"इस्लाम में तलाक़": अवतरणों में अंतर

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==मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017==
==मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017==
अगस्त 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से देश में त्वरित ट्रिपल तलाक के 100 मामलों के बाद भाजपा सरकार ने बिल तैयार किए 28 दिसंबर 2017 को, [[लोकसभा]] ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2017 को पारित कर दिया।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india-42499887|title=एक बार में तीन तलाक़ बिल लोकसभा में पास}}</ref> बिल किसी भी रूप में तत्काल ट्रिपल तालाक (तलक-ए-बिदाह) लिखता है - लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप को अवैध और शून्य के रूप में, पति के लिए जेल में तीन साल तक। आरजेडी, एआईएमआईएम, बीजेडी, एआईएडीएमके और एआईएमएम के सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया, इसे प्रकृति में मनमानी और दोषपूर्ण प्रस्ताव दिया, जबकि कांग्रेस ने [[लोकसभा]] में कानून मंत्री [[रवि शंकर प्रसाद]] ने पेश किया विधेयक का समर्थन किया।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india-42505791|title=कौन हैं गुलअफ्शां जिनका नाम रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में लिया?}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.firstpost.com/politics/congress-backing-of-triple-talaq-bill-indicates-its-gradually-withdrawing-from-muslim-appeasement-politics-4279223.html|title=Congress' backing of triple talaq bill indicates it's gradually withdrawing from Muslim appeasement politics}}</ref> विधेयक पर विपक्षी सदस्य 19 संशोधन प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन सदन ने सभी को ख़ारिज कर दिया। तीन संशोधनों पर वोटिंग की मांग की गई और वोटिंग होने के बाद स्पीकर सुमित्रा महाजन ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि ये ख़ारिज हो गए हैं।
अगस्त 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से देश में त्वरित ट्रिपल तलाक के 100 मामलों के बाद भाजपा सरकार ने बिल तैयार किए 28 दिसंबर 2017 को, [[लोकसभा]] ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को पारित कर दिया।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india-42499887|title=एक बार में तीन तलाक़ बिल लोकसभा में पास}}</ref> बिल किसी भी रूप में तत्काल ट्रिपल तालाक (तलक-ए-बिदाह) लिखता है - लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप को अवैध और शून्य के रूप में, पति के लिए जेल में तीन साल तक। आरजेडी, एआईएमआईएम, बीजेडी, एआईएडीएमके और एआईएमएम के सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया, इसे प्रकृति में मनमानी और दोषपूर्ण प्रस्ताव दिया, जबकि कांग्रेस ने [[लोकसभा]] में कानून मंत्री [[रवि शंकर प्रसाद]] ने पेश किया विधेयक का समर्थन किया।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/india-42505791|title=कौन हैं गुलअफ्शां जिनका नाम रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में लिया?}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.firstpost.com/politics/congress-backing-of-triple-talaq-bill-indicates-its-gradually-withdrawing-from-muslim-appeasement-politics-4279223.html|title=Congress' backing of triple talaq bill indicates it's gradually withdrawing from Muslim appeasement politics}}</ref> विधेयक पर विपक्षी सदस्य 19 संशोधन प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन सदन ने सभी को ख़ारिज कर दिया। तीन संशोधनों पर वोटिंग की मांग की गई और वोटिंग होने के बाद स्पीकर सुमित्रा महाजन ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि ये ख़ारिज हो गए हैं।


==इन्हें भी देखें==
==इन्हें भी देखें==

16:27, 28 दिसम्बर 2017 का अवतरण

इस्लाम धर्म में,विवाह, जिसे निकाह कहा जाता हैं एक पुरूष और एक स्त्री की अपनी आजाद मर्जी से एक दूसरें के साथ पति और पत्नी के रूप में रहने का फैसला हैं। इसकी तीन शर्ते हैं : पहली यह कि पुरूष वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारियों को उठाने की शपथ ले, एक निश्चित रकम जो आपसी बातचीत से तय हो, मेहर के रूप में औरत को दे और इस नये सम्बन्ध की समाज में घोषणा हो जाये। इसके बिना किसी मर्द और औरत का साथ रहना और यौन सम्बन्ध स्थापित करना गलत, बल्कि एक बड़ा अपराध हैं।[1]

प्रक्रिया

कुछ आधुनिक शिक्षा से प्रभावित व्यक्तियों का दावा है कि पवित्र कुरान में तलाक को न करने लायक काम का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि इसको खूब कठिन बनाया गया है। तलाक देने की एक विस्तृत प्रक्रिया दर्शाई गई है। परिवार में बातचीत, पति-पत्नी के बीच संवाद और सुलह पर जोर दिया गया है। पवित्र कुरान में कहा गया है कि जहाँ तक संभव हो, तलाक न दिया जाए और यदि तलाक देना जरूरी और अनिवार्य हो जाए तो कम से कम यह प्रक्रिया न्यायिक हो[2]

इसके चलते पवित्र कुरान में दोनों प्क्षों से बात-चीत या सुलह का प्रयास किए बिना दिए गए तलाक का जिक्र कहीं भी नहीं मिलता। इसी तरह पवित्र कुरान में तलाक प्रक्रिया की समय अवधि भी स्पष्ट रूप से बताई गई है। एक ही क्षण में तलाक का सवाल ही नहीं उठता। खत लिखकर, टेलीफोन पर या आधुनिकाल में ईमेल, एस एम एस अथवा वॉट्सऍप के माध्यम से एक-तरफा और जुबानी या अनौपचारिक रूप से लिखित तलाक की इजाजत इस्लाम कतई नहीं देता। एक बैठक में या एक ही वक्त में तलाक दे देना गैर-इस्लामी है।[3] ऐस किया जाना मिस्र तथा कई अन्य मुस्लिम देशों में अवैध है।

तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत)

तलाक ए बिद्दत (ट्रिपल तलाक) के तहत जब एक व्यक्ति अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक बोल देता है या फोन, मेल, मैसेज या पत्र के जरिए तीन तालक दे देता है तो इसके बाद तुरंत तलाक हो जाता है।[4] इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। ट्रिपल तालक, जिसे तालाक-ए-बिद्दात, तत्काल तलाक और तालक-ए-मुघलाजाह (अविचल तलाक) के रूप में भी जाना जाता है, इस्लामिक तलाक का एक रूप है जिसे भारत में मुसलमानों द्वारा इस्तेमाल किया गया है, विशेषकर हनफ़ी पन्थ के अनुयायी न्यायशास्र के सुन्नी इस्लामिक स्कूल।[5][6]

प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने 365 पेज के फैसले में कहा, ‘3:2 के बहुमत से दर्ज की गई अलग-अलग राय के मद्देनजर‘तलाक-ए-बिद्दत’’ तीन तलाक को निरस्त किया जाता है।[7]

मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017

अगस्त 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से देश में त्वरित ट्रिपल तलाक के 100 मामलों के बाद भाजपा सरकार ने बिल तैयार किए 28 दिसंबर 2017 को, लोकसभा ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को पारित कर दिया।[8] बिल किसी भी रूप में तत्काल ट्रिपल तालाक (तलक-ए-बिदाह) लिखता है - लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप को अवैध और शून्य के रूप में, पति के लिए जेल में तीन साल तक। आरजेडी, एआईएमआईएम, बीजेडी, एआईएडीएमके और एआईएमएम के सांसदों ने इस विधेयक का विरोध किया, इसे प्रकृति में मनमानी और दोषपूर्ण प्रस्ताव दिया, जबकि कांग्रेस ने लोकसभा में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पेश किया विधेयक का समर्थन किया।[9][10] विधेयक पर विपक्षी सदस्य 19 संशोधन प्रस्ताव लेकर आए थे, लेकिन सदन ने सभी को ख़ारिज कर दिया। तीन संशोधनों पर वोटिंग की मांग की गई और वोटिंग होने के बाद स्पीकर सुमित्रा महाजन ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि ये ख़ारिज हो गए हैं।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. http://www.islamsabkeliye.com/info-details?id=190
  2. https://c.mp.ucweb.com/detail/ba9bc74259174ae08168fde1ae52183a?uc_param_str=dnvebichfrmintcpwidsudsvnwpflameefut&set_lang=english
  3. http://navbharattimes.indiatimes.com/thoughts-platform/viewpoint/islam-and-talaq/moviearticleshow/18368491.cms
  4. http://www.hindustantimes.com/opinion/triple-talaq-ban-this-un-islamic-practice-and-bring-in-a-uniform-civil-code/story-ZuZeeKjjngTUoWjflLPqjK.html
  5. "Hanafi jurisprudence sanctions triple talaq".
  6. "Law, morality, triple talaq".
  7. https://khabar.ndtv.com/news/india/triple-talaq-verdict-supreme-court-1740319
  8. "एक बार में तीन तलाक़ बिल लोकसभा में पास".
  9. "कौन हैं गुलअफ्शां जिनका नाम रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में लिया?".
  10. "Congress' backing of triple talaq bill indicates it's gradually withdrawing from Muslim appeasement politics".