"अच्छे दिन आने वाले हैं": अवतरणों में अंतर

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नरेन्द्र मोदी ने चुनाव के पहले चरण में ''जनता माफ नहीं करेगी'' नारे के साथ लोगों की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया और अगले चरण में समस्याओं को सुलझाने के लिये ‘'अच्छे दिन आने वाले हैं'’ जैसा क्रान्तिकारी नारा देकर भारतीय राजनीति में इतिहास रच दिया।<ref>{{cite news|title=पीयूष के नारों से हुए ‘अच्छे दिन’ साकार|url=http://www.livehindustan.com/news/election/subvishesh/article1-loksabha-election-bjp-narendra-modi--134-139-426018.html |publisher=लाइव हिन्दुस्तान डाट काम|date=२१ मई २०१४|accessdate=२७ मई २०१४|author=अनिता शरण, मुम्बई |language=हिन्दी}}</ref>
नरेन्द्र मोदी ने चुनाव के पहले चरण में ''जनता माफ नहीं करेगी'' नारे के साथ लोगों की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया और अगले चरण में समस्याओं को सुलझाने के लिये ‘'अच्छे दिन आने वाले हैं'’ जैसा क्रान्तिकारी नारा देकर भारतीय राजनीति में इतिहास रच दिया।<ref>{{cite news|title=पीयूष के नारों से हुए ‘अच्छे दिन’ साकार|url=http://www.livehindustan.com/news/election/subvishesh/article1-loksabha-election-bjp-narendra-modi--134-139-426018.html |publisher=लाइव हिन्दुस्तान डाट काम|date=२१ मई २०१४|accessdate=२७ मई २०१४|author=अनिता शरण, मुम्बई |language=हिन्दी}}</ref>


MAY 2014 तक हम कितने बेवकूफ थे । दाल 35₹ से 60₹ तक महँगी हुई तो सीधे तत्कालीन प्रधानमंत्री को अक्षम, कमजोर, कालाबाजारियों का समर्थक, निकम्मा और क्या क्या नहीं कहते थे ?
== सन्दर्भ ==
इधर लगभग डेढ़ साल में हम काफी समझदार हो गए हैं । दाल 200 ₹ किलो तक महँगी हो गई और हमें इसके 222 कारण बताये जा रहे हैं ।
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दिल्ली में दाल महँगी तो वहाँ का मुख्यमंत्री दोषी । अन्य राज्यों के लिए भी वहाँ के लोग दोषी ।
पर वर्तमान प्रधानमंत्री को इस महंगाई से कोई मतलब नहीं, न इसके लिए वे और उनकी सरकार जिम्मेवार है ।
वह तो सिर्फ इसके पहले वाले पी एम तक ही जिम्मेवारी थी, अब नहीं ।

किन गँवार, मानसिक बीमार, अनपढ़, ज़ाहिल और गन्दी सोचवालो को मौका दे दिया केंद्र में देश की जनता ने
एक नही,अनेक मंचो से जिसने गला फाड़ फाड़ कर कहा कि विदेशों में इतना काला धन जमा है कि हर देशवासी के खाते में 15 से 20 लाख ₹ तक आ सकता है ।
अब 15 लाख की बात कहो तो कहते हैं कि वो जुमला था ...

कालाधन की बात जब पूछते है तो बोलते हैं कि अब इतना कालाधन नहीं है. ..

महंगाई की बात करो तो कहते है बारिश नहीं हुई है. ..

पूछो - अच्छे दिन कब आएंगे?
तो बोलते है - मोदीजी ने तो कभी बोला ही नहीं था.. ..

कश्मीर की बात करो तो नेहरूजी की गलती है...🏼🏼🏼

पाकिस्तान वार करता है तो कहते है गांधीजी का कसूर है🏼🏼🏼....

चीन आँख दिखाए तो भी नेहरूजी की गलती,🏼🏼🏼🏼

लव जिहाद शुरू था, वो फ्लॉप हो गया,

साध्वी बोले तो शाबासी 🏼🏼🏼🏼

अगर कोई सच बोले तो देशद्रोही?

नेस्टले की मैगी मत खाओ,
बाबा रामदेव की ही😋😋😋 खाओ..

मांस मत खाओ,
दाल महंगी तो कहते है दाल मत खाओ

प्याज मत खाओ
गौमूत्र पियो
कल कहेंगे गौमाता का गोबर खाओ
नहीं खाएंगे तो कहेंगे गद्दार हो🖖🏼
पाकिस्तान जाओ ...

मोदीजी ! आप कुर्सी की खातिर मुफ्ती सईद को गले लगाओ,
फिर भी देशभक्त है
और हम हिन्दू, मुस्लिम भाइयों को गले लगाये तो देशद्रोही?🏿🏿

प्रधानमंत्री आप थे तो लगता था कि आप देश के सर्वेसर्वा हैं ।
लेकिन, इधर ऐसा लगा कि आपके बॉस आरएसएस सुप्रीमो भागवत जी है

अब पता चल गया 🏻
विकास तो कर नहीं पाओगे कभी देश का 🏻
यह भाजपा के वश की बात नहीं🏻

लेकिन जितना वक़्त है, चुपचाप देश में ही रहकर देश पर दया कीजिये ।
देश में रहना तो आपके वश में है

एक एहसान और करो । इस देश को और बाँटने, आपसी भाईचारा ख़त्म करने की साजिश बंद करो

कारपोरेट घरानों, अम्बानी-अडानी के चंगुल में देश को मत फंसाओ ।
अंग्रेजों की गुलामी के चंगुल से तो 200 साल में देश निकलने में किसी तरह कामयाब हुआ ।
पर कारपोरेटों के चंगुल से देश 2000 साल में भी निकल नहीं पायेगा
और गरीबों, मजदूरों और किसानों का देश से नामोनिशान मिट जायेगा ।


== बाहरी कड़ियाँ==
== बाहरी कड़ियाँ==

08:45, 10 अक्टूबर 2015 का अवतरण

प्रवासी भारतीय दिवस के परिचर्चा सत्र को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

अच्छे दिन आने वाले हैं भारतीय जनता पार्टी द्वारा २०१४ के लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचारित किया गया एक नारा है जो पूरे भारत में बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ। प्रवासी भारतीय दिवस के परिचर्चा सत्र को सम्बोधित करते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने प्रवासी भारतीयों से चुनावी प्रक्रिया और देश में हो रही क्रान्ति में हिस्सा लेने को कहा था। मोदी ने काँग्रेस प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह द्वारा की गयी टिप्पणी पर चुटकी लेते हुए कहा हमारे प्रधानमन्त्री जी ने कल ही कहा कि निराश होने की जरूरत नहीं, अच्छे दिन जल्द आने वाले हैं। मैं उनकी बात से सहमत हूँ। मुझे और कुछ कहने की जरूरत नहीं। आपको चार-छह महीने इंतजार करना पड़ सकता है। अच्छे दिन निश्चित तौर पर आयेंगे। मोदी का संकेत लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व में बनने वाली अपनी सरकार की ओर था।[1][2]

नरेन्द्र मोदी ने चुनाव के पहले चरण में जनता माफ नहीं करेगी नारे के साथ लोगों की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया और अगले चरण में समस्याओं को सुलझाने के लिये ‘'अच्छे दिन आने वाले हैं'’ जैसा क्रान्तिकारी नारा देकर भारतीय राजनीति में इतिहास रच दिया।[3]

MAY 2014 तक हम कितने बेवकूफ थे । दाल 35₹ से 60₹ तक महँगी हुई तो सीधे तत्कालीन प्रधानमंत्री को अक्षम, कमजोर, कालाबाजारियों का समर्थक, निकम्मा और क्या क्या नहीं कहते थे ? इधर लगभग डेढ़ साल में हम काफी समझदार हो गए हैं । दाल 200 ₹ किलो तक महँगी हो गई और हमें इसके 222 कारण बताये जा रहे हैं । दिल्ली में दाल महँगी तो वहाँ का मुख्यमंत्री दोषी । अन्य राज्यों के लिए भी वहाँ के लोग दोषी । पर वर्तमान प्रधानमंत्री को इस महंगाई से कोई मतलब नहीं, न इसके लिए वे और उनकी सरकार जिम्मेवार है । वह तो सिर्फ इसके पहले वाले पी एम तक ही जिम्मेवारी थी, अब नहीं ।

किन गँवार, मानसिक बीमार, अनपढ़, ज़ाहिल और गन्दी सोचवालो को मौका दे दिया केंद्र में देश की जनता ने एक नही,अनेक मंचो से जिसने गला फाड़ फाड़ कर कहा कि विदेशों में इतना काला धन जमा है कि हर देशवासी के खाते में 15 से 20 लाख ₹ तक आ सकता है । अब 15 लाख की बात कहो तो कहते हैं कि वो जुमला था ...

कालाधन की बात जब पूछते है तो बोलते हैं कि अब इतना कालाधन नहीं है. ..

महंगाई की बात करो तो कहते है बारिश नहीं हुई है. ..

पूछो - अच्छे दिन कब आएंगे? तो बोलते है - मोदीजी ने तो कभी बोला ही नहीं था.. ..

कश्मीर की बात करो तो नेहरूजी की गलती है...🏼🏼🏼

पाकिस्तान वार करता है तो कहते है गांधीजी का कसूर है🏼🏼🏼....

चीन आँख दिखाए तो भी नेहरूजी की गलती,🏼🏼🏼🏼

लव जिहाद शुरू था, वो फ्लॉप हो गया,

साध्वी बोले तो शाबासी 🏼🏼🏼🏼

अगर कोई सच बोले तो देशद्रोही?

नेस्टले की मैगी मत खाओ, बाबा रामदेव की ही😋😋😋 खाओ..

मांस मत खाओ, दाल महंगी तो कहते है दाल मत खाओ

प्याज मत खाओ गौमूत्र पियो कल कहेंगे गौमाता का गोबर खाओ नहीं खाएंगे तो कहेंगे गद्दार हो🖖🏼 पाकिस्तान जाओ ...

मोदीजी ! आप कुर्सी की खातिर मुफ्ती सईद को गले लगाओ, फिर भी देशभक्त है और हम हिन्दू, मुस्लिम भाइयों को गले लगाये तो देशद्रोही?🏿🏿

प्रधानमंत्री आप थे तो लगता था कि आप देश के सर्वेसर्वा हैं । लेकिन, इधर ऐसा लगा कि आपके बॉस आरएसएस सुप्रीमो भागवत जी है

अब पता चल गया 🏻 विकास तो कर नहीं पाओगे कभी देश का 🏻 यह भाजपा के वश की बात नहीं🏻

लेकिन जितना वक़्त है, चुपचाप देश में ही रहकर देश पर दया कीजिये । देश में रहना तो आपके वश में है

एक एहसान और करो । इस देश को और बाँटने, आपसी भाईचारा ख़त्म करने की साजिश बंद करो

कारपोरेट घरानों, अम्बानी-अडानी के चंगुल में देश को मत फंसाओ । अंग्रेजों की गुलामी के चंगुल से तो 200 साल में देश निकलने में किसी तरह कामयाब हुआ । पर कारपोरेटों के चंगुल से देश 2000 साल में भी निकल नहीं पायेगा और गरीबों, मजदूरों और किसानों का देश से नामोनिशान मिट जायेगा ।

बाहरी कड़ियाँ

  1. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री की बात पर ली चुटकी, कहा- बहुत जल्‍द अच्‍छे दिन आने वाले हैं, 9 जनवरी 2014, जी न्यूज़, अभिगमन तिथि: २३ मई २०१४
  2. वर्गीस के॰ जॉर्ज (१७ मई २०१४). "PRIME MINISTER MODI" (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. अभिगमन तिथि २३ मई २०१४. नामालूम प्राचल |trans_title= की उपेक्षा की गयी (|trans-title= सुझावित है) (मदद)
  3. अनिता शरण, मुम्बई (२१ मई २०१४). "पीयूष के नारों से हुए 'अच्छे दिन' साकार". लाइव हिन्दुस्तान डाट काम. अभिगमन तिथि २७ मई २०१४.