"हिन्दी भाषा का इतिहास": अवतरणों में अंतर
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[[हिन्दी भाषा]] का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः [[प्राकृत]] की अन्तिम [[अपभ्रंश]] अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही 'पद्म' रचना प्रारम्भ हो गयी थी। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार [[अपभ्रंश]] की अंतिम अवस्था 'अवहट्ठ' से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं। [[चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी']] ने इसी अवहट्ठ को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया। |
[[हिन्दी भाषा]] का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः [[प्राकृत]] की अन्तिम [[अपभ्रंश]] अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही 'पद्म' रचना प्रारम्भ हो गयी थी। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार [[अपभ्रंश]] की अंतिम अवस्था '[[अवहट्ठ]]' से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं। [[चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी']] ने इसी अवहट्ठ को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया। |
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साहित्य की दृष्टि से पद्यबद्ध जो रचनाएँ मिलती हैं वे [[दोहा]] रूप में ही हैं और उनके विषय, धर्म, नीति, उपदेश आदि प्रमुख हैं। राजाश्रित कवि और चारण नीति, श्रृंगार, शौर्य, पराक्रम आदि के वर्णन से अपनी साहित्य-रुचि का परिचय दिया करते थे। यह रचना-परम्परा आगे चलकर |
साहित्य की दृष्टि से पद्यबद्ध जो रचनाएँ मिलती हैं वे [[दोहा]] रूप में ही हैं और उनके विषय, धर्म, नीति, उपदेश आदि प्रमुख हैं। राजाश्रित कवि और चारण नीति, श्रृंगार, शौर्य, पराक्रम आदि के वर्णन से अपनी साहित्य-रुचि का परिचय दिया करते थे। यह रचना-परम्परा आगे चलकर [[शौरसेनी]] अपभ्रंश या प्राकृताभास हिन्दी में कई वर्षों तक चलती रही। पुरानी अपभ्रंश भाषा और बोलचाल की देशी भाषा का प्रयोग निरन्तर बढ़ता गया। इस भाषा को [[विद्यापति]] ने 'देसी भाषा' कहा है, किन्तु यह निर्णय करना सरल नहीं है कि 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग इस भाषा के लिए कब और किस देश में प्रारम्भ हुआ। हाँ, इतना अवश्य कहा जा सकता है कि प्रारम्भ में हिन्दी शब्द का प्रयोग विदेशी मुसलमानों ने किया था। इस शब्द से उनका तात्पर्य 'भारतीय भाषा' का था। |
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==मध्यकालीन हिन्दी == |
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मध्ययुगीन हिंदी में कुछ अन्य भाषाओं का समागम हुआ जिसमें [[उर्दू]] की मुख्य भूमिका रही। |
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== स्वतंत्रता के बाद की हिन्दी == |
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*[http://www.kuk.ac.in/userfiles/file/distance_education/Year-2011-2012/Lecture-6.pdf हिन्दी साहित्य का इतिहास] (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) |
*[http://www.kuk.ac.in/userfiles/file/distance_education/Year-2011-2012/Lecture-6.pdf हिन्दी साहित्य का इतिहास] (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) |
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*[http://hindi.webdunia.com/history-of-hindi/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%82%E0%A4%A1-112112800050_1.htm हिन्दी भाषा का इतिहास और कालखंड] (वेबदुनिया) |
*[http://hindi.webdunia.com/history-of-hindi/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%96%E0%A4%82%E0%A4%A1-112112800050_1.htm हिन्दी भाषा का इतिहास और कालखंड] (वेबदुनिया) |
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*[http://www.jansatta.com/sunday-magazine/language-hindi-in-the-era-of-globalization/289454/ वैश्वीकरण के दौर में हिंदी] (जनसत्ता) |
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10:19, 25 जून 2017 का अवतरण
हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही 'पद्म' रचना प्रारम्भ हो गयी थी। हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अंतिम अवस्था 'अवहट्ठ' से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं। चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने इसी अवहट्ठ को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया।
साहित्य की दृष्टि से पद्यबद्ध जो रचनाएँ मिलती हैं वे दोहा रूप में ही हैं और उनके विषय, धर्म, नीति, उपदेश आदि प्रमुख हैं। राजाश्रित कवि और चारण नीति, श्रृंगार, शौर्य, पराक्रम आदि के वर्णन से अपनी साहित्य-रुचि का परिचय दिया करते थे। यह रचना-परम्परा आगे चलकर शौरसेनी अपभ्रंश या प्राकृताभास हिन्दी में कई वर्षों तक चलती रही। पुरानी अपभ्रंश भाषा और बोलचाल की देशी भाषा का प्रयोग निरन्तर बढ़ता गया। इस भाषा को विद्यापति ने 'देसी भाषा' कहा है, किन्तु यह निर्णय करना सरल नहीं है कि 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग इस भाषा के लिए कब और किस देश में प्रारम्भ हुआ। हाँ, इतना अवश्य कहा जा सकता है कि प्रारम्भ में हिन्दी शब्द का प्रयोग विदेशी मुसलमानों ने किया था। इस शब्द से उनका तात्पर्य 'भारतीय भाषा' का था।
मध्यकालीन हिन्दी
मध्ययुगीन हिंदी में कुछ अन्य भाषाओं का समागम हुआ जिसमें उर्दू की मुख्य भूमिका रही।
स्वतंत्रता के बाद की हिन्दी
इंटरनेट युग में हिन्दी
हिंदी भाषा की जितनी मांग है, इंटरनेट पर उतनी उपलब्धता नही है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- स्वाधीनता संग्राम के युग में दक्षिण-भारत में हिन्दी का प्रचार-प्रसार (प्रोफेसर महावीर सरन जैन)
बाहरी कडियां
- हिंदी साहित्य का इतिहास (आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ग्रंथावली-5)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय)
- हिन्दी भाषा का इतिहास और कालखंड (वेबदुनिया)
- वैश्वीकरण के दौर में हिंदी (जनसत्ता)
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