"पादुका सहस्रम": अवतरणों में अंतर

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'''पादुका सहस्रम्''' [[वेदान्त देशिक]] की [[संस्कृत]] [[चित्रकाव्य]] है। इसमें १००८ श्लोकों में [[श्रीराम]] की [[पदुका]] (खड़ाऊँ) की वन्दना-आराधना की गयी है। यह पुस्तक उन कुछ पुस्तकों में से एक है जिसे श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के लोग प्रतिदिन पाठ करते हैं। ऐसा कहा जाता है वेदान्त देशिकर ने कि इस पुस्तक की रचना मात्र एक रात में कर दी थी। यह रचना [[श्रीरंगम]] स्थित भगवान [[रंगनाथ]] के प्रति देशिकर की अगाध भक्तिभावना की भी परिचायक है।
'''पादुका सहस्रम्''' [[वेदान्त देशिक]] की [[संस्कृत]] [[चित्रकाव्य]] है। इसमें १००८ श्लोकों में [[श्रीराम]] की [[पदुका]] (खड़ाऊँ) की वन्दना-आराधना की गयी है। यह पुस्तक उन कुछ पुस्तकों में से एक है जिसे श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के लोग प्रतिदिन पाठ करते हैं। ऐसा कहा जाता है वेदान्त देशिकर ने कि इस पुस्तक की रचना मात्र एक रात में कर दी थी। यह रचना [[श्रीरंगम]] स्थित भगवान [[रंगनाथ]] के प्रति देशिकर की अगाध भक्तिभावना की भी परिचायक है।


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06:38, 18 जुलाई 2016 का अवतरण

पादुका सहस्रम् वेदान्त देशिक की संस्कृत चित्रकाव्य है। इसमें १००८ श्लोकों में श्रीराम की पदुका (खड़ाऊँ) की वन्दना-आराधना की गयी है। यह पुस्तक उन कुछ पुस्तकों में से एक है जिसे श्रीवैष्णव सम्प्रदाय के लोग प्रतिदिन पाठ करते हैं। ऐसा कहा जाता है वेदान्त देशिकर ने कि इस पुस्तक की रचना मात्र एक रात में कर दी थी। यह रचना श्रीरंगम स्थित भगवान रंगनाथ के प्रति देशिकर की अगाध भक्तिभावना की भी परिचायक है।

इसमें एक श्लोक ऐसा है जो संगणक विज्ञान में प्रसिद्ध घोड़े की चाल () नामक समस्या का समाधान है।

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