"कर्पूरी ठाकुर": अवतरणों में अंतर

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== व्यक्तिगत जीवन ==
== व्यक्तिगत जीवन ==
वह जन नायक कहलाते हैं। सरल और सरस हृदय के राजनेता माने जाते थे। सामाजिक रुप से पिछड़ी किन्तु सेवा भाव के महान लक्ष्य को चरितार्थ करती नाई जाति में जन्म लेने वाले इस महानायक ने राजनीति को भी जन सेवा की भावना के साथ जिया। उनकी सेवा भावना के कारण ही उन्हें जन नायक कहा जाता था, वह सदा गरीबों के हक़ के लिए लड़ते रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया।<ref>http://www.jagran.com/uttar-pradesh/mau-11039795.html</ref> उनका जीवन लोगों के लिया आदर्श से कम नहीं।<ref>http://www.bhaskar.com/news/JHA-120857-2889511.html</ref>
वह जन नायक कहलाते हैं। सरल और सरस हृदय के राजनेता माने जाते थे। सामाजिक रूप से पिछड़ी किन्तु सेवा भाव के महान लक्ष्य को चरितार्थ करती नाई जाति में जन्म लेने वाले इस महानायक ने राजनीति को भी जन सेवा की भावना के साथ जिया। उनकी सेवा भावना के कारण ही उन्हें जन नायक कहा जाता था, वह सदा गरीबों के हक़ के लिए लड़ते रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया।<ref>http://www.jagran.com/uttar-pradesh/mau-11039795.html</ref> उनका जीवन लोगों के लिया आदर्श से कम नहीं।<ref>http://www.bhaskar.com/news/JHA-120857-2889511.html</ref>
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20:20, 27 जनवरी 2017 का अवतरण

जय नन्दवंस रोहताश कर्पुरी ठाकुर (24 जनवरी 1924 - 18 फरवरी 1988) भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।[1][1] लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था।[2][3] कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गाँव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, में हुआ था।[2][4] भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने २६ महीने जेल में बिताए थे। वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे।[1]

व्यक्तिगत जीवन

वह जन नायक कहलाते हैं। सरल और सरस हृदय के राजनेता माने जाते थे। सामाजिक रूप से पिछड़ी किन्तु सेवा भाव के महान लक्ष्य को चरितार्थ करती नाई जाति में जन्म लेने वाले इस महानायक ने राजनीति को भी जन सेवा की भावना के साथ जिया। उनकी सेवा भावना के कारण ही उन्हें जन नायक कहा जाता था, वह सदा गरीबों के हक़ के लिए लड़ते रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया।[5] उनका जीवन लोगों के लिया आदर्श से कम नहीं।[6] [7]

राजनीतिक जीवन

1977 मे कर्पुरी ठाकुर ने बिहार के वरिष्ठतम नेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा से नेतापद का चुनाव जीता और राज्य के दो बार मुख्यमंत्री बने।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ