"छीतस्वामी": अवतरणों में अंतर

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'''छीतस्वामी''' [[वल्लभ संप्रदाय]] ([[पुष्टिमार्ग]]) के आठ कवियों ([[अष्टछाप]] कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री [[कृष्ण]] की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। इनका जन्म १५१५ ई० में हुआ था। मथुरा के चतुर्वेदी ब्राह्मण थे। घर में जजमानी और पंडागिरी होती थी। प्रसिद्ध है कि ये बीरबल के पुरोहित थे। पंडा होने के कारण पहले ये बड़े अक्खड़ और उद्दण्ड थे।
'''छीतस्वामी''' [[वल्लभ संप्रदाय]] ([[पुष्टिमार्ग]]) के आठ कवियों ([[अष्टछाप]] कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री [[कृष्ण]] की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। इनका जन्म १५१५ ई० में हुआ था। [[मथुरा]] के चतुर्वेदी ब्राह्मण थे। घर में जजमानी और पंडागिरी होती थी। प्रसिद्ध है कि ये [[बीरबल]] के पुरोहित थे। पंडा होने के कारण पहले ये बड़े अक्खड़ और उद्दण्ड थे।





14:40, 18 मई 2009 का अवतरण

छीतस्वामी वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक । जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। इनका जन्म १५१५ ई० में हुआ था। मथुरा के चतुर्वेदी ब्राह्मण थे। घर में जजमानी और पंडागिरी होती थी। प्रसिद्ध है कि ये बीरबल के पुरोहित थे। पंडा होने के कारण पहले ये बड़े अक्खड़ और उद्दण्ड थे।



छीतस्वामी जी का एक पद

भोग श्रृंगार यशोदा मैया,श्री विट्ठलनाथ के हाथ को भावें ।

नीके न्हवाय श्रृंगार करत हैं, आछी रुचि सों मोही पाग बंधावें ॥

तातें सदा हों उहां ही रहत हो, तू दधि माखन दूध छिपावें ।

छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, निरख नयन त्रय ताप नसावें ॥