"चन्द्रशेखर": अवतरणों में अंतर

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१९६२ से १९६७ तक वह [[भारत]] के ऊपरी सदन [[राज्य सभा]] के सदस्य थे। उन्होंने १९८४ में भारत की पदयात्रा की, जिससे उन्होंने भारत को अच्छी तरह से समझने की कोशिश की। इस पदयात्रा से [[इन्दिरा गांधी]] को थोड़ी घबराहट हुई। सन 1977 मे जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्होने मंत्री पद न लेकर जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लिया था।
१९६२ से १९६७ तक वह [[भारत]] के ऊपरी सदन [[राज्य सभा]] के सदस्य थे। उन्होंने १९८४ में भारत की पदयात्रा की, जिससे उन्होंने भारत को अच्छी तरह से समझने की कोशिश की। इस पदयात्रा से [[इन्दिरा गांधी]] को थोड़ी घबराहट हुई। सन 1977 मे जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्होने मंत्री पद न लेकर जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लिया था।


उन्होंने पहले का नेता [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] के राजीनामा के बाद जनता दल से कुछ नेता लेकर समाजवादी जनता पार्टी स्थापना की। उनकी सरकार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चुनाव ना करने के लिए समर्थन करने के बाद उनका छोटा बहुमत का सरकार बन गया। उन का कांग्रेस से सम्बन्ध बाद मे कांग्रेस ने उनको नेता [[राजीव गांधी]] का सुराकी करने के आरोप के कारण से बदल गया। कांग्रेस ने उनके सरकार को सहयोग नकारने के बाद उन्होंने ६० सांसद के समर्थन के साथ इस्तीफा घोषणा कर दी।
उन्होंने पहले के नेता [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] के राजीनामा के बाद जनता दल से कुछ नेता लेकर समाजवादी जनता पार्टी की स्थापना की। उनकी सरकार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चुनाव ना करने के लिए समर्थन करने के बाद उनकी छोटे बहुमत की सरकार बन गयी। उन का कांग्रेस से सम्बन्ध बाद मे कांग्रेस ने उनको नेता [[राजीव गांधी]] का सुराकी करने के आरोप के कारण से बदल गया। कांग्रेस ने उनके सरकार को सहयोग नकारने के बाद उन्होंने ६० सांसद के समर्थन के साथ इस्तीफा घोषणा कर दी।


प्रधान मन्त्री के पद में ७ महीने तक रहे चन्द्रशेखर [[मार्च ६]], [[१९९१]] में राजीनामा किया। उन्होंने लेकिन राष्ट्रीय चुनाव तक प्रधानमन्त्री का पद संभाला। चन्द्रशेखर उनके संसदीय वार्तालाप के लिए बहुत चर्चित थे। उन्हें [[१९९५]] में [[आउटस्टैण्डिंग पार्लिमेन्टेरियन अवार्ड]] भी मिला था।
प्रधान मन्त्री के पद में ७ महीने तक रहे चन्द्रशेखर [[मार्च ६]], [[१९९१]] में राजीनामा किया। उन्होंने लेकिन राष्ट्रीय चुनाव तक प्रधानमन्त्री का पद संभाला। चन्द्रशेखर उनके संसदीय वार्तालाप के लिए बहुत चर्चित थे। उन्हें [[१९९५]] में [[आउटस्टैण्डिंग पार्लिमेन्टेरियन अवार्ड]] भी मिला था।

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चन्द्रशेखर
चन्द्रशेखर


कार्यकाल
१० नवंबर १९९० – २१ जून १९९१
पूर्ववर्ती विश्वनाथ प्रताप सिंह
परवर्ती पी. वी. नरसिंह राव

जन्म १७ अप्रैल १९२७
इब्राहिमपट्टी, बलिया, उत्तर प्रदेश
मृत्यु ८ जुलाई २००७
राजनैतिक दल समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय)
जीवन संगी द्विजा देवी[1]
हस्ताक्षर चन्द्रशेखर's signature

चन्द्रशेखर सिंह (जन्म १७ अप्रैल, १९२७ - मृत्यु 8 जुलाई, २००७) भारत के नौवें प्रधानमन्त्री थे।

जीवनी

प्ररम्भिक जीवन

उनका जन्म १९२७ में पूर्वी उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी का एक कृषक परिवार में हुआ था। इनकी स्कूली शिक्षा भीमपुरा के राम करन इण्टर कॉलेज में हुई। उन्होंने एम ए डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया। उन्हें विद्यार्थी राजनीति में एक "फायरब्रान्ड" के नाम से जाना जाता था। विद्यार्थी जीवन के पश्चात वह समाजवादी राजनीति में सक्रिय हुए।[2]

राजनैतिक जीवन

१९६२ से १९६७ तक वह भारत के ऊपरी सदन राज्य सभा के सदस्य थे। उन्होंने १९८४ में भारत की पदयात्रा की, जिससे उन्होंने भारत को अच्छी तरह से समझने की कोशिश की। इस पदयात्रा से इन्दिरा गांधी को थोड़ी घबराहट हुई। सन 1977 मे जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्होने मंत्री पद न लेकर जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लिया था।

उन्होंने पहले के नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह के राजीनामा के बाद जनता दल से कुछ नेता लेकर समाजवादी जनता पार्टी की स्थापना की। उनकी सरकार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चुनाव ना करने के लिए समर्थन करने के बाद उनकी छोटे बहुमत की सरकार बन गयी। उन का कांग्रेस से सम्बन्ध बाद मे कांग्रेस ने उनको नेता राजीव गांधी का सुराकी करने के आरोप के कारण से बदल गया। कांग्रेस ने उनके सरकार को सहयोग नकारने के बाद उन्होंने ६० सांसद के समर्थन के साथ इस्तीफा घोषणा कर दी।

प्रधान मन्त्री के पद में ७ महीने तक रहे चन्द्रशेखर मार्च ६, १९९१ में राजीनामा किया। उन्होंने लेकिन राष्ट्रीय चुनाव तक प्रधानमन्त्री का पद संभाला। चन्द्रशेखर उनके संसदीय वार्तालाप के लिए बहुत चर्चित थे। उन्हें १९९५ में आउटस्टैण्डिंग पार्लिमेन्टेरियन अवार्ड भी मिला था।

चन्द्र शेखर भारत के निचले सदन लोक सभा के सदस्य थे। उन्होंने यहाँ समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) का नेतृत्व किया था। १९७७ से उन्होंने लोक सभा की निर्वाचन ८ बार उत्तर प्रदेश के बलिया क्षेत्र से जीता था। सन १९८४ मे इन्दिरा गांधी की हत्या से उपजे आक्रोश के कारण एक बार चुनाव हारे थे।

शेखरजी को मल्टिपल मायलोमा, एक प्रकार का प्लाज्मा कोष कैंसर हुआ था। ३ मई, २००७ को उनको इस रोग के इलाज हेतु गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती किया गया। उनकी अवस्था बिगड़ती गयी और आखिर में जुलाई ८ में नई दिल्ली में अस्पताल में उनका देहावसान हो गया।[3]

टीका-टिप्पणी

  1. "इंदिरा गांधी के घर के सामने पत्नी सुनाती रही 'अपशब्द' और पति बन गए PM". दैनिक भास्कर. 1 जुलाई 2013. अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2013.
  2. द हिन्दू, "Former Prime Minister Chandra Shekhar dies" July 8 2007
  3. "Former Prime Minister Chandra Shekhar passes away". AndhraNews.net.


पूर्वाधिकारी
विश्वनाथ प्रताप सिंह
भारत के प्रधानमन्त्री
१९९०—१९९१
उत्तराधिकारी
पी. वी. नरसिंह राव

इन्हें भी देखें

बाहरी कडियां