"कन्या राशि": अवतरणों में अंतर
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=== नक्षत्र चरण और फ़ल === |
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10:28, 31 जनवरी 2017 का अवतरण
कन्या | |||||||||||||||||||||||||||||||
मेष • वृषभ • मिथुन • कर्क • सिंह • कन्या • तुला वृश्चिक • धनु • मकर • कुम्भ • मीन | |||||||||||||||||||||||||||||||
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यह राशि चक्र की छठी राशि है।दक्षिण दिशा की द्योतक है। इस राशि का चिह्न हाथ मे फ़ूल की डाली लिये कन्या है। इसका विस्तार राशि चक्र के १५० अंशों से १८० अंश तक है। इस राशि का स्वामी बुध है, इस राशि के तीन द्रेष्काणों के स्वामी बुध,शनि और शुक्र हैं। इसके अन्तर्गत उत्तराफ़ाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण,चित्रा के पहले दो चरण और हस्त नक्षत्र के चारों चरण आते है। उत्तराफ़ाल्गुनी के दूसरे चरण के स्वामी सूर्य और शनि है, जो जातक को उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के प्रति अधिक महत्वाकांक्षा पैदा करते है, तीसरे चरण के स्वामी भी उपरोक्त होने के कारण दोनो ग्रहों के प्रभाव से घर और बाहर के बंटवारे को जातक के मन मे उत्पन्न करती है। चौथा चरण भावना की तरफ़ ले जाता है और जातक दिमाग की अपेक्षा ह्रदय से काम लेना चालू कर देता है। इस राशि के लोग संकोची और शर्मीले प्रभाव के साथ झिझकने वाले देखे जाते है। मकान, जमीन.और सेवाओं वाले कार्य ही इनकी समझ मे अधिक आते हैं, कर्जा, दुश्मनी और बीमारी के प्रति इनका लगाव और सेवायें देखने को मिलती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से फेफड़ों मे ठन्ड लगना और पाचन प्रणाली के ठीक न रहने के कारण आंतों मे घाव हो जाना, आदि बीमारियाँ इस प्रकार के जातकों मे मिलती है।
देवी दुर्गा का एक नाम।
कन्या राशि
यह राशि चक्र की छठी राशि है।दक्षिण दिशा की द्योतक है। इस राशि का चिह्न हाथ मे फ़ूल की डाली लिये कन्या है। इसका विस्तार राशि चक्र के १५० अंशों से १८० अंश तक है। इस राशि का स्वामी बुध है, इस राशि के तीन द्रेष्काणों के स्वामी बुध,शनि और शुक्र हैं। इसके अन्तर्गत उत्तराफ़ाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण,चित्रा के पहले दो चरण और हस्त नक्षत्र के चारों चरण आते है। इन चरणों के स्वामीऔर विस्तार इस प्रकार से है।
नक्षत्र चरण और फ़ल
उत्तराफ़ाल्गुनी के दूसरे चरण के स्वामी सूर्य और शनि है। जो जातक को उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के प्रति अधिक महत्वाकांक्षा पैदा करते है, तीसरे चरण के स्वामी भी उपरोक्त होने के कारण दोनो ग्रहों के प्रभाव से घर और बाहर के बंटवारे को जातक के मन मे उत्पन्न करती है। चौथा चरणभावना की तरफ़ ले जाता है और जातक दिमाग की अपेक्षा ह्रदय से काम लेना चालू कर देता है।
प्रकॄति
सकोची और शर्मीले प्रभाव के साथ झिझकने वाले जातक कन्या राशि के ही देखे जाते है।
आर्थिक फ़ल
मकान, जमीन.और सेवाओं वाले कार्य ही इनकी समझ मे अधिक आते हैं,कर्जा,दुश्मनी और बीमारी के प्रति इनका लगाव और सेवायें देखने को मिलती है।
स्वास्थ्य
फ़ेफ़डों मे ठन्ड लगना और पाचन प्रणाली के ठीक न रहने के कारण आंतों मे घाव हो जाना, आदि बीमारिया इस प्रकार के जातकों मे मिलती है। सारावली,भदावरी ज्योतिष {{Navbox | name = भारतीय ज्योतिष | title = भारतीय ज्योतिष | listclass = hlist | basestyle = background:#FFC569; | image =
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|group1=नक्षत्र
|list1= अश्विनी • भरणी • कृत्तिका • रोहिणी • मृगशिरा • [[आर्द्रा]
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• पुनर्वसु • पुष्य • अश्लेषा • मघा • पूर्वाफाल्गुनी • उत्तराफाल्गुनी • हस्त • चित्रा • स्वाती • विशाखा • अनुराधा • ज्येष्ठा • मूल • पूर्वाषाढ़ा • उत्तराषाढा • श्रवण • धनिष्ठा • शतभिषा • पूर्वाभाद्रपद • उत्तराभाद्रपद • रेवती
|group2=राशि |list2= मेष • वृषभ • मिथुन • कर्क • सिंह • कन्या • तुला • वृश्चिक • धनु • मकर • कुम्भ • मीन
|group3=ग्रह |list3= सूर्य • चन्द्रमा • मंगल • बुध • बृहस्पति • शुक्र • शनि • राहु • केतु
|group4=ग्रन्थ |list4= बृहद जातक • भावार्थ रत्नाकर • चमत्कार चिन्तामणि • दशाध्यायी • गर्ग होरा • होरा रत्न • होरा सार • जातक पारिजात • जैमिनी सूत्र • जातकालंकार • जातक भरणम • जातक तत्त्व • लघुपाराशरी • मानसागरी • प्रश्नतंत्र • फलदीपिका • स्कन्द होरा • संकेत निधि • सर्वार्थ चिन्तामणि • ताजिक नीलकण्ठी वृहत पराशर होरा शास्त्र [{ }] मुहूर्त चिंतामणि {{ }}
|group5=अन्य सिद्धांत |list5= आत्मकारक • अयनमास • भाव • चौघड़िया • दशा • द्वादशम • गंडांत • लग्न • नाड़ी • पंचांग • पंजिका • राहुकाल
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| below = ज्योतिष }}