"आँसू बने अंगारे": अवतरणों में अंतर

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== कहानी ==
== कहानी ==
अपनी पहली पत्नी के मौत के बाद मिस्टर वर्मा, जो अपने कंपनी का मैनेजिंग डाइरेक्टर है, वो दुर्गादेवी (बिन्दु) से शादी कर लेता है। जिससे वो उसके बेटे, रवि वर्मा (जितेन्द्र) की देखरेख कर सके। दुर्गा अपने बच्चे किरण वर्मा (किरण कुमार) को जन्म देती है। कुछ सालों के बाद मिस्टर वर्मा की मौत हो जाती है। उसके बाद दुर्गा अपने कदम राजनीति में रखने का फैसला करती है, जिसमें सेवकराम (प्रेम चोपड़ा) उसकी मदद करता है। रवि अपने पिता की जगह कंपनी का मैनेजिंग डाइरेक्टर बन जाता है। इसके तुरंत बाद ही उसे एक गरीब लड़की, उषा (माधुरी दीक्षित) से प्यार हो जाता है। इस कारण वो उसे अपने कंपनी में टाइपिस्ट का काम दे देता है। वो दोनों के बीच अमीरी-गरीबी का बहुत बड़ा अंतर होने के कारण उसके रिश्ते के प्रस्ताव को ठुकरा देती है। ठीक इसी कारण उसकी माँ भी इस रिश्ते के लिए नहीं मानती है, पर अपने मुख्य मंत्री के चुनाव में गरीबों का वोट पाने के लिए वो इस रिश्ते के लिए मान जाती है।
अपनी पहली पत्नी के मौत के बाद मिस्टर वर्मा, जो अपने कंपनी का मैनेजिंग डाइरेक्टर है, वो दुर्गादेवी (बिन्दु) से शादी कर लेता है। जिससे वो उसके बेटे, रवि वर्मा ([[जितेन्द्र]]) की देखरेख कर सके। दुर्गा अपने बच्चे किरण वर्मा (किरण कुमार) को जन्म देती है। कुछ सालों के बाद मिस्टर वर्मा की मौत हो जाती है। उसके बाद दुर्गा अपने कदम राजनीति में रखने का फैसला करती है, जिसमें सेवकराम ([[प्रेम चोपड़ा]]) उसकी मदद करता है। रवि अपने पिता की जगह कंपनी का मैनेजिंग डाइरेक्टर बन जाता है। इसके तुरंत बाद ही उसे एक गरीब लड़की, उषा ([[माधुरी दीक्षित]]) से प्यार हो जाता है। इस कारण वो उसे अपने कंपनी में टाइपिस्ट का काम दे देता है। वो दोनों के बीच अमीरी-गरीबी का बहुत बड़ा अंतर होने के कारण उसके रिश्ते के प्रस्ताव को ठुकरा देती है। ठीक इसी कारण उसकी माँ भी इस रिश्ते के लिए नहीं मानती है, पर अपने [[मुख्य मंत्री]] के चुनाव में गरीबों का वोट पाने के लिए वो इस रिश्ते के लिए मान जाती है।


रवि से उषा प्यार करने लगती है। उन दोनों की शादी के बाद, दुर्गा चुनाव में खड़े होती है और जीत भी जाती है। उषा एक दिन दुर्गा के शादी को तैयार होने के असली कारण का पता चलता है, जिससे वो दुःखी हो जाती है, पर वो ये बात सभी से छुपा लेती है। उषा माँ बनने वाली होती है। वहीं दुर्गादेवी अपने कार्य में व्यस्त हो जाती है और रवि को अपने व्यापार से जुड़े काम करने के लिए लंदन जाना पड़ता है। उसे लगता है कि उसकी माँ, उसकी बीवी का ख्याल रख लेगी।
रवि से उषा प्यार करने लगती है। उन दोनों की शादी के बाद, दुर्गा चुनाव में खड़े होती है और जीत भी जाती है। उषा एक दिन दुर्गा के शादी को तैयार होने के असली कारण का पता चलता है, जिससे वो दुःखी हो जाती है, पर वो ये बात सभी से छुपा लेती है। उषा माँ बनने वाली होती है। वहीं दुर्गादेवी अपने कार्य में व्यस्त हो जाती है और रवि को अपने व्यापार से जुड़े काम करने के लिए [[लंदन]] जाना पड़ता है। उसे लगता है कि उसकी माँ, उसकी बीवी का ख्याल रख लेगी।


किरण अपनी माँ से झूठ बोलता है कि उषा का रवि से शादी होने से पहले उसके साथ चक्कर चल रहा था। हैरान दुर्गादेवी खुद इस मामले को निपटाने की कोशिश करती है। दुर्गादेवी, किरण और सेवकराम से उषा काफी विनती करती है, पर वे लोग उसे घर से निकाल देते हैं। जब रवि अपने घर वापस आता है तो उसे पता चलता है कि उसके ऑफिस में ही किरण ने उषा की माँ और बहन के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी और उषा को घर में जला कर मारने की कोशिश भी किया गया था। उषा और उसके अजन्मे बच्चे को फिर से वे लोग मारने की कोशिश करते हैं। किस्मत से वे दोनों बच जाते हैं और बच्चे का जन्म भी हो जाता है। वे दोनों एक दयालु टैक्सी ड्राइवर, हामिद के साथ रहते हैं, जिसके एक पैर को किरण और उसके गुंडों ने काट दिया था। वो उषा और उसकी बेटी मधु की मदद करते रहता है।
किरण अपनी माँ से झूठ बोलता है कि उषा का रवि से शादी होने से पहले उसके साथ चक्कर चल रहा था। हैरान दुर्गादेवी खुद इस मामले को निपटाने की कोशिश करती है। दुर्गादेवी, किरण और सेवकराम से उषा काफी विनती करती है, पर वे लोग उसे घर से निकाल देते हैं। जब रवि अपने घर वापस आता है तो उसे पता चलता है कि उसके ऑफिस में ही किरण ने उषा की माँ और बहन के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी और उषा को घर में जला कर मारने की कोशिश भी किया गया था। उषा और उसके अजन्मे बच्चे को फिर से वे लोग मारने की कोशिश करते हैं। किस्मत से वे दोनों बच जाते हैं और बच्चे का जन्म भी हो जाता है। वे दोनों एक दयालु टैक्सी ड्राइवर, हामिद के साथ रहते हैं, जिसके एक पैर को किरण और उसके गुंडों ने काट दिया था। वो उषा और उसकी बेटी मधु की मदद करते रहता है।


कुछ सालों के बाद उसकी मौत हो जाती है और मधु भी बड़ी हो कर कॉलेज जाने लगती है। वो अपनी माँ की तरह दिखते रहती है। सेवकराम से उसे अपने परिवार और अपनी माँ के अतीत का पता चलता है। इसका पता चलने पर वो अपनी दादी और चाचा से बदला लेने की सोचती है। वो कोई और बन कर वर्मा के घर में कदम रखती है। वो जल्द ही अपने पिता की सहायक बन जाती है। अपने बदलने के लिए वो किरण पर उसे छेड़ने का झूठा आरोप लगा देती है, तभी रवि को पता चलता है कि किरण ने उषा के साथ क्या किया था। अपना बदला लेने के बारे में जब वो अपनी माँ को बताती है तो वो उल्टा उस पर गुस्सा करती है। अचानक रवि उनके घर आ जाता है और इतने सालों के बाद उषा से मिलता है। वे दोनों एक हो जाते हैं, पर मधु अब भी अपने पिता के ऊपर गुस्सा करती है कि वो इतने सालों से क्यों उसे ढूंढने तक का कोशिश नहीं किया। रवि उसे दुर्गा और किरण के किए काम के बारे में बताता है और ये भी बताता है कि सेवकराम भी इस योजना का हिस्सा था जो वर्मा कंपनी को हासिल करने के लिए बनाया गया था।
कुछ सालों के बाद हामिद की मौत हो जाती है और मधु भी बड़ी हो कर कॉलेज जाने लगती है। वो अपनी माँ की तरह दिखते रहती है। सेवकराम से उसे अपने परिवार और अपनी माँ के अतीत का पता चलता है। इसका पता चलने पर वो अपनी दादी और चाचा से बदला लेने की सोचती है। वो कोई और बन कर वर्मा के घर में कदम रखती है। वो जल्द ही अपने पिता की सहायक बन जाती है। अपने बदलने के लिए वो किरण पर उसे छेड़ने का झूठा आरोप लगा देती है, तभी रवि को पता चलता है कि किरण ने उषा के साथ क्या किया था। अपना बदला लेने के बारे में जब वो अपनी माँ को बताती है तो वो उल्टा उस पर गुस्सा करती है। अचानक रवि उनके घर आ जाता है और इतने सालों के बाद उषा से मिलता है। वे दोनों एक हो जाते हैं, पर मधु अब भी अपने पिता के ऊपर गुस्सा करती है कि वो इतने सालों से क्यों उसे ढूंढने तक का कोशिश नहीं किया। रवि उसे दुर्गा और किरण के किए काम के बारे में बताता है और ये भी बताता है कि सेवकराम भी इस योजना का हिस्सा था जो वर्मा कंपनी को हासिल करने के लिए बनाया गया था।


दुर्गा और किरण को अपनी गलती का एहसास हो जाता है। किरण बचने के लिए सेवकराम के पास चले जाता है। वहाँ सेवकराम को श्यामसुंदर (अनुपम खेर) मार देता है। किरण मरते वक्त सारी सच्चाई बता देता है कि वो किस तरह उषा पर आरोप लगाया था और कितने गुनाह उसने किए थे। उसके सच्चाई बताने के कारण सभी उसे माफ कर देते हैं और उसके मौत के बाद सभी एक हो जाते हैं।
दुर्गा और किरण को अपनी गलती का एहसास हो जाता है। किरण बचने के लिए सेवकराम के पास चले जाता है। वहाँ सेवकराम को श्यामसुंदर ([[अनुपम खेर]]) मार देता है। किरण मरते वक्त सारी सच्चाई बता देता है कि वो किस तरह उषा पर आरोप लगाया था और कितने गुनाह उसने किए थे। उसके सच्चाई बताने के कारण सभी उसे माफ कर देते हैं और उसके मौत के बाद सभी एक हो जाते हैं।


== कलाकार ==
== कलाकार ==

16:07, 25 अक्टूबर 2018 का अवतरण

आँसू बने अंगारे

आँसू बने अंगारे का पोस्टर
निर्देशक मेहुल कु्मार
अभिनेता माधुरी दीक्षित,
दीपक तिजोरी,
अरुणा ईरानी,
जितेन्द्र,
अनुपम खेर,
अनूप कुमार,
अशोक कुमार,
जॉनी लीवर,
गुड्डी मारुति,
राज मेहरा,
देब मुखर्जी,
सुरेश ओबेरॉय,
निरूपा रॉय,
आशा शर्मा,
अर्चना पूरन सिंह,
आशा सिंह,
हेलन,
बिन्दू,
प्रेम चोपड़ा,
प्रदर्शन तिथियाँ
  • 1993 (1993)
देश भारत
भाषा हिन्दी

आँसू बने अंगारे 1993 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन मेहुल कुमार ने किया है और जितेन्द्र, माधुरी दीक्षित और दीपक तिजोरी मुख्य कलाकार हैं।

कहानी

अपनी पहली पत्नी के मौत के बाद मिस्टर वर्मा, जो अपने कंपनी का मैनेजिंग डाइरेक्टर है, वो दुर्गादेवी (बिन्दु) से शादी कर लेता है। जिससे वो उसके बेटे, रवि वर्मा (जितेन्द्र) की देखरेख कर सके। दुर्गा अपने बच्चे किरण वर्मा (किरण कुमार) को जन्म देती है। कुछ सालों के बाद मिस्टर वर्मा की मौत हो जाती है। उसके बाद दुर्गा अपने कदम राजनीति में रखने का फैसला करती है, जिसमें सेवकराम (प्रेम चोपड़ा) उसकी मदद करता है। रवि अपने पिता की जगह कंपनी का मैनेजिंग डाइरेक्टर बन जाता है। इसके तुरंत बाद ही उसे एक गरीब लड़की, उषा (माधुरी दीक्षित) से प्यार हो जाता है। इस कारण वो उसे अपने कंपनी में टाइपिस्ट का काम दे देता है। वो दोनों के बीच अमीरी-गरीबी का बहुत बड़ा अंतर होने के कारण उसके रिश्ते के प्रस्ताव को ठुकरा देती है। ठीक इसी कारण उसकी माँ भी इस रिश्ते के लिए नहीं मानती है, पर अपने मुख्य मंत्री के चुनाव में गरीबों का वोट पाने के लिए वो इस रिश्ते के लिए मान जाती है।

रवि से उषा प्यार करने लगती है। उन दोनों की शादी के बाद, दुर्गा चुनाव में खड़े होती है और जीत भी जाती है। उषा एक दिन दुर्गा के शादी को तैयार होने के असली कारण का पता चलता है, जिससे वो दुःखी हो जाती है, पर वो ये बात सभी से छुपा लेती है। उषा माँ बनने वाली होती है। वहीं दुर्गादेवी अपने कार्य में व्यस्त हो जाती है और रवि को अपने व्यापार से जुड़े काम करने के लिए लंदन जाना पड़ता है। उसे लगता है कि उसकी माँ, उसकी बीवी का ख्याल रख लेगी।

किरण अपनी माँ से झूठ बोलता है कि उषा का रवि से शादी होने से पहले उसके साथ चक्कर चल रहा था। हैरान दुर्गादेवी खुद इस मामले को निपटाने की कोशिश करती है। दुर्गादेवी, किरण और सेवकराम से उषा काफी विनती करती है, पर वे लोग उसे घर से निकाल देते हैं। जब रवि अपने घर वापस आता है तो उसे पता चलता है कि उसके ऑफिस में ही किरण ने उषा की माँ और बहन के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी और उषा को घर में जला कर मारने की कोशिश भी किया गया था। उषा और उसके अजन्मे बच्चे को फिर से वे लोग मारने की कोशिश करते हैं। किस्मत से वे दोनों बच जाते हैं और बच्चे का जन्म भी हो जाता है। वे दोनों एक दयालु टैक्सी ड्राइवर, हामिद के साथ रहते हैं, जिसके एक पैर को किरण और उसके गुंडों ने काट दिया था। वो उषा और उसकी बेटी मधु की मदद करते रहता है।

कुछ सालों के बाद हामिद की मौत हो जाती है और मधु भी बड़ी हो कर कॉलेज जाने लगती है। वो अपनी माँ की तरह दिखते रहती है। सेवकराम से उसे अपने परिवार और अपनी माँ के अतीत का पता चलता है। इसका पता चलने पर वो अपनी दादी और चाचा से बदला लेने की सोचती है। वो कोई और बन कर वर्मा के घर में कदम रखती है। वो जल्द ही अपने पिता की सहायक बन जाती है। अपने बदलने के लिए वो किरण पर उसे छेड़ने का झूठा आरोप लगा देती है, तभी रवि को पता चलता है कि किरण ने उषा के साथ क्या किया था। अपना बदला लेने के बारे में जब वो अपनी माँ को बताती है तो वो उल्टा उस पर गुस्सा करती है। अचानक रवि उनके घर आ जाता है और इतने सालों के बाद उषा से मिलता है। वे दोनों एक हो जाते हैं, पर मधु अब भी अपने पिता के ऊपर गुस्सा करती है कि वो इतने सालों से क्यों उसे ढूंढने तक का कोशिश नहीं किया। रवि उसे दुर्गा और किरण के किए काम के बारे में बताता है और ये भी बताता है कि सेवकराम भी इस योजना का हिस्सा था जो वर्मा कंपनी को हासिल करने के लिए बनाया गया था।

दुर्गा और किरण को अपनी गलती का एहसास हो जाता है। किरण बचने के लिए सेवकराम के पास चले जाता है। वहाँ सेवकराम को श्यामसुंदर (अनुपम खेर) मार देता है। किरण मरते वक्त सारी सच्चाई बता देता है कि वो किस तरह उषा पर आरोप लगाया था और कितने गुनाह उसने किए थे। उसके सच्चाई बताने के कारण सभी उसे माफ कर देते हैं और उसके मौत के बाद सभी एक हो जाते हैं।

कलाकार

संगीत

संगीत: राजेश रोशन

# गीत गायक
1 "दीवाने ये लड़के" अमित कुमार, कविता कृष्णमूर्ति
2 "दिल बस में नहीं" आशा भोंसले
3 "गनपति बप्पा" लता मंगेशकर
4 "तेरी राशि के लाखों" साधना सरगम, देबाशीष दासगुप्ता
5 "तुझे देख के" साधना सरगम

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ