"तारकासुर": अवतरणों में अंतर
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| 2 || बरांगी || माता |
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| 3 || ताडकासुर/ |
| 3 || ताडकासुर/ तारकासुर /खापर मष्टोे/ ढँडारमष्टो /ढंडारमष्टो / /तेडीमष्टो || ५२ दलको धनि |
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|.. ||ताडकासुर/तारकासुर /खापर मष्टोे/ढंडारमष्टो / ढँडारमष्टो /तेडी मष्टो का जन्म स्थान || नेपालका बझांग जिल्ला का भाते खोला |
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|4 || खोजरनाथ मष्टो || सेना |
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|5|| अठौती मल्ल || सेना |
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| 6 || निमाउने || सेना |
| 6 || दाड़ेमष्टो/ निमाउने || सेना |
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| 7|| दुधिरखापर (बझाङ्ग छान्ना क्षेत्रमा)|| सेना |
| 7|| दुधिरखापर (बझाङ्ग छान्ना क्षेत्रमा)|| सेना |
21:54, 21 दिसम्बर 2018 का अवतरण
तारकासुर, वज्रांग नामक दैत्य का पुत्र और असुरों का अधिपति था।
पुराणों से ज्ञात होता है कि देवताओं को जीतने के लिये उसे घोर तपस्या की और असुरों पर राजत्व तथा शिवपुत्र के अतिरिक्त अन्य किसी भी व्यक्ति से न मारे जा सकने का ब्रह्मा का वरदान प्राप्त किया। परिणामस्वरूप वह अत्यंत दुर्दातं हो गया और देवतागण उसकी सेवा के लिये विवश हो गए। देवताओं ने भी ब्रह्मा की शरण ली और उन्होने उन्हें यह बताया कि तारकासुर का अंत शिव के पुत्र से ही हो सकेगा। देवताओं ने कामदेव और रति के सहारे पार्वती के माध्यम से शिव को वैवाहिक जीवन के प्रति आकृष्ट करने का प्रयत्न किया। शिव ने क्रुद्ध होकर काम को जला डाला। किंतु पार्वती ने आशा नहीं छोड़ी और रूपसम्मोहन के उपाय को व्यर्थ मानती हुई तपस्या में निरत होकर शिवप्राप्ति का उपाय शुरू कर दिया। शिव प्रसन्न हूए, पार्वती का पाणिग्रहण किया और उनसे कार्तिकेय (स्कंद) की उत्पत्ति हुई। स्कंद को देवताओं ने अपना सेनापति बनाया और देवासुरसंग्राम में उनके द्वारा तारकासुर का संहार हुआ। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव के दिये वरदान के कारण अधर्मी अत्यन्त शक्तिशाली बने वाला राक्षस ताडकासुर / तारकासुर जिसको बध कर्नेके लिए केदारनाथ (शिव) का वीर्य से उत्पन्न पुत्र कार्तिकेय (मोहन्याल) ने जनमा लिय था । कृतिकाओं के द्वारा लालन पालन होने के कारण कार्तिकेय नाम पड़ गया। कार्तिकेय ने बड़ा होकर राक्षस तारकासुर का संहार किया। नेपालमे तरकासुर को खपरे /खापरे कहते है । खपरेको कुलदेवताके रुप्मे पुज्ने को कार्तिकेय गण के देवता असुद्द मान्ते है । ताडकासुर /खापरे खस लोग का कुलदेवता है ।खापरे /तारकासुर दैत्य को मस्टो(मष्टो) कहते है इसका उद्गम स्थल नेपालका बझांग है । १२ प्रकारने मष्टो खस लोगोका कुलदेवता है । मष्टो का बडा भाइ दाँत से बकरा कट्ता है । मष्टो दो प्रकारके होते है एक दुध से पुजने वाला दुसरा रगत से पुजने वाला । ये सब तारकासुर गण के देवता है । कर्तिकेयपुर राज्य धोस्त कर्नेको लिए येही मष्टो तारकासुर देवता कुलदेवता मान्य वाला खस लोग दुल्लु ,जुम्ला, बझांग दैलेख ,कालिकोट से कार्तिकेयपुर गए थे । कत्युरी राजा और कत्युरी गण के देवताका युद्द यिनी खस लोगोसे कार्तिकेयपुर और डोटी मे हुइ थि ।
यिनकी पूजा बिधि / पुजाका दिन
तारकासुर इस गण के देवाताओ का पूजा पुर्णिमा का दिन , भाद्र अनन्त चतुर्दशी व मङ्सिर जेठ के पुर्णिमा का दिन , तान्त्रिक मान्त्रिक व बैदिक दुवै बिधि से होती है । दुधेमष्टो ने बुढी दुध सुकेकी औरत का दुध निकाल कर खाया था इसी कारण दुधेमष्टो नाम पडा है । दाडे मष्टो ६४ बकराका वलि खाता है । दुधेमष्टो बाहेक और मष्टो तामसी स्वभावका माँसाहारी है । धामी नाचाकर तान्त्रीक/मान्त्रीक विधिसे यिनका पूजन होती है । भेडाको वली खाने भेडो और घोडो साँण चढने वाला देवता बि इस गण मे बिध्यमान है ।
ये देवातौं का भूगोल
हिमालका आसपास का भूगोल और यिनका भूगोल खारिक्षेत्र, गुगे, छिपलाकोट, बझाँङ्ग, बाजुरा, अछाम, डोटी सेतीनदी आसपास तेले लेक उत्तर पूर्व, कालिकोट, जुम्ला, मुगु, हुम्ला, खप्तड, डोटी गडसिरा क्षेत्र है ।
कुलदेवता
तारकासुर गणका यिन देवताको नेपाल और भारत मे रहने वाला खस ब्राहमण , खस राजपुत , खस वैश्य व खस शुद्रो लोग अपना कुलदेवता मान्त्य है ।नेपालका इतिहास विदओ का मत अनुसार मष्टो कुलदेवता वाला सब खस लोग है ।
नेपालका इतिहास बिद्का लेख
- जातिय हिन्दूधर्म नमानेका कारण खसहरु जनै लगाउ“दैन्थे । काश्मिरतिर धेरै खसहरु मूसलमान, तिब्बत तिरका र पूर्वी नेपाल तिरका खशहरु बौद्ध र पश्चिमी नेपाल तथा कुमाऊँका खशहरु हिन्दू बाहुल्य बस्ती बीच बसेका कारणबाट हिन्दू धर्मलाई नै बिस्तारै अपनाउन पुगे । मनूले मनुस्मृतिमा खश जाति आर्यहरुबाट पतित क्षत्रिय भनेका छन् । यस जातिलाई ज्यादै तल्ला तहका क्षत्रियमा राखेकाछन् । मार्कण्डेय पुराणमा खशहरु नेपाल र स्वर्णभूमि (तिब्बत) को बीचमा बस्दथे भनिएको छ । वायुपुराण अनुसार खशहरुलाई राजा सगर नष्ट गर्न चाहन्थे तर वशिष्ठ ऋषिको कृपाले यी बचेको बताईन्छ । विष्णुपूराणमा खशजातिका मान्छेलाई यक्ष भनिएको छ । जुन त्यो वेलाका आदित्यका सेवकका रुपमा थिए । यक्ष कन्यालाई कश्यप ऋषिले विवाह गरेका थिए । जुन राक्षसकी आमा थिइन । यक्षहरुका राजा कुवेर थिए । जून कैलाशमा बस्दथे । पछि यक्षका सन्तानलाई खश भनियो । पाण्डवहरुको अश्वमेघ पर्वमा खशहरुलाई पनि आमन्त्रण गरिएको थियो । खशहरु लडाकु जातिका रुपमा चिनिएका थिए । यसै वंशजका अशोक चल्ल विक्रमको १३ औं शाताब्दीमा भयङ्कर बहादुर शासक थिए । उनको सैन्यसंगठनलाई “सर्वगामिनिवाहीनी” भनिन्थ्यो भने उनको देशलाई “सपादलक्षशिखरिखसदेश” भनिन्थ्यो । आर्य जातिसँग ज्यादै नजिकको यो जातिले आफ्ना संस्कार अनुष्ठानमा वेदका मन्त्रको प्रयोग नगर्ने तर श्लोक, स्तोत्रबाट पूजापाठ गर्ने गदर्थे । खशहरु जातिय कट्टरतामा विश्वास गर्दैन थिए तर सामाजिक नियम कानुनको कढारुपमा पालना गर्दथे । युद्धको बेलामा मार्नु ,विषहाल्नु, आगो लगाउनु, शत्रुलाई बर्बाद गर्नु जस्ता काम गर्दथे ।
- नेपालका प्रायस जातहरु सबै खस हुन । तिनीहरु हिन्दूधर्मको सम्पर्कमा आउनु अघि शुद्र सरहका मतवाली थिए । हिन्दू परम्परामा आवद्ध हुनु अघि जनै लगाउँदैनथे, धामी धर्म मान्दथे बाह् मध्येका कुनै एक मष्टा र नौ भवानी लाई पुज्दथे । [1]
- कुलदेवता, मष्टो, भवानी, वराह, वन्दी गणका देवी देवता पूज्ने सबै खसहुन । आजकाल तागाधारण गर्ने क्षत्रियहरु ठकुरीहरु भारतीय राजपूत भएको दावा गर्दछन् । आजकालका ब्राह्मणहरु कान्यकुञ्ज र गौड देशका सपना देख्छन तर ती सबै खश संस्कृतिबाट पैदा भएका जाति हुन । नेपालका बाइसी चौवीसी राजाहरु र तिनका गुरु पुरोहितहरु पनि सोझै खशसँग सम्बन्धित छन् । [2]
तारकासुर (ताडकासुर) देवताका गण निम्न है[3]
दिती का वंशज अबैदिक ताराकासुर गण हो गया , इस गण मे निम्न नाम के देवता है । यिनको खस लोग अपना कुलदेवता मान्त्य है ।
क्र.स | ताडकासुर (तरकसुर) गण का नाम | ताडाकासुरका रिस्ता (नाता) सम्बन्ध पद |
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1 | बज्राङ्ग | पिता |
2 | बरांगी | माता |
3 | ताडकासुर/ तारकासुर /खापर मष्टोे/ ढँडारमष्टो /ढंडारमष्टो / /तेडीमष्टो | ५२ दलको धनि |
.. | ताडकासुर/तारकासुर /खापर मष्टोे/ढंडारमष्टो / ढँडारमष्टो /तेडी मष्टो का जन्म स्थान | नेपालका बझांग जिल्ला का भाते खोला |
4 | खोजरनाथ मष्टो | सेना |
5 | अठौती मल्ल | सेना |
6 | दाड़ेमष्टो/ निमाउने | सेना |
7 | दुधिरखापर (बझाङ्ग छान्ना क्षेत्रमा) | सेना |
8 | लाङो मष्टो | सेना |
9 | वाँठपालो मष्टो | सेना |
10 | निमुन मष्टो | सेना |
11 | कवा मष्टो | सेना |
12 | कालसिल्ला मष्टो | सेना |
13 | कालशैन | सेना |
14 | रुमाल मष्टो | सेना |
15 | वुडु मष्टो | सेना |
16 | थार्प मष्टो /गुरोमष्टो | सेना |
17 | दुधेमष्टो | सेना |
18 | गललेकमष्टो, वाविरमष्टो | सेना |
19 | लाकुँडो, लिउडीमष्टो | सेना |
20 | कैलाश, मौभेरीमष्टो, | सेना |
21 | विजुलीमष्टो, ठिगालमष्टो, हेरालमष्टो | सेना |
22 | लाटो (लटेमष्टो)/ लडे, बान्नी, दुधेशिल्लामष्टो, | सेना |
23 | टेँढोमष्टो, उखाडी, बाँ, | सेना |
24 | पुँआले, लोहासुर, दयाशिला, | सेना |
25 | सिममष्टो, गुरौ, मुडुलो, सुम्लेगुरोमष्टो, | सेना |
26 | रागमचुला, भुँयार, कुर्मी, छल, | सेना |
27 | लामविष्णु, मशालो, क्युँडी, भातेखोला, | सेना |
28 | बाँस्कोटे कैलासऋषी, अलखे, दुधेनाउलो, | सेना |
29 | डब्बले, सब्बले, काँके, कुवँरे, | सेना |
30 | विकूले, तिखुले, गहते, मसुरे, | सेना |
31 | रातोढुङ्गो,जठे, धौलपुरो, | सेना |
32 | जिम्दार चौखुट्टे, भमदेली, | सेना |
33 | गोरघट्टे, गुडुल्य | सेना |
34 | बडीमालिका, मालिका, | बहन (बैनी) |
35 | जालापा, | बहन (बैनी)... |
36 | ठिगेल्नी, | बहन (बैनी).... |
37 | चुगेल्नी, | बहन (बैनी)... |
38 | पुगेल्नी, | बहन (बैनी)... |
39 | दुलेल्नी, | बहन (बैनी)... |
40 | बण्डाल्नी, | बहन (बैनी)... |
41 | मण्डाल्नी, | बहन (बैनी)... |
42 | खेसमालिनी | बहन (बैनी).... |
43 | वृन्दाशैनी, | बहन (बैनी)... |
44 | वरदादेवी, | बहन (बैनी)... |
45 | जालपादेवी, | बहन (बैनी)... |
46 | सुर्मादेवी, | बहन (बैनी)... |
47 | भुवानीमाई, | बहन (बैनी).... |
48 | शिलादेवी (शैलेश्वरी, | बहन (बैनी).... |
49 | वराही,वराङ्गी, भवानी | बहन (बैनी)......... |
50 | कटारी मल्ल | सेना |
51 | लोहाखडी | सेना |
52 | कालिया दैत्य | सेना |
देखो भिडियो तारकासुर /ताड़कासूर/ ताडकेश्वर/ ताडेश्वर/ तेडी / मष्टोका प्राचीन मान्यता पर रगत भोग[4]
- तान्त्रिक मस्टो देवता पुजन /मस्टो पुजामे बकरा का रगत खाते मुखै लाल , कपडा लाल नाचते मस्टो कुलायनका धामी नांच देखो खस लोग का देवता नेपाल
- मस्टो पूजा भेँडो का बलि व पूजाकी सुरुवाती अवस्था धामी लोग यिनका कुलायन देखो भिडियो
- यूटुबमा /डोटीका रैकामल्ल/शाही राजाका कुलदेवता धामीले बोकाको घाँटी दांतले काटेको दृश्य यस्तो छ ।
- मस्टो देवता पुजन नेपाल के खस लोग
- बाजुरामा जगन्नाथ नामका खपरे मस्टोले देखो इस भिडियो
- खापर मस्टो पुजन र जात्र
- मस्टो देवता पुजन
- मस्टो देवता
- Khas Log Nepal Lamichhane Thapa
- Masto Puja Nepal
- Sutar Karki Kulpuja
- Kukhura Masu Le Puja
- Basnyat Kulpujaa Khas Msto Nepal
- Khapar Masto Puja Basnyat
- Khapar Masto Puja of Khas Log of Nepal
- Khadka Kulmpuja Masto
- Khaka Kulpuja Agni ke upar Nachnaa Nepal Khas Log
- Khas Dewata Pujaa Jaat Nepal
- Masto Pujaa Nepal Khas
दक्षिण भारत गङ्गा के मैदान से आए हुए वैदिक आर्य और वैदिक देवता से युद्द होनका बाद सुधार हुआ खसओ का कुलदेवता मष्टो का पूजा (जात)का भिडियो
सन्दर्भ ग्रन्थ
- मत्सयापुराण, १४५-१५९;
- शिवपुराण, भाग १ अध्याय ९ तथा आगे,
- ब्रह्मापुराण, ७१ वाँ अध्याय,
- स्कंदपुराण, माहेश्वरखंड।
- ↑ त्न पुस्तक भण्डार भोटाहिटी काठमाण्डौद्वारा प्रकाशित प्रथम संस्करण २०४८ को नेपाल परिचय, पेज नं ११९ मा रहेको विषय अनुसार
- ↑ नेपालका इतिहास विभाग निर्देशक डा. राजाराम सुवेदी कर्णाली प्रदेशमा मध्यकालीन डोटी राज्यका लेखक तथा का अनुसार
- ↑ डोटी बोगटानके कत्युरी वंशजके राजपुत (ठकुरी) का वंशावली इतिहास देबी देवताका विश्लेषण वर्णन अनुसार
- ↑ डोटी बोगटानके मान्यता नेपालके खस लोगोका कुलदेवता मष्टोका पूजा पद्दति जांत का Youtube के भिडियो व नेपालके डोटी मे पयगये बैदिक आर्य समाज और खस आर्य समाज ,मगोल समाजका देवता मान्यता , वंशावली , नेपाली विकिपिडिया मे उल्लेख बातो पर आधारित भिडिओ