"सौदागर (1973 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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'''सौदागर''' १९७३ में बनी [[हिन्दी भाषा]] की फ़िल्म है। हालांकि इस फ़िल्म को बॉक्स ऑफ़िस में उतनी सफलता नहीं मिली लेकिन इसे [[अकादमी पुरस्कार]] के लिए भेजा गया था लेकिन यह फ़िल्म नामांकित न हो सकी।
'''सौदागर''' 1973 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसका निर्देशन [[सुधेन्दु रॉय]] द्वारा किया गया और [[नरेन्द्रनाथ मित्र]] की कहानी ''रस'' पर आधारित है। इस फिल्म में [[अमिताभ बच्चन]] और [[नूतन]] प्रमुख भूमिकाओं में है।<ref>{{cite news |title=गुड़ बेचने से लेकर लोगों का सामान उठाने तक, अमिताभ ने फिल्मों में किए ऐसे काम |url=https://bollywood.bhaskar.com/news/amitabh-bachchan-the-biggest-worker-of-the-bollywood-5863900.html |accessdate=16 अगस्त 2018 |work=[[दैनिक भास्कर]] |date=1 मई 2018}}</ref> हालांकि इस फ़िल्म को बॉक्स ऑफ़िस में उतनी सफलता नहीं मिली लेकिन इसे [[ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टियों की सूची |भारत की ओर से अकादमी पुरस्कार]] के लिए भेजा गया था लेकिन यह फ़िल्म नामांकित न हो सकी।

== संक्षेप ==
== संक्षेप ==
एक नौजवान मर्द मोती ([[अमिताभ बच्चन]]) खजूर का रस ठेके पर निकालता है और उसे महजबी ([[नूतन]]) नाम की थोड़ी उम्र में बड़ी विधवा से गुड़ बनवाता है और उसे महन्तारी में हिस्सा भी देता है। महजबी के गुड़ बनाने की कला लाजवाब है और मोती का गुड़ हाट में हाथों हाथ बिक जाता है। मोती को ब्याह रचाने की जल्दी है लेकिन मेहर ([[दहेज]]) में देने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं। वह {{INR}} २००, २५० और ३०० की मेहर भी ठुकरा देता है। एक दिन वह एक कमसिन लड़की फूल बानो ([[पदमा खन्ना]]) को देख लेता है और उसके मोहजाल में फँस जाता है। जब वह उसके अब्बा शेख़ साहब ([[मुराद]]) से उसका हाथ मांगने जाता है तो शेख़ साहब कहते हैं कि उन्हें {{INR}} ५०० मेहर चाहिए ताकि उनकी लड़की सुरक्षित रहे। मायूस लौट के आये मोती को कोई यह सलाह देता है कि जो उसका गुड़ बनाती है उसी से निक़ाह पढ़वाकर अपनी महन्तारी का हिस्सा बचा ले। काम के फाश में पड़ा मोती महजबी के साथ निक़ाह पढ़वाता है और उसे अपने घर लाकर और अधिक गुड़ बनवाता है। जब उसके पास मेहर के पैसे पूरे हो जाते हैं तो वह महजबी को लानत भेजकर तलाक़ देता है और फूल बानो से ब्याह रचा लेता है। इस सदमे से महजबी किसी दूसरे गांव में एक मछली के व्यापारी, जिसके तीन बच्चे पहले से ही हैं, से ब्याह रचा लेती है। जब गुड़ बनाने का मौसम आता है तो फूल बानो उसे घटिया क़िस्म का गुड़ बनाकर देती है जिसकी वजह से उससे कोई गुड़ नहीं ख़रीदता है और मण्डी में उसकी १० साल पुरानी साख ख़त्म हो जाती है। आख़िरकार मोती थक हार के रस की दो हांडियाँ महजबी के नये घर लेकर जाता है और महजबी से उसका गुड़ बनाने की गुहार लगाता है। मोती के पीछे-पीछे फूल बानो भी आ जाती है और जब महजबी इस बात से इन्कार कर रही होती है कि वह मोती के लिए गुड़ बनाएगी, तभी उसकी नज़र बाड़े के पीछे खड़ी रोती हुयी फूल बानो पर पड़ती है, फूल बानो उसे आपा (दीदी) पुकारती है और दोनों आलिंगन कर लेते हैं। इस फ़िल्म के आख़िर में यह नहीं बताया गया है कि क्या महजबी ने फिर से मोती के लिए गुड़ बनाना शुरु कर दिया या फूल बानो को अपने गुड़ बनाने के राज़ बता दिए।
नौजवान मोती ([[अमिताभ बच्चन]]) खजूर का रस ठेके पर निकालता है और उसका महजबी ([[नूतन]]) नाम की थोड़ी उम्र में बड़ी विधवा से गुड़ बनवाता है और उसे आमदनी में हिस्सा भी देता है। महजबी की गुड़ बनाने की कला लाजवाब है और मोती का गुड़ हाथों हाथ बिक जाता है। ये मौसमी काम है और जब इसका मौसम नहीं होता वो एक सुंदर युवती फूल बानो ([[पदमा खन्ना]]) से मिलता है और उससे शादी करना चाहता है। जब वह उसके अब्बा शेख़ साहब ([[मुराद]]) से उसका हाथ मांगने जाता है तो शेख़ साहब कहते हैं कि उन्हें {{INR}} ५०० [[महर]] चाहिए ताकि उनकी लड़की सुरक्षित रहे। जो कि उसके पास देने को नहीं है। वह {{INR}} २००, २५० और ३०० की मेहर भी ठुकरा देता है। मायूस लौट के आये मोती को कोई यह सलाह देता है कि जो उसका गुड़ बनाती है उसी से निक़ाह पढ़वाकर अपनी आमदनी का हिस्सा बचा ले। काम के फाश में पड़ा मोती महजबी के साथ निक़ाह पढ़वाता है और उसे अपने घर लाकर और अधिक गुड़ बनवाता है। जब उसके पास मेहर के पैसे पूरे हो जाते हैं तो वह महजबी को तलाक़ देता है और फूल बानो से ब्याह रचा लेता है। इस सदमे से महजबी किसी दूसरे गांव में एक मछली के व्यापारी, जिसके तीन बच्चे पहले से ही हैं, से ब्याह रचा लेती है। जब गुड़ बनाने का मौसम आता है तो फूल बानो जिसे गुड़ बनाने की कला का ज्ञान नहीं है निम्न गुणवत्ता का गुड़ बना के देती है। जिसकी वजह से उससे कोई गुड़ नहीं ख़रीदता है और मण्डी में उसकी १० साल पुरानी साख ख़त्म हो जाती है। आख़िरकार मोती थक हार के रस की दो हांडियाँ महजबी के नये घर लेकर जाता है और महजबी से उसका गुड़ बनाने की गुहार लगाता है। मोती के पीछे-पीछे फूल बानो भी आ जाती है और जब महजबी इस बात से इन्कार कर रही होती है कि वह मोती के लिए गुड़ बनाएगी, तभी उसकी नज़र बाड़े के पीछे खड़ी रोती हुयी फूल बानो पर पड़ती है। फूल बानो उसे आपा (दीदी) पुकारती है और दोनों आलिंगन कर लेते हैं। इस फ़िल्म के आख़िर में यह नहीं बताया गया है कि क्या महजबी ने फिर से मोती के लिए गुड़ बनाना शुरु कर दिया या फूल बानो को अपने गुड़ बनाने के राज़ बता दिए।


== मुख्य कलाकार ==
== चरित्र ==
* [[अमिताभ बच्चन]] - मोती
* [[अमिताभ बच्चन]] - मोती
* [[नूतन]] - महजबी
* [[नूतन]] - महजबी
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* [[मुराद]] - फूल बानो का पिता
* [[मुराद]] - फूल बानो का पिता
* [[लीला मिश्रा]] - गांव की एक बुढ़िया
* [[लीला मिश्रा]] - गांव की एक बुढ़िया
* [[त्रिलोक कपूर]]
== मुख्य कलाकार ==
* [[सी एस दुबे]]
* [[अमिताभ बच्चन]]

* [[नूतन]]
* [[पदमा खन्ना]]
* [[मुराद]]
* [[लीला मिश्रा]]
* [[सी एस दुबे]]
== दल ==
== संगीत ==
== संगीत ==
{{Tracklist
इस फ़िल्म के गीतकार और संगीतकार [[रवीन्द्र जैन]] हैं।
| heading = गीत
{|class = "wikitable"
| extra_column = गायक
|+'''सौदाग़र के गीत'''
| all_lyrics = [[रवीन्द्र जैन]]
|-
| all_music = रवीन्द्र जैन
!!!गीत!!गायक/गायिका
| title1 = तेरा मेरा साथ रहे
|-
| extra1 = [[लता मंगेश्कर]]
!१
| length1 = 5:45
|''हर हसीं चीज़ का''||[[किशोर कुमार]]
|-
!२
|''सजना है मुझे सजना के लिए''||[[आशा भोंसले]]
|-
!३
|''क्यों लायो संइया पान''||आशा भोंसले
|-
!४
|''दूर है किनारा''||[[मन्ना डे]]
|-
!५
|''तेरा मेरा साथ रहे''||[[लता मंगेशकर]]
|-
|}


| title2 = क्यों लायो संइया पान
== रोचक तथ्य ==
| extra2 = [[आशा भोंसले]]
== परिणाम ==
| length2 = 4:41
=== बौक्स ऑफिस ===
यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस में मध्यम रही।


| title3 = मैं हूँ फूल बानो
=== समीक्षाएँ ===
| extra3 = लता मंगेश्कर
== नामांकन और पुरस्कार ==
| length3 = 4:18
== बाहरी कड़ियाँ ==


| title4 = दूर है किनारा
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| length4 = 5:31

| title5 = हुस्न है या कोई कयामत है
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| title6 = हर हसीन चीज़ का
| extra6 = [[किशोर कुमार]]
| length6 = 4:12

| title7 = सजना है मुझे सजना के लिए
| extra7 = आशा भोंसले
| length7 = 5:04

}}

==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}

== बाहरी कड़ियाँ ==
* {{imdb title|0070637|सौदागर}}
* {{imdb title|0070637|सौदागर}}



05:32, 16 अगस्त 2018 का अवतरण

सौदागर

सौदागर का पोस्टर
निर्देशक सुधेन्दु रॉय
लेखक सुधेन्दु रॉय (पटकथा)
पी.एल.संतोषी (संवाद)
निर्माता ताराचंद बड़जात्या
सुभाष घई
अभिनेता अमिताभ बच्चन
नूतन
पदमा खन्ना
छायाकार दिलीप रंजन मुखोपाध्याय
संपादक मुख़्तार अहमद
संगीतकार रवीन्द्र जैन
प्रदर्शन तिथियाँ
26 अक्तूबर, 1973
लम्बाई
131 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी

सौदागर 1973 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसका निर्देशन सुधेन्दु रॉय द्वारा किया गया और नरेन्द्रनाथ मित्र की कहानी रस पर आधारित है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और नूतन प्रमुख भूमिकाओं में है।[1] हालांकि इस फ़िल्म को बॉक्स ऑफ़िस में उतनी सफलता नहीं मिली लेकिन इसे भारत की ओर से अकादमी पुरस्कार के लिए भेजा गया था लेकिन यह फ़िल्म नामांकित न हो सकी।

संक्षेप

नौजवान मोती (अमिताभ बच्चन) खजूर का रस ठेके पर निकालता है और उसका महजबी (नूतन) नाम की थोड़ी उम्र में बड़ी विधवा से गुड़ बनवाता है और उसे आमदनी में हिस्सा भी देता है। महजबी की गुड़ बनाने की कला लाजवाब है और मोती का गुड़ हाथों हाथ बिक जाता है। ये मौसमी काम है और जब इसका मौसम नहीं होता वो एक सुंदर युवती फूल बानो (पदमा खन्ना) से मिलता है और उससे शादी करना चाहता है। जब वह उसके अब्बा शेख़ साहब (मुराद) से उसका हाथ मांगने जाता है तो शेख़ साहब कहते हैं कि उन्हें ५०० महर चाहिए ताकि उनकी लड़की सुरक्षित रहे। जो कि उसके पास देने को नहीं है। वह २००, २५० और ३०० की मेहर भी ठुकरा देता है। मायूस लौट के आये मोती को कोई यह सलाह देता है कि जो उसका गुड़ बनाती है उसी से निक़ाह पढ़वाकर अपनी आमदनी का हिस्सा बचा ले। काम के फाश में पड़ा मोती महजबी के साथ निक़ाह पढ़वाता है और उसे अपने घर लाकर और अधिक गुड़ बनवाता है। जब उसके पास मेहर के पैसे पूरे हो जाते हैं तो वह महजबी को तलाक़ देता है और फूल बानो से ब्याह रचा लेता है। इस सदमे से महजबी किसी दूसरे गांव में एक मछली के व्यापारी, जिसके तीन बच्चे पहले से ही हैं, से ब्याह रचा लेती है। जब गुड़ बनाने का मौसम आता है तो फूल बानो जिसे गुड़ बनाने की कला का ज्ञान नहीं है निम्न गुणवत्ता का गुड़ बना के देती है। जिसकी वजह से उससे कोई गुड़ नहीं ख़रीदता है और मण्डी में उसकी १० साल पुरानी साख ख़त्म हो जाती है। आख़िरकार मोती थक हार के रस की दो हांडियाँ महजबी के नये घर लेकर जाता है और महजबी से उसका गुड़ बनाने की गुहार लगाता है। मोती के पीछे-पीछे फूल बानो भी आ जाती है और जब महजबी इस बात से इन्कार कर रही होती है कि वह मोती के लिए गुड़ बनाएगी, तभी उसकी नज़र बाड़े के पीछे खड़ी रोती हुयी फूल बानो पर पड़ती है। फूल बानो उसे आपा (दीदी) पुकारती है और दोनों आलिंगन कर लेते हैं। इस फ़िल्म के आख़िर में यह नहीं बताया गया है कि क्या महजबी ने फिर से मोती के लिए गुड़ बनाना शुरु कर दिया या फूल बानो को अपने गुड़ बनाने के राज़ बता दिए।

मुख्य कलाकार

संगीत

सभी गीत रवीन्द्र जैन द्वारा लिखित; सारा संगीत रवीन्द्र जैन द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."तेरा मेरा साथ रहे"लता मंगेश्कर5:45
2."क्यों लायो संइया पान"आशा भोंसले4:41
3."मैं हूँ फूल बानो"लता मंगेश्कर4:18
4."दूर है किनारा"मन्ना डे5:31
5."हुस्न है या कोई कयामत है"मोहम्मद रफी, आरती मुखर्जी4:57
6."हर हसीन चीज़ का"किशोर कुमार4:12
7."सजना है मुझे सजना के लिए"आशा भोंसले5:04

सन्दर्भ

  1. "गुड़ बेचने से लेकर लोगों का सामान उठाने तक, अमिताभ ने फिल्मों में किए ऐसे काम". दैनिक भास्कर. 1 मई 2018. अभिगमन तिथि 16 अगस्त 2018.

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