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'''राव जोधा''' जी का जन्म [[२८ मार्च]], [[१४१६]], तदनुसार भादवा बदी 8 सं. 1472 में हुआ था। इनके पिता [[राव रणमल]] मारवाड़ के शासक थे। इन्हें [[जोधपुर]] शहर की स्थापना के लिए जाना जाता है। इन्होंने ही [[जोधपुर]] का [[मेहरानगढ़]] दुर्ग बनवाया था राव ब्रह्मभट्ट राव जोधा के वंशज है|
'''राव जोधा''' जी का जन्म [[२८ मार्च]], [[१४१६]], तदनुसार भादवा बदी 8 सं. 1472 में हुआ था। इनके पिता [[राव रणमल]] मारवाड़ के शासक थे। इन्हें [[जोधपुर]] शहर की स्थापना के लिए जाना जाता है। इन्होंने ही [[जोधपुर]] का [[मेहरानगढ़]] दुर्ग बनवाया था राव ब्रह्मभट्ट राव जोधा के वंशज है|


== इतिहास ==
<span class="notranslate" onmouseover="_tipon(this)" onmouseout="_tipoff()"><span class="google-src-text" style="direction: ltr; text-align: left">== इतिहास == मेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था अतः मेवाड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन थे और इन्होने मेवाड़ नरेश [[महाराणा कुम्भा]] व उनकी माता सोभाग्य देवी को राव रिदमल जी के विरुध बहका दिया |वि॰सं॰ 1495 में एक साजिश के तहत गहरी निंद में सोये राव रिदमल को मर डाला गया व रावत चुडा लाखावत सिसोदिये के नेत्रत्व में मेवाड़ की सेना मंडोर पर आक्रमण कर मारवाड़ राज्य पर अधिकार जमा लिया |अपने प </span> == इतिहास == मेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था इसलिए कुछ लोगों के मुकाबले मेड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन हैं और इन्हें मेवाड़ राजा [[महाराणा कुम्भा]] और उनकी माता संभाग्य देवी को राव रीडमल जी की विरुध बहका दिया। 14 9 5 में एक साजिश के तहत गहरी नींद में सोये राव रेड्मल को मर डाला गया और रावत चुड़ लाखवाव सिसोद्ये के नेत्रत्व में मेवाड़ की सेना मंडोर पर हमला कर मारवाड़ राज्य पर अधिकार जमा किया गया</span> <span class="notranslate" onmouseover="_tipon(this)" onmouseout="_tipoff()"><span class="google-src-text" style="direction: ltr; text-align: left"> ता के निधन के साथ ही राव जोधा का पेतर्क राज्य भी हाथ से निकल गया, लेकिन राव जोधा ने यह कभी नहीं भुला की धरती वीरों की वधु होती है और युद्ध क्षत्रिय का व्यवसाय |</span> ता के निधन के साथ ही राव जोधा का पेतर्क राज्य भी हाथ से निकल गया, लेकिन राव जोधा ने यह कभी नहीं भुला की धरती वीरों की वधु होती है और युद्ध क्षत्रिय का व्यवसाय |</span> <span class="notranslate" onmouseover="_tipon(this)" onmouseout="_tipoff()"><span class="google-src-text" style="direction: ltr; text-align: left">वसुन्धरा वीरा रि वधु, वीर तीको ही बिन्द |</span> वसुन्धरा वीरा री पुरूष, वीर तीको ही बिन्द |</span> <span class="notranslate" onmouseover="_tipon(this)" onmouseout="_tipoff()"><span class="google-src-text" style="direction: ltr; text-align: left">रण खेती राजपूत रि, वीर न भूले बाल ||</span> रण खेती राजपूत र, वीर न भूले बाल ||</span> <span class="notranslate" onmouseover="_tipon(this)" onmouseout="_tipoff()"><span class="google-src-text" style="direction: ltr; text-align: left">वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से [[मंडोर]], कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि॰सं॰ 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों ने सोजत, पाली, खैरवा, नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया |</span> वीर साहसी और पराक्रमी राव जोधा ने निरंतर संघर्ष के दौरान मारवाड़ राज्य को फिर से जीतना और अंत में अपने भाइयों की सक्रियता सहयोग से [[मंडोर]], कोसना और चौकीदार को लुभाना, फिर से राधौर राज्य में मारवाड़ राज्य 1510 इस विजय के बाद राव जोधा और उनके भाइयों ने सोोजत, पाली, खैरवा, नडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया।</span> <span class="notranslate" onmouseover="_tipon(this)" onmouseout="_tipoff()"><span class="google-src-text" style="direction: ltr; text-align: left">राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को [[मंडोर]],[[मेड़ता]], फलोदी,[[पोकरण]], भाद्रजुन,[[सोजत]],[[पाली]], सिवाना,[[साम्भर]],[[अजमेर]],[[नागौर]],[[डीडवाना]] तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया |</span> राव जोधा ने अपने भाइयों और पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य [[मंडोर]], [[मेड़ता]], फलोदी, [[पोकरना]], भाद्रजुन, [[सोोजत]], [[पाली]], सेवाना, [ [साम्भरा]], [[अजमेर]], [[नागौर]], [[डीडवाना]] तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित किया।</span> <span class="notranslate" onmouseover="_tipon(this)" onmouseout="_tipoff()"><span class="google-src-text" style="direction: ltr; text-align: left">इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, बिकाजी ने [[जांगलदेश|जाग्लुदेश]] (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि॰सं॰ 1515 में राव जोधा ने [[जोधपुर]] के किले [[मेहरानगढ़]]की नीवं दल कर [[जोधपुर]] नगर बसाया |</span> इनके वीर बेटों में दुदोोजी मेड़ता, बिकाजी ने [[जंगलदेश | जागलुदेश]] (बीकानेर) और बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्वैतार्थ राठोड़ राज्यों की स्थापना की थी | मंडोर को असुरक्षित समझकर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि.सं. 1515 में राव जोधा ने [[जोधपुर]] के किले [[मेहरानगढ़]] की नीव दल कर [[जोधपुर]] नगर बसाया |</span> <span class="notranslate" onmouseover="_tipon(this)" onmouseout="_tipoff()"><span class="google-src-text" style="direction: ltr; text-align: left">राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि॰सं॰ 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ |</span> राव जोधा जी ने अपने राज्य के शासन को सुव्यवस्थित चलाने के लिए राज्य के अलग हिस्सों में भाग लिया, अपने भाइयों और पुत्रों को बांट दिया। वी। 1545 में राव जोधा जी की मृत्यु हुई।</span>
मेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था अतः मेवाड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन थे और इन्होने मेवाड़ नरेश [[महाराणा कुम्भा]] व उनकी माता सोभाग्य देवी को राव रिदमल जी के विरुध बहका दिया |वि॰सं॰ 1495 में एक साजिश के तहत गहरी निंद में सोये राव रिदमल को मर डाला गया व रावत चुडा लाखावत सिसोदिये के नेत्रत्व में मेवाड़ की सेना मंडोर पर आक्रमण कर मारवाड़ राज्य पर अधिकार जमा लिया |अपने पिता के निधन के साथ ही राव जोधा का पेतर्क राज्य भी हाथ से निकल गया, लेकिन राव जोधा ने यह कभी नहीं भुला की धरती वीरों की वधु होती है और युद्ध क्षत्रिय का व्यवसाय |

वसुन्धरा वीरा रि वधु, वीर तीको ही बिन्द |

रण खेती राजपूत रि, वीर न भूले बाल ||

वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से [[मंडोर]], कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि॰सं॰ 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों ने सोजत, पाली, खैरवा, नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया |
राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को [[मंडोर]],[[मेड़ता]], फलोदी,[[पोकरण]], भाद्रजुन,[[सोजत]],[[पाली]], सिवाना,[[साम्भर]],[[अजमेर]],[[नागौर]],[[डीडवाना]] तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया |
इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, बिकाजी ने [[जांगलदेश|जाग्लुदेश]] (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि॰सं॰ 1515 में राव जोधा ने [[जोधपुर]] के किले [[मेहरानगढ़]]की नीवं दल कर [[जोधपुर]] नगर बसाया | राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि॰सं॰ 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ |


== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==

06:39, 23 जनवरी 2018 का अवतरण

राव जोधा
जोधपुर के संस्थापक
शासनावधि1540– 1597
पूर्ववर्तीराव रणमल
घरानाराठौड़
पिताराव रणमल

राव जोधा जी का जन्म २८ मार्च, १४१६, तदनुसार भादवा बदी 8 सं. 1472 में हुआ था। इनके पिता राव रणमल मारवाड़ के शासक थे। इन्हें जोधपुर शहर की स्थापना के लिए जाना जाता है। इन्होंने ही जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग बनवाया था राव ब्रह्मभट्ट राव जोधा के वंशज है|

इतिहास

मेवाड़ का शासन कार्य भी इनकी सहमति से चलता था अतः मेवाड़ के कुछ सरदार इनसे अप्रसन थे और इन्होने मेवाड़ नरेश महाराणा कुम्भा व उनकी माता सोभाग्य देवी को राव रिदमल जी के विरुध बहका दिया |वि॰सं॰ 1495 में एक साजिश के तहत गहरी निंद में सोये राव रिदमल को मर डाला गया व रावत चुडा लाखावत सिसोदिये के नेत्रत्व में मेवाड़ की सेना मंडोर पर आक्रमण कर मारवाड़ राज्य पर अधिकार जमा लिया |अपने पिता के निधन के साथ ही राव जोधा का पेतर्क राज्य भी हाथ से निकल गया, लेकिन राव जोधा ने यह कभी नहीं भुला की धरती वीरों की वधु होती है और युद्ध क्षत्रिय का व्यवसाय |

वसुन्धरा वीरा रि वधु, वीर तीको ही बिन्द |

रण खेती राजपूत रि, वीर न भूले बाल ||

वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से मंडोर, कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि॰सं॰ 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों ने सोजत, पाली, खैरवा, नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया | राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को मंडोर,मेड़ता, फलोदी,पोकरण, भाद्रजुन,सोजत,पाली, सिवाना,साम्भर,अजमेर,नागौर,डीडवाना तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया | इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता, बिकाजी ने जाग्लुदेश (बीकानेर) व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि॰सं॰ 1515 में राव जोधा ने जोधपुर के किले मेहरानगढ़की नीवं दल कर जोधपुर नगर बसाया | राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि॰सं॰ 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ |

इन्हें भी देखें

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