"फ़िरोज़ाबाद": अवतरणों में अंतर
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'''फिरोजाबाद''' [[उत्तर प्रदेश]] का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है।यह शहर [[चूड़ी|चूड़ियों]] के निर्माण के लिये प्रसिद्ध है। यह [[आगरा]] से 40 किलोमीटर और राजधानी [[दिल्ली]] से 250 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व की तरफ स्थित है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यहाँ से लगभग 250 किमी पूर्व की तरफ है। फिरोज़ाबाद ज़िले के अन्तर्गत दो कस्बे [[टुंडला]] और [[शिकोहाबाद]] आते हैं। टुंडला पश्चिम तथा शिकोहाबाद शहर के पूर्व में स्थित है। |
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इस शहर को [[फीरोज़शाह तुग़लक़]] ने बसाया था। फिरोज़ाबाद में मुख्यतः चूडियों का कारोबार होता है। यहाँ पर आप रंग बिरंगी चूडियों को अपने चारों ओर देख सकते हैं। लेकिन अब यहाँ पर गैस का कारोबार होता है। यहाँ पर काँच का अन्य सामान (जैसे काँच के झूमर) भी बनते हैं। |
इस शहर को [[फीरोज़शाह तुग़लक़]] ने बसाया था। फिरोज़ाबाद में मुख्यतः चूडियों का कारोबार होता है। यहाँ पर आप रंग बिरंगी चूडियों को अपने चारों ओर देख सकते हैं। लेकिन अब यहाँ पर गैस का कारोबार होता है। यहाँ पर काँच का अन्य सामान (जैसे काँच के झूमर) भी बनते हैं। |
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== काँच उद्योग का प्रारम्भ == |
== काँच उद्योग का प्रारम्भ == |
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अलीगढ इंस्टिट्यूट गजट सन 1880 के पृष्ठ 1083 पर उर्दू के कवि मौलाना अल्ताफ हुसैन हाली ने लिखा है कि फ़िरोज़ाबाद में खजूर के पटटे की पंखिया एशी उम्दा वनती है कि हिंदुस्तान में शायद ही कही वनती हो। सादी पंखिया जिसमे किसी कदर रेशम का काम होता है एक रुपया कीमत की हमने भी यहाँ देखी। |
अलीगढ इंस्टिट्यूट गजट सन 1880 के पृष्ठ 1083 पर उर्दू के कवि मौलाना अल्ताफ हुसैन हाली ने लिखा है कि फ़िरोज़ाबाद में खजूर के पटटे की पंखिया एशी उम्दा वनती है कि हिंदुस्तान में शायद ही कही वनती हो। सादी पंखिया जिसमे किसी कदर रेशम का काम होता है एक रुपया कीमत की हमने भी यहाँ देखी। इस कथन से स्पस्ट होता है कि 1880 तक यहाँ काँच उद्योग का प्रारम्भ नहीं हुआ था, आगरा गजेटियर 1884 के पृष्ठ 740 के अनुसार उस समय फ़िरोज़ाबाद में लाख का व्यवसाय भी अच्छी स्थिति में था ये व्यवसाय कालान्तर में समाप्त हो गया है ,परंतु वर्तमान में भारत में सबसे अधिक काँच की चूड़ियाँ, सजावट की काँच की वस्तुएँ, वैज्ञानिक उपकरण, बल्ब आदि फ़िरोज़ाबाद में बनाये जाते हैं।{{cn}} फ़िरोज़ाबाद में मुख्यत:चूड़ियों का व्यवसाय होता है। यहाँ पर आप रंगबिरंगी चूड़ियों की दुकानें चारों ओर देख सकते हैं। घरों के अन्दर महिलाएँ भी चूडियों पर पॉलिश लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। भारत में काँच का सर्वाधिक फ़िरोज़ाबाद नामक छोटे से शहर में बनाया जाता है। इस शहर के अधिकांश लोग काँच के किसी न किसी सामान के निर्माण से जुड़े उद्यम में लगे हैं। सबसे अधिक काँच की चूड़ियों का निर्माण इसी शहर में होता है। रंगीन काँच को गलाने के बाद उसे खींच कर तार के समान बनाया जाता है और एक बेलनाकार ढाँचे पर कुंडली के आकार में लपेटा जाता है। स्प्रिंग के समान दिखने वाली इस संरचना को काट कर खुले सिरों वाली चूड़ियाँ तैयार कर ली जातीं हैं। अब इन खुले सिरों वाली चूड़ियों के विधिपूर्वक न सिर्फ़ ये सिरे जोड़े जाते हैं बल्कि चूड़ियाँ एकरूप भी की जाती हैं ताकि जुड़े सिरों पर काँच का कोई टुकड़ा निकला न रह जाये। यह एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें काँच को गर्म व ठण्डा करना पड़ता है।{{cn}} |
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== फिरोजावाद में रेल का प्रारम्भ == |
== फिरोजावाद में रेल का प्रारम्भ == |
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सन 1847 ई0 में 11782 व् 1853 में 12674, और सं 1865 में 13163 तथा सन 1872 में 14255 एव सं 1881 में 16023 व् 1901 में 15849 फ़िरोज़ाबाद नगर की आबादी थी। |
सन 1847 ई0 में 11782 व् 1853 में 12674, और सं 1865 में 13163 तथा सन 1872 में 14255 एव सं 1881 में 16023 व् 1901 में 15849 फ़िरोज़ाबाद नगर की आबादी थी। |
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== परिवहन == |
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यह [[आगरा]] और [[इटावा]] के बीच प्रमुख रेलवे जंक्शन है। दिल्ली से रेल द्वारा आसानी से टूंडला जंक्शन एवम् हिरन गाओं होते हुए फ़िरोज़ाबाद पंहुचा जा सकता है एवम् फ़िरोज़ाबाद पहुँचने हेतु बस आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। स्वतंत्रता सेनानी पंडित तोताराम सनाढय की जन्म भूमि गाओं हिरन गाओं में जाने हेतु टैम्पू टैक्सी आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। |
यह [[आगरा]] और [[इटावा]] के बीच प्रमुख रेलवे जंक्शन है। दिल्ली से रेल द्वारा आसानी से टूंडला जंक्शन एवम् हिरन गाओं होते हुए फ़िरोज़ाबाद पंहुचा जा सकता है एवम् फ़िरोज़ाबाद पहुँचने हेतु बस आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। स्वतंत्रता सेनानी पंडित तोताराम सनाढय की जन्म भूमि गाओं हिरन गाओं में जाने हेतु टैम्पू टैक्सी आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। |
00:03, 3 फ़रवरी 2017 का अवतरण
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (मई 2016) स्रोत खोजें: "फ़िरोज़ाबाद" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
फिरोजाबाद फ़िरोज़ाबाद فیروزآباد | |
---|---|
city | |
Country | India |
State | Uttar Pradesh |
District | Firozabad |
शासन | |
• सभा | Congress |
जनसंख्या (2011 census) | |
• कुल | 603,797 |
Languages | |
• Official | Hindi Urdu |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
PIN | 283203 |
Telephone code | 05612 |
वाहन पंजीकरण | UP 83 |
वेबसाइट | firozabad |
फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है।यह शहर चूड़ियों के निर्माण के लिये प्रसिद्ध है। यह आगरा से 40 किलोमीटर और राजधानी दिल्ली से 250 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व की तरफ स्थित है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यहाँ से लगभग 250 किमी पूर्व की तरफ है। फिरोज़ाबाद ज़िले के अन्तर्गत दो कस्बे टुंडला और शिकोहाबाद आते हैं। टुंडला पश्चिम तथा शिकोहाबाद शहर के पूर्व में स्थित है।
इस शहर को फीरोज़शाह तुग़लक़ ने बसाया था। फिरोज़ाबाद में मुख्यतः चूडियों का कारोबार होता है। यहाँ पर आप रंग बिरंगी चूडियों को अपने चारों ओर देख सकते हैं। लेकिन अब यहाँ पर गैस का कारोबार होता है। यहाँ पर काँच का अन्य सामान (जैसे काँच के झूमर) भी बनते हैं।
इस शहर की आबो हवा गरम है। यहाँ की आबादी बहुत घनी है। यहाँ के ज्यादातर लोग कोरोबार से जुडे हैं। घरों के अन्दर महिलाएं भी चूडियों पर पालिश और हिल लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। बाल मज़दूरी यहाँ आम है। सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद उन पर अंकुश नहीं लगा सकी है। जबकि पंडित तोताराम सनाढय द्वारा बंधुआ मजदूरी/गिरमिटिया प्रथा को फिजी में समाप्त किया।जिनकी जन्म स्थली फीरोजाबाद से लगभग 8 किलो मीटर दूर गाओं हिरन गाओं में है !
इतिहास
फ़िरोज़ाबाद का इतिहास चंद्रवार के उजड़ते जाने और फ़िरोज़ाबाद के बसते जाने की कहानी एक ही सिक्के के दो पहलू है फ़िरोज़बाद की स्थापना सुल्तान फ़िरोज़शाह तुग़लक ने (1351-1388 ई.)की थी और अपनी राजधानी को दिल्ली से दस मील की दूरी पर बसाया था। यही नाम सुल्तान ने 1353-1354 ई. में बंगाल की चढ़ाई के दौरान वहाँ के 'पहुँचा नगर' को भी दिया था। सुल्तान फ़िरोज़ कट्टर मुसलमान था और उसने देश का प्रशासन इस्लाम के सिद्धान्तों के अनुरूप चलाने का प्रयास किया। फलस्वरूप हिन्दुओं को, जो बहुमत में थे, भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। उनके धार्मिक उत्सवों, सार्वजनिक सभाओं और पूजा पाठ पर प्रतिबंध लगाया गया। यहाँ क़े ज़मींदार मनिहार और पठान ही थे।[उद्धरण चाहिए]
इस धार्मिक कट्टरता के बावजूद फ़िरोज़ उदार शासक था।[उद्धरण चाहिए] उसने अनेक कष्टदायी और अनुचित करों को समाप्त किया, यद्यपि ब्राह्मणों पर भी जजिया कर थोपा गया, जो कि अभी तक इससे मुक्त थे। उसने सिंचाई के कार्य को प्रोत्साहन दिया, जौनपुर सहित कई नगरों की स्थापना की, अनेक बाग़-बग़ीचों को लगाया और वहाँ पर तमाम मस्ज़िदों का निर्माण कराया। उसने अंग-भंग जैसे कठोर दंडों को समाप्त किया और एक धर्मार्थ चिकित्सालय की स्थापना की। जहाँ रोगियों को दवाएँ और भोजन मुफ़्त दिया जाता था। उसका शासन कठोर नहीं था। चीज़ों की क़ीमत कम थी। लोग शान्ति से रहते थे।[उद्धरण चाहिए]
नगर पालिका की स्थापना
आगरा गजेटियर 1965 के पृष्ठ 263 के अनुसार फिरोजावाद नगर पालिका की स्थापना सन् 1868 में प्रारम्भ हुई, अनेक वर्षों तक जुवान्त मजिस्ट्रेट इसका अध्यक्छ हुआ करता था। उस समय पुलिस की व्यवस्था भी नगर पालिका के अंतर्गत थी।
काँच उद्योग का प्रारम्भ
अलीगढ इंस्टिट्यूट गजट सन 1880 के पृष्ठ 1083 पर उर्दू के कवि मौलाना अल्ताफ हुसैन हाली ने लिखा है कि फ़िरोज़ाबाद में खजूर के पटटे की पंखिया एशी उम्दा वनती है कि हिंदुस्तान में शायद ही कही वनती हो। सादी पंखिया जिसमे किसी कदर रेशम का काम होता है एक रुपया कीमत की हमने भी यहाँ देखी। इस कथन से स्पस्ट होता है कि 1880 तक यहाँ काँच उद्योग का प्रारम्भ नहीं हुआ था, आगरा गजेटियर 1884 के पृष्ठ 740 के अनुसार उस समय फ़िरोज़ाबाद में लाख का व्यवसाय भी अच्छी स्थिति में था ये व्यवसाय कालान्तर में समाप्त हो गया है ,परंतु वर्तमान में भारत में सबसे अधिक काँच की चूड़ियाँ, सजावट की काँच की वस्तुएँ, वैज्ञानिक उपकरण, बल्ब आदि फ़िरोज़ाबाद में बनाये जाते हैं।[उद्धरण चाहिए] फ़िरोज़ाबाद में मुख्यत:चूड़ियों का व्यवसाय होता है। यहाँ पर आप रंगबिरंगी चूड़ियों की दुकानें चारों ओर देख सकते हैं। घरों के अन्दर महिलाएँ भी चूडियों पर पॉलिश लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। भारत में काँच का सर्वाधिक फ़िरोज़ाबाद नामक छोटे से शहर में बनाया जाता है। इस शहर के अधिकांश लोग काँच के किसी न किसी सामान के निर्माण से जुड़े उद्यम में लगे हैं। सबसे अधिक काँच की चूड़ियों का निर्माण इसी शहर में होता है। रंगीन काँच को गलाने के बाद उसे खींच कर तार के समान बनाया जाता है और एक बेलनाकार ढाँचे पर कुंडली के आकार में लपेटा जाता है। स्प्रिंग के समान दिखने वाली इस संरचना को काट कर खुले सिरों वाली चूड़ियाँ तैयार कर ली जातीं हैं। अब इन खुले सिरों वाली चूड़ियों के विधिपूर्वक न सिर्फ़ ये सिरे जोड़े जाते हैं बल्कि चूड़ियाँ एकरूप भी की जाती हैं ताकि जुड़े सिरों पर काँच का कोई टुकड़ा निकला न रह जाये। यह एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें काँच को गर्म व ठण्डा करना पड़ता है।[उद्धरण चाहिए]
फिरोजावाद में रेल का प्रारम्भ
सन 1862 में 1 अप्रेल को टूंडला से शिकोहाबाद के लिए पहली रेलगाड़ी चालू हुई इससे अगले वर्ष मार्च 1863 ई0 से टूंडला से अलीगढ तक रेल चलने लगी।
फ़िरोज़ाबाद नगर की आबादी
सन 1847 ई0 में 11782 व् 1853 में 12674, और सं 1865 में 13163 तथा सन 1872 में 14255 एव सं 1881 में 16023 व् 1901 में 15849 फ़िरोज़ाबाद नगर की आबादी थी।
परिवहन
यह आगरा और इटावा के बीच प्रमुख रेलवे जंक्शन है। दिल्ली से रेल द्वारा आसानी से टूंडला जंक्शन एवम् हिरन गाओं होते हुए फ़िरोज़ाबाद पंहुचा जा सकता है एवम् फ़िरोज़ाबाद पहुँचने हेतु बस आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। स्वतंत्रता सेनानी पंडित तोताराम सनाढय की जन्म भूमि गाओं हिरन गाओं में जाने हेतु टैम्पू टैक्सी आदि की भी समुचित व्यवस्ता है।
सन्दर्भ
1.आगरा गजेटियर 1965 के पृष्ठ 263 पर