"इक्ष्वाकु": अवतरणों में अंतर

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'''इक्ष्वाकु''', प्राचीन भारत के [[इक्ष्वाकु वंश]] के प्रथम राजा थे। 'इक्ष्वाकु' शब्द 'इक्षु' से [[व्युत्पत्ति|व्युत्पन्न]] है, जिसका अर्थ [[गन्ना|ईख]] होता है।
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पौराणिक परंपरा के अनुसार इक्ष्वाकु, विवस्वान् ([[सूर्य]]) के पुत्र [[वैवस्वत मनु]] के पुत्र थे। पौराणिक कथा इक्ष्वाकु को अमैथुनी सृष्टि द्वारा मनु की छींक से उत्पन्न बताती है। वे [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी राजाओं]] में पहले माने जाते हैं। उनकी [[राजधानी]] कोसल (अयोध्या) थी। उनके १०० पुत्र बताए जाते हैं जिनमें ज्येष्ठ विकुक्षि था। इक्ष्वाकु के एक दूसरे पुत्र निमि ने [[मिथिला]] राजकुल स्थापित किया। साधारणत: बहुवचनांतक इक्ष्वाकुओं का तात्पर्य इक्ष्वाकु से उत्पन्न सूर्यवंशी राजाओं से होता है, परंतु प्राचीन साहित्य में उससे एक इक्ष्वाकु जाति का भी बोध होता है। इक्ष्वाकु का नाम, केवल एक बार, [[ऋग्वेद]] में भी प्रयुक्त हुआ है जिसे [[मैक्समूलर]] ने राजा की नहीं, बल्कि जातिवाचक संज्ञा माना है। इक्ष्वाकुओं की जाति [[जनपद]] में उत्तरी भागीरथी की घाटी में संभवत: कभी बसी थी। कुछ विद्वानों के मत से उत्तर पश्चिम के जनपदों में भी उनका संबंध था। सूर्यवंश की शुद्ध अशुद्ध सभी प्रकार की वंशावलियाँ देश के अनेक राजकुलों में प्रचलित हैं। उनमें वैयक्तिक राजाओं के नाम अथवा स्थान में चाहे जितने भेद हों, उनका आदि राजा इक्ष्वाकु ही है। इससे कुछ अजब नहीं, जो वह सुदूर पूर्वकाल में कोई ऐतिहासिक व्यक्ति रहे हों।
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==इन्हें भी देखें==
* [[प्राचीन वंशावली‎]]
* [[प्राचीन वंशावली‎]]
* [[प्राचीन भारतीय वंशों की सुची]]

==संदर्भ==
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{{भारतीय पौराणिक वंशावली}}
{{भारतीय पौराणिक वंशावली}}
{{हिन्दू धर्म}}


[[श्रेणी:हिन्दू वंश]]
[[श्रेणी:अयोध्याकुल]]
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[[श्रेणी:प्राचीन पौराणिक राजवंश]]
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04:30, 28 अक्टूबर 2015 का अवतरण

इक्ष्वाकु
चित्र:Chanting Brahmins and King Ikshwaku proceed to heaven.jpg
मंत्रोच्चार करते ऋषी एवं राजा इक्ष्वाकु के स्वर्गसिधार को दर्शाती चित्र

इक्ष्वाकु, प्राचीन भारत के इक्ष्वाकु वंश के प्रथम राजा थे। 'इक्ष्वाकु' शब्द 'इक्षु' से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ ईख होता है।

पौराणिक परंपरा के अनुसार इक्ष्वाकु, विवस्वान् (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु के पुत्र थे। पौराणिक कथा इक्ष्वाकु को अमैथुनी सृष्टि द्वारा मनु की छींक से उत्पन्न बताती है। वे सूर्यवंशी राजाओं में पहले माने जाते हैं। उनकी राजधानी कोसल (अयोध्या) थी। उनके १०० पुत्र बताए जाते हैं जिनमें ज्येष्ठ विकुक्षि था। इक्ष्वाकु के एक दूसरे पुत्र निमि ने मिथिला राजकुल स्थापित किया। साधारणत: बहुवचनांतक इक्ष्वाकुओं का तात्पर्य इक्ष्वाकु से उत्पन्न सूर्यवंशी राजाओं से होता है, परंतु प्राचीन साहित्य में उससे एक इक्ष्वाकु जाति का भी बोध होता है। इक्ष्वाकु का नाम, केवल एक बार, ऋग्वेद में भी प्रयुक्त हुआ है जिसे मैक्समूलर ने राजा की नहीं, बल्कि जातिवाचक संज्ञा माना है। इक्ष्वाकुओं की जाति जनपद में उत्तरी भागीरथी की घाटी में संभवत: कभी बसी थी। कुछ विद्वानों के मत से उत्तर पश्चिम के जनपदों में भी उनका संबंध था। सूर्यवंश की शुद्ध अशुद्ध सभी प्रकार की वंशावलियाँ देश के अनेक राजकुलों में प्रचलित हैं। उनमें वैयक्तिक राजाओं के नाम अथवा स्थान में चाहे जितने भेद हों, उनका आदि राजा इक्ष्वाकु ही है। इससे कुछ अजब नहीं, जो वह सुदूर पूर्वकाल में कोई ऐतिहासिक व्यक्ति रहे हों।

इन्हें भी देखें

संदर्भ