिया था और उसके बदले में शिव को मारने के लिए कहा था। |
विजय, रवि और शीतल इस दुःख से निकले भी नहीं होते हैं कि उन्हें वो अनजान व्यक्ति दिखता है, जो शिव को मारने की कोशिश कर रहा था। शीतल उसे पहचान जाती है। वो अपना नाम राकेश बताता है, जो पहले सर्कस में आँख बंद कर निशाना लगाने का काम करता था। वो बताता है कि उसकी पत्नी को शाकाल ने अपहरण कर लिया था और उसके बदले में शिव को मारने के लिए कहा था। |
||
राकेश अपनी गलती मानता है और कहता है कि उसने दो बार मारने की कोशिश किया था, पर वो जानबूझकर उसे नहीं मारा, ताकि उसकी पत्नी को बचाने के लिए उसे कुछ समय मिल जाये। लेकिन शाकाल को जब ये पता चला तो उसने उसकी पत्नी की हत्या कर दी। राकेश उन से साथ काम कर शाकाल को मिटाने में साथ देने को कहता है। वे तीनों अब्दुल (मज़्हार खान) की मदद से शाकाल के एक गोदाम को उड़ा देते हैं। शाकाल को जब ये पता चलता है तो वो अपने आदमियों से अब्दुल को मरवा देता है और शीतल का अपहरण कर अपने द्वीप में ले आता है। |
राकेश अपनी गलती मानता है और कहता है कि उसने दो बार मारने की कोशिश किया था, पर वो जानबूझकर उसे नहीं मारा, ताकि उसकी पत्नी को बचाने के लिए उसे कुछ समय मिल जाये। लेकिन शाकाल को जब ये पता चला तो उसने उसकी पत्नी की हत्या कर दी। राकेश उन से साथ काम कर शाकाल को मिटाने में साथ देने को कहता है। वे तीनों अब्दुल (मज़्हार खान) की मदद से शाकाल के एक गोदाम को उड़ा देते हैं। शाकाल को जब ये पता चलता है तो वो अपने आदमियों से अब्दुल को मरवा देता है और शीतल का अपहरण कर अपने द्वीप में ले आता है। |
||
विजय, रवि और राकेश को पता चलता है कि शीतल को कभी भी वो मार सकता है, पर शाकल के द्वीप का उनके पास कोई सुराग तक नहीं है। जगमोहन, जो पहले शाकाल के लिए काम करता था, वो उनकी मदद करता है और वे लोग शाकाल के अड्डे तक आ जाते हैं। वे लोग गाना बजाने वाली मंडली के रूप में द्वीप में आते हैं। उन्हें पता चलता है कि जगमोहन ने झूठ कहा था और ये उसकी और शाकाल की चाल थी। उन सभी को बंदी बना लिया जाता है। वे लोग एक दूसरे की मदद से भागने में सफल हो जाते हैं और शाकाल को को बंदी बना लेते हैं। बाद में वे लोग हेलीकोप्टर की मदद से वहाँ से सुरक्षित बाहर आ जाते हैं। |
विजय, रवि और राकेश को पता चलता है कि शीतल को कभी भी वो मार सकता है, पर शाकल के द्वीप का उनके पास कोई सुराग तक नहीं है। जगमोहन, जो पहले शाकाल के लिए काम करता था, वो उनकी मदद करता है और वे लोग शाकाल के अड्डे तक आ जाते हैं। वे लोग गाना बजाने वाली मंडली के रूप में द्वीप में आते हैं। उन्हें पता चलता है कि जगमोहन ने झूठ कहा था और ये उसकी और शाकाल की चाल थी। उन सभी को बंदी बना लिया जाता है। वे लोग एक दूसरे की मदद से भागने में सफल हो जाते हैं और शाकाल को को बंदी बना लेते हैं। बाद में वे लोग हेलीकोप्टर की मदद से वहाँ से सुरक्षित बाहर आ जाते हैं। |
||
पंक्ति 57: | पंक्ति 57: | ||
| title1 = जानू मेरी जान मैं तेरे कुर्बान |
| title1 = जानू मेरी जान मैं तेरे कुर्बान |
||
| extra1 = [[किशोर कुमार]], [[मोहम्मद रफ़ी]], [[आशा भोंसले]], [[उषा मंगेशकर]] |
| extra1 = [[किशोर कुमार]], [[मोहम्मद रफ़ी]], [[आशा भोंसले]], [[उषा मंगेशकर]] |
||
| length1 = 7:06 |
| length1 = 7:06 |
||
| title2 = यम्मा यम्मा ये खूबसूरत समाँ |
| title2 = यम्मा यम्मा ये खूबसूरत समाँ |
||
| extra2 = आर॰ डी॰ बर्मन, मोहम्मद रफ़ी |
| extra2 = आर॰ डी॰ बर्मन, मोहम्मद रफ़ी |
||
| length2 = 5:41 |
| length2 = 5:41 |
||
| title3 = प्यार करने वाले प्यार करते हैं |
| title3 = प्यार करने वाले प्यार करते हैं |
||
| extra3 = आशा भोंसले |
| extra3 = आशा भोंसले |
||
| length3 = 6:00 |
| length3 = 6:00 |
||
| title4 = दोस्तों से प्यार किया |
| title4 = दोस्तों से प्यार किया |
||
| extra4 = [[उषा उथुप]] |
| extra4 = [[उषा उथुप]] |
||
| length4 = 3:19 |
| length4 = 3:19 |
||
| title5 = तेरे लिया जीना तेरे लिये मरना |
| title5 = तेरे लिया जीना तेरे लिये मरना |
||
| extra5 = आशा भोंसले, [[लता मंगेशकर]] |
| extra5 = आशा भोंसले, [[लता मंगेशकर]] |
||
| length5 = 7:10 |
| length5 = 7:10 |
||
| title6 = दरिया में जहाज चलें |
| title6 = दरिया में जहाज चलें |
||
| extra6 = आशा भोंसले, किशोर कुमार, उषा मंगेशकर |
| extra6 = आशा भोंसले, किशोर कुमार, उषा मंगेशकर |
||
| length6 = 6:46 |
| length6 = 6:46 |
||
| title7 = नाम अब्दुल है मेरा |
| title7 = नाम अब्दुल है मेरा |
||
पंक्ति 99: | पंक्ति 99: | ||
== बाहरी कड़ियाँ == |
== बाहरी कड़ियाँ == |
||
* {{imdb title|0081491|शान}} |
* {{imdb title|0081491|शान}} |
||
{{रमेश सिप्पी}} |
|||
[[श्रेणी:1980 में बनी हिन्दी फ़िल्म]] |
[[श्रेणी:1980 में बनी हिन्दी फ़िल्म]] |
10:21, 29 दिसम्बर 2018 का अवतरण
शान | |
---|---|
शान का पोस्टर | |
निर्देशक | रमेश सिप्पी |
लेखक | सलीम—जावेद |
निर्माता | जी॰ पी॰ सिप्पी |
अभिनेता |
अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, परवीन बॉबी, बिन्दिया गोस्वामी, शत्रुघन सिन्हा, सुनील दत्त, कुलभूषण खरबंदा, राखी गुलज़ार |
संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
12 दिसंबर, 1980 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
शान 1980 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन थ्रिलर फ़िल्म है। इसको रमेश सिप्पी ने निर्देशित किया और सलीम—जावेद द्वारा कहानी लिखी गई।
संक्षेप
डीसीपी शिव कुमार (सुनील दत्त) अपने घर वापस आ जाता है और अपनी पत्नी, शीतल (राखी गुलजार) और अपनी बेटी को बताता है कि उसका तबादला बॉम्बे शहर में हो चुका है। उसके दो भाई, विजय (अमिताभ बच्चन) और रवि (शशि कपूर) हैं, जो बॉम्बे में ही रहते हैं। शहर में एक अनजान व्यक्ति (शत्रुघन सिन्हा) उसे दो बार मारने की कोशिश करता है, पर दोनों बार वो बच जाता है।
शाकाल (कुलभूषण खरबंदा) एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी होता है, जो भारत के बाहर किसी द्वीप से सारे कारोबार पर नियंत्रण रखता है। शिव हर में होने वाले कई सारे अपराधों के जड़ के पास पहुँच जाता है। शाकाल उसकी तारीफ करता है, और अपने साथ शामिल होने की पेशकश करता है, पर शिव इस पेशकश को ठुकरा देता है। जिसके बाद शाकाल उसे मारने की कोशिश करता है और उसकी गोली मार कर हत्या कर देता है।
विजय, रवि और शीतल इस दुःख से निकले भी नहीं होते हैं कि उन्हें वो अनजान व्यक्ति दिखता है, जो शिव को मारने की कोशिश कर रहा था। शीतल उसे पहचान जाती है। वो अपना नाम राकेश बताता है, जो पहले सर्कस में आँख बंद कर निशाना लगाने का काम करता था। वो बताता है कि उसकी पत्नी को शाकाल ने अपहरण कर लिया था और उसके बदले में शिव को मारने के लिए कहा था।
राकेश अपनी गलती मानता है और कहता है कि उसने दो बार मारने की कोशिश किया था, पर वो जानबूझकर उसे नहीं मारा, ताकि उसकी पत्नी को बचाने के लिए उसे कुछ समय मिल जाये। लेकिन शाकाल को जब ये पता चला तो उसने उसकी पत्नी की हत्या कर दी। राकेश उन से साथ काम कर शाकाल को मिटाने में साथ देने को कहता है। वे तीनों अब्दुल (मज़्हार खान) की मदद से शाकाल के एक गोदाम को उड़ा देते हैं। शाकाल को जब ये पता चलता है तो वो अपने आदमियों से अब्दुल को मरवा देता है और शीतल का अपहरण कर अपने द्वीप में ले आता है।
विजय, रवि और राकेश को पता चलता है कि शीतल को कभी भी वो मार सकता है, पर शाकल के द्वीप का उनके पास कोई सुराग तक नहीं है। जगमोहन, जो पहले शाकाल के लिए काम करता था, वो उनकी मदद करता है और वे लोग शाकाल के अड्डे तक आ जाते हैं। वे लोग गाना बजाने वाली मंडली के रूप में द्वीप में आते हैं। उन्हें पता चलता है कि जगमोहन ने झूठ कहा था और ये उसकी और शाकाल की चाल थी। उन सभी को बंदी बना लिया जाता है। वे लोग एक दूसरे की मदद से भागने में सफल हो जाते हैं और शाकाल को को बंदी बना लेते हैं। बाद में वे लोग हेलीकोप्टर की मदद से वहाँ से सुरक्षित बाहर आ जाते हैं।
मुख्य कलाकार
- अमिताभ बच्चन — विजय कुमार
- शशि कपूर — रवि कुमार
- शत्रुघन सिन्हा — राकेश
- सुनील दत्त — डी एस पी शिव कुमार
- कुलभूषण खरबंदा — शाकाल
- राखी गुलज़ार — शीतल कुमार
- परवीन बॉबी — सुनीता
- बिन्दिया गोस्वामी — रेनू
- जॉनी वॉकर — चाचा
- मज़हर ख़ान — अब्दुल
- हेलन — अतिथि भूमिका
- बिन्दू — अतिथि भूमिका
- पदमिनी कपिला — रोमा
- सुजीत कुमार — अतिथि भूमिका
- गोगा कपूर — शाकाल का आदमी
- सुधीर पांडे — तिवारी
- युनुस परवेज़ — होटल मैने्जर
- शरत सक्सेना — शाकाल का आदमी
- सुधीर — रंजीत
- दलीप ताहिल — कुमार
संगीत
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
---|---|---|---|
1. | "जानू मेरी जान मैं तेरे कुर्बान" | किशोर कुमार, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर | 7:06 |
2. | "यम्मा यम्मा ये खूबसूरत समाँ" | आर॰ डी॰ बर्मन, मोहम्मद रफ़ी | 5:41 |
3. | "प्यार करने वाले प्यार करते हैं" | आशा भोंसले | 6:00 |
4. | "दोस्तों से प्यार किया" | उषा उथुप | 3:19 |
5. | "तेरे लिया जीना तेरे लिये मरना" | आशा भोंसले, लता मंगेशकर | 7:10 |
6. | "दरिया में जहाज चलें" | आशा भोंसले, किशोर कुमार, उषा मंगेशकर | 6:46 |
7. | "नाम अब्दुल है मेरा" | मोहम्मद रफ़ी | 5:08 |
नामांकन और पुरस्कार
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
---|---|---|---|
1981 | एस॰ एम॰ अनवर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ छायाकार पुरस्कार | जीत |
आर॰ डी॰ बर्मन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | नामित |