"अवधारणा": अवतरणों में अंतर

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== सन्दर्भ ==
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वह विचार जो किसी ध्वनि समुह के पडऩे पर हमारे मन मे उठा जैसे "बिलली" वह ध्वनि कान मे पढ़ने पर हमारे मन में कोई भाव विचार बनता है एक चार पैर वाली छोटी आमतौर पर धारीदार जानवर का यह दिल्ली ही हमारी अवधारणा है|.
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* E. Margolis and S. Lawrence (2006), {{sep entry|concepts|Concepts}}
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* [http://markturner.org/blending.html Blending and Conceptual Integration]
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11:38, 22 सितंबर 2018 का अवतरण

अवधारणा या संकल्पना भाषा दर्शन का शब्द है जो संज्ञात्मक विज्ञान, तत्त्वमीमांसा एवं मस्तिष्क के दर्शन से सम्बन्धित है। इसे 'अर्थ' की संज्ञात्मक ईकाई; एक अमूर्त विचार या मानसिक प्रतीक के तौर पर समझा जाता है। अवधारणा के अंतर्गत यथार्थ की वस्तुओं तथा परिघटनाओं का संवेदनात्मक सामान्यीकृत बिंब, जो वस्तुओं तथा परिघटनाओं की ज्ञानेंद्रियों पर प्रत्यक्ष संक्रिया के बिना चेतना में बना रहता है तथा पुनर्सृजित होता है। यद्यपि अवधारणा व्यष्टिगत संवेदनात्मक परावर्तन का एक रूप है फिर भी मनुष्य में सामाजिक रूप से निर्मित मूल्यों से उसका अविच्छेद्य संबंध रहता है। अवधारणा भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होती है, उसका सामाजिक महत्व होता है और उसका सदैव बोध किया जाता है। अवधारणा चेतना का आवश्यक तत्व है, क्योंकि वह संकल्पनाओं के वस्तु-अर्थ तथा अर्थ को वस्तुओं के बिम्बों के साथ जोड़ती है और हमारी चेतना को वस्तुओं के संवेदनात्मक बिम्बों को स्वतंत्र रूप से परिचालित करने की संभावना प्रदान करती है।[1]

सन्दर्भ

  1. दर्शनकोश, प्रगति प्रकाशन, मास्को, १९८0, पृष्ठ-४८, ISBN: ५-0१000९0७-२

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