"ईशनिंदा": अवतरणों में अंतर
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'''ईशनिंदा''' (Blasphemy) ईश्वर की श्रद्धा, धार्मिक |
'''ईशनिंदा''' (Blasphemy) [[ईश्वर]] की [[श्रद्धा]], धार्मिक या पवित्र लोगों से सम्बंद्ध चीज़ें या धार्मिक रूप से अनुल्लंघनीय कार्य का अपमान या अवमानना को कहते हैं। विभिन्न देशों में ईशनिंदा से सम्बंधित क़ानून भी बने हुए हैं जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी [[पूजा]] करने की चीज़ या जगह को नुक़सान या फिर धार्मिक सभा में व्यवधान डालता या कोई किसी की धार्मिक भावनाओं का अपमान बोलकर या लिखकर या कुछ दृश्यों से करता है तो वो भी ग़ैरक़ानूनी माना जाता है और इसके लिए निश्चित सज़ाओं का प्रावधान होता है।<ref>{{cite web|title=क्या है विवादास्पद ईशनिंदा क़ानून ? |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/08/120828_blasphemy_laws_qa_ss.shtml |publisher=बीबीसी हिन्दी |date=२८ अगस्त २०१२|accessdate=६ जून २०१४}}</ref><ref>{{cite web|title=हिंदू मंदिर पर हमला: ईशनिंदा का केस दर्ज |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2012/10/121001_international_pakistan_hindu_temple_attack_aa.shtml |publisher=बीबीसी हिन्दी|date=१ अक्टूबर २०१२|accessdate=६ जून २०१४}}</ref><ref>{{cite web|title=शंका जताने से कम नहीं होती श्रद्धा|author=युधिष्ठिर लाल कक्कड़ |url= http://navbharattimes.indiatimes.com/astro/holy-discourse/religious-discourse/---/astroshow/1258938.cms |publisher=नवभारत टाइम्स |date=१० अक्टूबर २००५|accessdate=६ जून २०१४}}</ref> |
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== सन्दर्भ == |
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10:33, 14 जून 2017 का अवतरण
ईशनिंदा (Blasphemy) ईश्वर की श्रद्धा, धार्मिक या पवित्र लोगों से सम्बंद्ध चीज़ें या धार्मिक रूप से अनुल्लंघनीय कार्य का अपमान या अवमानना को कहते हैं। विभिन्न देशों में ईशनिंदा से सम्बंधित क़ानून भी बने हुए हैं जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी पूजा करने की चीज़ या जगह को नुक़सान या फिर धार्मिक सभा में व्यवधान डालता या कोई किसी की धार्मिक भावनाओं का अपमान बोलकर या लिखकर या कुछ दृश्यों से करता है तो वो भी ग़ैरक़ानूनी माना जाता है और इसके लिए निश्चित सज़ाओं का प्रावधान होता है।[1][2][3]
सन्दर्भ
- ↑ "क्या है विवादास्पद ईशनिंदा क़ानून ?". बीबीसी हिन्दी. २८ अगस्त २०१२. अभिगमन तिथि ६ जून २०१४.
- ↑ "हिंदू मंदिर पर हमला: ईशनिंदा का केस दर्ज". बीबीसी हिन्दी. १ अक्टूबर २०१२. अभिगमन तिथि ६ जून २०१४.
- ↑ युधिष्ठिर लाल कक्कड़ (१० अक्टूबर २००५). "शंका जताने से कम नहीं होती श्रद्धा". नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि ६ जून २०१४.