"अहल अल-हदीस": अवतरणों में अंतर

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== शाखाएं ==
== शाखाएं ==
अहले हदीस का तरीक़ा अस्ल में एक फ़िक्ही और इज्तिहादी तरीक़ा था। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो [[अहले सुन्नत वल जमात]] के धर्म की समझ रखने वाले अपने तौर तरीक़े की वजह से दो गीरोह में बटे हैं।
अहले हदीस का तरीक़ा अस्ल में एक फ़िक्ही और इज्तिहादी तरीक़ा था। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो [[अहले सुन्नत वल जमात]] के धर्म की समझ रखने वाले अपने तौर तरीक़े की वजह से दो गीरोह में बटे हैं।
=== पहली शाखा ===
=== अस्हाबे रई ===
इसकी एक शाखा वह है जिसका सेन्टर इराक़ था और वह हुक्मे शरई को हासिल करने के लिए क़ुरआन और सुन्नत के अलावा अक्ल (बुद्धी) से भी काम लेता था। यह लोग फ़िक्ह में क़्यास (अनुमान) को मोअतबर (विश्वासपात्र) समझते हैं और यही नही बल्कि कुछ जगहों पर इसको क़ुरआन और सुन्नत पर मुक़द्दम (महत्तम) करते हैं।
अस्हाबे रई समूह का केंद्र इराक़ था। वह हुक्मे शरई को हासिल करने के लिए क़ुरआन और सुन्नत के अलावा अक्ल (बुद्धी) से भी काम लेता था। यह लोग फ़िक्ह में क़्यास (अनुमान) को मोअतबर (विश्वासपात्र) समझते हैं और यही नही बल्कि कुछ जगहों पर इसको क़ुरआन और सुन्नत पर मुक़द्दम (महत्तम) करते हैं।


ये लोग “अस्हाबे रई ” के नाम से मश्हूर हैं। इस समूह के संस्थापक अबू हनीफा (देहान्त 150 हिजरी) हैं।
इस समूह के संस्थापक अबू हनीफा (देहान्त 150 हिजरी) हैं।


=== दूसरी शाखा ===
=== दूसरी शाखा ===

16:40, 23 अगस्त 2016 का अवतरण

अहले हदीस (फारसी:اهل حدیث‎‎, उर्दू: اہل حدیث‎, ) एशिया में सुन्नी इस्लाम मुहीम हैं ! इन्हें सलफ़ी भी कहा जा है। ता

अभिप्राय

अहले हदीस दो शब्‍दों के मिश्रण से बना शब्‍द है- अहल और हदीस׀  हदीस का शाब्दिक अर्थ है बात। 

मान्यताएं

अहले हदीस क़ुरान और सुन्नत को ही धर्म और उसके कानून को समझने का स्रोत मानती हैं ,ये हर उस चीज़ का विरोध करती हैं जो इस्लाम में बाद में आयी

शाखाएं

अहले हदीस का तरीक़ा अस्ल में एक फ़िक्ही और इज्तिहादी तरीक़ा था। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अहले सुन्नत वल जमात के धर्म की समझ रखने वाले अपने तौर तरीक़े की वजह से दो गीरोह में बटे हैं।

अस्हाबे रई

अस्हाबे रई समूह का केंद्र इराक़ था। वह हुक्मे शरई को हासिल करने के लिए क़ुरआन और सुन्नत के अलावा अक्ल (बुद्धी) से भी काम लेता था। यह लोग फ़िक्ह में क़्यास (अनुमान) को मोअतबर (विश्वासपात्र) समझते हैं और यही नही बल्कि कुछ जगहों पर इसको क़ुरआन और सुन्नत पर मुक़द्दम (महत्तम) करते हैं।

इस समूह के संस्थापक अबू हनीफा (देहान्त 150 हिजरी) हैं।

दूसरी शाखा

दूसरा गीरोह जिनका सेन्टर हिजाज़ था। यह लोग सिर्फ क़ुरआन और हदीस के ज़ाहिर (प्रत्यक्ष) पर भरोसा करते थे और पूरी तरह से अक़्ल का इंकार करते थे। यह गुरूप “अहले हदीस या अस्हाबे हदीस ” के नाम से मशहूर है। इस गुरूप के बड़े उलमा (विद्धवान), मालिक इब्ने अनस (देहान्त 179 हिजरी), अहमद इब्ने हम्बल हैं।

अहले हदीस पंथ के मानने वाले तक़लीद नहीं कही करते ,वो मानते हैं कि क़ुरान और सुन्नत से ही सारे मसले और धर्म के

का== संबंधित  ख


==नून को समझा जा सकता हैं और इसके लिए किसी एक इमाम की तक़लीद की ज़रूरत न== संबंधित लेख ==हीं== == संबंधित लेख ==

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