"इन्दिरा गांधी": अवतरणों में अंतर

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chawalpuller.blogspot.in----------22 जून को मेरे यार अवश्यम्भावी उपराष्ट्रपति भगवान बरखास्त यंत्री प्रवासी भारतीय लेखक दिवेश भट्ट की फिर से पेशी है 26 जुलाई को अगला प्रथम नागरिक भारत का अगला राष्ट्रपति कौन होगा ? A. मुरली मनोहर जोशी / लाल कृष्ण आडवाणी B. वेंकैया नायडू / राम नाईक / थावर चंद गहलोत C. महिला द्रौपदी मुर्मू / राम नाईक / शरद पवार D. जनप्रतिनिधि भगवान 9479056341 बजरंगी भाईजान / बरखास्त उपयंत्री प्रवासी भारतीय लेखक 9981011455 दिवेश भट्ट ...............२६ जुलाई को अगला प्रथम नागरिक अवश्यम्भावी राष्ट्रपति जनप्रतिनिधि भगवान ९४७९०५६३४१ बजरंगी भाईजान & ०५ अगस्त को अगला द्वितीय नागरिक बरखास्त उपयंत्री प्रवासी भारतीय लेखक ९९८१०११४५५ दिवेश भट्ट भारत का अगला उपराष्ट्रपति सबसे पहले क्या करेंगे ? A. पत्रकार अजय साहू ९८२६१४५६८३ + संगीता सुपारी ९४२४२१९३१६ की हत्या B. जिंदा ईई इंजीनियर ज्ञान सिंह पिरोनिया ९४०६३••७६५ स्मृति ई फाइबर सीट मुद्रा परिवर्तन C. प्रसिद्ध लेखक भगवान के एन सिंह ७६९७१२८४९७ का त्रुटिहीन संविधान संशोधन D. सचिन ठेकेदार ९९२६२६३४१० को भारत रत्न अवार्ड " टट्टी बदल २ आन्दोलन २०१७ " E. पदग्रहण + पिंकी जानेमन का बिना कंडोम भरपेट भोजन www.ricepullers.in नक्सली समस्या का समूल उन्मूलन मादरचौद पर्चाछापू अजय साहू 09826145683 + कानूनपीऊ टोपो 09406368529 की सजा-ए-मौत के लिए फांसी का प्रबंध है – sd/- दु:ख- प्रताड़ना के हमकैदी साथी पूज्यपड़ोसी पितृतुल्य सट्टाकिग काजू बापूजी आंतरराष्ट्रीय दूरध्वनी क्रमांक 917898302875 कांशीराम गोंड़ 09424219316 पोस्ट आफिस पासीद की सजा-ए-मौत के लिए फांसी09406368529 राइसपुलर नौ NO नही 08412866644 स्वरगिनी संगीता 07587451660 झपकी 09407924284 I मेरे लेखन का षडयंत्र पगलाए मोहित पोस्को & नर्कगिन्नी को फाँसी चौ2 है I पृथ्वीवासिंदों से विनती की जाती है कि हितोपदेश + पंचतंत्र तथा अन्य नीति के ग्रंथों की नीतिकथाओं : मित्रलाभ : सुवर्णकंकणधारी बूढ़ा बाघ और मुसाफिर ; कबुतर, काक, कछुआ, मृग और चूहे ; मृग, काक और गीदड़ ; भैरव नामक शिकारी, मृग, शूकर, साँप और गीदड़ ; धूर्त गीदड़ और हाथी सुहृद्भेद; एक बनिया, बैल, सिंह और गीदड़ों ; धोबी, धोबन, गधा और कुत्ते ; सिंह, चूहा और बिलाव ; बंदर, घंटा और कराला नामक कुटनी ; सिंह और बूढ़ शशक ; कौए का जोड़ा और काले साँप : विग्रह : पक्षी और बंदरो ; बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खेतवाले ; हाथियों का झुंड और बूढ़े शशक ; हंस, कौआ और एक मुसाफिर ; नील से रंगे हुए एक गीदड़ ; राजकुमार और उसके पुत्र के बलिदान ; एक क्षत्रिय, नाई और भिखारी : संधि : सन्यासी और एक चूहे ; बूढ़े बगुले, केंकड़े और मछलियों ; सुन्द, उपसुन्द नामक दो दैत्यों ; एक ब्राह्मण, बकरा और तीन धुता ; माधव ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और साँप की कहानियाँ से सीखो - राइस पुलर & क्रेता- विक्रेता न ही होता है, न ही बंनता/बिकता है ; चावल खींचने कटोरी कॉपर आइटम, तांबे के प्राचीन सिक्के, इरीडियम सिक्का, लेबो तांबे का सिक्का, इंदिरा गाँधी सिक्का, लौंग खींचने – टचर ज्वालाशराबी, मशाल टेस्ट,एंटीआयरन, पाताल रखियातूमाडोड़काकुम्हड़ा, लाल प्याज, बीस नाखून कछुआ, हर्बल आइटम, इमली पल्प, नागमणी, गजमुक्ता, हर्बल पौधों, पलाश पेड़, लिलिपुट की साडे सात मन टट्टी और RPLPMPMMMNMIRROR की किसी भी अन्य अफवाहों से इससे पह्ले की इंडिया वाले बर्बाद होकर भिखारी @ फुटपाथपति हो जायें – क्यूं न (1) अग्ली & पगली औरत चमेलीबाई की हत्या करें ? (2) पृथ्वी से करीब सवा 100 करोड़ रुपए सुपाड़ी सशस्त्र लूटने पर धतुरिंबायीं को फांसी चौ२ की कोई फैंटसी हीं करें ? (3) चसमेवालेबाबाg को लेखन श्रेणी का नोबेल पुरस्कार सम्मानित करें; अपितु दुःशील, लंपट, व्यभिचारी, अविनीत, हठ, धृष्ट, चिड़चिड़ा, बदमिज़ाज, गुस्ताख , ढीठ , प्रतिकूल , शत्रुताकारी, निर्मोही, भावनाशून्य, निष्ठुर, अभद्र, अशिष्ट, विचारशून्य, हठीला, अड़ियल, मनमोजी, अपरिमाजित, दुराग्रही, उद्दाम, अननुकूल, ग़ैरमिलनसार, कर्कश, निरंकुश सनकी टोपो झक्की को @ 12 5 % = 15 6 Crore एवमस्तु बाबू ओं को 70-80 हजारो पिला दो I धन्यवाद I भारत गणराज्य की प्रगति इस बात पर निर्भर है कि :- इंडियन फगली किस-किस को कितना-कितना लूट रही है I संगीता झपकी की ज़िन्दगी समाज के लिये बर्बादी है | पगलो को इंडिया से करीब सवा 100 करोड़ रुपए सुपाड़ी सशस्त्र लूट करने की आशंका है ; सवा करोड़ लूट चुकी है जरुरत है तो उन्हें पायल बस से सुबह-सबेरे गलत दिशा फेकू दू + ए के ४७ दू और विदेशी लेखक डीकेभट्ट की 753 दिवस से भूखे प्यासे बिना एकाध रुपए वेतन, बिना एकाध रुपए जीवन निर्वाह गुजारा भत्ता, बिना पेंशन, बिना एकाध रुपए बैंक ऋण, बिना एकाध रुपए जीपीएफ़ जमापूँजी, बिना बीबी-बिना बच्चे, बिना रोटी कपड़ा; मकान; बिना एकाध दाल-बाटी, बिना एकाध ब्रेड, बिना एकाध रोटी, बिना एकाध पराठा-परौठा-परावठा, बिना एकाध पूरनपूरी, बिना एकाध कुल्चा-नान, बिना एकाध भटूरा-खाखाड़ा; सिर्फ केवल मात्र एकाध किलो सुअरफ्री टट्टी - रात को 2 बजे पुलिस भिजवाकर | मैं बेहद प्रसन्न हूं कि फगली हत्या योजना के तहत सामूहिक फांसी दूंगा | 22 वीं सदी फगली फ्री होगी -पवन जल्लाद I पत्र का विवरण पत्र क्रमांक - 991616006619 दिनांक - 06-04-2016 श्रेणी - ऑनलाइन जनदर्शन आवेदक का नाम - तिहाड़वासी निलंबित दिवेश भट्ट आवेदक का पता - केदी नम्बरदार 363 प्रगति सदन बेरक नम्बर 03 जिल्हा जेल दंतेवाड़ा 494449 आवेदक का जिला - दन्तेवाड़ा विषय - Chawalpuller.blogspot.in + www.ricepullers.in बिना अनुमति शासकीय तीव्र खनन यूनिट COP4-12 से न्यायाधीशों के निजी बंगले चितालंका में तथाकथित सुपारी के एवज में नलकूप खनन की सौरभ कुमार नवनियुक्त दंतेवाड़ा कलेक्टर के माध्यम से सीबीआई जांच पड़ताल कराकर मनोरोगी सहायक यंत्री डी ऐन श्रीवास्तव 09407924284 को बर्खास्त कर कामता प्रसाद 0924219316 बाबू झूठी गवाही + झूठी शिकायत कोर्ट में आत्मत्राण कराकर पुनः शासन की नियमित सेवार्थ हेतु हत्या/आत्महत्या पूर्व अनन्तिम याचना. SSUSPEND ENGINEER DIVESH BHATT Mo 09981011455 REFERENCE http://cg.nic.in/jandarshan/<nowiki/>991614000403 + 991615004144 + 991516006067 + 991615004145 +991615004622 + 991616004899 देवानंद श्रीवास्तव 07587451660 + 09407924284 + 09826145683 = 09406368529 & पगली औरत चमेलीबाई 07587875477 + 09424219316 की हत्या करें ? AAJ KI TAAJA KHABAR . MEATHERCHOD SWAI DEVRAJAN JO LEBBO PAR RAIN KARTA THA AUR RP MAGNET KHISKANE LAGA THA AB NAYA KAAM KAR RAHA HE . D K BHATT USKE VIDEO ME TATTI KAR DETA HE BHOSDI KA SAAF KARTA HE . D K BHATT NE dantewada 000 to 999 @gmail.com naam se 1000 id bana di he. www.ricepulleroo.in se 999 dot in tak 1000 free blog aur 5000 free website 17000 post bhi bana mare he. you tube ke sabhi magnet video se india bachana aur SANGITA MARI ki choot chodna MAHATMA GANDHI ki zindgi ka ek hi uddeya he.JAI HIND 09407924284 + 09406368529
{{Infobox officeholder
|name = इन्दिरा गांधी
|image =Indira2.jpg
|imagesize = 200px
|office = [[भारत के प्रधान मंत्री|भारत की तीसरी प्रधानमंत्री]]
|president = [[नीलम संजीव रेड्डी]]<br />[[ज्ञानी जैल सिंह]]
|term_start = 14 जनवरी 1980
|term_end = 31 अक्टूबर 1984
|predecessor = [[चौधरी चरण सिंह]]
|successor = [[राजीव गाँधी]]
|president2 = [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन]]<br />[[ज़ाकिर हुसैन (राजनीतिज्ञ)|ज़ाकिर हुसैन]]<br />[[वराहगिरी वेंकट गिरी]] <small>(कार्यवाहक)</small><br />[[मोहम्मद हिदायतुल्ला]] <small>(कार्यवाहक)</small><br />[[वराहगिरी वेंकट गिरी]]<br />[[फखरुद्दिन अली अहमद]]<br />[[बसप्पा दनप्पा जट्टी]] <small>(कार्यवाहक)</small>
|deputy2 = [[मोरारजी देसाई]]
|term_start2 = 24 जनवरी 1966
|term_end2 = 24 मार्च 1977
|predecessor2 = [[गुलजारीलाल नन्दा]] <small>(कार्यवाहक)</small>
|successor2 = [[मोरारजी देसाई]]
|office3 = [[विदेश मंत्री (भारत)|विदेश मंत्री]]
|term_start3 = 9 मार्च 1984
|term_end3 = 31 अक्टूबर 1984
|predecessor3 = [[नरसिंह राव]]
|successor3 = [[राजीव गाँधी]]
|term_start4 = 22 अगस्त 1967
|term_end4 = 14 मार्च 1969
|predecessor4 = [[एम.सी.छागला|महोम्मेदाली करीम चागला]]
|successor4 = [[दिनेश सिंह]]
|office5 = [[रक्षा मंत्री (भारत)|रक्षा मंत्री]]
|term_start5 = 14 जनवरी1980
|term_end5 = 15 जनवरी 1982
|predecessor5 = [[चिदम्बरम् सुब्रह्मण्यम्]]
|successor5 = [[रामस्वामी वेंकटरमण]]
|term_start6 = 30 नवम्बर 1975
|term_end6 = 20 दिसम्बर 1975
|predecessor6 = [[सरदार स्वर्ण सिंह]]
|successor6 = [[बंसीलाल]]
|office7 = [[गृहमंत्री (भारत)|गृहमंत्री]]
|term_start7 = 27 जून 1970
|term_end7 = 4 फ़रवरी 1973
|predecessor7 = [[यशवंतराव चौहान]]
|successor7 = [[उमा शंकर दीक्षित]]
|office8 = [[वित्त मंत्री (भारत)|वित्त मंत्री]]
|term_start8 = 16 जुलाई 1969
|term_end8 = 27 जून 1970
|predecessor8 = [[मोरारजी देसाई]]
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|birth_date = {{birth date|1917|11|19|df=y}}
|birth_place = [[इलाहाबाद]], [[ब्रिटिश राज|ब्रिटिश भारत]]
|death_date = {{death date and age|1984|10|31|1917|11|19|df=y}}
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|party = [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
|spouse = [[फिरोज गांधी]]
|relations = [[जवाहरलाल नेहरू]] (पिता)<br /> [[कमला नेहरू]] (माता)
|children = [[राजीव गाँधी|राजीव]]<br />[[संजय गांधी|संजय]]
|alma_mater = [[सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड]]
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[[चित्र:Gandhi and Indira 1924.jpg|thumb|right|युवा इन्दिरा नेहरू और[[महात्मा गांधी]] एक अनशन के दौरान]]
'''इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी''' (जन्म उपनाम: नेहरू) ([[19 नवंबर]] [[१९१७]]-[[31 अक्टूबर]] [[1984]]) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की [[प्रधानमन्त्री]] रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी [[राजनैतिक हत्या]] तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे [[भारत]] की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।

== प्रारंभिक जीवन और करीअर ==
इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली [[नेहरू-गांधी परिवार|नेहरू परिवार]] में हुआ था। इनके पिता [[जवाहरलाल नेहरू]] और इनकी माता [[कमला नेहरू]] थीं।

इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम [[फिरोज गांधी|फिरोज़ गाँधी]] से [[विवाह]] के पश्चात मिला था।<ref>[http://hindi.webdunia.com/national-hindi-news/indira-gandhi-former-india-pm-firoge-gandhi-115062500010_1.html इंदिरा इस तरह बनीं गांधी, पढ़ें पूरी कहानी...] (वेबदुनिया)</ref> इनका [[मोहनदास करमचंद गाँधी]] से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था। इनके पितामह [[मोतीलाल नेहरू]] एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता [[जवाहरलाल नेहरू]] भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।

1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने [[शान्तिनिकेतन]] में [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] द्वारा निर्मित [[विश्व-भारती विश्वविद्यालय]] में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था। इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गईं और [[ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय]] की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं और [[ब्रिस्टल]] के [[बैडमिंटन स्कूल]] में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने [[सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड]] में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह [[इलाहाबाद]] से जानती थीं और जो [[लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स]] में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म [[ब्रह्म]]-[[वेद|वैदिक]] समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ।

[[ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय|ऑक्सफोर्ड]] से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन]] में शामिल हो गयीं।

1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक [[राज्यसभा]] सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे [[लालबहादुर शास्त्री]] के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।<ref>गाँधी, इंदिरा .1982 ''माई ट्रूथ / मेरी सच्चाई ''</ref>

[[लालबहादुर शास्त्री]] के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|काँग्रेस पार्टी]] अध्यक्ष [[के. कामराज]] इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे। गाँधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ [[जनप्रियता]] के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया। [[१९७१ का भारत-पाक युद्ध|1971 के भारत-पाक युद्ध]] में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में [[आपातकाल]] लागू किया। उन्होंने एवं काँग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] के [[अलगाववाद|अलगाववादियों]] के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई।

== प्रारम्भिक जीवन ==
[[चित्र:Nehru family.jpg|thumb|left|300px|'''नेहरू परिवार''' [[मोतीलाल नेहरू]] बीच में बैठे हैं और खड़े हैं (बायें से दाएँ) [[जवाहरलाल नेहरू]],[[विजयालक्ष्मी पंडित]], [[कृष्णा हठीसिंह|कृष्णा हथिसिंघ]], इंदिरा और रंजित पंडित, बैठे हैं : स्वरुप रानी, मोतीलाल नेहरू और[[कमला नेहरू]](लगभग सन् 1927)]]

इन्दिरा का जन्म [[19 नवंबर]], [[1917|सन् 1917]] में पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी पत्नी [[कमला नेहरू]] के यहाँ हुआ। वे उनकी एकमात्र संतान थीं। नेहरू परिवार अपने पुरखों का खोंज [[जम्मू और कश्मीर]] तथा [[दिल्ली]] के[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] में कर सकते हैं। इंदिरा के पितामह [[मोतीलाल नेहरू]] [[उत्तर प्रदेश]] के [[इलाहाबाद]] से एक धनी बैरिस्टर थे। जवाहरलाल नेहरू पूर्व समय में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के बहुत प्रमुख सदस्यों में से थे। उनके पिता मोतीलाल नेहरू [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के एक लोकप्रिय नेता रहे। इंदिरा के जन्म के समय [[महात्मा गांधी]] के नेतृत्व में जवाहरलाल नेहरू का प्रवेश स्वतन्त्रता आन्दोलन में हुआ।

उनकी परवरिश अपनी माँ की सम्पूर्ण देखरेख में, जो बीमार रहने के कारण नेहरू परिवार के गृह सम्बन्धी कार्यों से अलग रही, होने से इंदिरा में मजबूत सुरक्षात्मक प्रवृत्तिओं के साथ साथ एक निःसंग व्यक्तित्व विकसित हुआ। उनके पितामह और पिता का लगातार राष्ट्रीय राजनीती में उलझते जाने ने भी उनके लिए साथिओं से मेलजोल मुश्किल कर दिया। उनकी अपनी बुओं (पिता की बहनों) के साथ जिसमे [[विजयाल्क्ष्मी पंडित]] भी थीं, मतविरोध रही और यह राजनैतिक दुनिया में भी चलती रही।

इन्दिरा ने युवा लड़के-लड़कियों के लिए [[वानर सेना]] बनाई, जिसने विरोध प्रदर्शन और झंडा जुलूस के साथ साथ कांगेस के नेताओं की मदद में संवेदनशील प्रकाशनों तथा प्रतिबंधित सामग्रीओं का परिसंचरण कर [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में छोटी लेकिन उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। प्रायः दोहराए जानेवाली कहानी है कि उन्होंने पुलिस की नजरदारी में रहे अपने पिता के घर से बचाकर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज, जिसमे 1930 दशक के शुरुआत की एक प्रमुख क्रांतिकारी पहल की योजना थी, को अपने स्कूलबैग के माध्यम से बहार उड़ा लिया था।

सन् 1936 में उनकी माँ कमला नेहरू [[तपेदिक]] से एक लंबे संघर्ष के बाद अंततः स्वर्गवासी हो गईं। इंदिरा तब 18 वर्ष की थीं और इस प्रकार अपने बचपन में उन्हें कभी भी एक स्थिर पारिवारिक जीवन का अनुभव नहीं मिल पाया था। उन्होंने प्रमुख भारतीय, यूरोपीय तथा ब्रिटिश स्कूलों में अध्यन किया, जैसे[[शान्तिनिकेतन]], [[बैडमिंटन स्कूल]] और[[ऑक्सफोर्ड]]।

1930 दशक के अन्तिम चरण में [[ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय]], [[इंग्लैंड]] के [[सोमरविल्ले कॉलेज]] में अपनी पढ़ाई के दौरान वे लन्दन में आधारित स्वतंत्रता के प्रति कट्टर समर्थक [[भारतीय लीग]] की सदस्य बनीं।<ref>फ्रैंक, कैथेराइन (2001)''इंदिरा :इंदिरा नेहरू गांधी की जीवनी''</ref>

महाद्वीप यूरोप और ब्रिटेन में रहते समय उनकी मुलाक़ात एक [[पारसी]] कांग्रेस कार्यकर्ता, [[फिरोज़ गाँधी]] से हुई और अंततः १६ मार्च १९४२ को आनंद भवन [[इलाहाबाद]] में एक निजी [[आदि धर्मं]] [[ब्रह्म]]-वैदिक समारोह में उनसे विवाह किया<ref>"इंदिरा :इंदिरा नेहरू गांधी की जीवनी - केथरीन फ्रंक्स 2002 पन्ना 177 आईएसबीएन:039573097X"</ref> ठीक[[भारत छोडो आन्दोलन]] की शुरुआत से पहले जब [[महात्मा गांधी]] और कांग्रेस पार्टी द्वारा चरम एवं पुरजोर राष्ट्रीय विद्रोह शुरू की गई। सितम्बर 1942 में वे ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार की गयीं और बिना कोई आरोप के हिरासत में डाल दिये गये थे। अंततः 243 दिनों से अधिक जेल में बिताने के बाद उन्हें [[१३ मई]] [[1943]] को रिहा किया गया।<ref>फ्रैंक, केथरीन (2001)''इंदिरा:इंदिरा नेहरू गाँधी''की जीवनी.पन्ना 186</ref> 1944 में उन्होंने फिरोज गांधी के साथ [[राजीव गांधी]]और इसके दो साल के बाद [[संजय गाँधी]] को जन्म दिया।

सन् 1947 के [[भारत विभाजन]] अराजकता के दौरान उन्होंने शरणार्थी शिविरों को संगठित करने तथा पाकिस्तान से आये लाखों शरणार्थियों के लिए चिकित्सा सम्बन्धी देखभाल प्रदान करने में मदद की। उनके लिए प्रमुख सार्वजनिक सेवा का यह पहला मौका था।

गांधीगण बाद में [[इलाहाबाद]] में बस गये, जहाँ फिरोज ने एक कांग्रेस पार्टी समाचारपत्र और एक बीमा कंपनी के साथ काम किया। उनका वैवाहिक जीवन प्रारम्भ में ठीक रहा, लेकिन बाद में जब इंदिरा अपने पिता के पास [[नई दिल्ली]] चली गयीं, उनके प्रधानमंत्रित्व काल में जो अकेले तीन मूर्ति भवन में एक उच्च मानसिक दबाव के माहौल में जी रहे थे, वे उनकी विश्वस्त, सचिव और नर्स बनीं। उनके बेटे उसके साथ रहते थे, लेकिन वो अंततः फिरोज से स्थायी रूप से अलग हो गयीं, यद्यपि विवाहित का तगमा जुटा रहा।

जब भारत का पहला आम चुनाव 1951 में समीपवर्ती हुआ, इंदिरा अपने पिता एवं अपने पती जो [[राय बरेली|रायबरेली]] निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़रहे थे, दोनों के प्रचार प्रबंध में लगी रही। फिरोज अपने प्रतिद्वंदिता चयन के बारे में नेहरू से सलाह मशविरा नहीं किया था और यद्दपि वह निर्वाचित हुए, दिल्ली में अपना अलग निवास का विकल्प चुना। फिरोज ने बहुत ही जल्द एक राष्ट्रीयकृत बीमा उद्योग में घटे प्रमुख घोटाले को उजागर कर अपने [[राजनैतिक भ्रष्टाचार]] के विरुद्ध लड़ाकू होने की छबि को विकसित किया, जिसके परिणामस्वरूप नेहरू के एक सहयोगी, वित्त मंत्री, को इस्तीफा देना पड़ा।

तनाव की चरम सीमा की स्थिति में इंदिरा अपने पती से अलग हुईं। हालाँकि सन् 1958 में उप-निर्वाचन के थोड़े समय के बाद फिरोज़ को दिल का दौरा पड़ा, जो नाटकीय ढ़ंग से उनके टूटे हुए वैवाहिक वन्धन को चंगा किया। [[कश्मीर]] में उन्हें स्वास्थोद्धार में साथ देते हुए उनकी परिवार निकटवर्ती हुई। परन्तु [[8 सितम्बर]],[[1960]] को जब इंदिरा अपने पिता के साथ एक विदेश दौरे पर गयीं थीं, फिरोज़ की मृत्यु हुई।

== भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष ==
[[चित्र:Gandhi and Indira.jpg|thumb|left|महात्मा गाँधी के साथ १९३० के दशक में]]
1959 और 1960 के दौरान इंदिरा चुनाव लड़ीं और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की अध्यक्ष चुनी गयीं। उनका कार्यकाल घटनाविहीन था। वो अपने पिता के कर्मचारियों के प्रमुख की भूमिका निभा रहीं थीं।

नेहरू का देहांत [[27 मई]], [[1964]] को हुआ और इंदिरा नए प्रधानमंत्री [[लालबहादुर शास्त्री|लाल बहादुर शास्त्री]] के प्रेरणा पर चुनाव लड़ीं और तत्काल सूचना और प्रसारण मंत्री के लिए नियुक्त हो, सरकार में शामिल हुईं। हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने के मुद्दे पर दक्षिण के गैर हिन्दीभाषी राज्यों में दंगा छिड़ने पर वह [[चेन्नई]] गईं। वहाँ उन्होंने सरकारी अधिकारियों के साथ विचारविमर्श किया, समुदाय के नेताओं के गुस्से को प्रशमित किया और प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण प्रयासों की देखरेख की। शास्त्री एवं वरिष्ठ मंत्रीगण उनके इस तरह के प्रयासों की कमी के लिए शर्मिंदा थे। मंत्री गांधी के पदक्षेप सम्भवत सीधे शास्त्री के या अपने खुद के राजनैतिक ऊंचाई पाने के उद्देश्य से नहीं थे। कथित रूप से उनका मंत्रालय के दैनिक कामकाज में उत्साह का अभाव था लेकिन वो संवादमाध्यमोन्मुख तथा राजनीति और छबि तैयार करने के कला में दक्ष थीं।

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"1965 के बाद उत्तराधिकार के लिए श्रीमती गांधी और उनके प्रतिद्वंद्वियों, केंद्रीय कांग्रेस [पार्टी] नेतृत्व के बीच संघर्ष के दौरान, बहुत से राज्य, प्रदेश कांग्रेस[पार्टी] संगठनों से उच्च जाति के नेताओं को पदच्युत कर पिछड़ी जाति के व्यक्तियों को प्रतिस्थापित करतेहुए उन जातिओं के वोट इकठ्ठा करने में जुटगये ताकि राज्य कांग्रेस [पार्टी]में अपने विपक्ष तथा विरोधिओं को मात दिया जा सके. इन हस्तक्षेपों के परिणामों, जिनमें से कुछेक को उचित सामाजिक प्रगतिशील उपलब्धि माने जा सकते हैं, तथापि, अक्सर अंतर-जातीय क्षेत्रीय संघर्षों को तीव्रतर बनने के कारण बने...<ref>Ibid #2 पी.154</ref>
</blockquote>

जब [[भारत पाकिस्तान के बीच द्वितीय युद्ध|1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध चल रहा था]], इंदिरा [[श्रीनगर]] सीमा क्षेत्र में उपस्थित थी। हालांकि सेना ने चेतावनी दी थी कि पाकिस्तानी अनुप्रवेशकारी शहर के बहुत ही करीब तीब्र गति से पहुँच चुके हैं, उन्होंने अपने को [[जम्मू]] या [[दिल्ली]] में पुनःस्थापन का प्रस्ताव नामंजूर कर दिया और उल्टे स्थानीय सरकार का चक्कर लगाती रहीं और संवाद माध्यमों के ध्यानाकर्षण को स्वागत किया। [[ताशकंद]] में सोवियत मध्यस्थता में पाकिस्तान के [[अयूब खान]] के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटे बाद ही लालबहादुर शास्त्री का निधन हो गया।

तब कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष [[के. कामराज]] ने शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

== प्रधान मंत्री ==
=== विदेश तथा घरेलू नीति एवं राष्ट्रिय सुरक्षा ===
सन् 1966 में जब श्रीमती गांधी प्रधानमंत्री बनीं, कांग्रेस दो गुटों में विभाजित हो चुकी थी, श्रीमती गांधी के नेतृत्व में [[समाजवाद|समाजवादी]] और [[मोरारजी देसाई]] के नेतृत्व में [[रूढीवादी]]। [[मोरारजी देसाई]] उन्हें "गूंगी गुड़िया" कहा करते थे। 1967 के चुनाव में आंतरिक समस्याएँ उभरी जहां कांग्रेस लगभग 60 सीटें खोकर 545 सीटोंवाली [[लोक सभा]] में 297 आसन प्राप्त किए। उन्हें देसाई को भारत के [[भारत के उप प्रधानमंत्री]] और [[भारत के वित्त मंत्री|वित्त मंत्री]] के रूप में लेना पड़ा। 1969 में देसाई के साथ अनेक मुददों पर असहमति के बाद [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] विभाजित हो गयी। वे समाजवादियों एवं साम्यवादी दलों से समर्थन पाकर अगले दो वर्षों तक शासन चलाई। उसी वर्ष जुलाई 1969 को उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। 1971 में बांग्लादेशी शरणार्थी समस्या हल करने के लिए उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान की ओर से, जो अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे, [[पाकिस्तान]] पर युद्ध घोषित कर दिया। 1971 के युद्ध के दौरान राष्ट्रपति [[रिचर्ड निक्सन]] के अधीन अमेरिका अपने [[सातवें बेड़े]] को भारत को पूर्वी पाकिस्तान से दूर रहने के लिए यह वजह दिखाते हुए कि पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ एक व्यापक हमला विशेष रूप से[[कश्मीर]] के सीमाक्षेत्र के मुद्दे को लेकर हो सकती है, चेतावनी के रूप में [[बंगाल की खाड़ी]]में भेजा। यह कदम प्रथम विश्व से भारत को विमुख कर दिया था और प्रधानमंत्री गांधी ने अब तेजी के साथ एक पूर्व सतर्कतापूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को नई दिशा दी। भारत और सोवियत संघ पहले ही [[मित्रता तथा आपसी सहयोग संधि|मित्रता और आपसी सहयोग]] संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके परिणामस्वरूप 1971 के युद्ध में भारत की जीत में राजनैतिक और सैन्य समर्थन का पर्याप्त योगदान रहा।

=== परमाणु कार्यक्रम ===

लेकिन,[[जनवादी गणराज्य चीन|जनवादी चीन गणराज्य से]] परमाणु खतरे तथा दो प्रमुख महाशक्तियों की दखलंदाजी में रूचि भारत की स्थिरता और सुरक्षा के लिए अनुकूल नहीं महसूस किए जाने के मद्दे नजर, गांधी का अब एक राष्ट्रीय परमाणु कार्यक्रम था। उन्होंने नये पाकिस्तानी राष्ट्रपति [[ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो]] को एक सप्ताह तक चलनेवाली [[शिमला]] शिखर वार्ता में आमंत्रित किया था। वार्ता के विफलता के करीब पहुँच दोनों राज्य प्रमुख ने अंततः [[शिमला समझौता|शिमला समझौते]] पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत [[कश्मीर]] विवाद को वार्ता और शांतिपूर्ण ढंग से मिटाने के लिए दोनों देश अनुबंधित हुए।

कुछ आलोचकों द्वारा नियंत्रण रेखा को एक स्थायी सीमा नहीं बानाने पर इंदिरा गांधी की आलोचना की गई जबकि कुछ अन्य आलोचकों का विश्वास था की पाकिस्तान के 93,000 [[युद्धबंदी]] भारत के कब्जे में होते हुए [[पाकिस्तान शासित कश्मीर|पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर]] को [[पाकिस्तान]] के कब्जे से निकाल लेना चाहिए था। लेकिन यह समझौता [[संयुक्त राष्ट्र]] तथा किसी तीसरे पक्ष के तत्काल हस्तक्षेप को निरस्त किया एवं निकट भविष्य में [[पाकिस्तान]] द्वारा किसी बड़े हमले शुरू किए जाने की सम्भावना को बहुत हद तक घटाया। भुट्टो से एक संवेदनशील मुद्दे पर संपूर्ण आत्मसमर्पण की मांग नहीं कर उन्होंने पाकिस्तान को स्थिर और सामान्य होने का मौका दिया।

वर्षों से ठप्प पड़े बहुत से संपर्कों के मध्यम से व्यापार संबंधों को भी पुनः सामान्य किया गया।

[[स्माइलिंग बुद्धा]] के अनौपचारिक छाया नाम से 1974 में भारत ने सफलतापूर्वक एक भूमिगत परमाणु परीक्षण [[राजस्थान]] के रेगिस्तान में बसे गाँव [[पोखरण]] के करीब किया। शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परीक्षण का वर्णन करते हुए भारत दुनिया की सबसे नवीनतम परमाणु शक्तिधर बन गया।

=== हरित क्रांति ===
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[[चित्र:Indira and Nixon.JPG|thumb|right|220px|1971 में [[रिचर्ड निक्सन]] और इंदिरा गाँधी। उनके बिच गहरा ब्याक्तिगत विद्वेष था जिसका रंग द्विपक्षीय संबंधों में झलका।]]
1960 के दशक में विशेषीकृत अभिनव कृषि कार्यक्रम और सरकार प्रदत्त अतिरिक्त समर्थन लागु होने पर अंततः भारत में हमेशा से चले आ रहे खाद्द्यान्न की कमी को, मूलतः गेहूं, चावल, कपास और दूध के सन्दर्भ में, अतिरिक्त उत्पादन में बदल दिया। बजाय संयुक्त राज्य से खाद्य सहायता पर निर्भर रहने के - जहाँ के एक राष्ट्रपति जिन्हें श्रीमती गांधी काफी नापसंद करती थीं (यह भावना आपसी था: निक्सन को इंदिरा "चुड़ैल बुढ़िया" लगती थीं<ref>[http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/4633263.stm बीबीसी समाचार]</ref>), देश एक खाद्य निर्यातक बन गया। उस उपलब्धि को अपने वाणिज्यिक फसल उत्पादन के विविधीकरण के साथ ''[[भारत में हरित क्रांति|हरित क्रांति]]'' के नाम से जाना जाता है। इसी समय दुग्ध उत्पादन में वृद्धि से आयी श्वेत क्रांति से खासकर बढ़ते हुए बच्चों के बीच कुपोषण से निबटने में मदद मिली। 'खाद्य सुरक्षा', जैसे कि यह कार्यक्रम जाना जाता है, 1975 के वर्षों तक श्रीमती गांधी के लिए समर्थन की एक और स्रोत रही।<ref>[http://indiaonestop.com/Greenrevolution.htm]</ref>

1960 के प्रारंभिक काल में संगठित हरित क्रांति गहन कृषि जिला कार्यक्रम (आईऐडिपि) का अनौपचारिक नाम था, जिसके तहत शहरों में रहनेवाले लोगों के लिए, जिनके समर्थन पर गांधी --यूँ की, वास्तव में समस्त भारतीय राजनितिक, गहरे रूपसे निर्भरशील रहे थे, प्रचुर मात्रा में सस्ते अनाज की निश्चयता मिली।<ref>Ibid. #3 पी.295</ref> यह कार्यक्रम चार चरणों पर आधारित था:
# नई किस्मों के बीज
# स्वीकृत भारतीय कृषि के रसायानीकरण की आवश्यकता को स्वीकृती, जैसे की उर्वरकों, कीटनाशकों, घास -फूस निवारकों, इत्यादि
# नई और बेहतर मौजूदा बीज किस्मों को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहकारी अनुसंधान की प्रतिबद्धता
# भूमि अनुदान कॉलेजों के रूप में कृषि संस्थानों के विकास की वैज्ञानिक अवधारणा,<ref>किसान, बी.एच.<i>'हरित क्रांति' के परिप्रेक्ष्य में आधुनिक एशियाई अध्ययन, xx नंबर 1 (फरवरी, 1986) पन्ना.177</ref>
दस वर्षों तक चली यह कार्यक्रम गेहूं उत्पादन में अंततः तीनगुना वृद्धि तथा चावल में कम लेकिन आकर्षणीय वृद्धि लायी; जबकि वैसे अनाजों के क्षेत्र में जैसे[[बाजरा]], [[चना]] एवं मोटे अनाज (क्षेत्रों एवं जनसंख्या वृद्धि के लिए समायोजन पर ध्यान रखते हुए) कम या कोई वृद्धि नहीं हुई--फिर भी इन क्षेत्रों में एक अपेक्षाकृत स्थिर उपज बरकरार रहे।

=== 1971 के चुनाव में विजय और द्वितीय कार्यकाल (1971- 1975) ===

गाँधी की सरकार को उनकी 1971 के जबरदस्त जनादेश के बाद प्रमुख कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी की आंतरिक संरचना इसके असंख्य विभाजन के फलस्वरूप कमजोर पड़ने से चुनाव में भाग्य निर्धारण के लिए पूरी तरह से उनके नेतृत्व पर निर्भरशील हो गई थी। गांधी का सन् 1971 की तैयारी में नारे का विषय था ''[[गरीबी हटाओ]]''। यह नारा और प्रस्तावित गरीबी हटाओ कार्यक्रम का खाका, जो इसके साथ आया, गांधी को ग्रामीण और शहरी गरीबों पर आधारित एक स्वतंत्र राष्ट्रीय समर्थन देने के लिए तैयार किए गए थे। इस तरह उन्हें प्रमुख ग्रामीण जातियों के दबदबे में रहे राज्य और स्थानीय सरकारों एवं शहरी व्यापारी वर्ग को अनदेखा करने की अनुमति रही थी। और, अतीत में बेजुबां रहे गरीब के हिस्से, कम से कम राजनातिक मूल्य एवं राजनातिक भार, दोनों की प्राप्ति में वृद्धि हुई।

[[गरीबी हटाओ]] के तहत कार्यक्रम, हालाँकि स्थानीय रूपसे चलाये गये, परन्तु उनका वित्तपोषण, विकास, पर्यवेक्षण एवं कर्मिकरण नई दिल्ली तथा [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] दल द्वारा किया गया।
"ये कार्यक्रम केंद्रीय राजनैतिक नेतृत्व को समूचे देशभर में नये एवं विशाल संसाधनों के वितरित करने के मालिकाना भी प्रस्तुत किए..."<ref>रथ, नीलकंठ,''"गरीबी हटाओ":क्या आइआरडीपी यह कर सकती है ?"''(ईडब्लूपी, xx, नंo.6) फ़रवरी,1981.</ref>'अंततः,[[गरीबी हटाओ]] गरीबों के बहुत कम काम आये:आर्थिक विकास के लिए आवंटित सभी निधियों के मात्र 4% तीन प्रमुख गरीबी हटाओ कार्यक्रमों के हिस्से गये और लगभग कोईभी "गरीब से गरीब" तबके तक नहीं पहुँची। इस तरह यद्यपि यह कार्यक्रम गरीबी घटाने में असफल रही, इसने गांधी को चुनाव जितानेका लक्ष्य हासिल कर लिया।

=== एक्छ्त्रवाद की ओर झुकाव ===
गाँधी पर पहले से ही [[सत्तावादी]] आचरण के आरोप लग चुके थे। उनकी मजबूत संसदीय बहुमत का व्यवहार कर, उनकी सत्तारूढ़ [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] ने संविधान में संशोधन कर केन्द्र और राज्यों के बीच के सत्ता संतुलन को बदल दिया था। उन्होंने दो बार विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों को "कानून विहीन तथा अराजक" घोषित कर संविधान के [[संविधान धारा 356|धारा 356]] के अंतर्गत [[राष्ट्रपति शासन]] लागु कर इनके नियंत्रण पर कब्जा किया था। इसके अलावा,[[संजय गाँधी]], जो निर्वाचित अधिकारियों की जगह पर गांधी के करीबी राजनैतिक सलाहकार बने थे, के बढ़ते प्रभाव पर, [[पि.एन.हक्सर]], उनकी क्षमता की ऊंचाई पर उठते समय, गाँधी के पूर्व सलाहाकार थे, ने अप्रसन्नता प्रकट की। उनके सत्तावाद शक्ति के उपयोग की ओर नये झुकाव को देखते हुए, [[जयप्रकाश नारायण]], [[सतेन्द्र नारायण सिन्हा]] और [[आचार्य जीवतराम कृपालानी]] जैसे नामी-गिरामी व्यक्तिओं और पूर्व-स्वतंत्रता सेनानियों ने उनके तथा उनके सरकार के विरुद्ध सक्रिय प्रचार करते हुए भारतभर का दौरा किया।

=== भ्रष्टाचार आरोप और चुनावी कदाचार का फैसला ===
राज नारायण (जो बार बार रायबरेली संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से लड़ते और हारते रहे थे) द्वारा दायर एक चुनाव याचिका में कथित तौर पर भ्रष्टाचार आरोपों के आधार पर[[12 जून]], [[1975]] को [[इलाहाबाद उच्च न्यायालय]] ने इन्दिरा गांधी के [[लोक सभा]] चुनाव को रद्द घोषित कर दिया। इस प्रकार अदालत ने उनके विरुद्ध संसद का आसन छोड़ने तथा छह वर्षों के लिए चुनाव में भाग लेने पर प्रतिबन्ध का आदेश दिया। प्रधानमन्त्रीत्व के लिए लोक सभा ([[भारतीय संसद]] के निम्न सदन) या [[राज्य सभा]] (संसद के उच्च सदन) का सदस्य होना अनिवार्य है। इस प्रकार, यह निर्णय उन्हें प्रभावी रूप से कार्यालय से पदमुक्त कर दिया।

जब गांधी ने फैसले पर अपील की, राजनैतिक पूंजी हासिल करने को उत्सुक विपक्षी दलों और उनके समर्थक, उनके इस्तीफे के लिए, सामूहिक रूप से चक्कर काटने लगे। ढेरों संख्या में यूनियनों और विरोधकारियों द्वारा किये गये हरताल से कई राज्यों में जनजीवन ठप्प पड़ गया। इस आन्दोलन को मजबूत करने के लिए, [[जयप्रकाश नारायण]] ने पुलिस को निहत्थे भीड़ पर सम्भब्य गोली चलाने के आदेश का उलंघन करने के लिये आह्वान किया। कठिन आर्थिक दौर के साथ साथ जनता की उनके सरकार से मोहभंग होने से विरोधकारिओं के विशाल भीड़ ने संसद भवन तथा दिल्ली में उनके निवास को घेर लिया और उनके इस्तीफे की मांग करने लगे।

=== आपातकालीन स्थिति (1975-1977) ===
गाँधी ने व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने के पदक्षेप स्वरुप, अशांति मचानेवाले ज्यादातर विरोधियों के गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। तदोपरांत उनके मंत्रिमंडल और सरकार द्वारा इस बात की सिफारिश की गई की राष्ट्रपति [[फ़ख़रुद्दीन अली अहमद]] इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद फैले अव्यवस्था और अराजकता को देखते हुए [[आपातकालीन स्थिति]] की घोषणा करें। तदनुसार, अहमद ने आतंरिक अव्यवस्था के मद्देनजर [[26 जून]] [[1975]] को संविधान की [[अनुच्छेद 352|धारा- 352]] के प्रावधानानुसार आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी।

=== डिक्री द्वारा शासन / आदेश आधारित शासन ===

कुछ ही महीने के भीतर दो विपक्षीदल शासित राज्यों [[गुजरात]] और [[तमिल नाडु]] पर [[राष्ट्रपति शासन]] थोप दिया गया जिसके फलस्वरूप पूरे देश को प्रत्यक्ष केन्द्रीय शासन के अधीन ले लिया गया।<ref>कोचानेक, स्टेनली,''मिसेज़ गाँधी'स पिरामिड:दा न्यू कांग्रेस''(वेस्टव्यू प्रेस, बोल्डर, सीओ 1976) पी.98</ref> पुलिस को कर्फ़्यू लागू करने तथा नागरिकों को अनिश्चितकालीन रोक रखने की क्षमता सौंपी गयी एवं सभी प्रकाशनों को [[सुचना और प्रसारण मंत्रालय (भारत)|सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय]] के पर्याप्त सेंसर व्यवस्था के अधीन कर दिया गया। [[इन्द्र कुमार गुजराल]], एक भावी प्रधानमंत्री, ने खुद अपने काम में संजय गांधी की दखलंदाजी के विरोध में [[सुचना और प्रसारण मंत्री|सूचना और प्रसारण मंत्रीपद]] से इस्तीफा दे दिया। अंततः आसन्न विधानसभा चुनाव अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए तथा सम्बंधित राज्य के राज्यपाल की सिफारिश पर राज्य सरकार की बर्खास्तगी के संवैधानिक प्रावधान के अलोक में सभी विपक्षी शासित राज्य सरकारों को हटा दिया गया।

गांधी ने स्वयं के असाधारण अधिकार प्राप्ति हेतु आपातकालीन प्रावधानों का इस्तेमाल किया।
<blockquote>
"उनके पिता नेहरू के विपरीत, जो अपने विधायी दलों और राज्य पार्टी संगठनों के नियंत्रण में मजबूत मुख्यमंत्रियों से निपटना पसंद करते थे, श्रीमती गांधी प्रत्येक कांग्रेसी मुख्यमंत्री को, जिनका एक स्वतंत्र आधार होता, हटाने तथा उन मंत्रिओं को जो उनके प्रति व्यक्तिगत रूप से वफादार होते, उनके स्थालाभिसिक्त करने में लग गईं... फिर भी राज्यों में स्थिरता नहीं रखी जा सकी..."<ref>ब्रास, पौल आर., ''आजादी के बाद भारत की राजनीति'', (कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, इंग्लैंड 1995) पी.40</ref>
</blockquote>

यह भी आरोपित होता है कि वह आगे राष्ट्रपति अहमद के समक्ष वैसे [[आदेश|आध्यादेशों]] के जारी करने का प्रस्ताव पेश की जिसमे [[भारत की संसद|संसद]] में बहस होने की जरूरत न हो और उन्हें [[आदेश आधारित शासन]] की अनुमति रहे।

साथ ही साथ, गांधी की सरकार ने प्रतिवादिओं को उखाड़ फेंकने तथा हजारों के तादाद में राजनीतिक कार्यकर्ताओं के गिरिफ्तारी और आटक रखने का एक अभियान प्रारम्भ किया;[[जग मोहन]] के पर्यवेक्षण में, जो की बाद में दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे, [[जामा मस्जिद, दिल्ली|जामा मस्जिद]] के आसपास बसे बस्तियों के हटाने में संजय का हाथ रहा जिसमे कथित तौर पर हजारों लोग बेघर हुए और सैकड़ों मारे गये और इस तरह देश की राजधानी के उन भागों में सांप्रदायिक कटुता पैदा कर दी; और हजरों पुरुषों पर बलपूर्वक [[नसबंदी]] का परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया गया, जो प्रायश: बहुत निम्नस्तर से लागु किया गया था।

=== चुनाव ===
मतदाताओं को उस शासन को मंज़ूरी देने का एक और मौका देने के लिए गाँधी ने 1977 में चुनाव बुलाए। भारी सेंसर लगी प्रेस उनके बारे में जो लिखती थी, शायद उससे गांधी अपनी लोकप्रियता का हिसाब निहायत ग़लत लगायी होंगी। वजह जो भी रही हो, वह [[जनता दल]] से बुरी तरह से हार गयीं। लंबे समय से उनके प्रतिद्वंद्वी रहे देसाई के नेतृत्व तथा जय प्रकाश नारायण के आध्यात्मिक मार्गदर्शन में जनता दल ने भारत के पास "लोकतंत्र और तानाशाही" के बीच चुनाव का आखरी मौका दर्शाते हुए चुनाव जीत लिए। इंदिरा और संजय गांधी दोनों ने अपनी सीट खो दीं और कांग्रेस घटकर 153 सीटों में सिमट गई (पिछली लोकसभा में 350 की तुलना में) जिसमे 92 दक्षिण से थीं।

=== हटाना, गिरफ्तारी और वापस लौटना ===

देसाई प्रधानमंत्री बने और 1969 के सरकारी पसंद [[नीलम संजीव रेड्डी]] गणतंत्र के राष्ट्रपति बनाये गए। गाँधी को जबतक 1978 के [[उप -चुनाव]] में जीत नहीं हासिल हुई, उन्होंने अपने आप को कर्महीन, आयहीन और गृहहीन पाया। १९७७ के चुनाव अभियान में कांग्रेस पार्टी का विभाजन हो गया: [[जगजीवन राम]] जैसे समर्थकों ने उनका साथ छोड़ दिया। कांग्रेस (गांधी) दल अब संसद में आधिकारिक तौर पर विपक्ष होते हुए एक बहुत छोटा समूह रह गया था।

गठबंधन के विभिन्न पक्षों में आपसी लडाई में लिप्तता के चलते शासन में असमर्थ जनता सरकार के गृह मंत्री [[चौधरी चरण सिंह]] कई आरोपों में इंदिरा गाँधी और संजय गाँधी को गिरफ्तार करने के आदेश दिए, जिनमे से कोई एक भी भारतीय अदालत में साबित करना आसन नहीं था। इस गिरफ्तारी का मतलब था इंदिरा स्वतः ही संसद से निष्कासित हो गई। परन्तु यह रणनीति उल्टे अपदापूर्ण बन गई। उनकी गिरफ्तारी और लंबे समय तक चल रहे मुकदमे से उन्हें बहुत से वैसे लोगों से सहानुभूति मिली जो सिर्फ दो वर्ष पहले उन्हें तानाशाह समझ डर गये थे।

जनता गठबंधन सिर्फ़ श्रीमती गांधी (या "वह औरत" जैसा कि कुछ लोगोने उन्हें कहा) की नफरत से एकजुट हुआ था। छोटे छोटे साधारण मुद्दों पर आपसी कलहों में सरकार फंसकर रह गयी थी और गांधी इस स्थिति का उपयोग अपने पक्ष में करने में सक्षम थीं। उन्होंने फिर से, आपातकाल के दौरान हुई "गलतियों" के लिए कौशलपूर्ण ढंग से क्षमाप्रार्थी होकर भाषण देना प्रारम्भ कर दिया। जून 1979 में देसाई ने इस्तीफा दिया और श्रीमती गांधी द्वारा वादा किये जाने पर कि कांग्रेस बाहर से उनके सरकार का समर्थन करेगी, रेड्डी के द्वारा चरण सिंह प्रधान मंत्री नियुक्त किए गये।

एक छोटे अंतराल के बाद, उन्होंने अपना प्रारंभिक समर्थन वापस ले लिया और राष्ट्रपति रेड्डीने 1979 की सर्दियों में संसद को भंग कर दिया। अगले जनवरी में आयोजित चुनावों में कांग्रेस पुनः सत्ता में वापस आ गया था
भूस्खलन होने जैसे बहुमत के साथ / महाभीषण बहुमत के साथ

इंदिरा गाँधी को (1983 - 1984)[[लेनिन शान्ति पुरस्कार]] से पुरस्कृत किया गया था।

[[चित्र:USSR stamp I.Gandhi 1984 5k.jpg|thumb|right|1984[[सोवियत संघ]] स्मारक डाक टिकट]].

=== ओपरेशन ब्लू स्टार और राजनैतिक हत्या ===

गांधी के बाद के वर्ष [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] समस्याओं से जर्जर थे। सितम्बर 1981 में [[जरनैल सिंह भिंडरावाले]] का [[अलगाववादी]] सिख आतंकवादी समूह सिख धर्म के पवित्रतम तीर्थ, [[हरिमन्दिर साहिब]] परिसर के भीतर तैनात हो गया। स्वर्ण मंदिर परिसर में हजारों नागरिकों की उपस्थिति के बावजूद गांधी ने आतंकवादियों का सफया करने के एक प्रयास में सेना को धर्मस्थल में प्रवेश करने का आदेश दिया। सैन्य और नागरिक हताहतों की संख्या के हिसाब में भिन्नता है। सरकारी अनुमान है चार अधिकारियों सहित उनासी सैनिक और 492 आतंकवादी; अन्य हिसाब के अनुसार, संभवत 500 या अधिक सैनिक एवं अनेक तीर्थयात्रियों सहित 3000 अन्य लोग गोलीबारी में फंसे.<ref>रामचंद्र गुहा''गाँधी के बाद भारत ''पन्ना 563</ref> जबकि सटीक नागरिक हताहतों की संख्या से संबंधित आंकडे विवादित रहे हैं, इस हमले के लिए समय एवं तरीके का निर्वाचन भी विवादास्पद हैं।
इन्दिरा गांधी के बहुसंख्यक अंगरक्षकों में से दो थे [[सतवंत सिंह]] और [[बेअन्त सिंह]], दोनों सिख.[[३१ अक्टूबर]] [[1984]] को वे अपनी सेवा हथियारों के द्वारा 1, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में इंदिरा गांधी की राजनैतिक हत्या की। <ref name="ibn">http://khabar.ibnlive.in.com/news/115182/12/4 जब हिल उठा देशः इंदिरा गांधी की हत्या</ref> वो [[ग्रेट ब्रिटेन|ब्रिटिश]] अभिनेता [[पीटर उस्तीनोव]] को आयरिश टेलीविजन के लिए एक वृत्तचित्र फिल्माने के दौरान साक्षात्कार देने के लिए सतवंत और बेअन्त द्वारा प्रहरारत एक छोटा गेट पार करते हुए आगे बढ़ी थीं। इस घटना के तत्काल बाद, उपलब्ध सूचना के अनुसार, बेअंत सिंह ने अपने बगलवाले शस्त्र का उपयोग कर उनपर तीन बार गोली चलाई और सतवंत सिंह एक स्टेन कारबाईन का उपयोग कर उनपर बाईस चक्कर गोली दागे. उनके अन्य अंगरक्षकों द्वारा बेअंत सिंह को गोली मार दी गई और सतवंत सिंह को गोली मारकर [[गिरफ्तार]] कर लिया गया।

गांधी को उनके सरकारी कार में अस्पताल पहुंचाते पहुँचाते रास्ते में ही दम तोड़ दीं थी, लेकिन घंटों तक उनकी मृत्यु घोषित नहीं की गई। उन्हें [[अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान]] में लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया। उस वक्त के सरकारी हिसाब 29 प्रवेश और निकास घावों को दर्शाती है, तथा कुछ बयाने 31 बुलेटों के उनके शरीर से निकाला जाना बताती है। उनका अंतिम संस्कार [[3 नवंबर]] को [[राज घाट]] के समीप हुआ और यह जगह [[शक्ति स्थल]] के रूप में जानी गई। उनके मौत के बाद, [[नई दिल्ली]] के साथ साथ भारत के अनेकों अन्य शहरों, जिनमे कानपुर, आसनसोल और इंदौर शामिल हैं, में सांप्रदायिक अशांति घिर गई और हजारों सिखों के मौत दर्ज किये गये। गांधी के मित्र और जीवनीकार [[पुपुल जयकर]], ऑपरेशन ब्लू स्टार लागू करने से क्या घटित हो सकती है इस सबध में इंदिरा के तनाव एवं पूर्व-धारणा पर आगे प्रकाश डालीं हैं।

== निजी जिंदगी ==
शुरू में [[संजय गांधी|संजय]] उनका वारिस चुना गया था, लेकिन एक उड़ान दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद, उनकी माँ ने अनिच्छुक [[राजीव गांधी]] को पायलट की नौकरी परित्याग कर फरवरी 1981 में राजनीति में प्रवेश के लिए प्रेरित किया।

इन्दिरा मृत्यु के बाद राजिव गांधी प्रधानमंत्री बनें। मई 1991 में उनकी भी राजनैतिक हत्या, इसबार [[लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम]] के आतंकवादियों के हाथों हुई। राजीव की विधवा, [[सोनिया गांधी]] ने [[संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन]] को 2004 के [[लोक सभा]] निर्वाचन में एक आश्चर्य चुनावी जीत का नेतृत्व दिया।

[[सोनिया गांधी]] ने प्रधानमंत्री कार्यालय अवसर को अस्वीकार कर दिया लेकिन कांग्रेस की राजनैतिक उपकरणों पर उनका लगाम है; प्रधानमंत्री डॉ॰ [[मनमोहन सिंह]], जो पूर्व में वित्त मंत्री रहे, अब राष्ट्र के नेतृत्व में हैं। राजीव के संतान, [[राहुल गांधी]] और [[प्रियंका गांधी]] भी राजनीति में प्रवेश कर चुके हैं। संजय गांधी की विधवा, [[मेनका गांधी]] - जिनका संजय की मौत के बाद प्रधानमंत्री के घर से बाहर निकाला जाना सर्वज्ञात है<ref>[http://www.tribuneindia.com/2001/20010919/main7.htm खुशवंत सिंह की आत्मकथा - द ट्रिब्यून]</ref> - और साथ ही संजय के पुत्र,[[वरुण गांधी]] भी, राजनीति में मुख्य विपक्षी [[भारतीय जनता पार्टी]] दल में सदस्य के रूप में सक्रिय हैं।

== इंदिरा गाँधी लोकप्रिय संस्कृति में ==
* उनकी हत्या का जिक्र[[टॉम क्लेन्सि]] द्वारा अपने उपन्यास [[एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स]] में किया गया है।
* यद्यपि कहीं भी नाम का उल्लेख नहीं मिलता है, [[रोहिंतों मिस्त्री]] के ''[[ऐ फाईन बैलेंस]]'' में इंदिरा गांधी ही स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री है।
* [[सलमान रुशदी]] के उपन्यास ''[[मिडनाइट्स चिल्ड्रन]]'' में इंदिरा, जिन्हें सारे उपन्यास में "दा विडो" बुलाया जाता है, स्वयं जिम्मेदार है अपने अविस्मरनीय चरित्र के पतन के लिए। इंदिरा गाँधी का यह चित्रण, इसमे उनके एवं उनकी नीतिओं, दोनों के रूखे प्रदर्शन से कुछ खेमों में विवादित है।
* [[शशि थरूर]] की ''[[दा ग्रेट इंडियन नोवेल]]'' में प्रिय [[दुर्योधन]] का चरित्र साफ़ साफ़ इंदिरा गाँधी को संदर्भित करता है।
* "[[आंधी]]", [[गुलज़ार]] द्वारा निर्देशित एक हिन्दी चलचित्र (फीचर फ़िल्म) है, जो आंशिक रूप से इंदिरा की जिंदगी के कुछ घटनाओं, विशेष रूप से उनकी ([[सुचित्रा सेन]] द्वारा फिल्माया गया) उनके पति के साथ कठिन सम्बन्ध ([[संजीव कुमार]] द्वारा फिल्माया गया), का काल्पनिक अनुकरण है।
* [[यन्न मार्टेल]] के ''[[लाइफ ऑफ़ पाई]]'' में 1970 के दशक के मध्य में भारत के राजनितिक माहौल का जिक्र करते समय "श्रीमती गाँधी" नाम से इंदिरा गाँधी का कई बार उल्लेख किया गया है।

== सन्दर्भ ==
{{reflist}}

== इन्हें भी देखें==
*[[बांग्लादेश मुक्ति युद्ध]]
*[[उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण]]
*[[आपातकाल (भारत)]]
*[[१९८४ सिख विरोधी दंगे]]
*[[ऑपरेशन ब्लू स्टार]]

== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_4999489.html शक्ति व मुक्ति की प्रतीक इंदिरा] (जागरण)
* [http://www.nytimes.com/learning/general/onthisday/bday/1119.html निधन-सूचना, न्यूयार्क टाईम्स, 1 नवम्बर 1984" भारत में राजनैतिक ह्त्या:एक नेता इच्छाशक्ति से परिपूर्ण ; इंदिरा गाँधी, राजनीती के लिए जन्मी और भारत पर अपना छाप छोड़ गयीं"]
* [http://www.sikhfauj.com/blogs/29/Indira_Ghandi/ इंदिरा की एक झलक]
* [http://www.achhikhabar.com/2012/06/21/indira-gandhi-quotes-in-hindi/ इंदिरा गांधी के अनमोल विचार]
* [http://khabar.ibnlive.in.com/news/115182/12/4 जब हिल उठा देशः इंदिरा गांधी की हत्या]

=== अतिरिक्त अध्ययन /पठन ===
* [[वेद मेहता]], ''एक पारिवारिक मामला:भारत तीन प्रधानमंत्रियों के दौर में'' 1982 ISBN 0-19-503118-0
* [[पुपुल जयकार]], ''इंदिरा गाँधी:एक अन्तरंग जीवनगाथा'' (1992)ISBN 978-0-679-42479-6
* [[कैथेरीन फ्रैंक]], ''इंदिरा नेहरू गाँधी''(2002) ISBN 0-395-73097-X
* [[मार्क टली]], अमृतसर: मिसेस गाँधीज लास्ट बैटल

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(2) पृथ्वी से करीब सवा 100 करोड़ रुपए सुपाड़ी सशस्त्र लूटने पर धतुरिंबायीं को फांसी चौ२ की कोई फैंटसी हीं करें ? (3) चसमेवालेबाबाg को लेखन श्रेणी का नोबेल पुरस्कार सम्मानित करें; अपितु दुःशील, लंपट, व्यभिचारी, अविनीत, हठ, धृष्ट, चिड़चिड़ा, बदमिज़ाज, गुस्ताख , ढीठ , प्रतिकूल , शत्रुताकारी, निर्मोही, भावनाशून्य, निष्ठुर, अभद्र, अशिष्ट, विचारशून्य, हठीला, अड़ियल, मनमोजी, अपरिमाजित, दुराग्रही, उद्दाम, अननुकूल, ग़ैरमिलनसार, कर्कश, निरंकुश सनकी टोपो झक्की को @ 12 5 % = 15 6 Crore एवमस्तु बाबू ओं को 70-80 हजारो पिला दो I धन्यवाद I भारत गणराज्य की प्रगति इस बात पर निर्भर है कि :- इंडियन फगली किस-किस को कितना-कितना लूट रही है I संगीता झपकी की ज़िन्दगी समाज के लिये बर्बादी है | पगलो को इंडिया से करीब सवा 100 करोड़ रुपए सुपाड़ी सशस्त्र लूट करने की आशंका है ; सवा करोड़ लूट चुकी है जरुरत है तो उन्हें पायल बस से सुबह-सबेरे गलत दिशा फेकू दू + ए के ४७ दू और विदेशी लेखक डीकेभट्ट की 753 दिवस से भूखे प्यासे बिना एकाध रुपए वेतन, बिना एकाध रुपए जीवन निर्वाह गुजारा भत्ता, बिना पेंशन, बिना एकाध रुपए बैंक ऋण, बिना एकाध रुपए जीपीएफ़ जमापूँजी, बिना बीबी-बिना बच्चे, बिना रोटी कपड़ा; मकान; बिना एकाध दाल-बाटी, बिना एकाध ब्रेड, बिना एकाध रोटी, बिना एकाध पराठा-परौठा-परावठा, बिना एकाध पूरनपूरी, बिना एकाध कुल्चा-नान, बिना एकाध भटूरा-खाखाड़ा; सिर्फ केवल मात्र एकाध किलो सुअरफ्री टट्टी - रात को 2 बजे पुलिस भिजवाकर | मैं बेहद प्रसन्न हूं कि फगली हत्या योजना के तहत सामूहिक फांसी दूंगा | 22 वीं सदी फगली फ्री होगी -पवन जल्लाद I पत्र का विवरण पत्र क्रमांक - 991616006619 दिनांक - 06-04-2016 श्रेणी - ऑनलाइन जनदर्शन आवेदक का नाम - तिहाड़वासी निलंबित दिवेश भट्ट आवेदक का पता - केदी नम्बरदार 363 प्रगति सदन बेरक नम्बर 03 जिल्हा जेल दंतेवाड़ा 494449 आवेदक का जिला - दन्तेवाड़ा विषय - Chawalpuller.blogspot.in + www.ricepullers.in बिना अनुमति शासकीय तीव्र खनन यूनिट COP4-12 से न्यायाधीशों के निजी बंगले चितालंका में तथाकथित सुपारी के एवज में नलकूप खनन की सौरभ कुमार नवनियुक्त दंतेवाड़ा कलेक्टर के माध्यम से सीबीआई जांच पड़ताल कराकर मनोरोगी सहायक यंत्री डी ऐन श्रीवास्तव 09407924284 को बर्खास्त कर कामता प्रसाद 0924219316 बाबू झूठी गवाही + झूठी शिकायत कोर्ट में आत्मत्राण कराकर पुनः शासन की नियमित सेवार्थ हेतु हत्या/आत्महत्या पूर्व अनन्तिम याचना. 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