"फ़िरोज़ाबाद": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
== इतिहास ==
फ़िरोज़ाबाद का पुराना नाम चंदवार बताया जाता है, वर्तमान नाम अकबर के समय में मनसबदार फ़िरोज़शाह द्वारा 1566 में दिया गया।<ref>http://firozabad.nic.in/District_History.html</ref>
फ़िरोज़ाबाद का पुराना नाम चंदवार बताया जाता है, वर्तमान नाम अकबर के समय में मनसबदार फ़िरोज़शाह द्वारा 1566 में दिया गया।<ref>http://firozabad.nic.in/District_History.html</ref>
चंदवार (या चंदावर) में राजा जयचंद और मुहम्मद ग़ोरी के बीच 1194 ई। में [[चंदावर का युद्ध|युद्ध]] लड़ा गया जिसमें जयचंद की हार और मृत्यु हुई।<ref name="Chandra2004">{{cite book|author=Satish Chandra|title=Medieval India: From Sultanat to the Mughals-Delhi Sultanat (1206-1526) - Part One|url=https://books.google.com/books?id=L5eFzeyjBTQC&pg=PA27|year=2004|publisher=Har-Anand Publications|isbn=978-81-241-1064-5|pages=27–}}</ref><ref name="Kishore2016">{{cite book|author=Kunal Kishore|title=Ayodhya Revisited|url=https://books.google.com/books?id=gKKaDAAAQBAJ&pg=PA315|year=2016|publisher=Ocean Books Pvt. Limited|isbn=978-81-8430-357-5|pages=315–}}</ref>
चंदवार (या चंदावर) में राजा जयचंद और मुहम्मद ग़ोरी के बीच 1194 ई। में [[चंदावर का युद्ध|युद्ध]] लड़ा गया जिसमें जयचंद की हार और मृत्यु हुई फ़िरोज़ाबाद  का प्राचीन नाम चंदवार  नगर था। फ़िरोज़ाबाद  का नाम अकबर के शासन में फिरोज शाह मनसब दार  द्वारा 1566 में दिया गया था। कहते हैं कि राजा टोडरमल गया से तीर्थ यात्रा कर के इस शहर के माध्यम से लौट रहे थे ,तब उन्हें लुटेरो ने लूट लिया|उनके  अनुरोध पर, अकबर महान ने मनसबदार  फिरोज शाह को यहा भेजा|  फिरोज शाह दतौजि, रसूलपुर,मोहम्मदपुर       गजमलपुर ,सुखमलपुर निज़ामाबाद, प्रेमपुर रैपुरा के आस-पास उतरा|फिरोज शाह का मकबरा और कतरा पठनं  के खंडहर  इस तथ्य का सबूत है|

ईस्ट इंडिया कंपनी से सम्बंदित एक व्यापारी पीटर ने 9 अगस्त 1632 में  यहाँ का  दौरा किया और शहर को अच्छी हालत में पाया|यह आगरा और मथुरा की विवरणिका में लिखा है की फ़िरोज़ाबाद  को एक परगना के रूप में उन्नत किया गया था|शाहजहां के शाशन में नबाब  सादुल्ला को फ़िरोज़ाबाद जागीर के रूप में प्रदान किया गया|Jahangir  ने 1605 से 1627 तक शाशन किया|इटावा, बदायूं मैनपुरी, फ़िरोज़ाबाद  सम्राट फर्रुखसियर  के  प्रथम श्रेणी मनसबदार के अंतर्गत थे।

बाजीराव पेशवा ने मोहम्मद शाह के शासन में 1737 में फ़िरोज़ाबाद और एतमादपुर लूटा|महावन के जाटों ने फौजदार हाकिम काजिम  पर हमला किया और उसे 9 मई 1739  में मारे दिया|जाटों ने फ़िरोज़ाबाद पर 30 साल शासन किया।

मिर्जा नबाब  खान यहाँ 1782 तक रुके थे। 18 वीं सदी के अंत में फ़िरोज़ाबाद पर  मराठाओं के सहयोग के साथ हिम्मत बहादुर गुसाईं द्वारा शासन किया गया|

फ्रेंच, आर्मी चीफ डी. वायन ने  नवंबर 1794 में एक आयुध  फैक्टरी की स्थापना की। श्री थॉमस ट्रविंग ने भी अपनी पुस्तक 'Travels in India ' में इस तथ्य का उल्लेख किया है|

मराठाओं ने सूबेदार लकवाददस  को यहां नियुक्त किया,जिसने पुरानी तहसील के पास एक किले का निर्माण कराया जो वर्तमान में गाढ़ी के पास स्थित है|जनरल  लेक और  जनरल  वेल्लजल्ल्य  ने 1802 में  फ़िरोज़ाबाद  पर आक्रमण किया|ब्रिटिश शासन की शुरुआत में फ़िरोज़ाबाद  इटावा जिले में था।लेकिन कुछ समय बाद यह अलीगढ़ जिले में संलग्न किया गया| जब 1832 में सादाबाद को नया ज़िला बनाया गया तो फ़िरोज़ाबाद को इस में सम्मिलित कर दिया गया|पर बाद में 1833 में  फ़िरोज़ाबाद को आगरा में   सम्मिलित कर दिया गया|1847 में लाख का व्यापर यहाँ बहुत फल-फूल रहा था|

1857 के स्वतंत्रा संग्राम में  चंदवार के जमींदारो ने स्थानीय मलहो के साथ सक्रिय भाग लिया|प्रसिद्ध उर्दू कवि मुनीर शिकोहाबादी  को  ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार ने काला पानी की सजा सुनाई थी।इस शहर के लोगो ने  'खिलाफत आंदोलन', 'भारत छोड़ो आंदोलन' और 'नमक सत्याग्रह' में भाग लिया और राष्ट्रीय आंदोलनों के दौरान जेल गये|

1929 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ,1935  में सीमांत गांधी,१९३७ में पंडित जवाहरलाल नेहरू और १९४० में सुभाषचन्द्र बोस ने फ़िरोज़ाबाद के दौरे किये|

फ़िरोज़ाबाद जनपद 5 फरबरी 1989  में स्थापित हुआ|

।<ref name="Chandra2004">{{cite book|author=Satish Chandra|title=Medieval India: From Sultanat to the Mughals-Delhi Sultanat (1206-1526) - Part One|url=https://books.google.com/books?id=L5eFzeyjBTQC&pg=PA27|year=2004|publisher=Har-Anand Publications|isbn=978-81-241-1064-5|pages=27–}}</ref><ref name="Kishore2016">{{cite book|author=Kunal Kishore|title=Ayodhya Revisited|url=https://books.google.com/books?id=gKKaDAAAQBAJ&pg=PA315|year=2016|publisher=Ocean Books Pvt. Limited|isbn=978-81-8430-357-5|pages=315–}}</ref>


== नगर पालिका की स्थापना ==
== नगर पालिका की स्थापना ==

16:10, 22 फ़रवरी 2018 का अवतरण

फिरोजाबाद
फ़िरोज़ाबाद
فیروزآباد
city
फिरोजाबाद is located in उत्तर प्रदेश
फिरोजाबाद
फिरोजाबाद
CountryIndia
StateUttar Pradesh
DistrictFirozabad
शासन
 • सभाCongress
जनसंख्या (2011 census)
 • कुल603,797
Languages
 • OfficialHindi
Urdu
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
PIN283203
Telephone code05612
वाहन पंजीकरणUP 83
वेबसाइटfirozabad.nic.in

फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है।यह शहर चूड़ियों के निर्माण के लिये प्रसिद्ध है। यह आगरा से 40 किलोमीटर और राजधानी दिल्ली से 250 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व की तरफ स्थित है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यहाँ से लगभग 250 किमी पूर्व की तरफ है। फिरोज़ाबाद ज़िले के अन्तर्गत दो कस्बे टुंडला और शिकोहाबाद आते हैं। टुंडला पश्चिम तथा शिकोहाबाद शहर के पूर्व में स्थित है।

फिरोज़ाबाद में मुख्यतः चूडियों का कारोबार होता है। यहाँ पर आप रंग बिरंगी चूडियों को अपने चारों ओर देख सकते हैं। लेकिन अब यहाँ पर गैस का कारोबार होता है। यहाँ पर काँच का अन्य सामान (जैसे काँच के झूमर) भी बनते हैं।

इस शहर की आबो हवा गरम है। यहाँ की आबादी बहुत घनी है। यहाँ के ज्यादातर लोग कोरोबार से जुडे हैं। घरों के अन्दर महिलाएं भी चूडियों पर पालिश और हिल लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। बाल मज़दूरी यहाँ आम है। सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद उन पर अंकुश नहीं लगा सकी है। जबकि पंडित तोताराम सनाढय द्वारा बंधुआ मजदूरी/गिरमिटिया प्रथा को फिजी में समाप्त किया।जिनकी जन्म स्थली फीरोजाबाद से लगभग 8 किलो मीटर दूर गाओं हिरन गाओं में है !फिरोजाबाद को प्राचीन समय में चन्द्रनगर के नाम से जाना जाता था

इतिहास

फ़िरोज़ाबाद का पुराना नाम चंदवार बताया जाता है, वर्तमान नाम अकबर के समय में मनसबदार फ़िरोज़शाह द्वारा 1566 में दिया गया।[1] चंदवार (या चंदावर) में राजा जयचंद और मुहम्मद ग़ोरी के बीच 1194 ई। में युद्ध लड़ा गया जिसमें जयचंद की हार और मृत्यु हुई फ़िरोज़ाबाद  का प्राचीन नाम चंदवार  नगर था। फ़िरोज़ाबाद  का नाम अकबर के शासन में फिरोज शाह मनसब दार  द्वारा 1566 में दिया गया था। कहते हैं कि राजा टोडरमल गया से तीर्थ यात्रा कर के इस शहर के माध्यम से लौट रहे थे ,तब उन्हें लुटेरो ने लूट लिया|उनके  अनुरोध पर, अकबर महान ने मनसबदार  फिरोज शाह को यहा भेजा|  फिरोज शाह दतौजि, रसूलपुर,मोहम्मदपुर       गजमलपुर ,सुखमलपुर निज़ामाबाद, प्रेमपुर रैपुरा के आस-पास उतरा|फिरोज शाह का मकबरा और कतरा पठनं  के खंडहर  इस तथ्य का सबूत है|

ईस्ट इंडिया कंपनी से सम्बंदित एक व्यापारी पीटर ने 9 अगस्त 1632 में  यहाँ का  दौरा किया और शहर को अच्छी हालत में पाया|यह आगरा और मथुरा की विवरणिका में लिखा है की फ़िरोज़ाबाद  को एक परगना के रूप में उन्नत किया गया था|शाहजहां के शाशन में नबाब  सादुल्ला को फ़िरोज़ाबाद जागीर के रूप में प्रदान किया गया|Jahangir  ने 1605 से 1627 तक शाशन किया|इटावा, बदायूं मैनपुरी, फ़िरोज़ाबाद  सम्राट फर्रुखसियर  के  प्रथम श्रेणी मनसबदार के अंतर्गत थे।

बाजीराव पेशवा ने मोहम्मद शाह के शासन में 1737 में फ़िरोज़ाबाद और एतमादपुर लूटा|महावन के जाटों ने फौजदार हाकिम काजिम  पर हमला किया और उसे 9 मई 1739  में मारे दिया|जाटों ने फ़िरोज़ाबाद पर 30 साल शासन किया।

मिर्जा नबाब  खान यहाँ 1782 तक रुके थे। 18 वीं सदी के अंत में फ़िरोज़ाबाद पर  मराठाओं के सहयोग के साथ हिम्मत बहादुर गुसाईं द्वारा शासन किया गया|

फ्रेंच, आर्मी चीफ डी. वायन ने  नवंबर 1794 में एक आयुध  फैक्टरी की स्थापना की। श्री थॉमस ट्रविंग ने भी अपनी पुस्तक 'Travels in India ' में इस तथ्य का उल्लेख किया है|

मराठाओं ने सूबेदार लकवाददस  को यहां नियुक्त किया,जिसने पुरानी तहसील के पास एक किले का निर्माण कराया जो वर्तमान में गाढ़ी के पास स्थित है|जनरल  लेक और  जनरल  वेल्लजल्ल्य  ने 1802 में  फ़िरोज़ाबाद  पर आक्रमण किया|ब्रिटिश शासन की शुरुआत में फ़िरोज़ाबाद  इटावा जिले में था।लेकिन कुछ समय बाद यह अलीगढ़ जिले में संलग्न किया गया| जब 1832 में सादाबाद को नया ज़िला बनाया गया तो फ़िरोज़ाबाद को इस में सम्मिलित कर दिया गया|पर बाद में 1833 में  फ़िरोज़ाबाद को आगरा में   सम्मिलित कर दिया गया|1847 में लाख का व्यापर यहाँ बहुत फल-फूल रहा था|

1857 के स्वतंत्रा संग्राम में  चंदवार के जमींदारो ने स्थानीय मलहो के साथ सक्रिय भाग लिया|प्रसिद्ध उर्दू कवि मुनीर शिकोहाबादी  को  ईस्ट इंडिया कंपनी सरकार ने काला पानी की सजा सुनाई थी।इस शहर के लोगो ने  'खिलाफत आंदोलन', 'भारत छोड़ो आंदोलन' और 'नमक सत्याग्रह' में भाग लिया और राष्ट्रीय आंदोलनों के दौरान जेल गये|

1929 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ,1935  में सीमांत गांधी,१९३७ में पंडित जवाहरलाल नेहरू और १९४० में सुभाषचन्द्र बोस ने फ़िरोज़ाबाद के दौरे किये|

फ़िरोज़ाबाद जनपद 5 फरबरी 1989  में स्थापित हुआ|

[2][3]

नगर पालिका की स्थापना

आगरा गजेटियर 1965 के पृष्ठ 263 के अनुसार फिरोजावाद नगर पालिका की स्थापना सन् 1868 में प्रारम्भ हुई, अनेक वर्षों तक जुवान्त मजिस्ट्रेट इसका अध्यक्छ हुआ करता था। उस समय पुलिस की व्यवस्था भी नगर पालिका के अंतर्गत थी।

काँच उद्योग का प्रारम्भ

अलीगढ इंस्टिट्यूट गजट सन 1880 के पृष्ठ 1083 पर उर्दू के कवि मौलाना अल्ताफ हुसैन हाली ने लिखा है कि फ़िरोज़ाबाद में खजूर के पटटे की पंखिया एशी उम्दा वनती है कि हिंदुस्तान में शायद ही कही वनती हो। सादी पंखिया जिसमे किसी कदर रेशम का काम होता है एक रुपया कीमत की हमने भी यहाँ देखी। इस कथन से स्पस्ट होता है कि 1880 तक यहाँ काँच उद्योग का प्रारम्भ नहीं हुआ था, आगरा गजेटियर 1884 के पृष्ठ 740 के अनुसार उस समय फ़िरोज़ाबाद में लाख का व्यवसाय भी अच्छी स्थिति में था ये व्यवसाय कालान्तर में समाप्त हो गया है ,परंतु वर्तमान में भारत में सबसे अधिक काँच की चूड़ियाँ, सजावट की काँच की वस्तुएँ, वैज्ञानिक उपकरण, बल्ब आदि फ़िरोज़ाबाद में बनाये जाते हैं।[उद्धरण चाहिए] फ़िरोज़ाबाद में मुख्यत:चूड़ियों का व्यवसाय होता है। यहाँ पर आप रंगबिरंगी चूड़ियों की दुकानें चारों ओर देख सकते हैं। घरों के अन्दर महिलाएँ भी चूडियों पर पॉलिश लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। भारत में काँच का सर्वाधिक फ़िरोज़ाबाद नामक छोटे से शहर में बनाया जाता है। इस शहर के अधिकांश लोग काँच के किसी न किसी सामान के निर्माण से जुड़े उद्यम में लगे हैं। सबसे अधिक काँच की चूड़ियों का निर्माण इसी शहर में होता है। रंगीन काँच को गलाने के बाद उसे खींच कर तार के समान बनाया जाता है और एक बेलनाकार ढाँचे पर कुंडली के आकार में लपेटा जाता है। स्प्रिंग के समान दिखने वाली इस संरचना को काट कर खुले सिरों वाली चूड़ियाँ तैयार कर ली जातीं हैं। अब इन खुले सिरों वाली चूड़ियों के विधिपूर्वक न सिर्फ़ ये सिरे जोड़े जाते हैं बल्कि चूड़ियाँ एकरूप भी की जाती हैं ताकि जुड़े सिरों पर काँच का कोई टुकड़ा निकला न रह जाये। यह एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें काँच को गर्म व ठण्डा करना पड़ता है।[उद्धरण चाहिए]

फिरोजावाद में रेल का प्रारम्भ

सन 1862 में 1 अप्रेल को टूंडला से शिकोहाबाद के लिए पहली रेलगाड़ी चालू हुई इससे अगले वर्ष मार्च 1863 ई0 से टूंडला से अलीगढ तक रेल चलने लगी।

फ़िरोज़ाबाद नगर की आबादी

सन 1847 ई0 में 11782 व् 1853 में 12674, और सं 1865 में 13163 तथा सन 1872 में 14255 एव सं 1881 में 16023 व् 1901 में 15849 फ़िरोज़ाबाद नगर की आबादी थी।

परिवहन

यह आगरा और इटावा के बीच प्रमुख रेलवे जंक्शन है। दिल्ली से रेल द्वारा आसानी से टूंडला जंक्शन एवम् हिरन गाओं होते हुए फ़िरोज़ाबाद पंहुचा जा सकता है एवम् फ़िरोज़ाबाद पहुँचने हेतु बस आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। स्वतंत्रता सेनानी पंडित तोताराम सनाढय की जन्म भूमि गाओं हिरन गाओं में जाने हेतु टैम्पू टैक्सी आदि की भी समुचित व्यवस्ता है।

सन्दर्भ

1.आगरा गजेटियर 1965 के पृष्ठ 263 पर

  1. http://firozabad.nic.in/District_History.html
  2. Satish Chandra (2004). Medieval India: From Sultanat to the Mughals-Delhi Sultanat (1206-1526) - Part One. Har-Anand Publications. पपृ॰ 27–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-241-1064-5.
  3. Kunal Kishore (2016). Ayodhya Revisited. Ocean Books Pvt. Limited. पपृ॰ 315–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8430-357-5.