"अरहंत": अवतरणों में अंतर

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 [[थेरवाद]] [[बौद्ध धर्म]], में '''अर्हत''' ([[संस्कृत भाषा|Sanskrit]]; [[पालि भाषा|Pali]]: अरिहंत''-''; " जो काबिल है"<ref name="EB">[http://www.britannica.com/EBchecked/topic/34073/arhat Encyclopedia Britannica, ''Arhat (Buddhism)'']</ref>)  "संपूर्ण मनुष्य"<ref name="EB">[http://www.britannica.com/EBchecked/topic/34073/arhat Encyclopedia Britannica, ''Arhat (Buddhism)'']</ref>{{साँचा:Sfn|Warder|2000|p = 67}} को कहते हैं  जिसने अस्तित्व की यथार्थ प्रकृति का अंतर्ज्ञान प्राप्त कर लिया हो और जिसे निर्वाण की प्राप्त हो चुकी हो।{{साँचा:Sfn|Warder|2000|p = 67}}<ref name="EB">[http://www.britannica.com/EBchecked/topic/34073/arhat Encyclopedia Britannica, ''Arhat (Buddhism)'']</ref> अन्य बौद्ध परंपराओं में शब्द का अब तक आत्मज्ञान के रास्ते पर उन्नत लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया है,
 [[थेरवाद]] [[बौद्ध धर्म]], में '''अरहत''' या '''अरहंत''' ([[संस्कृत भाषा|Sanskrit]]; [[पालि भाषा|Pali]]: अरिहंत''-''; " जो काबिल है"<ref name="EB">[http://www.britannica.com/EBchecked/topic/34073/arhat Encyclopedia Britannica, ''Arhat (Buddhism)'']</ref>)  "संपूर्ण मनुष्य"<ref name="EB">[http://www.britannica.com/EBchecked/topic/34073/arhat Encyclopedia Britannica, ''Arhat (Buddhism)'']</ref>{{साँचा:Sfn|Warder|2000|p = 67}} को कहते हैं  जिसने अस्तित्व की यथार्थ प्रकृति का अंतर्ज्ञान प्राप्त कर लिया हो और जिसे निर्वाण की प्राप्त हो चुकी हो।{{साँचा:Sfn|Warder|2000|p = 67}}<ref name="EB">[http://www.britannica.com/EBchecked/topic/34073/arhat Encyclopedia Britannica, ''Arhat (Buddhism)'']</ref> अन्य बौद्ध परंपराओं में शब्द का अब तक आत्मज्ञान के रास्ते पर उन्नत लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया है,
लेकिन जो हो सकता पूर्ण बुद्धत्व की प्राप्ति ना कर सके हों।{{साँचा:Sfn|Rhie|Thurman|1991|p = 102}}
लेकिन जो हो सकता पूर्ण बुद्धत्व की प्राप्ति ना कर सके हों।{{साँचा:Sfn|Rhie|Thurman|1991|p = 102}}



05:04, 26 जनवरी 2017 का अवतरण

 थेरवाद बौद्ध धर्म, में अरहत या अरहंत (Sanskrit; Pali: अरिहंत-; " जो काबिल है"[1])  "संपूर्ण मनुष्य"[1][2] को कहते हैं  जिसने अस्तित्व की यथार्थ प्रकृति का अंतर्ज्ञान प्राप्त कर लिया हो और जिसे निर्वाण की प्राप्त हो चुकी हो।[2][1] अन्य बौद्ध परंपराओं में शब्द का अब तक आत्मज्ञान के रास्ते पर उन्नत लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया है, लेकिन जो हो सकता पूर्ण बुद्धत्व की प्राप्ति ना कर सके हों।[3]

Notes

References