"उदन्त मार्तण्ड": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 2: पंक्ति 2:


उस समय [[अंग्रेजी]], [[फारसी]] और [[बंगला|बँगला]] में तो अनेक पत्र निकल रहे थे किंतु हिंदी में एक भी पत्र नहीं निकलता था। इसलिए "उदंत मार्तड" का प्रकाशन शुरू किया गया। इस पत्र में [[ब्रभाषा|ब्रज]] और [[खड़ीबोली]] दोनों के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता था जिसे इस पत्र के संचालक ""मध्यदेशीय भाषा"" कहते थे।
उस समय [[अंग्रेजी]], [[फारसी]] और [[बंगला|बँगला]] में तो अनेक पत्र निकल रहे थे किंतु हिंदी में एक भी पत्र नहीं निकलता था। इसलिए "उदंत मार्तड" का प्रकाशन शुरू किया गया। इस पत्र में [[ब्रभाषा|ब्रज]] और [[खड़ीबोली]] दोनों के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता था जिसे इस पत्र के संचालक ""मध्यदेशीय भाषा"" कहते थे।

==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.srijangatha.com/2009-10/Feb/mulyankan-dr. virendra yadav1.htm हिंदी साहित्य के इतिहास में पत्र-पत्रिका की प्रांसगिकता] (डॉ. वीरेन्द्र यादव)


[[श्रेणी:हिन्दी]]
[[श्रेणी:हिन्दी]]

14:32, 22 अप्रैल 2009 का अवतरण

उदंत मार्तण्ड हिंदी का प्रथम समाचार पत्र था । मई, 1826 ई. में कलकत्ता से एक साप्ताहिक के रूप में इसका प्रकाशन शुरू हुआ। इसके संपादक कानुपर निवासी श्री जुगुलकिशोर शुक्ल थे। इसके कुल 79 अंक ही प्रकाशित हो पाए थे कि दिसंबर, 1827 ई में बंद हो गया। यह पत्र पुस्तकाकार होता था और हर मंगलवार को निकलता था।

उस समय अंग्रेजी, फारसी और बँगला में तो अनेक पत्र निकल रहे थे किंतु हिंदी में एक भी पत्र नहीं निकलता था। इसलिए "उदंत मार्तड" का प्रकाशन शुरू किया गया। इस पत्र में ब्रज और खड़ीबोली दोनों के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता था जिसे इस पत्र के संचालक ""मध्यदेशीय भाषा"" कहते थे।

बाहरी कड़ियाँ