"क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति घटना": अवतरणों में अंतर

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== प्रस्तावित कारण ==
== प्रस्तावित कारण ==
दुनिया-भर में समुद्र और धरती पर मिलने वाले पत्थरों में एक पतली लेकिन स्पष्ट परत दिखती है जिसे के-पीजी या के-टी सीमा कहा जाता है। इस परत में [[इरिडियम]] नामक धातु की अधिक मात्रा (संकेंद्रण, कॉन्सनट्रेशन​) है, हालांकि यह धातु पृथ्वी की ऊपरी सतहों में तो कम संकेंद्रण में और [[क्षुद्रग्रहों]] (ऐस्टरायडों) में अधिक संकेंद्रण में मिलती है। इस से कुछ वैज्ञानिकों ने यह विचार रखा कि सम्भव है कि लगभग ६.६ करोड़ साल पूर्व एक बड़ा [[क्षुद्रग्रह]] या [[धूमकेतु]] पृथ्वी से आ टकराया हो और इस प्रहार से पैदा हुई परिस्थितियों ने ही क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति को अंजाम दिया हो। उनकी सोच थी कि इस वस्तु के पृथ्वी पर प्रहार के असर तो बुरे थे ही लेकिन उसके तुरंत उपरांत वायु में इतनी धूल व मलबा उछल गया जो वर्षों तक सूरज की किरणों को ज़मीन तक पहुँचने से रोकता रहा। पूरे ग्रह पर अत्याधिक ठंड हो गई और प्रकाश के आभाव से पहले वनस्पति और फिर उन पर निर्भर प्राणी मरने लगे। जब यह प्रहार प्रस्ताव सबसे पहले रखा गया तो इसकी खिल्ली उड़ाई गई लेकिन धीरे-धीरे इसको बल देने वाले सबूत मिलने लगे। १९९० के दशक में [[मेक्सिको की खाड़ी]] में [[चिकशुलूब क्रेटर]] मिला, जो लगभग १८० किमी चौड़ा था और स्थानीय राख-पत्थर की जाँच से जिसकी आयु भी लगभग ६.६ करोड़ वर्ष पाई गई।<ref>{{cite journal |author=Vellekoop J, Sluijs A, Smit J |title=Rapid short-term cooling following the Chicxulub impact at the Cretaceous-Paleogene boundary |journal=Proc. Natl. Acad. Sci. U.S.A. |volume= 111|issue= 21|pages= 7537–41|date=May 2014 |pmid=24821785 |doi=10.1073/pnas.1319253111 |url=|author2=and others |displayauthors=1 |bibcode=2014PNAS..111.7537V |last3=Smit |last4=Schouten |last5=Weijers |last6=Sinninghe Damste |last7=Brinkhuis }}</ref><ref name="Hildebrand, A. R. 1991">{{cite journal | last1 = Hildebrand | first1 = A. R. | last2 = Penfield | first2 = G. T. | display-authors = 2 | last3 =Kring | first3 = David A. | last4 = Pilkington | first4 = Mark | last5 = Camargo Z. | first5 = Antonio | last6 = Jacobsen | first6 = Stein B. | last7 = Boynton | first7 = William V. | year = 1991 | title = Chicxulub crater: a possible Cretaceous/Tertiary boundary impact crater on the Yucatán peninsula, Mexico | url = | journal = Geology | volume = 19 | issue = 9| pages = 867–871 | doi=10.1130/0091-7613(1991)019<0867:ccapct>2.3.co;2| bibcode = 1991Geo....19..867H }}</ref> वर्तमान काल में आम वैज्ञानिक-मत यही है कि क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति का कारण एक क्षुद्रग्रह प्रहार ही था और पत्थरों मे दिखने वाली [[के-टी सीमा]] उसी धटना की निशानी है।
दुनिया-भर में समुद्र और धरती पर मिलने वाले पत्थरों में एक पतली लेकिन स्पष्ट परत दिखती है जिसे के-पीजी या के-टी सीमा कहा जाता है। इस परत में [[इरिडियम]] नामक धातु की अधिक मात्रा (संकेंद्रण, कॉन्सनट्रेशन​) है, हालांकि यह धातु पृथ्वी की ऊपरी सतहों में तो कम संकेंद्रण में और [[क्षुद्रग्रहों]] (ऐस्टरायडों) में अधिक संकेंद्रण में मिलती है। इस से कुछ वैज्ञानिकों ने यह विचार रखा कि सम्भव है कि लगभग ६.६ करोड़ साल पूर्व एक बड़ा [[क्षुद्रग्रह]] या [[धूमकेतु]] पृथ्वी से आ टकराया हो और इस प्रहार से पैदा हुई परिस्थितियों ने ही क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति को अंजाम दिया हो। उनकी सोच थी कि इस वस्तु के पृथ्वी पर प्रहार के असर तो बुरे थे ही लेकिन उसके तुरंत उपरांत वायु में इतनी धूल व मलबा उछल गया जो वर्षों तक सूरज की किरणों को ज़मीन तक पहुँचने से रोकता रहा। पूरे ग्रह पर अत्याधिक ठंड हो गई और प्रकाश के आभाव से पहले वनस्पति और फिर उन पर निर्भर प्राणी मरने लगे। जब यह प्रहार प्रस्ताव सबसे पहले रखा गया तो इसकी खिल्ली उड़ाई गई लेकिन धीरे-धीरे इसको बल देने वाले सबूत मिलने लगे। १९९० के दशक में [[मेक्सिको की खाड़ी]] में [[चिकशुलूब क्रेटर]] मिला, जो लगभग १८० किमी चौड़ा था और स्थानीय राख-पत्थर की जाँच से जिसकी आयु भी लगभग ६.६ करोड़ वर्ष पाई गई।<ref>{{cite journal |author=Vellekoop J, Sluijs A, Smit J |title=Rapid short-term cooling following the Chicxulub impact at the Cretaceous-Paleogene boundary |journal=Proc. Natl. Acad. Sci. U.S.A. |volume= 111|issue= 21|pages= 7537–41|date=May 2014 |pmid=24821785 |doi=10.1073/pnas.1319253111 |url=|author2=and others |displayauthors=1 |bibcode=2014PNAS..111.7537V |last3=Smit |last4=Schouten |last5=Weijers |last6=Sinninghe Damste |last7=Brinkhuis }}</ref><ref name="Hildebrand, A. R. 1991">{{cite journal | last1 = Hildebrand | first1 = A. R. | last2 = Penfield | first2 = G. T. | display-authors = 2 | last3 =Kring | first3 = David A. | last4 = Pilkington | first4 = Mark | last5 = Camargo Z. | first5 = Antonio | last6 = Jacobsen | first6 = Stein B. | last7 = Boynton | first7 = William V. | year = 1991 | title = Chicxulub crater: a possible Cretaceous/Tertiary boundary impact crater on the Yucatán peninsula, Mexico | url = | journal = Geology | volume = 19 | issue = 9| pages = 867–871 | doi=10.1130/0091-7613(1991)019<0867:ccapct>2.3.co;2| bibcode = 1991Geo....19..867H }}</ref> वर्तमान काल में आम वैज्ञानिक-मत यही है कि क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति का कारण एक क्षुद्रग्रह प्रहार ही था और पत्थरों मे दिखने वाली [[के-टी सीमा]] उसी धटना की निशानी है।


== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==

06:47, 31 जनवरी 2017 का अवतरण

एक क्षुद्रग्रह के पृथ्वी पर प्रहार का काल्पनिक चित्रण
अमेरिका में मिला यह पत्थर के-टी सीमा साफ़​ दर्शाता है - बीच की पतली परत में पत्थर के ऊपरी व निचले हिस्सों से १००० गुना अधिक मात्रा में इरिडियम है

क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति घटना (Cretaceous–Paleogene extinction event), जिसे क्रीटेशस-टरश्यरी विलुप्ति (Cretaceous–Tertiary extinction) भी कहते हैं, आज से लगभग ६.६ करोड़ साल पूर्व गुज़रा वह घटनाक्रम है जिसमें बहुत तेज़ी से पृथ्वी की तीन-चौथाई वनस्पतिजानवर जातियाँ हमेशा के लिये विलुप्त हो गई। सूक्ष्म रूप से इसे "के-टी विलुप्ति" (K–T extinction) या "के-पीजी विलुप्ति" (K–Pg extinction) भी कहा जाता है। इस घटना के साथ पृथ्वी के प्राकृतिक​ इतिहास के मध्यजीवी महाकल्प (Mesozoic Era, मीसोज़ोइक महाकल्प) का चाकमय कल्प (Cretaceous Period, क्रीटेशस काल) नामक अंतिम चरण ख़त्म हुआ और नूतनजीव महाकल्प (Cenozoic Era, सीनोज़ोइक महाकल्प) आरम्भ हुआ, जो कि आज तक जारी है।[1][2][3]

प्रस्तावित कारण

दुनिया-भर में समुद्र और धरती पर मिलने वाले पत्थरों में एक पतली लेकिन स्पष्ट परत दिखती है जिसे के-पीजी या के-टी सीमा कहा जाता है। इस परत में इरिडियम नामक धातु की अधिक मात्रा (संकेंद्रण, कॉन्सनट्रेशन​) है, हालांकि यह धातु पृथ्वी की ऊपरी सतहों में तो कम संकेंद्रण में और क्षुद्रग्रहों (ऐस्टरायडों) में अधिक संकेंद्रण में मिलती है। इस से कुछ वैज्ञानिकों ने यह विचार रखा कि सम्भव है कि लगभग ६.६ करोड़ साल पूर्व एक बड़ा क्षुद्रग्रह या धूमकेतु पृथ्वी से आ टकराया हो और इस प्रहार से पैदा हुई परिस्थितियों ने ही क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति को अंजाम दिया हो। उनकी सोच थी कि इस वस्तु के पृथ्वी पर प्रहार के असर तो बुरे थे ही लेकिन उसके तुरंत उपरांत वायु में इतनी धूल व मलबा उछल गया जो वर्षों तक सूरज की किरणों को ज़मीन तक पहुँचने से रोकता रहा। पूरे ग्रह पर अत्याधिक ठंड हो गई और प्रकाश के आभाव से पहले वनस्पति और फिर उन पर निर्भर प्राणी मरने लगे। जब यह प्रहार प्रस्ताव सबसे पहले रखा गया तो इसकी खिल्ली उड़ाई गई लेकिन धीरे-धीरे इसको बल देने वाले सबूत मिलने लगे। १९९० के दशक में मेक्सिको की खाड़ी में चिकशुलूब क्रेटर मिला, जो लगभग १८० किमी चौड़ा था और स्थानीय राख-पत्थर की जाँच से जिसकी आयु भी लगभग ६.६ करोड़ वर्ष पाई गई।[4][5] वर्तमान काल में आम वैज्ञानिक-मत यही है कि क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति का कारण एक क्षुद्रग्रह प्रहार ही था और पत्थरों मे दिखने वाली के-टी सीमा उसी धटना की निशानी है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "International Chronostratigraphic Chart". International Commission on Stratigraphy. 2015. अभिगमन तिथि 29 April 2015.
  2. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  3. Fortey, R (1999). Life: A Natural History of the First Four Billion Years of Life on Earth. Vintage. पपृ॰ 238–260. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-375-70261-7.
  4. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  5. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर