"बांग्ला भाषा आन्दोलन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:1952 Bengali Language movement.jpg|right|thumb|300px|२१ फ़रवरी १९५२ को ढाका में आयोजित विशाल प्रदर्शन]]
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'''बांग्ला भाषा आन्दोलन''' (१९५२) तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान [[बांग्लादेश]]) में संघटित एक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक आन्दोलन था। इसे 'भाषा आन्दोलन' भी कहते हैं। आन्दोलन की मांग थी कि [[बांग्ला भाषा]] को [[पाकिस्तान]] की एक आधिकारिक भाषा की मान्यता दी जाय तथा इसका उपयोग सरकारी कामकाज में, शिक्षा के माध्यम के रूप में, संचार माध्यमों में, [[मुद्रा]] तथा [[मुहर]] आदि पर जारी रखी जाय। इसके अलावा यह भी मांग थी कि बांग्ला भाषा को [[बांग्ला लिपि]] में ही लिखना जारी रखा जाय।
'''बांग्ला भाषा आन्दोलन''' (१९५२) तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान [[बांग्लादेश]]) में संघटित एक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक आन्दोलन था। इसे 'भाषा आन्दोलन' भी कहते हैं। आन्दोलन की मांग थी कि [[बांग्ला भाषा]] को [[पाकिस्तान]] की एक आधिकारिक भाषा की मान्यता दी जाय तथा इसका उपयोग सरकारी कामकाज में, शिक्षा के माध्यम के रूप में, संचार माध्यमों में, [[मुद्रा]] तथा [[मुहर]] आदि पर जारी रखी जाय। इसके अलावा यह भी मांग थी कि बांग्ला भाषा को [[बांग्ला लिपि]] में ही लिखना जारी रखा जाय।


यह आन्दोलन अन्ततः [[बांग्लादेश मुक्ति संग्राम]] में परिणित हो गया। १९७१ में इसी के चलते [[भारत]] और पाकिस्तान में युद्ध हुआ और बांग्लादेश मुक्त हुआ। बांग्लादेश में २१ फ़रवरी को 'भाषा आन्दोलन दिवस' के रूप में याद किया जाता है तथा इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इस आन्दोलन तथा इसके शहीदों की स्मृति में ढाका मेडिकल कॉलेज के निकट 'शहीद मिनार' का निर्माण किया गया।
यह आन्दोलन अन्ततः [[बांग्लादेश मुक्ति संग्राम]] में परिणित हो गया। १९७१ में इसी के चलते [[भारत]] और पाकिस्तान में युद्ध हुआ और बांग्लादेश मुक्त हुआ। बांग्लादेश में २१ फ़रवरी को 'भाषा आन्दोलन दिवस' के रूप में याद किया जाता है तथा इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इस आन्दोलन तथा इसके शहीदों की स्मृति में ढाका मेडिकल कॉलेज के निकट 'शहीद मिनार' का निर्माण किया गया।

==इन्हें भी देखें ==
* [[बांग्लादेश मुक्ति युद्ध]]
* [[अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस]]
* [[बांग्ला भाषा]]


== बाहरी कड़ियाँ==
== बाहरी कड़ियाँ==

07:29, 23 सितंबर 2016 का अवतरण

२१ फ़रवरी १९५२ को ढाका में आयोजित विशाल प्रदर्शन
२१ फरवरी १९५३ को ढाका विश्वविद्यालय की छात्राएँ बांग्ला भाषा के लिये शान्तिपूर्ण मार्च करते हुए

बांग्ला भाषा आन्दोलन (१९५२) तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में संघटित एक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक आन्दोलन था। इसे 'भाषा आन्दोलन' भी कहते हैं। आन्दोलन की मांग थी कि बांग्ला भाषा को पाकिस्तान की एक आधिकारिक भाषा की मान्यता दी जाय तथा इसका उपयोग सरकारी कामकाज में, शिक्षा के माध्यम के रूप में, संचार माध्यमों में, मुद्रा तथा मुहर आदि पर जारी रखी जाय। इसके अलावा यह भी मांग थी कि बांग्ला भाषा को बांग्ला लिपि में ही लिखना जारी रखा जाय।

यह आन्दोलन अन्ततः बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में परिणित हो गया। १९७१ में इसी के चलते भारत और पाकिस्तान में युद्ध हुआ और बांग्लादेश मुक्त हुआ। बांग्लादेश में २१ फ़रवरी को 'भाषा आन्दोलन दिवस' के रूप में याद किया जाता है तथा इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इस आन्दोलन तथा इसके शहीदों की स्मृति में ढाका मेडिकल कॉलेज के निकट 'शहीद मिनार' का निर्माण किया गया।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ