"हिन्दी दिवस": अवतरणों में अंतर

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'''[[हिन्दी दिवस|हिन्दी]] दिवस''' प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि [[हिन्दी]] ही [[भारत]] की [[राजभाषा]] होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये [[राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा]] के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
'''हिन्दी दिवस''' प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि [[हिन्दी]] ही [[भारत]] की [[राजभाषा]] होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये [[राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा]] के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।


==इतिहास==
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== बाहरी कडियाँ ==
== बाहरी कडियाँ ==
* [http://www.rkalert.com/hindi-diwas-essay-kavita-poem-speech-slogan-in-hindi-divas-14-september संविधान-सम्मत है हिन्दी का विकास] (नवभारत टाइम्स)
* [http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/mumbai/other-news/the-constitutional-development-of-the-hindi/articleshow/54314308.cms संविधान-सम्मत है हिन्दी का विकास] (नवभारत टाइम्स)
* [http://www.livehindustan.com/news/guestcolumn/article1-market-will-grow-at-a-position-of-hindi-559838.html बाजार से बढ़ेगा हिंदी का रुतबा] (लाइव हिन्दुस्तान)
* [http://www.livehindustan.com/news/guestcolumn/article1-market-will-grow-at-a-position-of-hindi-559838.html बाजार से बढ़ेगा हिंदी का रुतबा] (लाइव हिन्दुस्तान)
* [http://www.livehindustan.com/news/national/article1-hindi-diwas-560424.html इतराइए की आप हिंदी भाषी हैं, पूरी दुनिया में है डंका] (लाइव हिन्दुस्तान)
* [http://www.livehindustan.com/news/national/article1-hindi-diwas-560424.html इतराइए की आप हिंदी भाषी हैं, पूरी दुनिया में है डंका] (लाइव हिन्दुस्तान)

06:44, 14 सितंबर 2016 का अवतरण

हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इतिहास

वर्ष 1918 में महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।[1]

वर्ष 1949 में

स्वतन्त्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में इस प्रकार वर्णित है:[2] संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। चूंकि यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया था। इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था। लेकिन जब राजभाषा के रूप में इसे चुना गया और लागू किया गया तो गैर-हिन्दी भाषी राज्य के लोग इसका विरोध करने लगे और अंग्रेज़ी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। इस कारण हिन्दी में भी अंग्रेज़ी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा।

1991 के बाद

वर्ष 1991 में इस देश में नव-उदारीकरण की आर्थिक नीतियाँ लागू की गई। इन नीतियों के तेजी से लागू हो पाने के पीछे जितने बड़े कारक थे सोवियत संघ में समाजवाद का पतन एवं इस देश के बड़े पूंजीपति घरानों की बढ़ती इजारादारी शायद उससे कहीं बड़ा, एवं सोवियत संघ के पतन के पीछे का भी, एक कारक था नई प्रौद्योगिकी का अभ्युदय। यह नई प्रौद्योगिकी एवं इससे उपजते हुये सेवा एवं उद्योग देश की अर्थनीति में कई सारे महत्वपूर्ण बदलाव लाये। सेवा क्षेत्र जिसका देश के सकल घरेलु उत्पाद में अंशदान 25% से भी कम था 50% से अधिक हो गया जबकि कृषि का अंशदान, भारत आज भी

कृषि प्रधान देश होते हुये भी 20% से कम रह गया। इसका जबर्दस्त असर पड़ा भाषा की पढ़ाई पर। अंग्रेजी के अलावा किसी दूसरे भाषा की पढ़ाई समय की बर्बादी समझा जाने लगा। जब हिन्दीभाषी घरों में बच्चे हिन्दी बोलने से कतराने लगे, या अशुद्ध बोलने लगे तब कुछ विवेकी अभिभावकों के समुदाय को थोड़ा थोड़ा एहसास होने लगा कि घर-परिवार में नई पीढ़ियों की जुबान से भाषा के उजड़ने, मातृभाषा उजड़ने लगी है।[3]

कार्यक्रम

हिन्दी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिन्दी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है।[4] जिसमें हिन्दी निबंध लेखन, वाद-विवाद हिन्दी टंकण प्रतियोगिता आदि होता है।[5] हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रेरित करने हेतु भाषा सम्मान की शुरुआत की गई है। यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे व्यक्तित्व को दिया जाएगा जिसने जन-जन में हिन्दी भाषा के प्रयोग एवं उत्थान के लिए विशेष योगदान दिया है। इसके लिए सम्मान स्वरूप एक लाख एक हजार रुपये दिये जाते हैं।[6][7] हिन्दी में निबंध लेखन प्रतियोगिता के द्वारा कई जगह पर हिन्दी भाषा के विकास और विस्तार हेतु कई सुझाव भी प्राप्त किए जाते हैं। लेकिन अगले दिन सभी हिन्दी भाषा को भूल जाते हैं।[8] हिन्दी भाषा को कुछ और दिन याद रखें इस कारण राजभाषा सप्ताह का भी आयोजन होता है। जिससे यह कम से कम वर्ष में एक सप्ताह के लिए तो रहती ही है।[9]

  • हिन्दी निबंध लेखन
  • वाद-विवाद
  • विचार गोष्ठी
  • काव्य गोष्ठी
  • श्रुति लेखन
  • हिन्दी टंकण प्रतियोगिता
  • कवि सम्मेलन[10]
  • पुरस्कार समारोह
  • राजभाषा सप्ताह

कारण

सम्पूर्ण विश्व में भाषा बोलने में हिन्दी का चौथा स्थान है।

हिन्दी भाषा बोलने के अनुसार अंग्रेज़ी और चीनी भाषा के बाद पूरे दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी भाषा है। लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों में यह संख्या बहुत ही कम है। यह और भी कम होती जा रही। इसके साथ ही हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है और कई शब्द प्रचलन से हट गए और अंग्रेज़ी के शब्द ने उसकी जगह ले ली है। जिससे भविष्य में भाषा के विलुप्त होने की भी संभावना अधिक बढ़ गई है।[11][12]

इस कारण ऐसे लोग जो हिन्दी का ज्ञान रखते हैं या हिन्दी भाषा जानते हैं, उन्हें हिन्दी के प्रति अपने कर्तव्य का बोध करवाने के लिए इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिससे वे सभी अपने कर्तव्य का पालन कर हिन्दी भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सकें। लेकिन लोग और सरकार दोनों ही इसके लिए उदासीन दिखती है। हिन्दी तो अपने घर में ही दासी के रूप में रहती है।[13] हिन्दी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि योग को 177 देशों का समर्थन मिला, लेकिन हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन क्या नहीं जुटाया जा सकता?[14] इसके ऐसे हालात आ गए हैं कि हिन्दी दिवस के दिन भी कई लोगों को ट्विटर पर हिन्दी में बोलो जैसे शब्दों का उपयोग करना पड़ रहा है।[15][16] अमर उजाला ने भी लोगों से विनती किया कि कम से कम हिन्दी दिवस के दिन हिन्दी में ट्वीट करें।[17]

उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिन्दी का उपयोग पूरी तरह से नहीं करेंगे तब तक हिन्दी भाषा का विकास नहीं हो सकता है। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेज़ी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जो वर्ष भर हिन्दी में अच्छे विकास कार्य करता है और अपने कार्य में हिन्दी का अच्छी तरह से उपयोग करता है, उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है।

कई लोग अपने सामान्य बोलचाल में भी अंग्रेज़ी भाषा के शब्दों का या अंग्रेज़ी का उपयोग करते हैं, जिससे धीरे धीरे हिन्दी के अस्तित्व को खतरा पहुँच रहा है।[18] यहाँ तक कि वाराणसी में स्थित दुनिया में सबसे बड़ी हिन्दी संस्था आज बहुत ही खस्ता हाल में है।[19] इस कारण इस दिन उन सभी से निवेदन किया जाता है कि वे अपने बोलचाल की भाषा में भी हिन्दी का ही उपयोग करें। इसके अलावा लोगों को अपने विचार आदि को हिन्दी में लिखने भी कहा जाता है। चूंकि हिन्दी भाषा में लिखने हेतु बहुत कम उपकरण के बारे में ही लोगों को पता है, इस कारण इस दिन हिन्दी भाषा में लिखने, जाँच करने और शब्दकोश के बारे में जानकारी दी जाती है। हिन्दी भाषा के विकास के लिए कुछ लोगों के द्वारा कार्य करने से कोई खास लाभ नहीं होगा। इसके लिए सभी को एक जुट होकर हिन्दी के विकास को नए आयाम तक पहुँचाना होगा। हिन्दी भाषा के विकास और विलुप्त होने से बचाने के लिए यह अनिवार्य है।[20]

राजभाषा सप्ताह

राजभाषा सप्ताह या हिन्दी सप्ताह 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है। इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है। इन सात दिनों में लोगों को निबंध लेखन, आदि के द्वारा हिन्दी भाषा के विकास और उसके उपयोग के लाभ और न उपयोग करने पर हानि के बारे में समझाया जाता है।

पुरस्कार

हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को उत्साहित करने हेतु पुरस्कार समारोह भी आयोजित किया जाता है। जिसमें कार्य के दौरान अच्छी हिन्दी का उपयोग करने वाले को यह पुरस्कार दिया जाता है। यह पहले राजनेताओं के नाम पर था, जिसे बाद में बदल कर राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया। राजभाषा गौरव पुरस्कार लोगों को दिया जाता है जबकि राजभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी विभाग, समिति आदि को दिया जाता है।[21][22]

राजभाषा गौरव पुरस्कार

यह पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। इसमें दस हजार से लेकर दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार होते हैं। इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले को ₹2,00,000 व द्वितीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को ₹1,50,000 और तृतीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले को ₹75,000 रुपये मिलता है। साथ ही 10 लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में ₹10,000 रुपये मिलता है। पुरस्कार प्राप्त सभी लोगों को स्मृति चिन्ह भी दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाना है।

राजभाषा कीर्ति पुरस्कार

इस पुरस्कार योजना के तहत कुल 39 पुरस्कार दिये जाते हैं। यह पुरस्कार किसी समिति, विभाग, मण्डल आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है। इसका मूल उद्देश्य सरकारी कार्यों में हिन्दी भाषा का उपयोग करने से है।

विरोध

कई हिन्दी लेखकों और हिन्दी भाषा जानने वालों का कहना है कि हिन्दी दिवस केवल सरकारी कार्य की तरह है, जिसे केवल एक दिन के लिए मना दिया जाता है। इससे हिन्दी भाषा का कोई भी विकास नहीं होता है, बल्कि इससे हिन्दी भाषा को हानि होती है। कई लोग हिन्दी दिवस समारोह में भी अंग्रेज़ी भाषा में लिख कर लोगों का स्वागत करते हैं। सरकार इसे केवल यह दिखाने के लिए चलाती है कि वह हिन्दी भाषा के विकास हेतु कार्य कर रही है। स्वयं सरकारी कर्मचारी भी हिन्दी के स्थान पर अंग्रेज़ी में कार्य करते नज़र आते हैं।

हिन्दी दिवस पर क़फ़ील अहमद फारूक़ी का कहना है कि असल में हिन्दी भाषी ही हिन्दी का गला घोंट रहे हैं। हिन्दी दिवस पर औपचारिकता के स्थान पर कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे लगे कि वाक़ई में हिन्दी के लिए कुछ हुआ है।[23]उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा ज़िले के बाड़ेछीना में सन् १९३१ में जन्मे साहित्यकार शैलेष मटियानी हिन्दी के प्रति सरकारों और नौकरशाहों के रवैये से बेहद दुखी थे।[24]

लेकिन कुछ लोगों की सोच यह भी है कि विविध कारण बताकर हिन्दी दिवस मनाने का विरोध करने और मजाक उड़ाने वाले यह चाहते हैं कि हिन्दी के प्रति रही-सही अपनत्व की भावना भी समाप्त की जाय।

सन्दर्भ

  1. "हिन्दी दिवस : हिन्दी है हिन्द की धड़कन". दैनिक जागरण. 14 सितम्बर 2012. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2016.
  2. "हिंदी में है विश्व भाषा बनने का सामर्थ्य". ज़ी न्यूज़. 14 सितंबर 2013. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  3. "हिंदी दिवस पर विशेष: मातृभाषा, मैत्रीभाषा, देशभाषा". बिहार खोज खबर. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  4. "बच्चों ने जाना हिन्दी दिवस का महत्व". दैनिक जागरण. 14 सितंबर 2014. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  5. "हिंदी दिवस पर होंगे विविध कार्यक्रम". दैनिक भास्कर. 9 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  6. "हिन्दी दिवस पर भाषा सम्मान की शुरुआत". प्रेसनोट. 5 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  7. "राजभाषा हिंदी के प्रति रुझान जागृत करने का प्रयास शुरू". दैनिक जागरण. 1 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  8. "हिन्दी जगत के विस्तार से ही बढ़ सकती है संभावना, युवाओं ने दिए सुझाव". दैनिक भास्कर. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  9. "हिंदी दिवस : एक दिन हिंदी भाषा के नाम". हरित खबर. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  10. "हिन्दी दिवस पर कवि सम्मेलन का आयोजन". दैनिक जागरण. 9 सितंबर 2014. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  11. "हिंदी दिवस विशेष : एक और देश जिसकी आधिकारिक भाषा हिंदी, जानें 5 खास बातें". दैनिक जागरण. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  12. "किस दिशा में चल पड़ी है हिंदी?". नई दुनिया. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  13. "अपने ही घर में दासी बनकर रह रही हिन्दी". दैनिक जागरण. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  14. "हिन्दी दिवस पर विशेष : अब तक हुई रस्म निभाई, आखिर कैसे हो हिन्दी की भलाई". एनडीटीवी इंडिया. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  15. "ट्विटर पर छाया #हिन्दी_में_बोलो, पढ़ें क्‍या-क्‍या बोले लोग". समाचार18. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  16. "#हिन्दी_में_बोलो के साथ हिन्दी के जश्न में शरीक हुए 'ट्वीटरराटी'". एबीपी समाचार. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  17. "#बोले तो हिंदी: आइए हिंदी के लिए एक ट्वीट करें". अमर उजाला. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  18. "हिंदी भाषा की हो रही अनदेखी". दैनिक जागरण. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  19. "हिंदी दिवस: काशी में हिंदी की सबसे बड़ी पीठ बदहाल". अमर उजाला. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  20. "हिन्दी के विकास को एकजुटता जरूरी". अमर उजाला. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  21. "राजभाषा पुरस्कारों से इंदिरा व राजीव गांधी के नामों की छुट्टी". पत्रिका. 21 अप्रैल 2015. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2015.
  22. "हिंदी दिवस पर विशेष: तकनीक के स्‍तर पर हिंदी ने की काफी प्रगति". दैनिक जागरण. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.
  23. "हिन्दी और हम". जनसत्ता. 10 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 10 सितंबर 2015.
  24. "हिंदी दिवस पर फिर उठे महान कथाकार के सुलगते सवाल". अमर उजाला देहारादून. 14 सितंबर 2015. अभिगमन तिथि 14 सितंबर 2015.

इन्हें भी देखें

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