"ध्वनि का वेग": अवतरणों में अंतर

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ध्वनि का वेग ताप बढाने पर सामान्यतः बढता है-किशनलाल खीचङ [[चित्र:Onde compression impulsion 1d 30 petit.gif|right|thumb|300px|वायु में ध्वनि का संचरण वायु के कणों के कम्पन के कारण उत्पन्न हुए संपीडन और विरलन के रूप में होता है।]]
[[चित्र:Onde cisaillement impulsion 1d 30 petit.gif|right|thumb|300px|अनुप्रस्थ तरंग की गति : केवल ठोस माध्यम में ही अनुप्रस्थ तरंगे बनतीं हैं। इसमें माध्यम के कणों का कम्पन तरंग की गति की दिशा के लम्बवत होता है।]]
[[चित्र:Onde cisaillement impulsion 1d 30 petit.gif|right|thumb|300px|अनुप्रस्थ तरंग की गति : केवल ठोस माध्यम में ही अनुप्रस्थ तरंगे बनतीं हैं। इसमें माध्यम के कणों का कम्पन तरंग की गति की दिशा के लम्बवत होता है।]]
किसी माध्यम (जैसे हवा, जल, लोहा) में [[ध्वनि]] १ सेकेण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे उस माध्यम में '''ध्वनि का वेग''' कहते हैं। शुष्क वायु में 20 °C (68 °F) पर ध्वनि का वेग 343.59 मीटर प्रति सेकेण्ड है।
किसी माध्यम (जैसे हवा, जल, लोहा) में [[ध्वनि]] १ सेकेण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे उस माध्यम में '''ध्वनि का वेग''' कहते हैं। शुष्क वायु में 20 °C (68 °F) पर ध्वनि का वेग 343.59 मीटर प्रति सेकेण्ड है।
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: ''वेग = अवृत्ति x तरंगदैर्घ्य''
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ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है। इसके संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता होती है। [[निर्वात]] में ध्वनि का संचरण नहीं होता। वायु में ध्वनि का संचरण एक [[अनुदैर्घ्य तरंग]] (लांगीट्युडनल वेव) के रूप में होता है। अलग-अलग माध्यमों में ध्वनि का वेग अलग-अलग होता है।
ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है। इसके संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता होती है। [[निर्वात]] में ध्वनि का संचरण नहीं होता। वायु में ध्वनि का संचरण एक [[अनुदैर्घ्य तरंग]] (लांगीट्युडनल वेव) के रूप में होता है। अलग-अलग माध्यमों में ध्वनि का वेग अलग-अलग होता है


== विभिन्न माध्यमों में ध्वनि का वेग ==
== विभिन्न माध्यमों में ध्वनि का वेग ==

17:54, 18 अक्टूबर 2018 का अवतरण

ध्वनि का वेग ताप बढाने पर सामान्यतः बढता है-किशनलाल खीचङ

वायु में ध्वनि का संचरण वायु के कणों के कम्पन के कारण उत्पन्न हुए संपीडन और विरलन के रूप में होता है।
अनुप्रस्थ तरंग की गति : केवल ठोस माध्यम में ही अनुप्रस्थ तरंगे बनतीं हैं। इसमें माध्यम के कणों का कम्पन तरंग की गति की दिशा के लम्बवत होता है।

किसी माध्यम (जैसे हवा, जल, लोहा) में ध्वनि १ सेकेण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे उस माध्यम में ध्वनि का वेग कहते हैं। शुष्क वायु में 20 °C (68 °F) पर ध्वनि का वेग 343.59 मीटर प्रति सेकेण्ड है।

वेग = अवृत्ति x तरंगदैर्घ्य

ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है। इसके संचरण के लिये माध्यम की आवश्यकता होती है। निर्वात में ध्वनि का संचरण नहीं होता। वायु में ध्वनि का संचरण एक अनुदैर्घ्य तरंग (लांगीट्युडनल वेव) के रूप में होता है। अलग-अलग माध्यमों में ध्वनि का वेग अलग-अलग होता है

विभिन्न माध्यमों में ध्वनि का वेग

गैसों में ध्वनि का वेग

गैसों में ध्वनि के वेग का सूत्र यह है-

जहाँ

γ समऐन्ट्रॉपिक प्रसार गुणांक (isentropic expansion factor) या रुद्धोष्म गुणांक,
R सार्वत्रिक गैस नियतांक
T तापमान (केल्विन में
M गैस का अणुभार है।

सामान्य ताप और दाब पर इनके मान निम्नलिखित हैं-

γ = 1,4 (वायु के लिये)
R = 8,314 J/mol·K = 8,314 kg·m2/mol·K·s2
T = 293,15 K (20 °C)
M = 0,029 kg/mol (वायु के लिये)

आदर्श गैस समीकरण का प्रयोग करने पर,

जहाँ P गैस का दाब (पास्कल में), V गैस का आयतन ( m3 में) और m गैस का द्रव्यमान है। इससे ध्वनि के वेग का निम्नलिखित सूत्र प्राप्त होता है-

जहाँ ρ माध्यम का घनत्व ( kg/m3 में) है।

ठोसों में ध्वनि का वेग

जहाँ E ठोस का यंग मापांक और ρ ठोस का घनत्व है। इस सूत्र से इस्पात में ध्वनि का वेग निकाला जा सकता है जो लगभग 5148 m/s है।

द्रवों में ध्वनि का वेग

जल में ध्वनि के वेग का महत्व इसलिये है कि समुद्र-तल की गहराई का मानचित्र बनाने के लिये इसका उपयोग होता है। नमकीन जल में ध्वनि का वेग लगभग 1500 m / s होता है जबकि शुद्ध जल में 1435 m / s होता है। पानी में ध्वनि का वेग मुख्यतः दाब, ताप और लवणता पर आदि के साथ बदलता है।

द्रव में ध्वनि का वेग निम्नलिखित सूत्र से दिया जाता है-

जहाँ K' आयतन प्रत्यास्थता मापांक और ρ द्रव का घनत्व है। ध्वनि का वेग विभिन्न माध्यमों में ठोस> द्रव> गैस

वायु में ध्वनि की चाल की ताप पर निर्भरता

वायु में ध्वनि की चाल की ताप पर निर्भरता
तापमान
°C में
ध्वनि का वेग
m/s में
+35 352,17
+30 349,29
+25 346,39
+20 343,46
+15 340,51
+10 337,54
+5 334,53
0 331,50
−5 328,44
−10 325,35
−15 322,23
−20 319,09
−25 315,91

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ