"मृत्युदंड (फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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'''मृत्युदंड''' 1997 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन [[प्रकाश झा]] ने किया है और [[माधुरी दीक्षित]], [[शबाना आज़मी]], [[अयूब ख़ान (अभिनेता)|अयूब खान]], [[शिल्पा शिरोडकर]] और [[ओम पुरी]] मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म सामाजिक और लिंग अन्याय पर एक टिप्पणी है।
'''मृत्युदंड''' 1997 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण [[प्रकाश झा]] ने किया है और [[माधुरी दीक्षित]], [[शबाना आज़मी]], [[अयूब ख़ान (अभिनेता)|अयूब खान]], [[शिल्पा शिरोडकर]] और [[ओम पुरी]] मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म सामाजिक और लिंग अन्याय पर एक टिप्पणी है।

== संक्षेप ==
== संक्षेप ==
काल्पनिक गाँव बिलासपुर, बिहार, भारत में दो भ्रष्ट ग्रामीण ठेकेदार तिरपत सिंह ([[मोहन जोशी]]) और उसका सहयोगी विधायक दुर्गा पांडे ([[हरीश पटेल]]) अन्य ग्रामीणों से वह चीजें करवाने के लिये कपट-प्रयोग करते हैं जिससे वो लाभान्वित हो। उनका मुख्य लक्ष्य दो भाई, अभय सिंह ([[मोहन आगाशे]]) और उसका छोटे भाई विनय ([[अयूब ख़ान (अभिनेता)|अयूब ख़ान]]) को अलग करना है। दोनों अपने पिता और संबंधित पत्नियों के साथ रहते हैं - अर्थात् दो बहनें - चंद्रावती ([[शबाना आज़मी]]) जो अभय से विवाहित है और केतकी जो विनय ([[माधुरी दीक्षित]]) से शादी कर रही है। कुछ हद तक उनके प्रयास काफी सफल हो जाते हैं जब अभय चंद्रावती को अपने पिता की देखभाल में छोड़ देता है और मंदिर में रहते हुए ब्रह्मचर्य ले लेता है जबकि इसी ही समय में विनय अपने निर्माण व्यवसाय में फंस जाता है। चंद्रावती अकेली और तहस-नहस हो जाती है और कुछ ही समय बाद सहानुभूतिपूर्ण पुरुष रामबरन मंटो ([[ओम पुरी]]) की पनाह लेती है, जिसके साथ वह अवैध संबंध साझा करती है। इस बीच विनय ने तिरपत और दुर्गा की असली वास्तविकता को केवल उनसे दूर खींचने के लिए पता चला। तब केनेकी के पीछे इस अपराध के एकमात्र गवाह के रूप में छोड़कर दिन के उजाले में विनय की मौत हो गई; विनय की मृत्यु के बाद दोनों ने शारीरिक रूप से परिवार की संपत्ति के लिए उसे पीड़ित करके केकी को अपना ध्यान बदल दिया। विनय केतकी से प्यार करता है, और जल्द ही दोनों शादी कर लेते हैं। केतकी अपने पति को तिरपत सिंह के बढ़ते प्रभाव से बचाने की कोशिश करती है, लेकिन विनय उसे अनदेखा करता है और यहाँ तक कि शारीरिक रूप से यातना देता है। उसे चेतावनी दी जाती है कि वह उसके मामलों में हस्तक्षेप न करे। हालाँकि, विनय बाद में महसूस करता है कि तिरपत ने उनकी दोस्ती का फायदा उठाया है और उसे धोखा दिया है। विनय नम्र हो जाता है, उसने केतकी से माफ़ी मांगी, और दोनों ने अपने संसाधनों को एक साथ रखा ताकि वे अपनी संपत्ति को पुनः प्राप्त कर सकें। तब केतकी को एकमात्र गवाह के रूप में छोड़कर दिन के उजाले में विनय की हत्या हो गई। विनय की मृत्यु के बाद दोनों आदमियों ने शारीरिक रूप से परिवार की संपत्ति के लिए केतकी को पीड़ित किया।

== मुख्य कलाकार ==
== मुख्य कलाकार ==
* [[शबाना आज़मी]] - चंद्रावती
* [[माधुरी दीक्षित]] - केतकी
* [[माधुरी दीक्षित]] - केतकी
* [[शबाना आज़मी]] - चंद्रावती
* [[अयूब ख़ान (अभिनेता)|अयूब ख़ान]] - विनय सिंह
* [[अयूब ख़ान (अभिनेता)|अयूब ख़ान]] - विनय सिंह
* [[शिल्पा शिरोडकर]] - कांति
* [[शिल्पा शिरोडकर]] - कांति
* [[ओम पुरी]] - रामबरन
* [[ओम पुरी]] - रामबरन मंटो
* [[मोहन अगाशे]] - अभय सिंह
* [[मोहन आगाशे]] - अभय सिंह
* [[मोहन जोशी]] - तिरपत सिंह
* [[मोहन जोशी]] - तिरपत सिंह
* [[प्यारेमोहन सहाय]] - विनय व अभय के पिता
* [[प्यारेमोहन सहाय]] - विनय व अभय के पिता
* [[हरीश पटेल]] - दुर्गा पाण्डेय
* [[हरीश पटेल]] - दुर्गा पाण्डे
* [[बृज गोपाल]]
* [[आभा धूलिया]] - तिरपत सिंह की पत्नी
* [[आभा धूलिया]] - तिरपत सिंह की पत्नी
* [[सुहास भालेकर]]
* [[सुहास भालेकर]]
* [[अच्युत पोद्दार]] - केतकी के पिता
* [[अच्युत पोद्दार]] - केतकी के पिता
* [[अजीत वाच्छानी]]
* [[अजीत वाच्छानी]] - केतकी का रिश्तेदार

== संगीत ==
== संगीत ==
{{Track listing
संगीत [[आनंद-मिलिंद]] द्वारा दिया गया है और बोल [[जावेद अख्तर]] द्वारा दिये गए हैं।
| all_music = [[आनंद-मिलिंद]]
#"कह दो एक बार सजाना" - [[उदित नारायण]], [[साधना सरगम]]
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#"रात महेके तो यूँ भी" - साधना सरगम, [[हरिहरन]]
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#"राजा मैं तो हो गयी तेरी दीवानी" - साधना सरगम
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==सन्दर्भ==
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== बाहरी कड़ियाँ ==
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07:22, 30 अक्टूबर 2018 का अवतरण

मृत्युदंड

मृत्युदंड का पोस्टर
निर्देशक प्रकाश झा
लेखक प्रकाश झा
निर्माता प्रकाश झा
अभिनेता शबाना आज़मी,
माधुरी दीक्षित,
अयूब ख़ान,
शिल्पा शिरोडकर,
ओम पुरी,
मोहन आगाशे,
मोहन जोशी
संगीतकार आनंद-मिलिंद
प्रदर्शन तिथियाँ
11 जुलाई, 1997
देश भारत
भाषा हिन्दी

मृत्युदंड 1997 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फिल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण प्रकाश झा ने किया है और माधुरी दीक्षित, शबाना आज़मी, अयूब खान, शिल्पा शिरोडकर और ओम पुरी मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म सामाजिक और लिंग अन्याय पर एक टिप्पणी है।

संक्षेप

काल्पनिक गाँव बिलासपुर, बिहार, भारत में दो भ्रष्ट ग्रामीण ठेकेदार तिरपत सिंह (मोहन जोशी) और उसका सहयोगी विधायक दुर्गा पांडे (हरीश पटेल) अन्य ग्रामीणों से वह चीजें करवाने के लिये कपट-प्रयोग करते हैं जिससे वो लाभान्वित हो। उनका मुख्य लक्ष्य दो भाई, अभय सिंह (मोहन आगाशे) और उसका छोटे भाई विनय (अयूब ख़ान) को अलग करना है। दोनों अपने पिता और संबंधित पत्नियों के साथ रहते हैं - अर्थात् दो बहनें - चंद्रावती (शबाना आज़मी) जो अभय से विवाहित है और केतकी जो विनय (माधुरी दीक्षित) से शादी कर रही है। कुछ हद तक उनके प्रयास काफी सफल हो जाते हैं जब अभय चंद्रावती को अपने पिता की देखभाल में छोड़ देता है और मंदिर में रहते हुए ब्रह्मचर्य ले लेता है जबकि इसी ही समय में विनय अपने निर्माण व्यवसाय में फंस जाता है। चंद्रावती अकेली और तहस-नहस हो जाती है और कुछ ही समय बाद सहानुभूतिपूर्ण पुरुष रामबरन मंटो (ओम पुरी) की पनाह लेती है, जिसके साथ वह अवैध संबंध साझा करती है। इस बीच विनय ने तिरपत और दुर्गा की असली वास्तविकता को केवल उनसे दूर खींचने के लिए पता चला। तब केनेकी के पीछे इस अपराध के एकमात्र गवाह के रूप में छोड़कर दिन के उजाले में विनय की मौत हो गई; विनय की मृत्यु के बाद दोनों ने शारीरिक रूप से परिवार की संपत्ति के लिए उसे पीड़ित करके केकी को अपना ध्यान बदल दिया। विनय केतकी से प्यार करता है, और जल्द ही दोनों शादी कर लेते हैं। केतकी अपने पति को तिरपत सिंह के बढ़ते प्रभाव से बचाने की कोशिश करती है, लेकिन विनय उसे अनदेखा करता है और यहाँ तक कि शारीरिक रूप से यातना देता है। उसे चेतावनी दी जाती है कि वह उसके मामलों में हस्तक्षेप न करे। हालाँकि, विनय बाद में महसूस करता है कि तिरपत ने उनकी दोस्ती का फायदा उठाया है और उसे धोखा दिया है। विनय नम्र हो जाता है, उसने केतकी से माफ़ी मांगी, और दोनों ने अपने संसाधनों को एक साथ रखा ताकि वे अपनी संपत्ति को पुनः प्राप्त कर सकें। तब केतकी को एकमात्र गवाह के रूप में छोड़कर दिन के उजाले में विनय की हत्या हो गई। विनय की मृत्यु के बाद दोनों आदमियों ने शारीरिक रूप से परिवार की संपत्ति के लिए केतकी को पीड़ित किया।

मुख्य कलाकार

संगीत

सभी गीत जावेद अख्तर द्वारा लिखित; सारा संगीत आनंद-मिलिंद द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."कह दो एक बार सजना"अलका याज्ञिक, उदित नारायण6:03
2."राजा मैं तो हो गई"साधना सरगम5:44
3."रात महके तो यूँ भी"साधना सरगम, हरिहरन4:43
4."कब से मैं हूँ खड़ी"साधना सरगम4:54
5."तुम बिन मन की बात अधूरी"कुमार सानु, साधना सरगम4:39

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ