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== इतिहास ==
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उत्तराखण्ड क्रान्ति दल की स्थापना उत्तर प्रदेश के पर्वतीय ज़िलों से बने एक अलग राज्य के निर्माण आन्दोलन हेतु २६ जुलाई १९७९ को हुई थी। स्थापना सम्मेलन [[कुमाऊँ विश्वविद्यालय]] के भूतपूर्व उपकुलपति डॉ॰ [[डी.डी. पन्त]] की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। उक्राद के झण्डे तले अलग राज्य की माँग ने एक बड़े राजनीतिक संघर्ष और जन आन्दोलन का स्वरूप ले लिया और अंततः ९ नवम्बर २००० को यह अपने उद्देश्य में सफल रहा जब ''उत्तरांचल'' राज्य अस्तित्व में आया जिसे बाद में १ जनवरी २००७ को उत्तराखण्ड का नाम दिया गया। काशी सिंह ऐरी के युवा नेतृत्व के अंतर्गत राज्य के प्रथम विधानसभा चुनाव २००२ में, पार्टी को ७० सीटों में से ४ सीटों पर जीत हासिल हुई और यह राज्य में चुनावी लाभ और सरकारों के गठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बनाने में सफल रहा, परन्तु अलग राज्य आन्दोलन में देर से सक्रिय होने के बावज़ूद दोनों, राष्ट्रीय पार्टियों, [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] और [[भारतीय जनता पार्टी]] द्वारा राज्य की राजनीति में सीमित कर दिया गया।
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अब तक, उक्राद आन्तरिक विभाजन और गुटबाज़ी के कारण उत्तराखण्ड की राजनीति में एक व्यवहार्य तीसरी शक्ति स्थापित करने के अपने मूल लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सका है। यद्यपि, यह इस तरह की विचारधारा वाले [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी]], [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)]], [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)]] और अन्य छोटे उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय दलों और सामाजिक आन्दोलनों के रूप में राज्य में व्याप्त संगठनों से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है।
अब तक, उक्राद आन्तरिक विभाजन और गुटबाज़ी के कारण उत्तराखण्ड की राजनीति में एक व्यवहार्य तीसरी शक्ति स्थापित करने के अपने मूल लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सका है। यद्यपि, यह इस तरह की विचारधारा वाले [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी]], [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)]], [[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी)]] और अन्य छोटे उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय दलों और सामाजिक आन्दोलनों के रूप में राज्य में व्याप्त संगठनों से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है।


पार्टी पहाड़वासियों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में अतीत में विभिन्न अभियानों में सक्रिय रही है। पार्टी ने यद्यपि एकरूपक और समावेशी मामले में ''उत्तराखण्डी'' पहचान को परिभाषित करने और उत्तराखण्ड में रहने वाले सभी लोगों की विविधता की चिंताओं को अपनाया है। इस रूप में इसकी तुलना जातिवादी क्षेत्रवाद की बजाय नागरिक क्षेत्रवाद की विचारधारा वाली [[स्कॉटिश नेशनल पार्टी]] या [[प्लेड सायम्रू]] जैसी वामपंथी राष्ट्रवादी पार्टियों से की जा सकती है, यद्यपि उपरोक्त पार्टियों से इतर उक्राद की मूल अवधारणा और इसका लक्ष्य पूर्णरूप से गैर-अलगाववादी है।
पार्टी पहाड़वासियों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में अतीत में विभिन्न अभियानों में सक्रिय रही है। पार्टी ने यद्यपि एकरूपक और समावेशी मामले में ''उत्तराखण्डी'' पहचान को परिभाषित करने और उत्तराखण्ड में रहने वाले सभी लोगों की विविधता की चिंताओं को अपनाया है। इस रूप में इसकी तुलना जातिवादी क्षेत्रवाद की बजाय नागरिक क्षेत्रवाद की विचारधारा वाली [[स्कॉटिश नेशनल पार्टी]] या [[प्लेड सायम्रू]] जैसी वामपंथी राष्ट्रवादी पार्टियों से की जा सकती है, यद्यपि उपरोक्त पार्टियों से इतर उक्राद की मूल अवधारणा और इसका लक्ष्य पूर्णरूप से गैर-अलगाववादी है।


== नेतृत्व ==
== नेतृत्व ==

02:52, 30 जनवरी 2017 का अवतरण

उत्तराखण्ड क्रान्ति दल
चित्र:UKD-flag.GIF
नेता काशी सिंह ऐरी
गठन १९७९
विचारधारा क्षेत्रवाद, लोकवाद, वामपंथ
जालस्थल यूकेडी.प्रयाग.ऑर्ग
भारत की राजनीति
राजनैतिक दल
चुनाव


उत्तराखण्ड क्रान्ति दल (उक्राद) भारत का एक क्षेत्रीय दल है। यह राष्ट्रीय दलों जो क्षेत्र की राजनीति पर हावी हैं, के विपरीत स्वयं को उत्तराखण्ड के एकमात्र क्षेत्रीय दल के रूप में प्रस्तुत करता है।

वर्तमान उत्तराखण्ड विधानसभा में उक्राद का १ सदस्य है, जो २०१२ में निर्वाचित हुई थी और जिसमें उक्राद ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को समर्थन दिया था।

इतिहास

उत्तराखण्ड क्रान्ति दल की स्थापना उत्तर प्रदेश के पर्वतीय ज़िलों से बने एक अलग राज्य के निर्माण आन्दोलन हेतु २६ जुलाई १९७९ को हुई थी। स्थापना सम्मेलन कुमाऊँ विश्वविद्यालय के भूतपूर्व उपकुलपति डॉ॰ डी.डी. पन्त की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। उक्राद के झण्डे तले अलग राज्य की माँग ने एक बड़े राजनीतिक संघर्ष और जन आन्दोलन का स्वरूप ले लिया और अंततः ९ नवम्बर २००० को यह अपने उद्देश्य में सफल रहा जब उत्तरांचल राज्य अस्तित्व में आया जिसे बाद में १ जनवरी २००७ को उत्तराखण्ड का नाम दिया गया। काशी सिंह ऐरी के युवा नेतृत्व के अंतर्गत राज्य के प्रथम विधानसभा चुनाव २००२ में, पार्टी को ७० सीटों में से ४ सीटों पर जीत हासिल हुई और यह राज्य में चुनावी लाभ और सरकारों के गठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका बनाने में सफल रहा, परन्तु अलग राज्य आन्दोलन में देर से सक्रिय होने के बावज़ूद दोनों, राष्ट्रीय पार्टियों, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी द्वारा राज्य की राजनीति में सीमित कर दिया गया।

अब तक, उक्राद आन्तरिक विभाजन और गुटबाज़ी के कारण उत्तराखण्ड की राजनीति में एक व्यवहार्य तीसरी शक्ति स्थापित करने के अपने मूल लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सका है। यद्यपि, यह इस तरह की विचारधारा वाले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और अन्य छोटे उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय दलों और सामाजिक आन्दोलनों के रूप में राज्य में व्याप्त संगठनों से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है।

पार्टी पहाड़वासियों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में अतीत में विभिन्न अभियानों में सक्रिय रही है। पार्टी ने यद्यपि एकरूपक और समावेशी मामले में उत्तराखण्डी पहचान को परिभाषित करने और उत्तराखण्ड में रहने वाले सभी लोगों की विविधता की चिंताओं को अपनाया है। इस रूप में इसकी तुलना जातिवादी क्षेत्रवाद की बजाय नागरिक क्षेत्रवाद की विचारधारा वाली स्कॉटिश नेशनल पार्टी या प्लेड सायम्रू जैसी वामपंथी राष्ट्रवादी पार्टियों से की जा सकती है, यद्यपि उपरोक्त पार्टियों से इतर उक्राद की मूल अवधारणा और इसका लक्ष्य पूर्णरूप से गैर-अलगाववादी है।

नेतृत्व

पार्टी के वर्तमान चेहरे काशी सिंह ऐरी, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के एक प्रमुख नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा में तीन बार (१९८५-१९८९, १९८९-१९९१, १९९३-१९९६) विधायक और उत्तराखण्ड क्रान्ति दल के एक वरिष्ठ नेता हैं जो प्रथम उत्तराखण्ड विधान सभा २००२ में विधायक और उक्राद के अध्यक्ष भी रहे हैं। पार्टी के वर्तमान उपाध्यक्ष भुवन चंद्र जोशी और बीना बहुगुणा, वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी और उत्तराखण्ड राज्य के गठन में सबसे आगे से संघर्ष करने वाले उत्तराखण्ड राज्य निर्माण आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं। जसवंत सिंह बिष्ट रानीखेत निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार निर्वाचित विधायक थे। अन्य विभूतियों में बिपिन चन्द्र त्रिपाठी, इन्द्रमणि बडोनी जो अलग राज्य आन्दोलन के लिए उक्राद के संस्थापक सदस्यों और लंबे समय से राज्य आन्दोलनकारियों में से एक थे, शामिल हैं।

वर्तमान

जनवरी २०१२ के चुनावों में, दल ने ७० में से १ सीट जीती थी, पर चूँकि न ही भाजपा और न ही कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और इसलिए उक्राद की अगली सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका हो गई और इसने कांग्रेस को समर्थन दिया जो बहुमत के निकट थी और इस प्रकार से फ़रवरी २०१२ में उक्राद के समर्थन से कांग्रेस की सरकार बनी।

२०१२ उत्तराखण्ड विधानसभा सदस्य

निर्वाचनक्षेत्र संख्या निर्वाचनक्षेत्र निर्वाचित सदस्य
यमुनोत्री प्रीतम सिंह पँवार

बाहरी कड़ियाँ