"कुछ कुछ होता है": अवतरणों में अंतर

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== संक्षेप ==
== संक्षेप ==


इस फिल्म के द्वारा करण जोहर ने अपने निर्देशन कैरियर की शुरआत की और शाहरुख़ और काजोल की सफल जोड़ी को एक बार फिर दर्शकों के सामने रखा| लंबे समय से एक हिट की तलाश में चल रहे यश जोहर बैनर को और खंडाला गर्ल रानी मुख़र्जी को इस फिल्म से बहुत उमीदें थी। मित्र आदित्य चोपड़ा की तरह करन जोहर ने भी कैरियर की शुरूआत एक प्रेम कथा से की।
इस फिल्म के द्वारा करण जोहर ने अपने निर्देशन कैरियर की शुरआत की और शाहरुख़ और काजोल की सफल जोड़ी को एक बार फिर दर्शकों के सामने रखा। लंबे समय से एक हिट की तलाश में चल रहे यश जोहर बैनर को और खंडाला गर्ल रानी मुख़र्जी को इस फिल्म से बहुत उमीदें थी। मित्र आदित्य चोपड़ा की तरह करन जोहर ने भी कैरियर की शुरूआत एक प्रेम कथा से की।


फिल्म में रानी मुख़र्जी और सलमान खान ने अतिथि कलाकार के रूप में कम किया।
फिल्म में रानी मुख़र्जी और सलमान खान ने अतिथि कलाकार के रूप में कम किया।


राहुल (शाहरुख़ खान) और अंजलि (काजोल देवगन) एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। राहुल एक खुशदिल और मस्तमौला लड़का होता है और अंजलि एक लड़कों जैसी लगने वाली और उन्हीं के जैसे शौक रखने वाली लड़की होती है। अंजलि और राहुल दोनों बहुत अच्छे दोस्त होते हैं और पूरे कॉलेज की जान होते है। जहाँ राहुल कॉलेज की लड़कियों के पीछे भागता है वहीं अंजलि को राहुल की इस तरह की हरकते बेहद नापसंद होती है। पर राहुल को अपने ही कॉलेज में ऑक्स्फर्ड से पड़ने आई प्रिन्सिपल की बेटी टीना (रानी मुख़र्जी) से प्यार हो जाता है। राहुल को टीना के साथ देखकर अंजलि को जलन होने लगती है और तब उसे एहसास होता है की अंजलि की राहुल से दोस्ती दोस्ती नहीं प्यार है। टीना भी राहुल से प्यार करने लगती है लेकिन इसी बीच वो अंजलि को देखकर जान जाती है कि वो भी राहुल से प्यार करती है। यहाँ कहानी में प्रेम त्रिकोण बनता है लेकिन राहुल और टीना के लिए अंजलि कॉलेज छोड़ देती है।
राहुल (शाहरुख़ खान) और अंजलि (काजोल देवगन) एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। राहुल एक खुशदिल और मस्तमौला लड़का होता है और अंजलि एक लड़कों जैसी लगने वाली और उन्हीं के जैसे शौक रखने वाली लड़की होती है। अंजलि और राहुल दोनों बहुत अच्छे दोस्त होते हैं और पूरे कॉलेज की जान होते है। जहाँ राहुल कॉलेज की लड़कियों के पीछे भागता है वहीं अंजलि को राहुल की इस तरह की हरकते बेहद नापसंद होती है। पर राहुल को अपने ही कॉलेज में ऑक्स्फर्ड से पड़ने आई प्रिन्सिपल की बेटी टीना (रानी मुख़र्जी) से प्यार हो जाता है। राहुल को टीना के साथ देखकर अंजलि को जलन होने लगती है और तब उसे एहसास होता है कि अंजलि की राहुल से दोस्ती दोस्ती नहीं प्यार है। टीना भी राहुल से प्यार करने लगती है लेकिन इसी बीच वो अंजलि को देखकर जान जाती है कि वो भी राहुल से प्यार करती है। यहाँ कहानी में प्रेम त्रिकोण बनता है लेकिन राहुल और टीना के लिए अंजलि कॉलेज छोड़ देती है।


राहुल और टीना शादी कर लेते हैं और उनकी एक बेटी होती है जिसका नाम वे अंजलि रखते हैं। टीना मरने से पहले अपने बेटी के लिए उसके हर जन्मदिन पर एक चिट्ठी तोहफे मे छोड़ कर जाती है। चिट्ठियो मे उसकी, राहुल और अंजलि के कॉलेज की दास्तान बयान होती है। अंजलि को 8 साल की होने पर पता लगता है कि कॉलेज में अंजलि (काजोल देवगन) उसके पापा से कितना प्यार करती थी और उसकी मरती हुई माँ का एक ही ख्वाब था -राहुल और अंजलि को फिर से मिलना| वो कसम खाती है की वो अपने पापा को अंजलि से मिलाएगी और वो अंजलि को ढूँढना शुरू कर देती है। उसे अंजलि तो मिल जाती है लेकिन तब तक अंजलि की मँगनी अमन (सलमान खान) से हो चुकी होती है।
राहुल और टीना शादी कर लेते हैं और उनकी एक बेटी होती है जिसका नाम वे अंजलि रखते हैं। टीना मरने से पहले अपने बेटी के लिए उसके हर जन्मदिन पर एक चिट्ठी तोहफे में छोड़ कर जाती है। चिट्ठियो में उसकी, राहुल और अंजलि के कॉलेज की दास्तान बयान होती है। अंजलि को 8 साल की होने पर पता लगता है कि कॉलेज में अंजलि (काजोल देवगन) उसके पापा से कितना प्यार करती थी और उसकी मरती हुई माँ का एक ही ख्वाब था -राहुल और अंजलि को फिर से मिलना| वो कसम खाती है कि वो अपने पापा को अंजलि से मिलाएगी और वो अंजलि को ढूँढना शुरू कर देती है। उसे अंजलि तो मिल जाती है लेकिन तब तक अंजलि की मँगनी अमन (सलमान खान) से हो चुकी होती है।


क्या छोटी अंजलि अपने पापा को उनकी पुरानी कॉलेज की दोस्त से मिला पाती है और मँगनी होने के बाद भी क्या अंजलि और राहुल मिल पाते हैं यह फिल्म का चरम है।
क्या छोटी अंजलि अपने पापा को उनकी पुरानी कॉलेज की दोस्त से मिला पाती है और मँगनी होने के बाद भी क्या अंजलि और राहुल मिल पाते हैं यह फिल्म का चरम है।


फिल्म मनोरंजक है लेकिन कई जगह पर कहानी को काट कर छोटा किया जा सकता है। मनीष मल्होत्रा ने कलाकारों के लिए बहुत अच्छे कपड़े डिज़ाइन किए है और फिल्म के छायांकन की जितनी तारीफ की जाए कम है। कारण जोहर ने अपनी पहली फिल्म में अच्छा निर्देशन किया है। शाहरुख हमेशा की तरह अभिनय में शीर्ष पर रहे है और ये फिल्म भी उनकी सबसे सफलतम फिल्मों मे से एक गिनी जाती है। साना सईद ने छोटी अंजलि का किरदार बेहतरीन तरीके से निभाया है। रानी मुख़र्जी का किरदार छोटा है पर बाज़ी मारी काजोल देवगन ने दर्शकों को शाहरुख़ खान और काजोल देवगन की जोड़ी बेहद पसंद आई और यही जोड़ी इस फिल्म की जान है। पर्दे पर काफ़ी समय बाद शाहरुख़ खान और सलमान खान को साथ देखना अच्छा लगा| फिल्म की कहानी कुछ कुछ अंग्रेज़ी फिल्म "माय बेस्ट फ़्रेंड'स वेड्डिंग की याद दिलाती है"| जतिन ललित ने बहुत अच्छा संगीत दिया है और फिल्म के गीत लंबे समय तक श्रोताओं की ज़ुबान पर राज करेंगे। कुल मिलाकर यह फिल्म अच्छी और मनोरंजक है और देश विदेश में इसे बेहद पसंद किया गया है।
फिल्म मनोरंजक है लेकिन कई जगह पर कहानी को काट कर छोटा किया जा सकता है। मनीष मल्होत्रा ने कलाकारों के लिए बहुत अच्छे कपड़े डिज़ाइन किए हैं और फिल्म के छायांकन की जितनी तारीफ की जाए कम है। कारण जोहर ने अपनी पहली फिल्म में अच्छा निर्देशन किया है। शाहरुख हमेशा की तरह अभिनय में शीर्ष पर रहे हैं और ये फिल्म भी उनकी सबसे सफलतम फिल्मों में से एक गिनी जाती है। साना सईद ने छोटी अंजलि का किरदार बेहतरीन तरीके से निभाया है। रानी मुख़र्जी का किरदार छोटा है पर बाज़ी मारी काजोल देवगन ने दर्शकों को शाहरुख़ खान और काजोल देवगन की जोड़ी बेहद पसंद आई और यही जोड़ी इस फिल्म की जान है। पर्दे पर काफ़ी समय बाद शाहरुख़ खान और सलमान खान को साथ देखना अच्छा लगा। फिल्म की कहानी कुछ कुछ अंग्रेज़ी फिल्म "माय बेस्ट फ़्रेंड'स वेड्डिंग की याद दिलाती है"| जतिन ललित ने बहुत अच्छा संगीत दिया है और फिल्म के गीत लंबे समय तक श्रोताओं की ज़ुबान पर राज करेंगे। कुल मिलाकर यह फिल्म अच्छी और मनोरंजक है और देश विदेश में इसे बेहद पसंद किया गया है।


== मुख्य कलाकार - चरित्र ==
== मुख्य कलाकार - चरित्र ==

16:26, 18 नवम्बर 2017 का अवतरण

कुछ कुछ होता है
निर्देशक करण जोहर
लेखक करण जोहर
निर्माता करण जोहर
अभिनेता शाहरुख़ ख़ान, काजोल देवगन, सलमान ख़ान, रानी मुखर्जी
संगीतकार जतिन्-ललित्
प्रदर्शन तिथियाँ
१६ अक्टूबर, 1998
देश भारत
भाषा हिन्दी

कुछ कुछ होता है 1998 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।

संक्षेप

इस फिल्म के द्वारा करण जोहर ने अपने निर्देशन कैरियर की शुरआत की और शाहरुख़ और काजोल की सफल जोड़ी को एक बार फिर दर्शकों के सामने रखा। लंबे समय से एक हिट की तलाश में चल रहे यश जोहर बैनर को और खंडाला गर्ल रानी मुख़र्जी को इस फिल्म से बहुत उमीदें थी। मित्र आदित्य चोपड़ा की तरह करन जोहर ने भी कैरियर की शुरूआत एक प्रेम कथा से की।

फिल्म में रानी मुख़र्जी और सलमान खान ने अतिथि कलाकार के रूप में कम किया।

राहुल (शाहरुख़ खान) और अंजलि (काजोल देवगन) एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। राहुल एक खुशदिल और मस्तमौला लड़का होता है और अंजलि एक लड़कों जैसी लगने वाली और उन्हीं के जैसे शौक रखने वाली लड़की होती है। अंजलि और राहुल दोनों बहुत अच्छे दोस्त होते हैं और पूरे कॉलेज की जान होते है। जहाँ राहुल कॉलेज की लड़कियों के पीछे भागता है वहीं अंजलि को राहुल की इस तरह की हरकते बेहद नापसंद होती है। पर राहुल को अपने ही कॉलेज में ऑक्स्फर्ड से पड़ने आई प्रिन्सिपल की बेटी टीना (रानी मुख़र्जी) से प्यार हो जाता है। राहुल को टीना के साथ देखकर अंजलि को जलन होने लगती है और तब उसे एहसास होता है कि अंजलि की राहुल से दोस्ती दोस्ती नहीं प्यार है। टीना भी राहुल से प्यार करने लगती है लेकिन इसी बीच वो अंजलि को देखकर जान जाती है कि वो भी राहुल से प्यार करती है। यहाँ कहानी में प्रेम त्रिकोण बनता है लेकिन राहुल और टीना के लिए अंजलि कॉलेज छोड़ देती है।

राहुल और टीना शादी कर लेते हैं और उनकी एक बेटी होती है जिसका नाम वे अंजलि रखते हैं। टीना मरने से पहले अपने बेटी के लिए उसके हर जन्मदिन पर एक चिट्ठी तोहफे में छोड़ कर जाती है। चिट्ठियो में उसकी, राहुल और अंजलि के कॉलेज की दास्तान बयान होती है। अंजलि को 8 साल की होने पर पता लगता है कि कॉलेज में अंजलि (काजोल देवगन) उसके पापा से कितना प्यार करती थी और उसकी मरती हुई माँ का एक ही ख्वाब था -राहुल और अंजलि को फिर से मिलना| वो कसम खाती है कि वो अपने पापा को अंजलि से मिलाएगी और वो अंजलि को ढूँढना शुरू कर देती है। उसे अंजलि तो मिल जाती है लेकिन तब तक अंजलि की मँगनी अमन (सलमान खान) से हो चुकी होती है।

क्या छोटी अंजलि अपने पापा को उनकी पुरानी कॉलेज की दोस्त से मिला पाती है और मँगनी होने के बाद भी क्या अंजलि और राहुल मिल पाते हैं यह फिल्म का चरम है।

फिल्म मनोरंजक है लेकिन कई जगह पर कहानी को काट कर छोटा किया जा सकता है। मनीष मल्होत्रा ने कलाकारों के लिए बहुत अच्छे कपड़े डिज़ाइन किए हैं और फिल्म के छायांकन की जितनी तारीफ की जाए कम है। कारण जोहर ने अपनी पहली फिल्म में अच्छा निर्देशन किया है। शाहरुख हमेशा की तरह अभिनय में शीर्ष पर रहे हैं और ये फिल्म भी उनकी सबसे सफलतम फिल्मों में से एक गिनी जाती है। साना सईद ने छोटी अंजलि का किरदार बेहतरीन तरीके से निभाया है। रानी मुख़र्जी का किरदार छोटा है पर बाज़ी मारी काजोल देवगन ने दर्शकों को शाहरुख़ खान और काजोल देवगन की जोड़ी बेहद पसंद आई और यही जोड़ी इस फिल्म की जान है। पर्दे पर काफ़ी समय बाद शाहरुख़ खान और सलमान खान को साथ देखना अच्छा लगा। फिल्म की कहानी कुछ कुछ अंग्रेज़ी फिल्म "माय बेस्ट फ़्रेंड'स वेड्डिंग की याद दिलाती है"| जतिन ललित ने बहुत अच्छा संगीत दिया है और फिल्म के गीत लंबे समय तक श्रोताओं की ज़ुबान पर राज करेंगे। कुल मिलाकर यह फिल्म अच्छी और मनोरंजक है और देश विदेश में इसे बेहद पसंद किया गया है।

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