"अभिकेन्द्रीय बल": अवतरणों में अंतर

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किसी पिण्ड के तात्क्षणिक वेग के लम्बवत दिशा में गतिपथ के केन्द्र की ओर लगने वाला [[बल]] '''अभिकेन्द्रीय बल''' (Centripetal force) कहलाता है। अभिकेन्द्र बल के कारण पिण्ड [[वक्र]]-पथ पर गति करती है (न कि रैखिक पथ पर)। उदाहरण के लिये [[वृत्तीय गति]] का कारण अभिकेन्द्रीय बल ही है।
किसी पिण्ड के तात्क्षणिक वेग के लम्बवत दिशा में गतिपथ के केन्द्र की ओर लगने वाला [[बल]] '''अभिकेन्द्रीय बल''' (Centripegal force) कहलाता है। अभिकेन्द्र बल के कारण पिण्ड [[वक्र]]-पथ पर गति करती है (न कि रैखिक पथ पर)। उदाहरण के लिये [[वृत्तीय गति]] का कारण अभिकेन्द्रीय बल ही है।
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08:54, 29 अक्टूबर 2018 का अवतरण

किसी पिण्ड के तात्क्षणिक वेग के लम्बवत दिशा में गतिपथ के केन्द्र की ओर लगने वाला बल अभिकेन्द्रीय बल (Centripegal force) कहलाता है। अभिकेन्द्र बल के कारण पिण्ड वक्र-पथ पर गति करती है (न कि रैखिक पथ पर)। उदाहरण के लिये वृत्तीय गति का कारण अभिकेन्द्रीय बल ही है।

जहाँ:

अभिकेंद्रीय त्वरन है,
वेग का परिमाण (magnitude) है,
पथ की वक्रता त्रिज्या है,
स्थिति सदिश है,
त्रिज्य सदिश है,
कोणीय वेग है।

न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार यदि कहीं कोई त्वरण है तो त्वरण की दिशा में बल अवश्य लग रहा होगा। अतः यदि m द्रव्यमान का कण एकसमान वृत्तीय गति कर रहा हो तो उस पर लगने वाले अभिकेन्द्रीय बल का मान निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जायेगा: