"फ़िरोज़ाबाद": अवतरणों में अंतर

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यह [[आगरा]] और [[इटावा]] के बीच प्रमुख रेलवे जंक्शन है। दिल्ली से रेल द्वारा आसानी से टूंडला जंक्शन एवम् हिरन गाओं होते हुए फ़िरोज़ाबाद पंहुचा जा सकता है एवम् फ़िरोज़ाबाद पहुँचने हेतु बस आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। स्वतंत्रता सेनानी पंडित तोताराम सनाढय की जन्म भूमि गाओं हिरन गाओं में जाने हेतु टैम्पू टैक्सी आदि की भी समुचित व्यवस्ता है।
यह [[आगरा]] और [[इटावा]] के बीच प्रमुख रेलवे जंक्शन है। दिल्ली से रेल द्वारा आसानी से टूंडला जंक्शन एवम् हिरन गाओं होते हुए फ़िरोज़ाबाद पंहुचा जा सकता है एवम् फ़िरोज़ाबाद पहुँचने हेतु बस आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। स्वतंत्रता सेनानी पंडित तोताराम सनाढय की जन्म भूमि गाओं हिरन गाओं में जाने हेतु टैम्पू टैक्सी आदि की भी समुचित व्यवस्ता है।


== सन्दर्भ ==

1.आगरा गजेटियर 1965 के पृष्ठ 263 पर
[[श्रेणी:फ़िरोज़ाबाद ज़िला]]
[[श्रेणी:फ़िरोज़ाबाद ज़िला]]
[[श्रेणी:शहर]]
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16:00, 2 जून 2016 का अवतरण

फिरोजाबाद
फ़िरोज़ाबाद
فیروزآباد
city
फिरोजाबाद is located in उत्तर प्रदेश
फिरोजाबाद
फिरोजाबाद
CountryIndia
StateUttar Pradesh
DistrictFirozabad
शासन
 • सभाCongress
जनसंख्या (2011 census)
 • कुल603,797
Languages
 • OfficialHindi
Urdu
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
PIN283203
Telephone code05612
वाहन पंजीकरणUP 83
वेबसाइटfirozabad.nic.in

फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है।यह शहर चूड़ियों के निर्माण के लिये प्रसिद्ध है। यह आगरा से 40 किलोमीटर और राजधानी दिल्ली से 250 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व की तरफ स्थित है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ यहाँ से लगभग 250 किमी पूर्व की तरफ है। फिरोज़ाबाद ज़िले के अन्तर्गत दो कस्बे टुंडला और शिकोहाबाद आते हैं। टुंडला पश्चिम तथा शिकोहाबाद शहर के पूर्व में स्थित है।

इस शहर को फीरोज़शाह तुग़लक़ ने बसाया था। फिरोज़ाबाद में मुख्यतः चूडियों का कारोबार होता है। यहाँ पर आप रंग बिरंगी चूडियों को अपने चारों ओर देख सकते हैं। लेकिन अब यहाँ पर गैस का कारोबार होता है। यहाँ पर काँच का अन्य सामान (जैसे काँच के झूमर) भी बनते हैं।

इस शहर की आबो हवा गरम है। यहाँ की आबादी बहुत घनी है। यहाँ के ज्यादातर लोग कोरोबार से जुडे हैं। घरों के अन्दर महिलाएं भी चूडियों पर पालिश और हिल लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। बाल मज़दूरी यहाँ आम है। सरकार तमाम प्रयासों के बावजूद उन पर अंकुश नहीं लगा सकी है। जबकि पंडित तोताराम सनाढय द्वारा बंधुआ मजदूरी/गिरमिटिया प्रथा को फिजी में समाप्त किया।जिनकी जन्म स्थली फीरोजाबाद से लगभग 8 किलो मीटर दूर गाओं हिरन गाओं में है !

इतिहास

फ़िरोज़ाबाद की स्थापना सुल्तान फ़िरोज़शाह तुग़लक ने (1351-1388 ई.)की थी और अपनी राजधानी को दिल्ली से दस मील की दूरी पर बसाया था। यही नाम सुल्तान ने 1353-1354 ई. में बंगाल की चढ़ाई के दौरान वहाँ के 'पहुँचा नगर' को भी दिया था। सुल्तान फ़िरोज़ कट्टर मुसलमान था और उसने देश का प्रशासन इस्लाम के सिद्धान्तों के अनुरूप चलाने का प्रयास किया। फलस्वरूप हिन्दुओं को, जो बहुमत में थे, भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। उनके धार्मिक उत्सवों, सार्वजनिक सभाओं और पूजा पाठ पर प्रतिबंध लगाया गया। यहाँ क़े ज़मींदार मनिहार और पठान ही थे।[उद्धरण चाहिए]

इस धार्मिक कट्टरता के बावजूद फ़िरोज़ उदार शासक था।[उद्धरण चाहिए] उसने अनेक कष्टदायी और अनुचित करों को समाप्त किया, यद्यपि ब्राह्मणों पर भी जजिया कर थोपा गया, जो कि अभी तक इससे मुक्त थे। उसने सिंचाई के कार्य को प्रोत्साहन दिया, जौनपुर सहित कई नगरों की स्थापना की, अनेक बाग़-बग़ीचों को लगाया और वहाँ पर तमाम मस्ज़िदों का निर्माण कराया। उसने अंग-भंग जैसे कठोर दंडों को समाप्त किया और एक धर्मार्थ चिकित्सालय की स्थापना की। जहाँ रोगियों को दवाएँ और भोजन मुफ़्त दिया जाता था। उसका शासन कठोर नहीं था। चीज़ों की क़ीमत कम थी। लोग शान्ति से रहते थे।[उद्धरण चाहिए]

नगर पालिका की स्थापना

आगरा गजेटियर 1965 के पृष्ठ 263 के अनुसार फिरोजावाद नगर पालिका की स्थापना सन् 1868 में प्रारम्भ हुई ।

काँच उद्योग का प्रारम्भ

अलीगढ इंस्टिट्यूट गजट सन 1880 के पृष्ठ 1083 पर उर्दू के कवि मौलाना अल्ताफ हुसैन हाली ने लिखा है कि फ़िरोज़ाबाद में खजूर के पटटे की पंखिया एशी उम्दा वनती है कि हिंदुस्तान में शायद ही कही वनती हो ।सादी पंखिया जिसमे किसी कदर रेशम का काम होता है एक रूपया कीमत की हमने भी यहाँ देखी । इस कथन से स्पस्ट होता है कि 1880 तक यहाँ काँच उद्योग का प्रारम्भ नहीं हुआ था ।परंतु वर्तमान में भारत में सबसे अधिक काँच की चूड़ियाँ, सजावट की काँच की वस्तुएँ, वैज्ञानिक उपकरण, बल्ब आदि फ़िरोज़ाबाद में बनाये जाते हैं।[उद्धरण चाहिए] फ़िरोज़ाबाद में मुख्यत:चूड़ियों का व्यवसाय होता है। यहाँ पर आप रंगबिरंगी चूड़ियों की दुकानें चारों ओर देख सकते हैं। घरों के अन्दर महिलाएँ भी चूडियों पर पॉलिश लगाकर रोजगार अर्जित कर लेती हैं। भारत में काँच का सर्वाधिक फ़िरोज़ाबाद नामक छोटे से शहर में बनाया जाता है। इस शहर के अधिकांश लोग काँच के किसी न किसी सामान के निर्माण से जुड़े उद्यम में लगे हैं। सबसे अधिक काँच की चूड़ियों का निर्माण इसी शहर में होता है। रंगीन काँच को गलाने के बाद उसे खींच कर तार के समान बनाया जाता है और एक बेलनाकार ढाँचे पर कुंडली के आकार में लपेटा जाता है। स्प्रिंग के समान दिखने वाली इस संरचना को काट कर खुले सिरों वाली चूड़ियाँ तैयार कर ली जातीं हैं। अब इन खुले सिरों वाली चूड़ियों के विधिपूर्वक न सिर्फ़ ये सिरे जोड़े जाते हैं बल्कि चूड़ियाँ एकरूप भी की जाती हैं ताकि जुड़े सिरों पर काँच का कोई टुकड़ा निकला न रह जाये। यह एक धीमी प्रक्रिया है जिसमें काँच को गर्म व ठण्डा करना पड़ता है।[उद्धरण चाहिए]

फिरोजावाद में रेल का प्रारम्भ

परिवहन

यह आगरा और इटावा के बीच प्रमुख रेलवे जंक्शन है। दिल्ली से रेल द्वारा आसानी से टूंडला जंक्शन एवम् हिरन गाओं होते हुए फ़िरोज़ाबाद पंहुचा जा सकता है एवम् फ़िरोज़ाबाद पहुँचने हेतु बस आदि की भी समुचित व्यवस्ता है। स्वतंत्रता सेनानी पंडित तोताराम सनाढय की जन्म भूमि गाओं हिरन गाओं में जाने हेतु टैम्पू टैक्सी आदि की भी समुचित व्यवस्ता है।

सन्दर्भ

1.आगरा गजेटियर 1965 के पृष्ठ 263 पर