"रोमन लिपि": अवतरणों में अंतर
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birthday 13th march in raigarh from Chhattisgarh |
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|'''अक्षर''' :|| A || B || C || D || E || F || G || H || I || L || M || N || O || P || Q || R || S || T || V || X |
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|'''उच्चारण (लातिनी)''' : ||अ (आ) || ब || क || द || ए (ऍ) || फ़ || ग || ह || इ (ई, य) || ल || म || न || ओ (ऑ) || प || क्व || र || स || त || उ (ऊ, उअ) || क्स |
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स्वर के ऊपर समतल रेखा (Macron) का अर्थ होता था कि स्वर दीर्घ है, पर इसे लिखना ज़रूरी नहीं माना जाता था। बाद में यूनानी भाषा के उधार के शब्द लाने के लिये [[यूनानी लिपि]] से ये अक्षर लिये गये : K (क), Y (इयु), Z (ज़)। [[व्यंजन]] "उअ" के लिये V प्रयुक्त किया जाने लगा और स्वर "उ" के लिये U। इसके भी कुछ बाद J (य) और W (व) जुड़े। छोटे अक्षरों के रूप (a, b, c, d, e, f, g, h, i, j, k, l, m, n, o, p, q, r, s, t, u, v, w, x, y, z) मध्ययुग में आये। पश्चिम और मध्य [[यूरोप]] की सारी भाषाओं ने लिखावट के लिये रोमन लिपि अपना ली। |
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Father - Mr। purushottam Dewangan |
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Mother - Mrs। gouri Dewangan |
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brother - Mr। love kumar Dewangan |
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sister - Mrs। kiran Dewangan |
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== अंग्रेज़ी == |
== अंग्रेज़ी == |
12:08, 6 जुलाई 2018 का अवतरण
रोमन लिपि लिखावट का वो तरीका है जिसमें अंग्रेज़ी सहित पश्चिमी और मध्य यूरोप की सारी भाषाएँ लिखी जाती हैं, जैसे जर्मन, फ़्रांसिसी, स्पैनिश, पुर्तगाली, इतालवी, डच, नॉर्वेजियन, स्वीडिश, रोमानियाई, इत्यादि। ये बायें से दायें लिखी और पढ़ी जाती है।
अंग्रेज़ी के अलावा लगभग सारी यूरोपीय भाषाएँ रोमन लिपि के कुछ अक्षरों पर अतिरिक्त चिन्ह भी प्रयुक्त करते हैं।
इतिहास
birthday 13th march in raigarh from Chhattisgarh
== FAMILY
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Father - Mr। purushottam Dewangan
Mother - Mrs। gouri Dewangan
brother - Mr। love kumar Dewangan
sister - Mrs। kiran Dewangan
अंग्रेज़ी
रोमन लिपि में लिखी हुई अंग्रेज़ी और उसके उच्चारण में बहुत ज़्यादा गड़बड़ घोटाला है। इसकी वजह है :
- रोमन लिपि को प्राचीन अंग्रेज़ों ने उधार लिया था अपनी भाषा लिखने के लिये। ये अंग्रेज़ी की अपनी लिपि नहीं है।
- मध्ययुग में अंग्रेज़ी भाषा में महा स्वर समारोपण (en:Great vowel shift) हुआ। इस वजह से ज़्यागातर मध्ययुगीन अंग्रेज़ी के शब्दों में विवृत स्वर उटकर संवृत स्वर में बदल गये। संवृत स्वर नीचे गिरकर द्विमात्रिक स्वरों में बदल गये। पर उन शब्दों की स्पेलिंग वैसी की वैसी ही रहीं।
- अंग्रेज़ी का मानकीकरण होने के बाद स्पेलिंग परिवर्तन और भी कठिन हो गया।
अन्य यूरोपीय भाषाओं में लिखावट और उच्चारण में उतना भेद नहीं है और अगर है भी तो उसके अच्छे ख़ासे नियम कनून होते हैं।