"वर्नर हेइदेन्स्ताम": अवतरणों में अंतर
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''वर्नर हेइदेन्स्ताम'' का पूरा नाम '''कार्ल गुस्ताफ वर्नर वान हेइदेन्स्ताम''' (Carl Gustaf Verner Van Heidenstam) था।<ref>[[हिंदी विश्वकोश]], खंड-6, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण-1966, पृष्ठ-450.</ref> उनका जन्म 6 जुलाई, 1859 ई०को नार्क (स्वीडन) में हुआ था।<ref>नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-.</ref> बचपन में वे बड़े लज्जालु स्वभाव के और दुर्बल थे, किंतु पढ़ने-लिखने में उनका मन बहुत लगता था। विशेषकर कविताएँ और वीरगाथाएँ वे बड़े चाव से पढ़ते थे। बचपन में ही उन्हें फेफड़े की बीमारी हो गयी थी, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन के लिए उन्हें दक्षिणी यूरोप भेजा गया। 8 वर्ष तक वे स्वीडन से दूर ही रहे और इटली स्विट्जरलैंड, ग्रीस, तुर्की और मिस्र का भ्रमण करते रहे। उनके पूर्वजों में से कुछ लोग पूर्वी देशों में नौकरियाँ भी कर चुके थे। उन देशों के सुंदर दृश्य देखकर वे मुग्ध हुए और इसका उन पर काफी प्रभाव पड़ा। |
''वर्नर हेइदेन्स्ताम'' का पूरा नाम '''कार्ल गुस्ताफ वर्नर वान हेइदेन्स्ताम''' (Carl Gustaf Verner Van Heidenstam) था।<ref>[[हिंदी विश्वकोश]], खंड-6, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण-1966, पृष्ठ-450.</ref> उनका जन्म 6 जुलाई, 1859 ई०को नार्क (स्वीडन) में हुआ था।<ref>नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-230.</ref> बचपन में वे बड़े लज्जालु स्वभाव के और दुर्बल थे, किंतु पढ़ने-लिखने में उनका मन बहुत लगता था। विशेषकर कविताएँ और वीरगाथाएँ वे बड़े चाव से पढ़ते थे। बचपन में ही उन्हें फेफड़े की बीमारी हो गयी थी, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन के लिए उन्हें दक्षिणी यूरोप भेजा गया। 8 वर्ष तक वे स्वीडन से दूर ही रहे और इटली स्विट्जरलैंड, ग्रीस, तुर्की और मिस्र का भ्रमण करते रहे। उनके पूर्वजों में से कुछ लोग पूर्वी देशों में नौकरियाँ भी कर चुके थे। उन देशों के सुंदर दृश्य देखकर वे मुग्ध हुए और इसका उन पर काफी प्रभाव पड़ा।<ref name="अ">नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-78.</ref> |
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आरंभ में उनके मन में चित्रकार बनने की अभिलाषा भी हुई थी और उन्होंने कुछ समय तक चित्रकला की शिक्षा भी ली थी। उनकी कविताओं में चित्रकला की जानकारी आभासित होती है। |
आरंभ में उनके मन में चित्रकार बनने की अभिलाषा भी हुई थी और उन्होंने कुछ समय तक चित्रकला की शिक्षा भी ली थी। उनकी कविताओं में चित्रकला की जानकारी आभासित होती है। |
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युवावस्था के आरंभ में ही एक मध्यम श्रेणी की स्विस लड़की से उन्हें प्रेम हो गया था और उसी के साथ उन्होंने शादी भी की। |
युवावस्था के आरंभ में ही एक मध्यम श्रेणी की स्विस लड़की से उन्हें प्रेम हो गया था और उसी के साथ उन्होंने शादी भी की।<ref name="अ" /> |
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== रचनात्मक परिचय == |
== रचनात्मक परिचय == |
10:47, 2 जनवरी 2018 का अवतरण
वर्नर हेइदेन्स्ताम (1859-1940) स्वीडिश कवि एवं उपन्यासकार थे। 1916 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता।
वर्नर हेइदेन्स्ताम | |
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जन्म | कार्ल गुस्ताफ वर्नर वाॅन हेइदेन्स्ताम 6 जुलाई 1859 नार्क, स्वीडन |
मौत | 20 मई 1940 ओवरालीड, ओस्टरगोटलैंड, (स्वीडन) | (उम्र 80)
पेशा | कवि, उपन्यासकार |
राष्ट्रीयता | स्वीडिश |
खिताब | 1916 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार |
जीवनसाथी | इमिलिया उगला (m. 1880, d. 1893); ओल्गा विवर्ग (m. 1893, div.); ग्रेटा जोबर्ग (m. 1900, div.) |
रिश्तेदार | गुस्ताफ वाॅन हेइदेन्स्ताम (पिता) |
जीवन-परिचय
वर्नर हेइदेन्स्ताम का पूरा नाम कार्ल गुस्ताफ वर्नर वान हेइदेन्स्ताम (Carl Gustaf Verner Van Heidenstam) था।[1] उनका जन्म 6 जुलाई, 1859 ई०को नार्क (स्वीडन) में हुआ था।[2] बचपन में वे बड़े लज्जालु स्वभाव के और दुर्बल थे, किंतु पढ़ने-लिखने में उनका मन बहुत लगता था। विशेषकर कविताएँ और वीरगाथाएँ वे बड़े चाव से पढ़ते थे। बचपन में ही उन्हें फेफड़े की बीमारी हो गयी थी, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन के लिए उन्हें दक्षिणी यूरोप भेजा गया। 8 वर्ष तक वे स्वीडन से दूर ही रहे और इटली स्विट्जरलैंड, ग्रीस, तुर्की और मिस्र का भ्रमण करते रहे। उनके पूर्वजों में से कुछ लोग पूर्वी देशों में नौकरियाँ भी कर चुके थे। उन देशों के सुंदर दृश्य देखकर वे मुग्ध हुए और इसका उन पर काफी प्रभाव पड़ा।[3]
आरंभ में उनके मन में चित्रकार बनने की अभिलाषा भी हुई थी और उन्होंने कुछ समय तक चित्रकला की शिक्षा भी ली थी। उनकी कविताओं में चित्रकला की जानकारी आभासित होती है।
युवावस्था के आरंभ में ही एक मध्यम श्रेणी की स्विस लड़की से उन्हें प्रेम हो गया था और उसी के साथ उन्होंने शादी भी की।[3]
रचनात्मक परिचय
वर्नर हेइदेन्स्ताम कथाकार होने के साथ-साथ कवि भी थे। उनका पहला उपन्यास एण्डीमियन नाम से प्रकाशित हुआ, जिसका प्रसंग पुराना होने पर भी शैली नवीन थी हेइदेन्स्ताम कहानी में तथ्यवाद के पूर्ण विरोधी थे और इस विचार के अनुकूल ही अपनी रचनाओं में उन्होंने आदर्शवाद और आभ्यंतरिक सत्य की खोज पर ज़ोर दिया है।
प्रकाशित पुस्तकें
- कविता संग्रह
- तीर्थयात्रा और भ्रमण के दिन
- एकांत विचार
- उपन्यास
- एण्डीमियन
- पेपिटाज़ वेडिंग (पेपिटा का विवाह)
- चार्ल्समैन
- फ्रेंचमाॅन्स
- सुरक्षित घर
- कैदी
- सेंट जॉर्ज एंड द ड्रैगन
- सेंट बिरगिटाज पिल्ग्रिमेज
- फॉरेस्ट मर्मर्स
- नाटक
- भविष्यवक्ता
- भगवान का जन्म
- दि ट्री ऑफ फोकंग्स
- निबंध
- क्लासिज़्म और ट्यूरानिज़्म
सन्दर्भ
- ↑ हिंदी विश्वकोश, खंड-6, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण-1966, पृष्ठ-450.
- ↑ नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-230.
- ↑ अ आ नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-78.