"ज्यां-पाल सार्त्र": अवतरणों में अंतर
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ज्यां-पाल सार्त्र [[अस्तित्ववाद]] के पहले विचारकों में से माने जाते |
ज्यां-पाल सार्त्र [[अस्तित्ववाद]] के पहले विचारकों में से माने जाते हैं। वह बीसवीं सदी में फ्रान्स के सर्वप्रधान दार्शनिक कहे जा सकते हैं। कई बार उन्हें अस्तित्ववाद के जन्मदाता के रूप में भी देखा जाता है। |
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अपनी पुस्तक "ल नौसी" में सार्त्र एक ऐसे अध्यापक की कथा सुनाते हैं जिसे ये इलहाम होता है कि उसका पर्यावरण जिससे उसे इतना लगाव है वो बस कि़ञ्चित् निर्जीव और तत्वहीन वस्तुओं से निर्मित है। किन्तु उन निर्जीव वस्तुओं से ही उसकी तमाम भावनाएँ जन्म ले चुकी थीं। |
अपनी पुस्तक "ल नौसी" में सार्त्र एक ऐसे अध्यापक की कथा सुनाते हैं जिसे ये इलहाम होता है कि उसका पर्यावरण जिससे उसे इतना लगाव है वो बस कि़ञ्चित् निर्जीव और तत्वहीन वस्तुओं से निर्मित है। किन्तु उन निर्जीव वस्तुओं से ही उसकी तमाम भावनाएँ जन्म ले चुकी थीं। |
00:22, 28 जनवरी 2017 का अवतरण
व्यक्तिगत जानकारी | |
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जन्म | ज्यां-पाल चार्ल्स अय्मर्द सार्त्र २१ जून १९०५ पेरिस, फ्रान्स |
मृत्यु | 15 अप्रैल १९८० पेरिस, फ्रान्स | (उम्र 74)
वृत्तिक जानकारी | |
युग | २०वी सदी का दर्शन |
क्षेत्र | पाश्चात्य दर्शन |
हस्ताक्षर | [[Image:|128px|alt=]] |
ज्यां-पाल सार्त्र नोबेल पुरस्कार साहित्य विजेता, १९६४
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ज्यां-पाल सार्त्र अस्तित्ववाद के पहले विचारकों में से माने जाते हैं। वह बीसवीं सदी में फ्रान्स के सर्वप्रधान दार्शनिक कहे जा सकते हैं। कई बार उन्हें अस्तित्ववाद के जन्मदाता के रूप में भी देखा जाता है।
अपनी पुस्तक "ल नौसी" में सार्त्र एक ऐसे अध्यापक की कथा सुनाते हैं जिसे ये इलहाम होता है कि उसका पर्यावरण जिससे उसे इतना लगाव है वो बस कि़ञ्चित् निर्जीव और तत्वहीन वस्तुओं से निर्मित है। किन्तु उन निर्जीव वस्तुओं से ही उसकी तमाम भावनाएँ जन्म ले चुकी थीं।
सार्त्र का निधन अप्रैल १५, १९८० को पेरिस में हआ।