"ताड़का": अवतरणों में अंतर

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== बदला और मृत्यु ==
== बदला और मृत्यु ==
अपने पति की मृत्यु और पुत्र की दुर्गति का बदला लेने के लिये ताड़का अगस्त्य ऋषि पर झपटी। परिणामस्वरूप ऋषि अगस्त्य ने शाप दे कर ताड़का की सुन्दरता को नष्ट कर दिया और वह अत्यंत कुरूप हो गई। अपनी कुरूपता को देखकर और अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिये ताड़का ने अगस्त्य मुनि के आश्रम को नष्ट करने का संकल्प किया। इसलिये ऋषि [[विश्‍वामित्र]] ने ताड़का का वध राम के हाथों करवा दिया।
अपने पति की मृत्यु और पुत्र की दुर्गति का बदला लेने के लिये ताड़का अगस्त्य ऋषि पर झपटी। परिणामस्वरूप ऋषि अगस्त्य ने शाप दे कर ताड़का की सुन्दरता को नष्ट कर दिया और वह अत्यंत कुरूप हो गई। अपनी कुरूपता को देखकर और अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिये ताड़का ने अगस्त्य मुनि के आश्रम को नष्ट करने का संकल्प किया। इसलिये ऋषि [[विश्‍वामित्र]] ने ताड़का का वध राम के हाथों करवा दिया।

== बाहरी कड़ियाँ ==
[http://valmikiramayan.agoodplace4all.com/vrbk3.php ताड़का वध]

{{श्री राम चरित मानस}}

[[श्रेणी:पौराणिक/साहित्यिक चरित्र]]
[[श्रेणी:रामायण के पात्र]]

18:01, 28 अक्टूबर 2018 का अवतरण

रामायण की एक पात्र। यह सुकेतु यक्ष की पुत्री थी जिसका विवाह सुड नामक राक्षस के साथ हुआ था। यह अयोध्या के समीप स्थित सुंदर वन में अपने पति और दो पुत्रों सुबाहु और मारीच के साथ रहती थी। उसके शरीर में हजार हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदर वन का नाम ताड़का वन पड़ गया था। उसी वन में विश्वामित्र सहित अनेक ऋषि-मुनि भी रहते थे। उनके जप, तप और यज्ञ में ये राक्षस गण हमेशा बाधाएँ खड़ी करते थे। विश्वामित्र राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्ष्मण को अपने साथ सुंदर वन लाए। राम ने ताड़का का और विश्वामित्र के यज्ञ की पूर्णाहूति के दिन सुबाहु का भी वध कर दिया। मारीच उनके बाण से आहत होकर दूर दक्षिण में समुद्र तट पर जा गिरा।

जन्म

सुकेतु नाम का एक अत्यंत बलवान यक्ष था। उसकी कोई भी सन्तान नहीं थी। अतः सन्तान प्राप्ति के उद्देश्य से उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे सन्तान होने का वरदान दे दिया और उस वर के परिणामस्वरूप ताड़का का जन्म हुआ। सुकेतु ने ब्रह्मा जी से ताड़का के अत्यंत बली होने का वर भी ले लिया और ब्रह्मा जी ने उसके शरीर में हजार हाथियों का बल दे दिया।

विवाह

विवाह योग्य आयु होने पर सुकेतु ने ताड़का का विवाह सुन्द नाम के राक्षस से कर दिया और उससे सुबाहु और मारीच का जन्म हुआ। मारीच भी अपनी माता के समान बलवान और पराक्रमी हुआ।

पुत्र और पति की दुर्गति

ताड़का का पुत्र मारीच सुन्द राक्षस से उत्तपन्न होकर भी स्वयं राक्षस नहीं था। परन्तु बचपन में वह बहुत उपद्रवी था। ऋषि मुनियों को अकारण कष्ट दिया करता था। उसके उपद्रवों से दुखी होकर एक दिन अगस्त्य मुनि ने उसे राक्षस हो जाने का शाप दे दिया। अपने पुत्र के राक्षस गति प्राप्त हो जाने से सुन्द अत्यन्त क्रोधित हो गया और अगस्त्य ऋषि को मारने दौड़ा। इस पर अगस्त्य ऋषि ने शाप देकर सुन्द को तत्काल भस्म कर दिया।

बदला और मृत्यु

अपने पति की मृत्यु और पुत्र की दुर्गति का बदला लेने के लिये ताड़का अगस्त्य ऋषि पर झपटी। परिणामस्वरूप ऋषि अगस्त्य ने शाप दे कर ताड़का की सुन्दरता को नष्ट कर दिया और वह अत्यंत कुरूप हो गई। अपनी कुरूपता को देखकर और अपने पति की मृत्यु का बदला लेने के लिये ताड़का ने अगस्त्य मुनि के आश्रम को नष्ट करने का संकल्प किया। इसलिये ऋषि विश्‍वामित्र ने ताड़का का वध राम के हाथों करवा दिया।