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अजय शर्मा ([[शाहरुख खान]]) एक जवान लड़का है जो अपने पिता की मौत के लिए बदला लेना चाहता है। उसके पिता के भरोसेमंद कर्मचारी मदन चोपड़ा ([[दलीप ताहिल]]) ने उन्हें धोखा दिया था और उनकी सारी जायादाद छीन ली थी। इस कारण उसकी नवजात बहन मर गई, पिता चल बसे और माँ पागल हो गई। चोपड़ा की दो बेटियाँ है, बड़ी सीमा ([[शिल्पा शेट्टी]]) और छोटी प्रिया ([[काजोल]])।
अजय शर्मा ([[शाहरुख खान]]) एक जवान लड़का है जो अपने पिता की मौत के लिए बदला लेना चाहता है। उसके पिता के भरोसेमंद कर्मचारी मदन चोपड़ा ([[दलीप ताहिल]]) ने उन्हें धोखा दिया था और उनकी सारी जायादाद छीन ली थी। इस कारण उसकी नवजात बहन मर गई, पिता चल बसे और माँ पागल हो गई। चोपड़ा की दो बेटियाँ है, बड़ी सीमा ([[शिल्पा शेट्टी]]) और छोटी प्रिया ([[काजोल]])।


अजय सीमा को लुभाता है और उससे प्यार करने का नाटक करता है। इस बीच, छोटी बेटी प्रिया मद्रास (अब चेन्नई) में अपने पिता मदन चोपड़ा के साथ यात्रा करती है। अजय प्रिया को वहाँ विकि मल्होत्रा बनकर आकर्षित करता है। इस तरह, वह अलग-अलग पहचानों का उपयोग करते हुए सीमा और प्रिया दोनों को फँसाता है। फिर वह सीमा को शादी करने के बहाने रजिस्ट्रार कार्यालय में ले जाता है और उसे छत से नीचे फेंक देता है। वो ये ऐसे करता है कि जैसे उसने आत्महत्या की हो। हालाँकि, प्रिया को संदेह है उसकी बहन ने आत्महत्या नहीं की है। वह अपने कॉलेज के मित्र और पुलिस निरीक्षक करण सक्सेना ([[सिद्धार्थ रे]]) के साथ गुप्त रूप से इस मामले की जाँच करती है। सीमा के कॉलेज के दोस्त रवि को जन्मदिन की पार्टी में सीमा और अजय की एक साथ ली गई तस्वीर मिलती है। जब अजय को इस बारे में पता चलता है, तो वह रवि की हत्या कर देता है और उसे एक सुसाइड नोट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करता है। इससे ऐसा लगता है जैसे रवि सीमा का हत्यारा था। इस प्रकार दूसरी बार जाँच रुकी जाती है। अजय धीरे-धीरे चोपड़ा का विश्वास जीत लेता है।
अजय सीमा को लुभाता है और उससे प्यार करने का नाटक करता है। इस बीच, छोटी बेटी प्रिया मद्रास (अब चेन्नई) में अपने पिता मदन चोपड़ा के साथ यात्रा करती है। अजय प्रिया को वहाँ विकि मल्होत्रा बनकर आकर्षित करता है। इस तरह, वह अलग-अलग पहचानों का उपयोग करते हुए सीमा और प्रिया दोनों को फँसाता है। फिर वह सीमा को शादी करने के बहाने रजिस्ट्रार कार्यालय में ले जाता है और उसे छत से नीचे फेंक देता है। वो ये ऐसे करता है कि जैसे उसने आत्महत्या की हो। हालाँकि, प्रिया को संदेह है उसकी बहन ने आत्महत्या नहीं की है। वह अपने कॉलेज के मित्र और पुलिस निरीक्षक करण सक्सेना ([[सिद्धार्थ रे]]) के साथ गुप्त रूप से इस मामले की जाँच करती है। सीमा के कॉलेज के दोस्त रवि को जन्मदिन की पार्टी में सीमा और अजय की एक साथ ली गई तस्वीर मिल जाती है। जब अजय को इस बारे में पता चलता है, तो वह रवि की हत्या कर देता है और उसे एक सुसाइड नोट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करता है। इससे ऐसा लगता है जैसे रवि सीमा का हत्यारा था। इस प्रकार दूसरी बार जाँच रुक जाती है। अजय धीरे-धीरे मदन चोपड़ा का विश्वास जीत लेता है।


जल्द ही विकी और प्रिया शादी की योजना बना रहे हैं। सीमा की सहेली अंजलि ([[रेशम टिपनिस]]) ने कॉलेज के दिनों से अजय की एक तस्वीर को देख लिया। अंजलि अजय की सगाई के दौरान चोपड़ा निवास में फोन करती है। अजय उस फोन को उठा लेता है और प्रिया को मार देता है। इंस्पेक्टर करण को पता चलता है कि कातिल अभी भी जिंदा है। अजय अपनी योजना में एक गड़बड़ कर देता है। प्रिया असली विकी मल्होत्रा ​​(आदि ईरानी) से मिलती है, जो अजय का दोस्त है जिसकी पहचान उसने ली थी। प्रिया विकि से अजय की असली पहचान का पता लगाती है और वह [[पनवेल]] में अजय के घर पहुँच जाती है। अजय घर आता है और अपनी कहानी बताता है और प्रिया को पता चलता है कि यह उसके पिता ही गलत किये हैं। तभी मदन आता है और अजय के बाँह में गोली मारता है और उसके गुंडों उसकी पिटाई करते हैं। जब उसकी माँ हस्तक्षेप करने की कोशिश करती है, तो मदन उसे घायल कर देता है। इससे अजय को गुस्सा आ जाता है और बदले में उसे चाकू मार देता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। वह अपनी मां के पास लौटता है और उसकी बाहों में गिर जाता है। प्रिया और करण निराशाजनक रूप से देखते हैं क्योंकि अजय अपनी मां की बाहों में मर जाता है।
जल्द ही विकी और प्रिया शादी की योजना बना रहे होते हैं। इस बीच सीमा की सहेली अंजलि ([[रेशम टिपनिस]]) ने कॉलेज के दिनों में से अजय की एक तस्वीर को देख लिया। अंजलि अजय की सगाई के दौरान चोपड़ा निवास में फोन करती है। अजय उस फोन को उठा लेता है और प्रिया को मार देता है। इससे इंस्पेक्टर करण को पता चलता है कि कातिल अभी भी जिंदा है। अजय अपनी योजना में एक गड़बड़ कर देता है। प्रिया असली विकी मल्होत्रा ​​(आदि ईरानी) से मिलती है, जो अजय का दोस्त है जिसकी पहचान उसने ली थी। प्रिया विकि से अजय की असली पहचान का पता लगाती है और वह [[पनवेल]] में अजय के घर पहुँच जाती है। अजय घर आता है और अपनी कहानी बताता है और प्रिया को पता चलता है कि उसके पिता ही गलत किये हैं। तभी मदन आता है और अजय के बाँह में गोली मार देता है और उसके गुंडे उसकी पिटाई करते हैं। जब उसकी माँ हस्तक्षेप करने की कोशिश करती है, तो मदन उसे घायल कर देता है। इससे अजय को गुस्सा आ जाता है और बदले में वो उसे चाकू मार देता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। वह अपनी मां के पास लौटता है और उसकी बाहों में गिर जाता है। प्रिया और करण निराशाजनक रूप से देखते हैं क्योंकि अजय अपनी मां की बाहों में मर जाता है।


== मुख्य कलाकार ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
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[[श्रेणी:1993 में बनी हिन्दी फ़िल्म]]
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07:05, 27 दिसम्बर 2018 का अवतरण

बाज़ीगर

बाज़ीगर का पोस्टर
निर्देशक अब्बास-मस्तान
लेखक रोबिन भट्ट,
आकाश खुराना,
जावेद सिद्दीकी
निर्माता गणेश जैन
अभिनेता शाहरुख़ ख़ान,
काजोल देवगन,
शिल्पा शेट्टी,
राखी गुलज़ार,
दलीप ताहिल
संगीतकार अनु मलिक
प्रदर्शन तिथि
12 नवंबर 1993
देश भारत
भाषा हिन्दी

बाज़ीगर 1993 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन अब्बास-मस्तान ने किया और मुख्य भूमिकाओं में शाहरुख खान और काजोल है। यह शाहरुख खान की पहली सफल भूमिका थी जिसमें वो एकमात्र हीरो थे। यह काजोल की पहली व्यावसायिक सफल फिल्म भी थी। अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को गाता रहे मेरा दिल के साथ शुरुआत करनी थी, लेकिन वह फिल्म बीच में ही बंद हो गई और यह उनकी पहली फिल्म बन गई।[1] बाज़ीगर पहली फिल्म थी जिसमें शाहरुख खान ने खलनायक की भूमिका निभाई और पहली बार उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार अर्जित किया।[2]

संक्षेप

अजय शर्मा (शाहरुख खान) एक जवान लड़का है जो अपने पिता की मौत के लिए बदला लेना चाहता है। उसके पिता के भरोसेमंद कर्मचारी मदन चोपड़ा (दलीप ताहिल) ने उन्हें धोखा दिया था और उनकी सारी जायादाद छीन ली थी। इस कारण उसकी नवजात बहन मर गई, पिता चल बसे और माँ पागल हो गई। चोपड़ा की दो बेटियाँ है, बड़ी सीमा (शिल्पा शेट्टी) और छोटी प्रिया (काजोल)।

अजय सीमा को लुभाता है और उससे प्यार करने का नाटक करता है। इस बीच, छोटी बेटी प्रिया मद्रास (अब चेन्नई) में अपने पिता मदन चोपड़ा के साथ यात्रा करती है। अजय प्रिया को वहाँ विकि मल्होत्रा बनकर आकर्षित करता है। इस तरह, वह अलग-अलग पहचानों का उपयोग करते हुए सीमा और प्रिया दोनों को फँसाता है। फिर वह सीमा को शादी करने के बहाने रजिस्ट्रार कार्यालय में ले जाता है और उसे छत से नीचे फेंक देता है। वो ये ऐसे करता है कि जैसे उसने आत्महत्या की हो। हालाँकि, प्रिया को संदेह है उसकी बहन ने आत्महत्या नहीं की है। वह अपने कॉलेज के मित्र और पुलिस निरीक्षक करण सक्सेना (सिद्धार्थ रे) के साथ गुप्त रूप से इस मामले की जाँच करती है। सीमा के कॉलेज के दोस्त रवि को जन्मदिन की पार्टी में सीमा और अजय की एक साथ ली गई तस्वीर मिल जाती है। जब अजय को इस बारे में पता चलता है, तो वह रवि की हत्या कर देता है और उसे एक सुसाइड नोट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करता है। इससे ऐसा लगता है जैसे रवि सीमा का हत्यारा था। इस प्रकार दूसरी बार जाँच रुक जाती है। अजय धीरे-धीरे मदन चोपड़ा का विश्वास जीत लेता है।

जल्द ही विकी और प्रिया शादी की योजना बना रहे होते हैं। इस बीच सीमा की सहेली अंजलि (रेशम टिपनिस) ने कॉलेज के दिनों में से अजय की एक तस्वीर को देख लिया। अंजलि अजय की सगाई के दौरान चोपड़ा निवास में फोन करती है। अजय उस फोन को उठा लेता है और प्रिया को मार देता है। इससे इंस्पेक्टर करण को पता चलता है कि कातिल अभी भी जिंदा है। अजय अपनी योजना में एक गड़बड़ कर देता है। प्रिया असली विकी मल्होत्रा ​​(आदि ईरानी) से मिलती है, जो अजय का दोस्त है जिसकी पहचान उसने ली थी। प्रिया विकि से अजय की असली पहचान का पता लगाती है और वह पनवेल में अजय के घर पहुँच जाती है। अजय घर आता है और अपनी कहानी बताता है और प्रिया को पता चलता है कि उसके पिता ही गलत किये हैं। तभी मदन आता है और अजय के बाँह में गोली मार देता है और उसके गुंडे उसकी पिटाई करते हैं। जब उसकी माँ हस्तक्षेप करने की कोशिश करती है, तो मदन उसे घायल कर देता है। इससे अजय को गुस्सा आ जाता है और बदले में वो उसे चाकू मार देता है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। वह अपनी मां के पास लौटता है और उसकी बाहों में गिर जाता है। प्रिया और करण निराशाजनक रूप से देखते हैं क्योंकि अजय अपनी मां की बाहों में मर जाता है।

मुख्य कलाकार

संगीत

बाज़ीगर
संगीत अनु मलिक द्वारा
जारी 1993
संगीत शैली फिल्म साउंडट्रैक
लेबल वीनस म्यूज़िक
अनु मलिक कालक्रम

फूल और अंगार
(1993)
बाज़ीगर
(1993)
द जेंटलमैन
(1994)

सभी अनु मलिक द्वारा संगीतबद्ध।

क्र॰शीर्षकगीतकारगायकअवधि
1."बाज़ीगर ओ बाज़ीगर"नवाब आरज़ूअलका याज्ञनिक, कुमार सानु7:39
2."ऐ मेरे हमसफर"गौहर कानपुरीविनोद राठोड़, अलका याज्ञनिक7:30
3."समझ कर चाँद जिसको" (फ़िल्म में नहीं)ज़मीर काज़मीविनोद राठोड़, अलका याज्ञनिक8:54
4."छुपाना भी नहीं आता" (फ़िल्म में नहीं)रानी मलिकपंकज उधास5:31
5."किताबें बहुत सी"ज़फर गोरखपुरीआशा भोंसले, विनोद राठोड़6:31
6."छुपाना भी नहीं आता"रानी मलिकविनोद राठोड़7:00
7."ये काली काली आँखें"देव कोहलीकुमार सानु, अनु मलिक7:53
8."तेरे चेहरे पे" (फ़िल्म में नहीं)रानी मलिककुमार सानु, सोनाली वाजपेई7:31

नामांकन और पुरस्कार

वर्ष नामित कार्य पुरस्कार परिणाम
1994 गणेश जैन फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार नामित
शाहरुख ख़ान फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीत
शिल्पा शेट्टी फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार नामित
जॉनी लीवर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार नामित
रोबिन भट्ट, आकाश खुराना, जावेद सिद्दीकी फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पटकथा पुरस्कार जीत
अनु मलिक फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार जीत
देव कोहली ("ये काली काली आँखें") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार नामित
कुमार सानु ("ये काली काली आँखें") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार जीत
कुमार सानु ("बाज़ीगर ओ बाज़ीगर") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार नामित
अलका याज्ञिक ("बाज़ीगर ओ बाज़ीगर") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार नामित

सन्दर्भ

  1. "जिस फिल्म के टाइटल में 'किस' देखकर शिल्पा ने किया था इंकार, उसी मूवी ने बनाया सुपरहिट". पत्रिका. 28 मई 2018. अभिगमन तिथि 3 जून 2018.
  2. "बॉलीवुड का ऐसा नाम, हीरो बनकर फेल, विलेन बना तो सुपरहिट अब रोमांस किंग". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 3 जून 2018.

बाहरी कड़ियाँ